ऋषि परम्परा निभाने वाले महात्मा लिखित (शिक्षाप्रद कहानी)
महात्मा लिखित का शिक्षाप्रद प्रेरक प्रसंग : ऋषि ‘लिखित’ अपने बड़े भाई के आश्रम की ओर चल पड़े। दीर्घकाल तक एक स्थान पर साधना करते-करते एक दिन उन्हें भाई के पास जाने की इच्छा हो …
महात्मा लिखित का शिक्षाप्रद प्रेरक प्रसंग : ऋषि ‘लिखित’ अपने बड़े भाई के आश्रम की ओर चल पड़े। दीर्घकाल तक एक स्थान पर साधना करते-करते एक दिन उन्हें भाई के पास जाने की इच्छा हो …
भगवत भक्ति से ओत-प्रोत योग साधन में कितनी शक्ति होती है । इसका उदाहरण सन्त श्रीचन्द्र के जीवन की अनेक घटनाओं से मिलता है। महात्मा श्रीचन्द्र गुरु नानक के सबसे बड़े पुत्र थे । उन्होंने …
देश एवं धर्म साधना के साधक महर्षि अरविन्द – जीवन परिचय : स्वामी विवेकानन्द ने मानव अन्तरात्मा को जाग्रत करने के लिए जो प्रबल प्रयत्न किए थे उनका प्रभाव सारे भारतवर्ष पर विशेषतया बंगाल पर …
क्षमाशील हो तो सन्त दादू जैसा – प्रेरक प्रसंग : सन्त दादू शहर से दूर एक जंगल में ठहरे हुए थे । उस क्षेत्र के लोगों को पता चला तो सभी सत्संग करने हेत जंगल …
योग मार्ग के प्रबल प्रवर्तक योगी मत्स्येन्द्रनाथ की कथा : “जहाँ दो कोस तक चारों ओर जनशून्य स्थान मिले, वहीं आसन लगा।” अपने समर्थ शिष्य को दीक्षा देने के बाद मत्स्येन्द्रनाथ जी ने आदेश दिया …
तप द्वारा विश्वहित में संलग्न पौहारी बाबा : हमारे शास्त्रों में मानव जीवन का सबसे उच्च उद्देश्य आत्मज्ञान बतलाया है । खाना-पीना, सोना-जगना, जीना-मरना तो सभी प्राणियों में स्वभावतः पाया जाता है । मनुष्य की …
धर्मरक्षार्थ जीवन होमने वाले श्री कुमारिल भट्ट बात उस समय की है, जब बौद्ध धर्म सारे भारतवर्ष में तथा अन्य देश-देशान्तरों में भी अपने पूरे वेग के साथ फैल चुका था और वैदिक मान्यताएँ पंगु …
कौन थे महात्मा कन्फ्यूशियस : कन्फ्यूशियस का जन्म एवं उदय लगभग ढाई हजार वर्ष पूर्व उस युग में हुआ था, जो धार्मिक अन्ध-विश्वासों का युग कहा जा सकता है। जो धार्मिक वक्ता, धर्माचारी तथा धर्म …
बौद्ध मत राज्याश्रय मिलने तथा समर्थ प्रचारकों के कारण भारत भूमि से उत्पन्न होकर देश-देशान्तरों में फैल गया । जापान, चीन और रूस तक उसका सीमा विस्तार हो गया । इस विस्तार के साथ ही …
स्वर्ग की देवसभा में देवराज ने किसी नरेश की दयालुता का वर्णन किया । एक देवता के मन में राजा की परीक्षा लेने की इच्छा हुई। वे पृथ्वी पर आये और राजासे ‘बोले-नरेश ! तू …