बच्चों में मधुमेह (डायबिटीज) – Bachchon me Madhumeh in Hindi

Last Updated on October 24, 2020 by admin

बच्चों में मधुमेह के प्रकार (Types of Diabetes in Children in Hindi)

बच्चों में दो प्रकार के मधुमेह पाए जाते हैं। एक होता है टाइप-1(T1DM) और दूसरा टाइप-2 (T2DM)। ये मधुमेह के प्रकार उसी तरह के होते हैं, जैसे प्रौढ़ व्यक्तियों में पाए जाते हैं।

बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज़ (T1DM) :

बच्चों में इस प्रकार का मधुमेह ज़्यादा पाया जाता है। भारत में टाइप-1 डीएम से करीब 1 करोड़ बच्चे पीड़ित हैं। यह लड़कियों से ज़्यादा लड़कों में होता है। मधुमेह बचपन में कभी भी हो सकता है मगर आयु 5 से 7 और कुमार अवस्था शुरू होने के समय ज़्यादातर शुरू हो जाता है।

बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज़ के क्या कारण है ? –

इंसुलिन का निर्माण स्वादुपिंड में आयलेट्स के बीटा पेशियों में होता है। इस निर्माण में कमी की वजह से मधुमेह शुरू हो जाता है।
इस निर्माण में कमी अनुवंशिकता, पर्यावरण संबंधित कारण (जैसे गर्भ में रुबेला वायरस का संक्रमण) और शरीर की रोधक्षमता की गतिविधियों में हानिकारक बदलाव से होनेवाले बीटा पेशियों के नाश के कारण होती है।

बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज़ के क्या लक्षण होते हैं ? –

  • बच्चों में मधुमेह की शुरूआत काफी तेज़ होती है। 30% से 70% बच्चे डायबिटिक केटोएसिडोसिस लेकर आते हैं। इसमें बच्चे बेहोश हो जाते हैं, साँस फूली हुई होती है। इस अवस्था का उपचार आईसीयू में तेज़ी से करना पड़ता है।
  • बार-बार पेशाब होना।
  • रात की नींद में पेशाब शुरू होना।
  • बहुत प्यास लगना।
  • वज़न कम होते जाना।
  • योनि मार्ग में कैंडिडा का संक्रमण होना।
  • पेट में दर्द होना या उल्टियाँ होना।

निदान (परीक्षण) –

विश्व आरोग्य संघटना (WHO) के वर्तमानकालिक कसौटियों के अनुसार मधुमेह का निदान तब होगा जब

  • फास्टिंग प्लाज्मा शुगर 126 एमजी/ 100 मिली हो या उससे ज़्यादा हो।
  • 75 ग्राम ग्लूकोज़ खाने के 2 घंटे बाद की शुगर लेवल 200 एमजी या उससे ऊपर हो।
  • हिमोग्लोबिन A1C का प्रमाण 6.5% से ज़्यादा हो।

उपचार –

  • डायबिटिक केटोएसिडोसिस के आपातकालीन उपचार।
  • इस गंभीर अवस्था से निकलने के बाद इंसुलिन के नियमित इंजक्शन और नियमित शुगर की जाँच।
  • माता और पिता को बीमारी का पूरा ज्ञान देना।
  • पोषण आहार के विज्ञान की पूरी समझ देना।
  • बच्चों का नियमित शारीरिक व्यायाम मधुमेह को नियंत्रण में रखने के काफी असरदार होता है, यह उनके समझ में लाना।

( और पढ़े – शुगर लेवल कम करने के उपाय )

बच्चों में टाइप-2 डायबिटीज़ (T2DM) :

यह मधुमेह प्रौढ़ व्यक्तियों में होनेवाले डायबिटीज़ (Noninsulin dependent DM) जैसे ही होता है। इस प्रकार का मधुमेह होने का सबसे महत्वपूर्ण कारण होता है मोटापा। तेज़ी से होनेवाला नागरीकरण, स्थानबद्ध जीवन और गलत खाने की आदतें मोटापा को बढ़ावा देती हैं और आगे चलकर टाइप-2 मधुमेह में तबदिल हो जाती है। दुनियाभर में इस बीमारी के रुग्ण बढ़ रहे हैं, भारत इसका अपवाद नहीं है।

बच्चों में टाइप-2 डायबिटीज़ के क्या कारण है ? –

  1. मोटापा
  2. अनुवंशिकता
  3. पर्यावरण की कुछ समस्याएँ

इन सारे कारणों की मोडस ओपेरेंडी इस तरह होती है। वह धीरे-धीरे शरीर की मांसपेशियों को उपलब्ध इंसुलिन का अवरोध करने पर मजबूर कर देते हैं। परिणामतः उपलब्ध इंसुलिन ग्लूकोज़ उपपाचन के लिए कम पड़ने लगता है। धीरे-धीरे इंसुलिन का निर्माण बढ़ने लगता है। उपरोक्त कारण स्वादुपिंड के बीटा पेशियों पर भी असर करने लगते हैं, जिसके कारण इंसुलिन का निर्माण कम होने लगता है। परिणामतः खून में ग्लूकोज़ की मात्रा बढ़नी शुरू हो जाती है, इसे ही टाइप-२ मधुमेह कहते हैं।

इस प्रकार के मधुमेह में अनुवंशिकता महत्वपूर्ण होती है क्योंकि इससे बाधित बच्चों में 90% ऐसे होते हैं जिनके परिवार में मधुमेह के रुग्ण होते हैं।

बच्चों में टाइप-2 डायबिटीज़ के क्या लक्षण होते हैं ? –

  • मोटापा
  • बार-बार थकावट महसूस होना।
  • ज़्यादा बार पेशाब होना।
  • ज़्यादा प्यास और भूख लगना।
  • जख्म ज़ल्दी ठीक न होना।
  • त्वचा काली पड़ना शुरू होना।

निदान (परीक्षण) –

  • रक्त शर्करा की जाँच।
  • ग्लूकोज़ टोलरन्स टेस्ट।
  • हिमोग्लोबिन A1C की जाँच।

उपचार –

  • रक्त शर्करा की नियमित जाँच।
  • नियमित व्यायाम।
  • योग्य पोषण आहार।
  • उपरोक्त उपायों से शुगर नियंत्रण में नहीं हो रही हो तो दवाइयों का उपयोग।

बच्चों में मधुमेह की रोकथाम (Prevention of Diabetes in Children in Hindi)

रोकथाम के उपाय –

  1. बचपन से आरोग्यपूर्ण खाने की आदतें, बहुत ज़्यादा खाना या ज़्यादा मिठाइयाँ और चिकनी चीज़ों का खाने में उपयोग करना गलत है। सीधा सादा आहार, जिसमें सारे अन्न घटक सही मात्रा में हों, फल और सब्ज़ियाँ ज़्यादा हों। ( और पढ़े – मधुमेह रोगियों के लिए आहार चार्ट )
  2. बचपन से नियमित व्यायाम की आदत चाहिए। पूरा परिवार व्यायाम में रुचि लेनेवाला चाहिए।
  3. वज़न कम रखने की कोशिश हरदम करते रहनी चाहिए।

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