Last Updated on March 30, 2023 by admin
बच्चों के नाक के रोग का होम्योपैथिक इलाज (Baccho ke Naak ke Rog ka Homeopathic Ilaj)
बच्चों के नाक रोग में प्रयोग की जाने वाली औषधियां :-
1. नाक लाल होना :-
- यदि बच्चे की नाक भोजन करने के बाद लाल हो जाती है तो बच्चे को एपिस औषधि की 3X देनी चाहिए। यदि भोजन करने के बाद बच्चे की नाक गहरे लाल रंग की हो जाती हो तो बच्चे को कार्बो-बेज औषधि की 6 शक्ति या बोरैक्स औषधि की 3 शक्ति का सेवन कराना लाभकारी होता है।
2. नाक फूल जाना :-
- बच्चे को ठण्ड में रखने या अधिक ठण्ड लगने के कारण यदि नाक फूल गई हो या गण्डमाला रोग होने के कारण नाक फूल गई हो। इस तरह के कारणों से नाक फूल जाने के लक्षणों में बच्चे को मर्क-सोल औषधि की 6 शक्ति देने से लाभ होता है। इस औषधि का अधिक प्रभाव नाक फूल जाने के साथ नाक से पतला नजला निकलने तथा नाक की हड्डियों में दर्द होने पर होता है। यदि इस रोग में मर्क-सोल के प्रयोग से लाभ न हो या रोग हल्का कम पड़ जाए तो हिपर-सल्फर औषधि की 6 शक्ति देनी चाहिए।
3. नाक में घाव होना :-
- कुछ बच्चे की प्रकृति ऐसी होती है कि हल्की सी ठण्ड लगने पर ही नाक से नजला निकलने लगता है। नाक से नजला निकलने के कारण बच्चे की नाक में हमेशा घाव बना रहता है। नाक में घाव होने के कारण बच्चे को अधिक कष्ट होता है क्योंकि घाव होने के कारण वह सांस ठीक से नहीं ले पाता है। इस तरह के रोग से पीड़ित बच्चे को ठीक करने के लिए ग्रैफाइटिस औषधि की 6 शक्ति का सेवन कराएं और रात को सोते समय नाक में ओलिव ऑयल डाल लें।
- नाक के अन्दर घाव या पीबदार फुंसियां होने के साथ घाव के सड़ने से बदबू आती हो तो बच्चे को कैलि-बाई औषधि की 6 शक्ति का प्रयोग करने से जल्दी लाभ होता है।
- यदि बच्चे की नाक के छिद्र के चारों ओर छोटे-छोटे घाव हो गए हो या नाक के चारों ओर पपड़ी जम गई हो तो बच्चे को नाइट्रिक-एसिड औषधि की 6 या 30 शक्ति का सेवन कराना लाभकारी होता है।
4. नाक पर पीबदार फुंसियां होना :-
- कभी-कभी नाक के ऊपर पीबदार फुंसियां हो जाती है। फुंसियों के कारण बच्चे को सांस लेने में परेशानी होती है तथा नाक में गुदगुदी होने पर नाक को छूते ही दर्द होने लगता है। इस तरह के रोग से ग्रस्त बच्चे को पेट्रोलियम औषधि की 3 शक्ति का सेवन कराना लाभदायक होता है।
5. नाक की जलन :-
- यदि बच्चे की नाक में जलन होती हो तो नाक की जलन के शुरुआती अवस्था में ही बच्चे को बेल औषधि की 2x की मात्रा देने से लाभ होता है। यदि नाक की जलन अधिक समय से हो तो बच्चे को आरम-म्यूर 3x शक्ति का सेवन कराना चाहिए।
6. नाक की जड़ में दबाव महसूस होना :-
- बच्चे की नाक की जड़ में दबाव महसूस होने के साथ ऐसा लगना जैसे कोई नाक की जड़ को खींच रहा है। इस तरह के लक्षणों में बच्चे को कैलि-बाइक्रोम औषधि की 3 शक्ति का उपयोग कराना हितकारी होता है।
- यदि बच्चे के नाक में दबाव महसूस होने के साथ नाक में दर्द भी रहता हो तो बच्चे के ऐसे लक्षणों में कैप्सिकम औषधि की 3 शक्ति का प्रयोग करना लाभकारी होता है।
7. नाक के अगले भाग के रोग :-
- नाक का अगला भाग कठोर होकर लाल हो जाना तथा उसमें खुजली होना। इस तरह के लक्षण यदि बच्चे में हो तो बच्चे को साइलिसिया औषधि की 6 शक्ति का प्रयोग करने से लाभ होता है।
- यदि नाक के अगले भाग में खिंचाव महसूस होने के साथ नाक में खुजली होती हो तो कार्बो-ऐनिमेलिस औषधि की 6 शक्ति का सेवन कराना उचित होता है।
- नाक के अगले भाग में जलनयुक्त दर्द होने पर एसिड-आक्जैलिक औषधि कर 3 शक्ति का प्रयोग लाभदायक होता है।
- नाक के अगले भाग पर छोटी-छोटी फुंसियां होने पर ऐमोन-कार्ब औषधि की 3 शक्ति का उपयोग करना चाहिए।
- नाक पर पीब भरी हुई फुंसियां होने पर कैलि-ब्रोम औषधि की 3x औषधि देना हितकारी होता है।
- नाक पर फोड़ा होना और खिंचाव महसूस होने के लक्षणों में बोरैक्स औषधि की 3 शक्ति का प्रयोग अत्यंत लाभकारी होता है।
- यदि नाक का अगला भाग लाल हो गया हो और उसके साथ बुखार रोग भी हो तो बच्चे को कैप्सिकम औषधि की 3 शक्ति देना हितकारी होता है।
8. बच्चे की नाक से खून गिरना :-
- यदि बच्चे की नाक से खून गिरता हो तो मिलिफोलियम- θ औषधि का उपयोग करना लाभदायक होता है।
- कभी-कभी बच्चे आपस में खेलते हुए एक दूसरे के नाक पर मार देता है। नाक पर चोट लगते ही नाक से खून आने लगता है। ऐसे में नाक से खून आने पर उसे रोकने के लिए आर्निका औषधि की 3 शक्ति देने से लाभ होता है।
- किसी रोग के कारण या पौष्टिक भोजन न मिलने के कारण बच्चे का शरीर अधिक कमजोर हो जाता है। अधिक शारीरिक कमजोरी के कारण भी नाक से खून आता रहता है। ऐसे में बच्चे को चायना औषधि की 6 शक्ति का सेवन कराना उपयोगी होता है।
- यदि बच्चे की नाक से खून सुबह के समय गिरता हो तो बच्चे को ब्रायो औषधि की 3 शक्ति का सेवन कराना चाहिए, लेकिन रात के समय नाक से खून आने पर मर्क-बाई औषधि की 6x का चूर्ण प्रयोग करना उचित होता है।
- कभी-कभी बच्चे को किसी भयंकर बीमारी होने के कारण भी नाक से खून आने लगता है। सान्निपातिक ज्वर से पीड़ित बच्चे के नाक से भी कभी-कभी खून आता रहता है। ऐसे में बच्चे के नाक से खून आने से रोकने के लिए दवाइयों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
9. नाक का बंद होना :-
- बच्चे को सर्दी-जुकाम होने के कारण नाक से नजला आने पर नाक बंद हो जाता है परन्तु कभी-कभी सर्दी-जुकाम समाप्त होने के बाद भी बच्चे की नाक बंद रहती है। इससे बच्चे को सांस लेने में और छोड़ने में परेशानी होती है। बच्चे को दूध पीते तथा सोते समय भी कठिनाई होती है। इस तरह नाक बंद होने पर सांय-सांय की आवाज आती रहती है और बलगम भी निकलता रहता है। नाक सूखी होने के साथ नाक बंद होने के ऐसे लक्षणों में बच्चे को डल्कामारा- 3, सैम्बुकस- 3 या नक्स-वोमिका- 6 शक्ति की औषधि का प्रयोग करना हितकारी होता है।
- नाक बंद होने के साथ बच्चे की छाती से घड़घड़ की आवाज आती हो तो बच्चे को ऐण्टिम-टार्ट औषधि की 6 शक्ति देने से लाभ होता है।
- नाक से पानी की तरह पतला स्राव होने के कारण यदि बच्चे की नाक बंद हो गई हो तो बच्चे को कैमोमिला औषधि की 12 शक्ति का सेवन कराना चाहिए।
- यदि नाक अधिक सूखा होने के बाद भी नाक बंद हो तो बंद नाक को खोलने के लिए शुद्ध सरसों के तेल को गर्म करके नाक में डालें। इससे नाक का सूखा श्लेष्मा पतला होकर निकल जाता है।
(अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।)