Last Updated on March 5, 2023 by admin
बंद माहवारी (मासिक धर्म) : Amenorrhea in Hindi
इस रोग में माहवारी (मासिक धर्म) बिल्कुल बन्द हो जाता है या नियमित समय
से बहुत देर बाद थोड़ी मात्रा में दर्द और कष्ट से आता है।
बंद माहवारी (नष्टार्तव) के प्रकार :
यह रोग 3 प्रकारों में विभक्त किया जा सकता है।
(1) आरम्भ से ही मासिक का बन्द होना
(2) एक दो बार मासिक आकर बन्द हो जाना
(3) रजः का उत्पन्न तो होना किन्तु रास्ता बन्द होने के कारण उसका जारी न होना।
माहवारी बंद होने के कारण और लक्षण :
1) आरम्भ से ही मासिक का बन्द होना –
पहली प्रकार का कारण जन्म से गर्भाशय या डिम्बाशय का न होना, या बहुत ही छोटा होना होता है। डिम्बाशय का सम्बन्ध पिच्यूट्री ग्लैन्ड से होता है। यदि इस ग्लैन्ड में कोई विकार हो तो भी डिम्बाशय का पूरा पालन-पोषण नहीं हो सकता है।
2) एक दो बार मासिक आकर बन्द हो जाना –
दूसरे प्रकार के कारण, रक्ताल्पता या रक्त का अत्यधिक मात्रा में गाढ़ा होना, पुराने रोग जैसे-मधुमेह, क्षय, कैन्सर, वृक्क सम्बन्धी कोई रोग, दिल, यकृत. या आमाशय सम्बन्धी कोई रोग, नर्वस सम्बन्धी रोग, मासिक के समय या उससे पूर्व सर्दी लग जाना, ठन्डे पानी से नहाना, गर्मी की अधिकता पागलपन, गर्भधारण से डरना, पिच्यूट्री अथवा थाईरायड आदि ग्लैन्डों की खराबियां, विषैली और नशीली वस्तुओं का प्रयोग, सुजाक, उपदंश या गर्भाशय सम्बन्धी रोग, आलस्य, मैथुन-दोष, माहवारी के समय बर्फ का अधिक प्रयोग, अचानक शोक, दुःख, क्रोध, भय, मानसिक उद्वेग एवं मासिक काल में उचित नियमों का पालन न करना आदि होत हैं।
3) रजः का उत्पन्न तो होना किन्तु रास्ता बन्द होने के कारण उसका जारी न होना-
तीसरे प्रकार का कारण योनि या गर्भाशय के मुख या कुमारी पर्दा का बन्द और बहुत मोटा और बिना छेद वाला होना होता है।
इस रोग के प्रमुख लक्षण जरायु के स्थान में दर्द, भूख की कमी, वमन, मितली, कब्ज, स्तनों में दर्द, दूध का कम निकलना, दिल अधिक धड़कना, सांस लेने में परेशानी, दम घुटना, कान में विभिन्न प्रकार की आवाजें होना, थकावट, निद्रा की कमी, अतिसार, मूर्छा रोग, पेडू में दर्द, जरायु प्रदाह, शरीर के अन्दर कहीं भी सूजन हो जाना, मानसिक विकृति, हिस्टीरिया, स्वरभंग, कमर हाथ-पैर तथा माथे में दर्द, शारीरिक ऐंठन, रक्त घट जाने और पतला हो जाने पर शरीर का रंग फीका, मुख पीला, होंठ, पपोटे और नख सफेद हो जाना, शारीरिक कमजोरी, सुस्ती, मोटापा और कफ की अधिकता होने पर हाजमा खराब, किसी-किसी को अत्यधिक निद्रा, कमर, जांघ और कूल्हों में भारीपन एवं मामूली दर्द, अधिक गर्मी में प्यास का अधिक लगना, मूत्र जलन के साथ लाल या पीले रंग का आना, गर्भाशय में गर्मी प्रतीत होना हाथों की हथेलियों तथा पाँवों के तलुवों में जलन, सिर चकराना आदि लक्षण प्रकट होते हैं।
माहवारी बंद होने से क्या होता है ? :
यदि ठीक समय पर इस रोग का इलाज नहीं किया गया तो हिस्टीरिया, बेहोशी, सन्यास, अवसाद, वायु, उदासी, (मेलनकोलिया) पक्षाघात, दृष्टि शक्ति का मन्द पड़ जाना, इत्यादि विभिन्न प्रकार के रोग हो जाते हैं। इस रोग में ज्वर की भाँति सिहरन प्रतीत होना, हाथ पैर तथा माथे की चांदी में दर्द एवं जलन, कमर पेडू, एवं शरीर में दर्द, मानसिक सुस्ती एवं थकावट आदि होते हैं ।
माहवारी के बंद होने पर खान पान और परहेज :
☛ रोगिणी के रोग के मूल कारणों को दूर करें, उसे शान्त एवं प्रसन्न रक्खें और मनोविकारों से बचावें।
☛ पानी में नहीं भीगने दें व सर्दी से बचायें तथा घूमने टहलने हेतु निर्देशित करें।
☛ हल्का और पुष्टिकारक भोज्य खाद्य पदार्थ खिलायें।
☛ गरम शरीर में शीतल जल या ठन्डे पेय (Cold Liquid Drinks) न पीने दें।
☛ सुबह-शाम सैर करायें।
☛ साफ पोशाक, नियमित स्नान, साफ हवादार घर में निवास तथा नियमित परिश्रम एवं चित्त प्रसन्न तथा रोगिणी को यह सांत्वना दें कि जल्द की मासिक स्राव होगा, तुम पूर्ण स्वस्थ हो। आइये जाने घरेलू सरल बंद माहवारी खोलने के उपाय –
बंद माहवारी का इलाज : Home Remedies for Amenorrhea in Hindi
1- नीम से बंद माहवारी का उपचार –
नीम की 5-7 पत्तियाँ अदरक के रस में पीसकर पिलायें तथा नीम की पत्तियाँ गरम करके नाभि के नीचे बाँध दें। मासिकधर्म खुलकर आने लगेगा। नीम की पत्तियों को गरम करके नाभि के नीचे बाँधने से मासिकधर्म में होने वाला दर्द तथा कमर की टूटन (दर्द) भी दूर हो जाती है। यदि किसी स्त्री का मासिकधर्म रुकता ही न हो, निरन्तर जारी हो तो ऐसी परिस्थिति में बकायन (महानीम) की कोंपलों का रस पिलायें। मासिकधर्म थम जायेगा।
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2- गाजर के बीज से बंद माहवारी का इलाज –
कपास के पौधे की जड़ 6 ग्राम , गाजर के बीज 6 ग्राम , सोया के बीज, 4 ग्राम , खरबूजा के बीज 4 ग्राम का क्वाथ बनाकर पिलायें। प्रदर कम तथा दर्द से आने में अनुभूत योग है।
3- जीरा से बंद माहवारी खोलने के उपाय –
रेवन्द चीनी, कलमी शोरा प्रत्येक 6 ग्राम, यवक्षार, जीरा 3-3 ग्राम, पीसकर बराबर मिश्री मिलाकर इसे 3 से 6 ग्राम की मात्रा में प्रातः सायं गर्म पानी के साथ सेवन करायें। रजः दर्द से आने तथा कम मात्रा में आने के लिए लाभप्रद योग है।
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4- इन्द्रायण के फायदे बंद माहवारी के इलाज मे –
पिप्पली, मेनफल, यवक्षार, इन्द्रायण के बीज, मीठा कूट, पुराना गुड़ सभी औषधियाँ बराबर-बराबर मात्रा में अलग-अलग कूटकर गो दुग्ध की सहायता से बत्तियाँ बना लें। प्रातः सायं 1-1 बत्ती गर्भाशय के मुख में रखें।
नोट-मासिक लाने वाली औषधियों का सेवन या प्रयोग मासिक आने से 5-7 दिन पूर्व प्रयोग कराना प्रारम्भ कर दें तथा मासिक आने के दिनों में भी औषधि सेवन कराते रहें। योनि में रखने की बत्तियां मासिक आने से 3-4 दिन पूर्व से रखनी प्रारम्भ करा दें।
5- कलिहारी का नष्टार्तव में लाभ –
कलिहारी की जड पानी में पीसकर मस्तक पर लेप करने से स्त्रियों की बन्द माहवारी खुल जाती है।
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6- किसमिस के लाभ –
यदि स्त्री में रक्त की कमी के कारण मासिकधर्म सम्बन्धी विकार हों तो उसको घी, दूध, खजूर या किसमिस खिलाते रहें।
7- हीरा कसीस से इलाज –
हीरा कसीस एवं एल्वा प्रत्येक 72 ग्राम , बड़ी इलायची के बीज 144 ग्राम का चूर्ण बनाकर मधु की सहायता से 12 गालियाँ बनाकर 1-1 गोली भोजनोपरान्त दिन में 2 बार दें। यह योग रक्त उत्पन्न करके मासिक धर्म जारी कर देता है।
8- गर्म पानी से कष्ट से आने वाले मासिकधर्म का इलाज –
पेट के निचले भाग पर गर्म ईंट, रेत या गर्म पानी की बोतल से खूब सेंक करने से भी मासिकधर्म जारी हो जाता है, तथा इस प्रयोग से “मासिकधर्म कष्ट से आना” भी ठीक हो जाता है। शीघ्र लाभ-प्राप्ति हेतु अरन्ड के पत्तों के क्वाथ से निचले भाग पर सिकाई करें।
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9- रीठा से बंद माहवारी खोलने के उपाय –
रीठा के छिलके को पत्थर की सिल पर बारीक पीसकर बत्ती बनाकर गर्भाशय के मुख में रखवाने से भी मासिक धर्म जारी हो जाता है।
10- कपास से रोग उपचार –
कपास की जड़ का क्वाथ 60 ग्राम की मात्रा में 1-1 घन्टे के अन्तर से पिलाने से मासिकधर्म कष्ट से आना और बन्द हो जाना ठीक हो जाता है।
11- तिल से इलाज –
तिल पीसकर आधा से डेढ़ ग्राम तक दिन में 4 बार खिलाते रहने से बन्द मासिकधर्म जारी हो जाता है।
( और पढ़े – तिल के 79 जबरदस्त फायदे )
12- गर्म पानी और पिसे हुए तिल से रोग उपचार –
गर्म पानी के टब में आधी मुट्ठी पिसे हुए तिल डाकर रोगिणी को 15 मिनट तक बिठायें। (पानी टब में इतना हो कि स्त्री का पेडू यानि पेट का निचला भाग पानी में ही रहे) इस से मासिकधर्म बन्द हो जाना, और कष्ट से आना ठीक हो जाता है तथा मासिकधर्म के घोर दर्दो को आराम आ जाता है।
13- रेवन्दचीनी से बंद माहवारी का इलाज –
रेवन्दचीनी 8 रत्ती में खान्ड मिलाकर खाने से मासिकधर्म दर्द से आना ठीक हो जाता है। (1 ratti = 0.1215 gram)
14- बायबिडंग के लाभ नष्टार्तव रोग में –
बायबिडंग, झाऊबेर, कलमी शोरा, जवाखार प्रत्येक 4 रत्ती। ऐसी 1 मात्रा सुबह शाम खिलाने से मासिकधर्म बन्द हो जाना, कम आना, कष्ट से आना ठीक हो जाता है।
15- उलट कम्बल से कष्ट से आने वाली मासिकधर्म का इलाज –
उलट कम्बल की जड़ का चूर्ण मासिकधर्म से 3-4 दिन पूर्व से 2-3 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार देने से मासिकधर्म कष्ट से आना या मासिकधर्म अत्यधिक मात्रा में आना आदि कष्ट दूर हो जाते हैं। यह औषधि गर्भाशय को शक्तिशाली बनाती है।
16- धतूरा से दर्द से होने वाली माहवारी का इलाज –
धतूरा के पत्तों को पानी में उबालकर इस पानी से पेडू पर सेंक करने से मासिकधर्म की दर्दो को आराम आ जाता है।
बंद माहवारी खोलने की दवा :
मासिक कम आने, थोड़े समय तक आते रहने या देर से आने के लिए अशोकारिष्ट और हिंग्वष्टक चूर्ण अत्यन्त सफल औषधियाँ हैं। अशोकारिष्ट भोजन के बाद 24 ग्राम तक समान जल मिलाकर तथा हिंग्वष्टक चूर्ण 3 से 5 ग्राम गर्म जल से भोजन के साथ 2-3 बार प्रयोग कराये।
(दवा व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)