26 आयुर्वेदिक उपाय, जो बालों को झड़ने से रोकें – Balo ko Jhadne se Rokne ke Ayurvedic Upay

Last Updated on September 18, 2020 by admin

जब कंघी करते समय बाल टूटकर कंघी पर आ जाये तो अथवा स्नान करते समय हाथों से बालों को रगड़ने पर बाल टूटकर हाथों में आ जाये तब लोग समझने लगते हैं कि बालों का झड़ना प्रारम्भ हो गया है। दो-चार बालों का टूटना तो स्वाभाविक है पर अधिक मात्रा में जब बाल टूटने लगते हैं तब यह चिंता का विषय बन जाता है क्योंकि बालों का घनापन कम होने लगता है। तब यह चिंता सताने लगती है कि कहीं गंजापन (BALDNESS) न आ जाए।

बाल क्या है ? (What is Hair in Hindi)

bal kya hote hai –

वस्तुतः बाल हमारी त्वचा का ही एक अंग है जो कि ऊपरी चमड़ी से निकलते हैं और हमारे सौन्दर्य में अभिवृद्धि करते हैं। प्रत्येक बाल की जड़ में एक ग्रंथि होती है जिसे तैलीयग्रन्थि कहते हैं। इससे एक प्रकार का स्राव निकलता है जिससे बालों को पोषण मिलता है और बाल मुलायम बने रहते हैं तथा इन ग्रंथियों को रक्त से पोषण मिलता है।

क्यों झड़ते हैं बाल ? कारण (Causes of Hair Loss in Hindi)

sar ke bal kyu girte hain –

बाल झड़ने के निम्लीखित कारण हो सकते है।

  • आंत्रिक ज्वर (TYPHOID) में देर तक विष प्रभाव के कारण आंत्रिक ज्वर होने के बाद बाल झड़ जाते हैं अथवा झड़ने लगते हैं।
  • क्लारोमाइस्टीन आदि अनेक आधुनिक एंटीबायोटिक औषधियों के दुष्परिणाम के फलस्वरूप बाल झड़ने लगते हैं।
  • कैंसर के किमोथेरेपी के दुष्प्रभाव से भी बाल झड़ने लगते हैं। कई बार तो रोगी गंजा हो जाता है। स्त्रियाँ भी बाल विहिन हो जाती हैं।
  • कालाजार से पीड़ित होने पर भी बाल झड़ने लगते हैं तथा उसमें प्रयुक्त एंटीबायोटिक दवाओं के दुष्परिणाम स्वरूप भी बाल झड़ने लगते हैं।
  • शरीर में रक्तसंचालन धीमा पड़ जाने, पोषण का अभाव, रक्ताल्पता तथा पाचन तंत्र की खराबी के कारण भी बाल झड़ते एवं सफेद होते हैं।
  • थायराइड ग्रंथि (THYROID GLAND) के अन्तःस्रावों में कमी आने पर बाल झड़ते हैं।
  • पिट्यूटरी ग्रंथि (PITUTARY GLAND) के अन्तःस्रावों में कमी आने पर बाल झड़ने लगते हैं।
  • सिर में रूसी (DANDRUFF) हो जाने पर भी बाल झड़ने लगते हैं।
  • गंजारोग (BALDNESS) में भी बाल झड़ जाते हैं ।
  • आनुवांशिकता के कारण भी बाल झड़ते हैं।
  • अधिक खुजलाने, बालों को सूखा रखने, बालों की जड़ों में गन्दगी रहने से भी बाल झड़ते हैं।
  • अधिक गर्मी में रहने, अधिक बीड़ी, सिगरेट, चरस, गांजा, भाँग, हेरोइन आदि का सेवन करने, अत्याधिक शराब, अंडे, मांसाहार, खट्टे पदार्थ, तैलीय-मसालेदार एवं तीखे पदार्थों का सेवन करने से भी बाल झड़ने लगते हैं।
  • रोगोपरांत दुर्बलता, अत्याधिक चिन्ता, क्रोध, शोक आदि मानसिक कारणों से भी बाल असमय झड़ने तथा सफेद होने लगते हैं।
  • बार-बार बदल-बदलकर साबुन-शैम्पू एवं तेलों के प्रयोग से भी बाल झड़ते एवं सफेद हाते हैं।
  • भोजन में हरे शाक सब्जी एवं पोषक तत्त्वों के अभाव के कारण भी बालों की समस्या उत्पन्न होती है।

बालों को झड़ने से रोकने के आयुर्वेदिक इलाज और उपाय (Ayurvedic Treatment for Hair Loss in Hindi)

balo ko jhadne se rokne ke ayurvedic upay –

1). सबसे पहले रोगी का पेट साफ करें एवं उसके पाचन संबंधी विकारों को दूर करें क्योंकि इस समस्या को लेकर आने वाले अधिकांश रोगी पाचन विकारों से ग्रस्त रहते हैं।

2). पेट नियमित रूप से साफ होना जरूरी है। अगर कब्ज है तो रात में सोते समय त्रिफला चूर्ण सुखोष्ण जल के साथ ले।

3). रोहितकारिष्ट, फलत्रिकादि क्वाथ, नवायस लौह आदि औषधियों का भी सेवन करा दें ताकि यकृत सशक्त हो जाए तथा विकार दूर हो जाए।

4). अगर रक्ताल्पता हो तो नवायस लौह, धात्री लौह, सप्तामृत लौह 250-500 मि.ग्रा. की मात्रा दिन में 2 बार शहद के साथ चाटनार्थ दें। लौह भस्म, मण्डूर भस्म, स्वर्णमाक्षिक भस्म, लोहासव आदि औषधियाँ भी लाभकारी हैं।

5). शृंगराज चूर्ण 1-1 चम्मच दिन में दो बार जल से दें। यह चूर्ण बालों के असमय पतन एवं सफेद होने में अत्यंत लाभकारी है। इसे लगातार 4-6 माह तक देना चाहिए। भृंगराज, गुठली रहित आँवला, तिल, एवं शक्कर समभाग मात्रा में लेकर यथाविधि चूर्ण तैयार कर लें।

6). भृगराज व ब्राम्ही तेल प्रतिदिन रात में सोते समय बालों की जड़ों में मालिश करने से बालों का झड़ना रूक जाता है तथा नये बाल निकलने लगते हैं और कम से कम 45 दिनों तक इसका प्रयोग करना चाहिए।

7). केशरसायन 2-2 ग्राम सुबह-शाम दूध के साथ दें। इससे बालों का असमय झड़ना रूक जाता है तथा नये बाल आने लगते है। केशरसायन आँवला, हरे, बहेड़ा, भृगराज तथा यष्टिमधु सममात्रा में लेकर सूक्ष्म चूर्ण के रूप में तैयार कर लिया जाता है।

8). बादाम तेल या जैतून का तेल बालों की जड़ों में हल्के हाथों से नित्य मलने से उन्हें पोषण मिलता है और बालों का झड़ना बंद हो जाता है। मालिश अच्छी तरह करनी चाहिए ताकि तेल अन्दर त्वचा में प्रविष्ट हो जाए। कुछ लोग केवल बालों के ऊपर तेल लगाते हैं। यह सही तरीका नहीं है।

9). अपना कंघा साफ रखें एवं हमेशा अपने कंघे का ही व्यवहार करें। अपना कंघा दूसरे को नहीं दें।

10). सप्ताह में कम से कम एक बार काली मिट्टी या आँवला +रीठा+शिकाकाई पानी में गलाकर उससे बालों को साफ किया करें। केमिकल युक्त शैम्पू का प्रयोग नहीं करें।

11). बालों में साबुन का प्रयोग नहीं करें। साबुन के प्रयोग से बाल रूखे एवं बेजान होते हैं।

12). बालों को खुला रखें । बार-बार कंघा न करें।

13). रात में सोते समय बालों की जड़ों में महाभुंगराज तेल या शृंगराज तेल हल्के हाथों से धीरे-धीरे मालिश करें। उनमें रक्तसंचालन सही हो । रक्त संचालन होना जरूरी है।

14). सुबह, शाम खुली हवा में टहले । प्राणायाम, व्यायाम करें।

15). चिन्ता, क्रोध, शोक, मद आदि मानसिक रोगों से यथासंभव बचें । हमेशा हँसते हुए एवं प्रसन्न रहा करें।

16). भोजन में हरी शाक-भाजी, मौसम के फल, सलाद एवं दूध को उचित स्थान दें। आँवला, पालक आदि का सेवन अवश्य करें। तेल, मसालों का प्रयोग कम करें। नशीले पदार्थो का सेवन न करें। धुम्रपान न करें।

17). यदि किसी रोग विशेष के कारण बाल झड़ रहे है तो उस रोग की चिकित्सा करें।

18). नरसिंह चूर्ण 1-1 ग्राम दिन में 2 बार दूध के साथ देने से इस रोग में लाभ होता है पर इसमें भिलावा पड़ता है। अतः इसका सेवन सावधानीपूर्वक करना चाहिए।

19). भृगराजासव 4-4 चम्मच दोनों वक्त भोजन के बाद बराबर जल मिलाकर लेने से बालों के असमय झड़ने तथा सफेद होने की समस्या दूर होती है। इसे लगातार कुछ माह तक लेना चाहिए।

20). आँवले का सेवन किसी न किसी रूप में अवश्य करना चाहिए, चाहे आँवला चूर्ण हो या आमलकी स्वरस हो या आमलकी रसायन हो या च्यवनप्राश अवलेह हो।

बालों को झड़ने से रोकने के लिए आयुर्वेदिक दवा (Ayurvedic Medicine for Hair Loss in Hindi)

balo ko jhadne se rokne ke liye ayurvedic dawa –

आयुर्वेदिक चिकित्सा के अंतर्गत निम्न औषधियों का प्रयोग चिकित्सक परामर्शानुसार प्रयोग करने पर लाभदायक है।

1). आरोग्यवर्धिनी वटी 250 मि.ग्रा., धात्री लौह 250 मि.ग्रा.,नरसिंह चूर्ण 500मि.ग्रा., अभ्रक भस्म 125 मि.ग्रा., आमलकी रसायन 500मि.ग्रा., प्रवालपिष्टी 125मि.ग्रा., गिलोयसत्व 250 मि.ग्रा. = 1 मात्रा दिन में 2 बार सुबह-रात पानी के साथ ले ।

2). ब्राम्ही चूर्ण 500 मि.ग्रा., जटामांसी चूर्ण 250 मि.ग्रा., भृंगराज चूर्ण 500 मि.ग्रा., आँवला चूर्ण 500 मि.ग्रा., यष्टिमधु चूर्ण 500 मि.ग्रा., कृष्णतिल चूर्ण 500 मि.ग्रा., अश्वगंधा चूर्ण 500 मि.ग्रा., शतावरी चूर्ण 500 मि.ग्रा. = 1 मात्रा दिन में 2 बार जल से सेवन करें।

3). भृगराजासव 4 चम्मच दिन में 2 बार भोजनोत्तर समभाग जल मिलाकर सेवन करें।

4). शृंगराज तेल सिर में मालिश एक बार करें।

5). आँवला + रीठा + शिकाकाई + काली मिट्टी + नीमपत्र + तुलसीपत्र रात में भिगोकर सुबह मसल छानकर उससे बाल धोए।

6). त्रिफलाचूर्ण 1 चम्मच रात में सुखोष्ण जल से सेवन करें।

(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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