Last Updated on February 12, 2023 by admin
बच्चों के सफेद दाग (ल्यूकोडर्मा) का होम्योपैथिक इलाज (Baccho ke Safed Daag ka Homeopathic Ilaj)
धवल रोग या सफेद कोढ़ (Leucoderma) में प्रयोग की जाने वाली औषधियां :-
यह रोग अधिकतर शरीर में मौजूद रंगद्रव्य के कमी के कारण, स्वास्थ्य की खराबी के कारण या स्नायुओं में गड़बड़ी के कारण होता है। इस रोग में त्वचा के जिस भाग में रंगद्रव्य की कमी हो जाती है वहां दूध की तरह सफेद दाग दिखाई देने लगता है जिससे धवल या सफेद कोढ़ (कुष्ठ) कहते हैं। यह रोग अधिकतर 8 वर्ष से कम आयु के बच्चों में होता है। यह रोग अधिकतर हाथ, गले के पीछे, चेहरा और छाती के ऊपर होता है। इस रोग में पहले छोटे-छोटे सफेद दाग होते हैं और फिर यह सफेद दाग चकत्ते के रूप में बदल जाते हैं जो आपस में मिलकर एक छाले की तरह दिखाई देने लगता है। छाले पड़ने के कारण वहां की त्वचा दूध की तरह सफेद दिखाई देने लगती है।
- इस रोग से ग्रस्त बच्चे को आर्सेनिक-ऐल्बम 30 या आर्सेनिक-आयोड 6x का चूर्ण प्रयोग लगातार कई सप्ताह तक प्रयोग करना हितकारी होता है। इसके प्रयोग से सफेद दाग (सफेद कोढ़) धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है। यदि इन औषधि से रोग में कोई लाभ न मिले तो सल्फ-फ्लेबम औषधि की 6x का चूर्ण का सेवन कराना चाहिए।
- बच्चे को यह रोग होने के साथ सांस लेने व छोड़ने में कष्ट होता है और उसमें सुस्ती के लक्षण उत्पन्न हो गए हो तो बच्चे को फास्फोरस औषधि की 6 शक्ति देना अत्यधिक लाभ होता है।
- यदि इस रोग के साथ बच्चे में अन्य लक्षण हो जैसे- नींद न आना विशेषकर रात के समय, सोने पर आराम न मिलना तथा शरीर में थकावट बना रहना, मानसिक रूप से उदास व दु:खी रहना तथा याददाश्त का कमजोर होना आदि। इस तरह के लक्षणों के साथ उत्पन्न रोग में बच्चे को जिंक-फास औषधि की 1x या 3x का चूर्ण देनी चाहिए।
- यदि यह रोग किसी हिस्टीरिया रोग से पीड़ित स्त्री को हो जाए तो उसे इग्नेशिया औषधि की 6 शक्ति देनी चाहिए।
- इस रोग में प्रयोग की जाने वाली औषधियों के अतिरिक्त रोग में अधिक लाभ के लिए बीच-बीच में अन्य औषधियों की भी आवश्यकता पड़ सकती है जैसे- सल्फर 30 , थूजा 6, कैल्के-कार्ब 30, कैल्के-फास 6 का चूर्ण, ऐण्टि-टार्ट 6, नाइट्रिक-एसिड 6, एक्स-रे 30, जिंकम 6 या रस-टाक्स 6 शक्ति आदि।
विशेष :-
इस रोग में अखरोट के गुदा को सफेद भाग पर घिसने से लाभ हो सकता है। इस रोग में बच्चे को पाचन शक्ति को बढ़ाने वाली चीजों का सेवन कराएं। बच्चे को खाने में दूध, काडलिवर ऑयल, पेट्रोलियम-इमलशन, पके हुए पुष्टकारक फल आदि देनी चाहिए। बच्चे को खाने के साथ साफ व अच्छे मौहाल में भी रखना चाहिए। इस रोग में गंगा के पानी से बच्चे को नहलाने तथा उसकी मिट्टी का लेप करने से भी लाभ होता है। इस रोग के उपचार में मीठी व खट्टी चीजों तथा पाचन क्रिया खराब करने वाली चीजों का सेवन कराना बंद कर देना चाहिए।
(अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।)