Last Updated on August 18, 2020 by admin
वृहत् वात चिंतामणि रस क्या है ? : What is Brihat Vat Chintamani Ras in Hindi
वृहत् वात चिंतामणि रस टेबलेट के रूप में उपलब्ध एक आयुर्वेदिक दवा है। यह आयुर्वेदिक औषधि वात और पित्त के संतुलन को बनाए रखती है।
इस आयुर्वेदिक औषधि का विशेष उपयोग वात जन्य रोगों जैसे – पक्षाघात, चेहरे का लकवा, मनोविकृति, साईटिका, मिर्गी, कंपकंपी आदि के उपचार में किया जाता है।
वृहत् वात चिंतामणि रस के घटक द्रव्य और उनकी मात्रा :
- स्वर्ण भस्म – 3 ग्राम
- रजत भस्म – 2 ग्राम
- अभ्रक भस्म, शतपुटी – 2 ग्राम
- लोह भस्म, शतपुटी – 5 ग्राम
- प्रवाल भस्म – 5 ग्राम
- मौक्तिक भस्म – 3 ग्राम
- रससिन्दूर – 7 ग्राम
भावनार्थ : घृतकुमारी स्वरस आवश्यकतानुसार।
संदर्भ (Reference) – भैषज्यरत्नावली (वातव्याध्याधिकार 502-505)
वृहत् वात चिंतामणि रस के प्रमुख घटकों के विशेष गुण :
- स्वर्ण भस्म : ओजवर्धक, बल्य (बलकारक), बृष्य (पौष्टिक), रसायन।
- रजत भस्म : शुक्रवर्धक, स्नायुशूल शामक, वात वाहिनियो के लिए बल्य।
- अभ्रक भस्म : मज्जाधातु प्रासदक, बल्य, बृष्य, मस्तिष्क बल कारक।
- लोह भस्म : रक्तवर्धक, बल्य, बृष्य, रसायन।
- प्रवाल भस्म : हृदय, बल्य, पित्तशामक, वात शामक, बृष्य।
- मोक्तिक भस्म : हृदय, मस्तिष्क बलदायक, बल्य, बृष्य।
- रससिन्दूर : बल्य, बृष्य, योगवाही कफवात नाशक, रसायन।
त्रिदोष पर प्रभाव – वात और पित्त को संतुलित करता है।
बनाने की विधि :
सभी औषधियों को एक दिन घृत कुमारी स्वरस से खरल करके 100 मि.ग्रा. की वटिकाएं (गोली) बना कर छाया में सुखाकर सुरक्षित कर लें।
उपलब्धता : यह योग प्रसिद्ध औषधि निर्माताओं द्वारा बना-बनाया बाज़ार में मिलता है।
सेवन की मात्रा और विधि : Dosage of Brihat Vat Chintamani Ras & How to Take
brihat vat chintamani ras ka istemal kaise karte hain
- एक गोली प्रातः सायं भोजन से पूर्व ।
- आत्यायिक अवस्थाओं में दिन भर में तीन से चार गोलियाँ।
अनुपान (जिस पदार्थ के साथ दवा सेवन की जाए) :
शहद, दूध अथवा रोगानुसार।
वृहत् वात चिंतामणि रस का उपयोग : Uses of Brihat Vat Chintamani Ras in Hindi
brihat vat chintamani ras ka upyog in hindi
- वृहत् वात चिंतामणि रस वातप्रकोप से उत्पन्न वातजन्य कष्टों और रोगों को दूर करता है।
- यह योग पित्त प्रधान वात विकार की सर्वश्रेष्ठ औषधि है, जो तुरन्त असर दिखाती है।
- वृहत् वात चिंतामणि रस नए व पुराने, दोनों प्रकार के बीमारी में विशेष रूप से समान लाभ करता है।
- यह योग शरीर में चुस्ती-फुर्ती और बल पैदा करता है।
- नींद न आना, मिरगी और मस्तिष्क की ज्ञानवाहिनी नाड़ियों के दोष से उत्पन्न होने वाले रोगों में इसके सेवन से उत्तम लाभ होता है।
- प्रसूति के बाद आई अशक्ति को दूर करने और सूतिका रोग दूर करने में यह योग तुरन्त लाभ करता है।
- बुढ़ापे में वात प्रकोप होने और शरीर के कमजोर होने पर वृहत् वात चिंतामणि रस के सेवन से स्त्री और पुरुषों दोनों को चमत्कारिक लाभ होता है और शक्ति प्राप्त होती है।
- हृदय रोग में वृहत् वात चिंतामणि रस के साथ अर्जुन छाल का चूर्ण एक चम्मच सेवन करने से अच्छा लाभ होता है।
- कठिन वात रोग जैसे पक्षाघात (लकवा),अपतानक, अर्दित, धनुर्वात आदि रोगों में इस योग के सेवन से विशेष लाभ होता है।
वृहत् वात चिंतामणि रस के फायदे : Benefits of Brihat Vat Chintamani Ras in Hindi
वृहत् वात चिंतामणि रस के लाभ निम्नलिखित है –
1. वात एवं वातपित्तज रोग में लाभकारी वृहत् वात चिंतामणि रस का सेवन (Brihat Vat Chintamani Ras Benefits in Vata Dosha imbalance Diseases in Hindi)
वृहत् वात चिंतामणि रस 80 प्रकार के वातजन्य रोगों और वात पित्त सम्मूर्च्छना जन्य रोगों की अमोध औषधि है। इसकी एक गोली प्रात: सायं रोगानुसार अनुपान से सेवन करवाने में यह एक दिन में ही अपना प्रभाव दिखाती है।
वृहत् वात चिन्तामणि रस वात रोगों की महौषधि है वायु वृद्धि जन्य एवं वायु अवरोध जन्य सभी रोगों में इस महौषधि का सफलता पूर्वक प्रयोग होता है ।
पित्तावृत्त वात, कफावृत्त वात, एवं अन्य धातुओं से आवृत वात रोग भी इसके सेवन से दूर होते हैं। वायु वृद्धि चाहे मिथ्या आहार-विहार जन्य हो या धातु क्षीणता जन्य दोनों स्थितियों में वृहत् वात चिन्तामणि रस एक आदर्श औषधि है।
इसे वृद्ध, गर्भिणी सभी को निस्संकोच प्रयोग करवा सकते हैं। अनुपान और चिकित्सावधि रोगानुसार। रोगानुसार ही अन्य सहायक औषधियों का मिश्रण कर सकते हैं।
2. मैथुन शक्तिहीनता में लाभकारी है वृहत् वात चिंतामणि रस का प्रयोग (Benefits of Brihat Vat Chintamani Ras in Impotence Treatment in Hindi)
वृहत् वात चिंतामणि रस एक रसायन औषधि है। वात तन्तुओं पर इसका बल्य प्रभाव होता है। इसके सेवन से सप्त धातुओं की वृद्धि होती है। वातनाड़ियों को बल मिलता है मस्तिष्क की उत्तेजना का शमन करती है।
अतः मैथुन शक्तीहीनता, मैथुन असमर्थता, शीघ्रपतन, लिंग का हर्षित न होना, मैथुन के उपरान्त शिर शूल, थकावट, कमजोरी का अनुभव करना, मैथुन में अरुचि होना इत्यादि विकारों पर वृहत् वात चिन्तामणि रस एक गोली प्रातः-सायं मिश्री मिले दूध से देने से एक सप्ताह में ही लाभ मिलने लगता है।
सहायक औषधि – सहायक औषधियों में बृहद् काम चूड़ामणि रस, बृहद् पूर्ण चन्द्र रस, गोक्षुरादिचूर्ण, अश्वगंधादि चूर्ण में से किसी एक का प्रयोग भी करवाए।
चिकित्सावधि एक मास, औषधि सेवन काल में मैथुन का त्याग आग्रह पूर्वक करवा देना चाहिए।
3. हृदय रोग में वृहत् वात चिंतामणि रस का उपयोग फायदेमंद (Brihat Vat Chintamani Ras Uses to Cure Heart Disease in Hindi)
हृदय रोगों में तुरन्त लाभ पहुंचाने वाली औषधियों में वृहत् वात चिंतामणि रस का महत्त्वपूर्ण स्थान है। वेदनायुक्त हृदय रोग यथा हृदयच्छूल, हृदयाकुंचन, हृदयोद्वेष्ठन इत्यादि वेदना युक्त हृदय रोगों में वृहत् वात चिन्तामणि रस विशेष औषधि है,परन्तु इसका उपयोग वेदना काल या हृदय शूल के आक्रमण के समय नहीं होता, उस समय सर्वेश्वर रस समीर गजकेशरी रस, हिंगु कर्पूरवटी, पुष्कर मूलाद्य चूर्ण का प्रयोग लाभप्रद होता है।
आक्रमण के शान्त होते ही वृहत् वात चिंतामणि रस एक गोली प्रात: दोपहर सायं और सूक्ष्मैलादि चूर्ण दो ग्राम प्रातः सायं मधु में मिला कर चटा दें। भोजनोपरान्त कैशोर गुग्गुलु दो गोली गुनगुने पानी से दें, प्रत्येक भोजन के एक घण्टा बाद चतु:सम चूर्ण आधा चम्मच दें।
4.“हृदय ध्वनि के लोप” में वृहत् वात चिंतामणि रस के सेवन से लाभ
हृदय रोगों में जब दो तीन चार हृदय ध्वनियों के उपरान्त एक ध्वनि का लोप हो जाता है, जिसे Missing Beet कहते हैं उस समय वृहत् वात चिंतामणि रस की एक गोली प्रातः सायं मधु या अर्जुन क्षीर पाक से देने से एक दिन में ही लाभ हो जाता है। पूर्ण लाभ के लिए दो सप्ताह तक प्रयोग करवाना चाहिए।
सहायक औषधि – सहायक औषधियों में जवाहर मोहरा, खमीरा गावजवान अम्बरी, विश्वेश्वर रस, रजत विद्रुम योग, इत्यादि कल्पों का प्रयोग लाभ दायक होता है।
5. हृदय धड़कन के बढ़ जाने में वृहत् वात चिंतामणि रस के प्रयोग से लाभ (Brihat Vat Chintamani Ras Beneficial to Reduce Heartbeat in Hindi)
हृदय की गति बढ़ जाने की अवस्था में भी वृहत् वात चिंतामणि रस के प्रयोग से तुरन्त लाभ होता है। एक गोली आंवले के मुरब्बे से प्रातः सायं प्रयोग करवाने से एक दिन में ही लाभ होता है।
सहायक औषधि – सहायक औषधियों में प्रवाल सुधामृत, मुक्ताभस्म, रजत विद्रुमयोग, अकीक भस्म, अर्जुनक्षीर पाक इत्यादि में से किसी एक या दो औषधियों का प्रयोग भी करवाएँ।
6. मनोरोग मिटाए वृहत् वात चिंतामणि रस का उपयोग (Benefits of Brihat Vat Chintamani Ras in Mental illness Treatment in Hindi)
मनोरोग ,चिंता या खिन्नता में वृहत् वात चिन्तामणि रस की एक गोली प्रात: सायं मांस्यादि क्वाथ से सेवन करवाने से प्रथम दिवस में ही लाभ होने लगता है। एक से दो सप्ताह में पूर्ण लाभ हो जाता है अवसाद के रोगियों को एक दो मास तक भी सेवन करवाना पड़ सकता है।
सहायक औषधि – सहायक औषधियों में चैतन्योदय रस, योगेन्द्र रस का प्रयोग करवाना चाहिए।
7. भय निवारण में लाभकारी है वृहत् वात चिंतामणि रस का सेवन
रोगी अकारण किसी वस्तु, मनुष्य, पशु इत्यादि से डरता है। उसे पता भी होता है कि उसका भय निर्रथक अवास्तविक है। परन्तु फिर भी उसका मन ग्रस्त रहता है। ऐसी अवस्था में वृहत् वात चिंतामणि रस का प्रयोग सफलता पूर्वक होता है एक गोली प्रातः सायं मधु, मधुसर्पि, अथवा मांस्यादि क्वाथ से देने से एक सप्ताह में ही रोगी को लाभ होने लगता है।
सहायक औषधि – सहायक औषधियों में चैतन्योदय रस, योगेन्द्र रस का प्रयोग करवाना चाहिए।
8. अनिद्रा में वृहत् वात चिंतामणि रस के सेवन से लाभ (Brihat Vat Chintamani Ras Benefits to Cure Insomnia in HIndi)
अनिद्रा और विशेष रूप से मनोविकार जन्य अनिद्रा में जब रोगी को निद्रा न आने के कारण घबराहट, पिण्डिकोद्वेष्ठन हो, वृहत् वात चिंतामणि रस एक गोली मधु से चटाकर अनुपान के रूप में दूध पिलाने से रोगी शान्त होकर सो जाता है।
9. मांसपेशियों के रोग में वृहत् वात चिंतामणि रस से फायदा
वृहद्वात चिन्तामणि का प्रभाव मस्तिष्क स्नायु मण्डल एवं वात वाहक नाड़ियों पर अधिक होता है।
10. सिरदर्द में लाभकारी है वृहत् वात चिंतामणि रस का प्रयोग (Benefits of Brihat Vat Chintamani Ras in Headache Treatment in Hindi)
सिरदर्द विशेष रूप से थक जाने पर होने वाले सिरदर्द में वृहत् वात चिन्तामणि रस की योजना शीघ्र फलदायक होती है। एक गोली गर्म दूध से अथवा दशमूल क्वाथ से देने से तुरन्त लाभ होता है। शंखक रोग में एक गोली मधु में मिलाकर देने और अनुपान में धारोष्ण दूध पिलाने से लाभ होता है।
सहायक औषधि – सहायक औषधियों में कृष्ण चतुर्मुख रस, योगेन्द्र रस, अश्वगन्धा चूर्ण, मिहिरोदय रस, शिरशूलादि वज्र में से किसी एक का प्रयोग करवा सकते हैं । चिकित्सावधि रोग के निर्मूल होने तक।
11. सायटिका रोग में वृहत् वात चिंतामणि रस फायदेमंद (Benefit of Brihat Vat Chintamani Ras in Cytica in Hindi)
सायटिका में निर्गुण्डी के पत्तों के क्वाथ के साथ वृहत् वात चिंतामणि रस की योजना करने एक सप्ताह में ही रोग से मुक्ति मिल जाती है, पूर्ण शैय्या रूढ विश्राम, शरीर को उष्ण रखना, श्री वेष्ठ पिण्ड स्वेद, रोगी के शीघ्र स्वस्थ होने में सहायक होते हैं।
सहायक औषधि – औषधियों में खंञ्जनकारी रस, कृष्ण चतुर्मुख रस, महावात विध्वंसन रस, मिहिरोदय रस इत्यादि का प्रयोग भी करवाना चाहिए।
वेदनामुक्ति के उपरान्त, वज्रासन, भुजंगासन, नौकासन का क्रमश: अभ्यास और बलारिष्ट, अश्वगधारिष्ट, का प्रयोग रोग की पुनरावर्तन को बाधित करता है।
12. विश्वाची रोग मिटाता है वृहत् वात चिंतामणि रस
सायटिका और विश्वाची दोनों रोगों के कारण सामान होते है। सायटिका से जङ्घा अक्रान्त होती है तो विश्वाची से बांह (भुजा)। अत: चिकित्सा भी एक जैसी ही होती है।
बांह को पूर्ण विश्राम जिस स्थिति में मिले, देना, वृहत् वात चिंतामणि रस का प्रयोग, श्रीवेष्ठ पिण्ड स्वेद, अक्रान्त बांह को उष्ण रखना एवं सहायक औषधियों के प्रयोग से एक सप्ताह में लाभ हो जाता है ।
यौगिक आसनों की इस रोग में प्राय: आवश्यकता नहीं पड़ती फिर भी गर्दन के आसन इसमें लाभप्रद होते हैं । वेदनाशमन के उपरान्त उष्ण और रसायन औषधियों का सेवन करवाना चाहिए। अन्य प्रकार के वातनाड़ी शूलों में भी उपरोक्त व्यवस्था लाभप्रद होती है।
13. पीठ दर्द या कमर दर्द में वृहत् वात चिंतामणि रस का औषधीय गुण फायदेमंद
वृहत् वात चिंतामणि रस पीठ दर्द या कमर दर्द के लिए एक उत्तम औषधि है। एक गोली प्रातः सायं मधु से खिलाकर अनुपान में उष्ण दूध दें। इसके साथ पुष्पधन्वा रस की योजना अथवा अश्वगंधादि चूर्ण की योजना इस महौषधि के गुणों को बढ़ा देती है।
महिलाओं में वृहत् वात चिंतामणि रस एक गोली, चन्दांशु रस एक गोली प्रातः सायं एक पके केले के बीच रख कर निगलवा दें भोजनोपरान्त, अशोकारिष्ट, दशमूलारिष्ट का सम्मिलित प्रयोग करवाने पर शीघ्र और स्थाई लाभ होता है ।
चिकित्सावधि एक मास।
14. वृहत् वात चिंतामणि रस के इस्तेमाल से पिंडली के दर्द में लाभ :
चिकित्सा में प्राय: ऐसे रोगी मिलते हैं जिनको पिण्डलियों (घुटने के पीछे के गड्ढे से नीचे का मांसल भाग) में विशेष प्रकार की वेदना सामान्यतः रात्री को होती है, इससे रोगी विचलित हो जाता है और उसको निद्रा नहीं आती, स्थिति से निपटने के लिए टाँगों पर मालिश करवाता है। टाँगे दबवाता है अथवा टाँगों को किसी दुप्पट्टे इत्यादि से कसकर बाँध देता है।
इस परिस्थिति में वृहत् वात चिंतामणि रस एक गोली दूध के साथ देने से तुरन्त लाभ पहुँचाती है । एक गोली प्रातः सायं अश्वगंधादि चूर्ण 3 से 5 ग्राम के साथ एक सप्ताह तक उष्ण दुध से देने से रोग से मुक्ति मिलती है। यदि रक्ताल्पता हो तो लोह के योगों का प्रयोग भी करवाना चाहिए।
वृहत् वात चिंतामणि रस के दुष्प्रभाव और सावधानीयाँ : Brihat Vat Chintamani Ras Side Effects in Hindi
आयुर्वेद मतानुसार, वृहत् वात चिंतामणि रस के ये नुकसान भी हो सकते है –
- वृहत् वात चिंतामणि रस केवल चिकित्सक की देखरेख में लिया जाना चाहिए।
- वृहत् वात चिंतामणि रस को डॉक्टर की सलाह अनुसार ,सटीक खुराक के रूप में समय की सीमित अवधि के लिए लें।
- अधिक खुराक के गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं ।
- बच्चों की पहुच से दूर रखें ।
- वृहत् वात चिंतामणि रस एक रसौषधि है और इसके घटक खनिज धातुओं की भस्में हैं। अतः रस और भस्म में अपनाऐ जाने वाले पूर्वोपाय इसमें भी अपनाए जाने चाहिएं।
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