Last Updated on July 22, 2019 by admin
अर्जुनारिष्ट क्या है ? arjunarishta in hindi
अर्जुनारिष्ट एक आयुर्वेदिक दवा है। अर्जुनारिष्ट का उल्लेख सुप्रसिद्ध आयुर्वेदिक ग्रन्थ भैषज्य रत्नावली के हृदयरोग चिकित्सा प्रकरण में पार्थरिष्ट के नाम से मिलता है। इस ग्रन्थ के अनुसार –
हृत्फुफ्फुस गदान् सर्वान् हन्त्ययं बलवीर्यकृत्
अर्थात- इसको सेवन करने से हृदय और फुफ्फुस में उत्पन्न हुए समस्त विकार नष्ट होते हैं और बलवीर्य की वृद्धि होती है। ग्रन्थकार ने इसे पार्थरिष्ट कहा है और यह सभी जानते हैं कि पार्थ अर्जुन का ही पर्यायवाची शब्द है। इस योग के विषय में चर्चा करने से पहले थोड़ा परिचय ‘अर्जुन’ वृक्ष के विषय में भी कर देना उचित एवं उपयोगी होगा।
भावप्रकाश निघण्टु में लिखा है –
ककुभः शीतलोहृद्यः क्षतक्षयविषास्त्रजित्।
मेदोमेह व्रणान् हन्ति तुवरः कफपित्तहृत्।।
अर्जुन वृक्ष की पहचान और परिचय : arjun tree in hindi
इसका वृक्ष बहुत बड़ा और लगभग 60 से 80 फिट तक ऊंचा होता है। भारत में यह खासकर हिमालय की तराई, बंगाल, बिहार, मध्यप्रदेश आदि प्रान्तों में कुदरती तौर पर पैदा होता है जबकि अन्य प्रान्तों में बोने पर पैदा होता है। यह जंगली वृक्ष है और नदी-नालों के किनारे कतार-बद्ध इसके ऊंचे-ऊंचे वृक्ष देखे जा सकते हैं। इसके पत्ते अमरूद के पत्तों जैसे होते हैं और डण्ठल के पास दो गांठे होती हैं। ग्रीष्म काल में इसमें फूल आते हैं और शीतकाल में फल लगते हैं। इसके फूल हरापन लिये सफेद होते हैं और मंजरी के रूप में लगे होते हैं। इसके फल गोल, कम गूदे वाले ओर कमरख की तरह कंगूरेदार होते हैं।
अर्जुन वृक्ष का विभिन्न भाषाओं में नाम :
संस्कृत – ककुभ। हिन्दी –अर्जुन। मराठी –अर्जुन सालढोल। गुजराती – सादड़ो, असोंदरो।
बंगला –अर्जुनागाछ । कन्नड़ – मदि। तेलुगु – तेल्लमद्दि। तामिल – बेल्म, मरूदमरम। इंगलिश – अर्जुन (Arjun) । लैटिन – टर्मिनेलिया अर्जुन (TerminaliaArjun)
अर्जुन वृक्ष के औषधीय गुण :
✦ यह यह शीतल, हृदय को बल देने वाला हितकारी, कसैला और क्षत (घाव), क्षय, विष, रुधिर विकार मेद (चर्बी) प्रमेह, व्रण, कफ और पित्त को नष्ट करने वाला है।
✦ इसकी छाल कषाय रस युक्त और बल्य (बल देने वाली ) है ।
✦ हृदय के रोगों को दूर करने के लिए सेवन योग्य है।
✦यह हृदय की धड़कन को ठीक और नियमित करने वाली श्रेष्ठ औषधि है।
अर्जुन वृक्ष के फायदे और उपयोग : arjun tree benefits in hindi
1- विशेष रूप से अर्जुन की छाल उपयोगी होती है जो हृदय के लिए बहुत हितकारी होती है।
2-इसके अलावा यह प्रमेह, रक्तविकार, रक्तपित्त, पित्त प्रकोप, क्षय और खांसी तथा घाव को ठीक करने में भी सफल सिद्ध होती है।
3-चिकित्सकों और हृदय रोग विशेषज्ञों ने अपने परीक्षण एवं अनुसंधान में, इसे हृदय विकार और व्याधियों को दूर करने में बहुत गुणकारी पाया है।
4-इसको मुख्य द्रव्य के रूप में लेकर कुछ और घटक द्रव्यों के साथ ‘अर्जुनारिष्ट’ नामक आयुर्वेदिक योग बनाया जाता है जो बाजार में आयुर्वेदिक औषधि विक्रेता के यहां आयुर्वेदिक निर्माताओं द्वारा निर्मित बाटल पेकिंग में मिलता है। इसका फार्मूला इस प्रकार है ।
अर्जुनारिष्ट के घटक द्रव्य : arjunarishta ingredients in hindi
•अर्जुन वृक्ष की छाल चार किलो,
•द्राक्षा (दाख या मनुक्का) 2 किलो
• महुए के फूल 800 ग्राम,
•गुड़ 4 किलो,
•धाय के फूल 800 ग्राम
•पानी 40 लीटर
अर्जुनारिष्ट बनाने की विधि : preparation method of arjunarishta
ऊपर दिए गए घटक द्रव्यों की मात्रा, इसी अनुपात में, कम या ज्यादा की जा सकती है। अर्जुनवृक्ष की छाल, मनुक्का और महुआ के फूल-तीनों को मोटा-मोटा जौ कूट कर 40 लीटर पानी में डाल कर उबालें और काढ़ा करें। जब जल एक चौथाई अंश याने 10 लीटर शेष बचे तब उतार कर छान लें। ठण्डा करके गुड़ और धाय के फूल डालकर मिट्टी के बर्तन में भर दें व ढक्कन लगाकर एक माह तक रखा रहने दें। एक माह बाद इसे छानकर शीशियों में भर लें।
मात्रा और अनुपान : arjunarishta dosage
अर्जुनारिष्ट दोनों वक्त, सुबह शाम भोजन के बाद, 2-2 चम्मच मात्रा में, आधा कप पानी में घोल कर लें ।
आइये जाने arjunarishta ke fayde in hindi , arjunarishta ke labh
अर्जुनारिष्ट के फायदे ,गुण और उपयोग : arjunarishta benefits in hindi
1- अर्जुनारिष्ट लगातार कुछ दिनों तक पीने से पित्त प्रकोप, हृदयरोग, हृदय की निर्बलता, फेफड़ों की सूजन, हृदय का दर्द, धड़कन की शिथिलता आदि व्याधियां नष्ट होती है। ( और पढ़े – ह्रदय रोग के लक्षण कारण बचाव उपचार और सावधानी)
2-अर्जुनारिष्ट पीने से धड़के की बीमारी ठीक होती है और दिल मजबूत होता है।
3- इसके वृक्ष की छाल को कूट पीस कर महीन कपड़छन चूर्ण बनाकर सुबह शाम 5-5 ग्राम मात्रा में ठण्डे पानी के साथ सेवन करने से हृदय विकार एवं दौर्बल्य के रोगी को बहुत लाभ होता है ।
4-इसकी छाल को गुड़ के साथ दूध में उबाल कर एक कप दूध प्रतिदिन रात को सोते समय पीने से हृदय प्रदेश की सूजन ठीक होती है। ( और पढ़े –हार्ट ब्लॉकेज दूर करने के 10 सबसे असरकारक घरेलु उपचार )
5- अर्जुनारिष्ट सेवन से पेशाब के साथ शुक्र गिरना (धातु स्त्राव) बन्द होता है।
6- मुख्यतः तो अर्जुनारिष्ट योग हार्ट पेशेन्ट याने दिल के मरीज के लिए ही उपयोगी है और अपने आप में बेजोड़दवा है। स्त्री पुरूषों के लिए यह समान रूप से उपयोगी है।( और पढ़े –दिल की कमजोरी दूर करने के 41 घरेलु उपाय )
उपलब्धता : यह बना-बनाया इसी नाम से बजार में मिलता है |
अर्जुनारिष्ट के नुकसान : arjunarishta side effects in hindi
1- अर्जुनारिष्ट केवल चिकित्सक की देखरेख में लिया जाना चाहिए।
2- गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिये ।
3- डायबिटीज के मरीज को इसके सेवन से बचना चाहिये ।
4- अर्जुनारिष्ट को डॉक्टर की सलाह के अनुसार सटीक खुराक समय की सीमित अवधि के लिए लें।