Last Updated on December 1, 2023 by admin
एलर्जी सुनने में भले ही कोई गंभीर मैडिकल एमरजैंसी न लगती हो लेकिन जब यह अपनी चरम अवस्था पर पहुंचती है तो जानलेवा हालात भी पैदा कर देती है। आइये जाने कैसे बचें एलर्जी से होने वाले स्वास्थ्य खतरों से,
एलर्जी क्या है ? : Allergy in Hindi
एलर्जी यानी शरीर द्वारा कुछ विशेष तत्त्वों, जिन्हें एलर्जन कहते हैं, के प्रति अतिसंवेदनशील प्रतिक्रिया है। जो लोग एलर्जी से पीड़ित हैं उन के लिए सब से बेहतर उपाय यही है कि वे उन कारकों (एलर्जन) से बचें, जिन से एलर्जी है। एलर्जन अपनेआप में हानिकारक नहीं होते हैं। कई लोगों को इन एलर्जन से कोई समस्या नहीं होती। लेकिन अतिसंवेदनशील लोगों में इन एलर्जन से कई लक्षण नजर आते हैं, जिन में से कई तो जानलेवा भी होते हैं।
अगर आप को एक चीज से एलर्जी है। तो जरूरी नहीं है कि किसी अन्य को भी उसी चीज से एलर्जी हो। एलर्जी के कई कारक हैं। एलर्जी से पीड़ित व्यक्ति को अपने अनुभव के आधार पर यह खोजने की कोशिश करनी चाहिए कि उसे किस विशेष वस्तु का उपयोग करने से एलर्जी होती है।
एलर्जी के प्रकार, कारण और बचाव के उपाय :
1. पालतू जानवरों से एलर्जी और उसके कारण : Paltu Janwar se Allergy
जानवरों की लार, मृत त्वचा, फर और यूरिन में जो प्रोटीन होता है वह एलर्जन कहलाता है। उस से कई लोगों में एलर्जिक रिऐक्शन या अस्थमा की समस्या बढ़ जाती है। इस के अलावा जानवरों के फर में पराग, धूल के कण और दूसरे एलर्जन भी भर जाते हैं, जिस से एलर्जी और गंभीररूप धारण कर लेती है। एलर्जी से पीड़ित कुल लोगों में से 15-30 प्रतिशत लोगों को बिल्ली और कुत्ते जैसे पालतू जानवरों से एलर्जी होती है। अगर आप के घर में पालतू जानवर है और उसे कभी अपने पास भी नहीं आने देते, तब भी आप को एलर्जी हो सकती है।
आधुनिक शोधों से पता चला है कि जब जानवर खुद को चाटते हैं तो लार में मौजूद प्रोटीन भी फर से चिपक जाता है।
और जब यह सूख जाता है तो हवा में उड़ता है। जानवरों से निकलने वाले एलर्जन कारपेट, कालीन और फर्नीचर में इकट्ठा हो जाते हैं और वहां वे 4 से 6 सप्ताह तक सक्रिय अवस्था में रहते हैं। इस के अलावा, ये एलर्जन पालतू जानवर को घर से निकालने के बाद भी कई महीनों तक हवा में मौजूद रहते हैं। बिल्लियां, कुत्तों से ज्यादा एलर्जी करती हैं क्योंकि वे खुद को ज्यादा चाटती हैं और कुत्तों के मुकाबले लोग बिल्लियों को ज्यादा पकड़ते व प्यार करते हैं.
क्या हैं लक्षण –
- पलकों और नाक की त्वचा का लाल हो जाना, सूजन आना और उस में खुजली होना.
- जिन लोगों को पहले से ही अस्थमा है, बिल्ली के संपर्क में आने पर उन में अस्थमा के अटैक का खतरा 20-30 प्रतिशत बढ़ जाता है.
बचाव के उपाय –
- ऐसे बचें पालतू जानवर के सीधे संपर्क में आने पर अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह से साफ कर लें।
- आप अपने पालतू जानवर से जितना भी प्यार करते हो, उन्हें अपने बैडरूम में न आने दें.
- पालतू कुत्ते और बिल्ली को नियमितरूप से नहलाएं। इस से उन के शरीर पर एलर्जन के पनपने की आशंका कम हो जाती है.
- पालतू जानवरों को हमेशा घर से बाहर बंद और खुले स्थानों पर रखें।
2. धूल से एलर्जी और उसके कारण : Dhool se Allergy
भारत में सब से अधिक लोग धूल यानी डस्ट एलर्जी से पीड़ित हैं। एक अनुमान के अनुसार, एलर्जी के शिकार लोगों में से करीब 80 प्रतिशत लोगों को धूल से एलर्जी जरूर होती है। इसलिए इस के उपचार के लिए जरूरी है कि धूल से बचा जाए।
क्या हैं लक्षण –
- आंखें लाल होना, उन में खुजली होना और पानी बहना।
- नाक बहना और उस में खुजली होना।
- सांस लेते हुए सूसू की आवाज आना।
- लगातार छींकना ।
बचाव के उपाय –
- जिन लोगों को धूल से एलर्जी है, उन्हें उस जगह नहीं जाना चाहिए जहां निर्माण कार्य हो रहा हो।
- ऊनी कपड़ों को जाड़े के मौसम के खत्म होने पर अच्छी तरह से धो कर अलमारी में रख लिया जाए क्योंकि इन के छेदों में धूल भर जाती है। जिन लोगों को धूल से एलर्जी है वे सुबह और रात को सोने से पहले गुनगुने पानी से नहाएं ताकि धूल के कण निकल जाएं।
- वैक्यूम क्लीनर से सफाई करते समय हमेशा मास्क पहनें क्योंकि कारपेट और कालीन पर बहुत से धूल के कण इकट्ठे हो जाते हैं।
- कारपेट, कालीन, चटाइयां, बैडशीट्स, तकिए के गिलाफ आदि एलर्जी करने वाले कारकों के पनपने की जगहें हैं, इसलिए इन की सफाई का विशेष ध्यान रखें।
3. हेयरडाई से एलर्जी और उसके कारण :
हेयरडाई के साइड इफैक्ट्स के बावजूद इन का उपयोग पूरे संसार में किया जाता है। यह एलर्जी उन लोगों में ज्यादा आम होती है जिन की त्वचा अतिसंवेदनशील होती हैं, उन की त्वचा उन रसायनों के प्रति संवेदनशीलता दिखाती है जो अधिकतर हेयरकलर्स में होते हैं, लेकिन फिर भी लोग हेयरडाई का इस्तेमाल करना बंद नहीं करते।
कई कंपनियां संवेदनशील त्वचा के लिए ऐसी डाई बना रही हैं, जिन में कम से कम रसायन हों, लेकिन कोई भी ऐसी डाई उपलब्ध नहीं है जिस में कोई भी रसायन मौजूद न हो। इस का परिणाम यह होता है कि जो लोग हेयरडाई का उपयोग करते हैं, उन में एलर्जी के साथ ही त्वचा के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
लक्षण पहचानें –
- त्वचा में जलन, पलकों, कान के ऊपरी किनारे, चेहरे, गरदन, पीठ या छाती की त्वचा का लाल पड़ जाना, सूज जाना और उस में दर्द होना।
- ज्यादा गंभीर लक्षणों में चेहरे पर सूजन और खोपड़ी का लाल हो जाना, पलकों पर सूजन, सांस लेने में तकलीफ होना आदि।
- कई मामलों में स्किन पैच टैस्ट के बाद भी कई लोगों में एलर्जी के लक्षण दिखाई देते हैं।
सावधानी बरतें –
99 प्रतिशत हेयरड़ाई में पीपीडी यानी पैराफेनाइलीन डायामीन या पीफिनाइलीन डायमीन होता है। यहां तक कि कई काली मेंहदी, लिपस्टिक और टैटू बनाने वाली स्याही में भी यह रसायन होता है।
स्वास्थ्य को होने वाले खतरों को देखते हुए कुछ यूरोपीय देशों में पीपीडी पर बैन लगा दिया गया है। लेकिन कोई भी हेयरडाई ऐसी नहीं होती जिस में हानिकारक रसायनों का उपयोग नहीं होता हो। जिन में पीपीडी नहीं होता, उन में पैराबेंस और प्रोप्लीन ग्लायकोल होता है, इसलिए इन के संभावित खतरों से बचने के लिए हेयरडाई का उपयोग करने से पहले पैच टैस्ट जरूर करें और यदि फिर भी एलर्जी के लक्षण नजर आएं, तो इस्तेमाल से बचें।
4. अन्य चीजों से एलर्जी :
एंटीबायोटिक – 15 में से 1 व्यक्ति को एंटीबायोटिक से एलर्जी है विशेषरूप से पेनिसिलीन और सेफैलोस्पोरिन से। अधिकतर मामलों में एलर्जिक रिऐक्शन अधिक गंभीर नहीं होता है। त्वचा पर रेशेज पड़ जाते हैं जिन में खुजली होती है, कभी-कभी त्वचा पर मधुमक्खी जैसे छत्ते बन जाते हैं। कई लोगों को जी मचलाना, पेटदर्द, दस्त लगना, डायरिया की समस्या हो जाती है, एंटीबायोटिक से होने वाली एलर्जी से बहुत ही कम मामलों में लक्षण इतने गंभीर होते हैं कि पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु हो जाए,
एनेस्थिसिया – बहुत ही कम मामलों में देखा जाता है कि एनेस्थिसिया के कारण एलर्जिक रिऐक्शन होता है। यह एलर्जी भी एनेस्थेटिक फैक्टर्स के अलावा दूसरे कारकों से होती है। न्युरोमस्क्युलर ब्लौकिंग एजेंट्स, प्राकृतिक रबर लेटेक्स और एंटीबायोटिक्स सर्जरी के दौरान गंभीर एलर्जिक रिऐक्शन के सब से सामान्य कारण हैं।
एलर्जी का उपचार : Allergy Ka ilaj in Hindi
एलर्जी का स्थायी उपचार नहीं है। लेकिन जिन चीजों से आप को एलर्जी हो, उन कारकों से बचा जाए तो आप पूरी तरह सामान्य जीवन जी सकते हैं।
उदाहरण के लिए कुछ लोगों को पालतू जानवरों से एलर्जी होती है, फिर भी डाक्टर के सख्त निर्देश के बावजूद वे अपने पालतू जानवरों को अपने घर से बाहर नहीं करते। जिन्हें धूल से एलर्जी होती है, वे बिना अपनी नाक को ढक कर ही बाहर निकल जाते हैं। यही सब से प्रमुख कारण होता है कि लोगों की एलर्जी ठीक नहीं हो पाती एलर्जी की समस्या को लोग गंभीरता से नहीं लेते। ठीक समय पर दवाइयां नहीं लेते हैं, इस से भी समस्या बढ़ती जाती है।
जानलेवा एलर्जी :
एलर्जी के लक्षण मामूली से ले कर गंभीर तक हो सकते हैं। इन्हें कई लोग हलके में ले लेते हैं, नतीजतन, बात हद से ज्यादा बढ़ जाती है और निदान मुश्किल हो जाता है। इसलिए किसी भी तरह की एलर्जी को अनदेखा न करें, एलर्जी के लक्षण कभीकभी जीवन के लिए खतरा भी हो सकते हैं जिसे एनाफाइलैक्सिस कहते हैं, एनाफाइलैक्सिस एक मैडिकल | इमरजेंसी है जिस में तुरंत चिकित्सा सहायता की आवश्यकता होती है।
एलर्जी और आनुवंशिकता :
एलर्जी विकसित होने की प्रवृत्ति अकसर आनुवंशिक होती है, जिस का अर्थ है कि यह आप के जींस द्वारा आप की अगली पीढ़ी में पास हो सकती है। हालांकि ऐसा नहीं है कि आप के जीवनसाथी या आप को एलर्जी है तो आप के सभी बच्चों को निश्चित ही एलर्जी हो। अगर माता पिता दोनों में से किसी एक को एलर्जी है तो बच्चों के एलर्जी की चपेट में आने का खतरा 50 प्रतिशत होता है। लेकिन अगर माता पिता दोनों को एलर्जी है तो बच्चों के एलर्जी की चपेट में आने की आशंका 75 प्रतिशत हो तक रहती है।
यह जरूरी नहीं हैं। कि मातापिता को जो एलर्जी है वही बच्चों को भी हो, उन्हें किसी दूसरे प्रकार की एलर्जी भी हो सकती है। एलर्जी न केवल आनुवंशिकता से संबंधित होती है, बल्कि मातापिता और बच्चों के लिंग से भी संबंधित होती है, एक नए अध्ययन के अनुसार, बच्चे को विरासत में एलर्जी मिलने की आशंका बढ़ जाती है अगर मातापिता में से समान लिंग वाला एलर्जी से पीड़ित है। जैसे, अगर पिता को एलर्जी है तो बेटे को विरासत में एलर्जी मिलने की आशंका अधिक होगी। ऐसे ही, अगर मां को एलर्जी है तो बेटी के लिए खतरा बढ़ जाएगा।