Last Updated on February 21, 2023 by admin
शरीर के अन्दर कई प्रकार के धातु मौजूद होते हैं जिससे शरीर का पोषण होता है तथा शक्ति व मजबूती मिलती है। जब कभी शरीर से धातु का नाश होता है या शरीर से धातु बाहर निकल जाती है तो शरीर कई प्रकार के रोगों से ग्रस्त होने लगता है। अत: धातु के कमी के कारण होने वाले रोग आदि को दूर करने के लिए होम्योपैथिक चिकित्सा का उपयोग करना चाहिए।
बच्चों के शरीर से मिनिरल्स निकल जाने पर होने वाले रोगों का होम्योपैथिक इलाज :
रोग और उसमें प्रयोग की जाने वाली औषधियां-
1. फास्फोरस- बच्चे के शरीर से अपने-आप खून तथा अन्य तरल रस आदि निकल जाने के कारण शरीर में कमजोरी हो गई हो तो ऐसे में बच्चे को फास्फोरस औषधि का सेवन कराना चाहिए।
2. क्रोटेलस- यदि नाक, आंख व शरीर के किसी भी अंग से छींकने या बिना कारण के ही खून निकल जाता है तो उसे क्रोटेलस औषधि लेनी चाहिए।
3. आर्ज-नाई- किसी रोग आदि के कारण यदि बच्चे में सूखापन व कमजोरी आदि के लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं तो उसे आर्ज-नाई औषधि का सेवन करना चाहिए।
4. सल्फर- जब शरीर से किसी एक प्रकार के धातु का नाश होने लगता है तो शरीर में धातु के कमी के कारण बच्चा कूबड़े की तरह बैठता है और झुककर चलता है। ऐसे लक्षणों में बच्चे को सल्फर औषधि का उपयोग करना चाहिए।
5. कार्बो-वेज- कई बार किसी रोग के कारण बच्चे में अधिक सुस्ती आ जाती है और अधिक दिन तक रोग रहने के कारण उसके अन्दर की जीवनी-शक्ति समाप्त हो जाती है। ऐसे में बच्चे को कार्बो-वेज औषधि को सेवन कराना हितकारी होता है।
6. ऐल्यूमिना– जो बच्चा सूखा, पतला व अधिक कमजोर हो उसके लिए ऐल्यूमिना औषधि का प्रयोग करना हितकारी होता है।
7. सिकेली– यदि कोई बच्ची सूखी, कमजोर व पतली हो उसे सिकेली औषधि देना उचित रहता है।
8. एसिड-नाई- यदि कोई बच्चा रोग से पीड़ित रहता है जो लम्बे समय बाद ठीक होता है। इस तरह लम्बे समय तक रोग से पीड़ित रहने के बाद बच्चे को सर्दी लगने या पतले दस्त के लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं तो ऐसे लक्षणों में बच्चे को एसिड-नाई औषधि का उपयोग करना चाहिए।
9. सल्फर– बच्चे को खाज-खुजली होने पर बच्चे को सल्फर औषधि देनी चाहिए।
10. मर्क- बच्चे को गर्मी के कारण उत्पन्न रोग को ठीक करने के लिए मर्क औषधि का उपयोग करना हितकारी होता है।
11. थूजा- प्रमेह ग्रस्त बच्चे को थूजा औषधि का सेवन कराना हितकारी होता है।
12. कैलि-आयोड या आराम- गर्मी के कारण या मर्करी के सेवन के कारण बच्चे में उत्पन्न रोग को दूर करने के लिए कैलि-आयोड या आराम औषधि देनी चाहिए।
बच्चों में मौसम परिवर्तन के कारण होने वाले रोगों का होम्योपैथिक इलाज :
1. रोडोण्ड्रन- यदि आंधी-तूफान के मौसम में बच्चे को रोग बढ़ता है तो बच्चे को रोडोण्ड्रन औषधि की 3 शक्ति की मात्रा का प्रयोग कराना चाहिए।
2. रस-टक्स- नम हवा से रोग बढ़ने के लक्षणों में बच्चे को रस-टक्स औषधि देना उपयोग होता है।
3. रैनन-क्यूलस-बल्ब- यदि बच्चा मौसम परिवर्तन को बिल्कुल ही नहीं सह पाता तथा मौसम बदलते ही रोगग्रस्त हो जाता है। ऐसे में बच्चे को रैनन-क्यूलस-बल्ब औषधि की 3 शक्ति की मात्रा सेवन कराना चाहिए।
4. डल्कामारा– यदि बच्चे का रोग नम हवा में या बरसात के मौसम में बढ़ जाता है तो ऐसे लक्षणों में डल्कामारा औषधि की 6 शक्ति का सेवन कराना उचित होता है।
5. आइरिस– यदि गर्मी के मौसम में दस्त रोग हो तो आइरिस औषधि की 6 शक्ति का सेवन कराना चाहिए।
6. जेलसिमियम– कुहासा या आंधी-तूफान के मौसम में रोग बढ़ने पर जेलसिमियम औषधि की 3 शक्ति का सेवन कराएं।
7. एगेरिक्स– वज्रपात के समय यदि बच्चे का रोग बढ़ जाता है तो बच्चे को एगेरिक्स औषधि की 3 शक्ति का उपयोग करना हितकारी होता है।
(अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।)