अमृत बीज चन्द्रशूर के फायदे गुण और उपयोग | Chansur ke Fayde in Hindi

चन्द्रशूर बीज जो चंसुर, हालो, हालिम आदि नामों से किरानावालों के यहाँ मिलता है। यह हरीतक्यादि वर्ग का लाल-नारंगी रंग का बीज है।

चन्द्रशूर बीज के फायदे : chansur seeds benefits in hindi

1-माताओं के दूध बढ़ाने के लिये –
दूध में चन्द्रशूर की खीर बनाकर सेवन करने से दूध की वृद्धि होती है, कमर दर्द दूर होकर बल आ जाता है, वातपीडा दूर होती है।

2-आम अतिसार –
चन्द्रशूर का लुआब बनाकर देने से अर्थात् इसे पानी में भिगो कर पिलाने से आम अतिसार और पेचिश में अच्छा लाभ होता है।

3-कब्ज़ –
चन्द्रशूर को आठ गुने पानी में भिगो दे, दो-तीन घंटे पानी में भीग जाने पर मसल कर छान कर प्रातः और सायं रात्रि में पीने से मलावरोध दूर हो जाता है।( और पढ़े –कब्ज का 41 रामबाण आयुर्वेदिक इलाज )

4-धातुपुष्टि –
शतावर २५ ग्राम, सौंफ २५ ग्राम, चन्द्रशूर २५ ग्राम । चन्द्रशूर को तवे पर भून ले तथा तीनों को कूट-पीसकर इस में ७५ ग्राम मिश्री या शक्कर मिलाकर शीशी में रख दे,
प्रातः-सायं १-१ चाय के चम्मच बराबर दूध या पानी जो उपलब्ध हो उसके साथ ले।

5-मूत्र का गंदलापन –
चन्द्र शूर को उबलते पानी में डालकर ढककर रख दे, १५-२० मिनट के बाद छानकर शक्कर डालकर पी जाय। इसके कुछ दिन के प्रयोग से लाभ होगा।

6-उदर रोग-
अजवायन, सौंफ, चन्द्रशूर, पोदीना, सोंठ, काली मिर्च, सफेद जीरा, धनिया, वायविडंग, छोटी हरड़, काला नमक, सेंधा नमक, नौसादर, खपरियोंवाला इन सब चीजों को सम भाग में ले। छोटी हरड़ को घी में भून ले तथा नौसादर को पीसकर तवे पर भून ले, फिर सब चीजों को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इसे एक ग्राम से तीन ग्राम तक दिनमें तीन-चार बार सेवन करे। इससे पेट के दर्द, अरुचि, कृमिरोग, यकृत्, तिल्ली, वमन,अनिद्रा, सायटिका आदि में लाभ होता है।

7-चोट मोच –
चन्द्रशूर, लाजवन्ती-बीज और पिसी हुई सोंठ बराबर मात्रामें लेकर एक कटोरीमें डालकर उसमें जरूरतके अनुसार पानी डालकर फेटे। यह रबरसरीखी हो जायगी। इसे रोटीके माफिक फैलाकर मोचकी जगह चिपका दे तथा ऊपरसे कपड़ेकी पट्टी बाँध दे। प्रतिदिन नया लेप बनाकर लगानेसे अति शीघ्र कष्ट मिट जाता है। अगर यह अपने-आप न छूटे तो उसे पानी द्वारा गलाकर निकाल ले तथा दूसरी लगा दे।( और पढ़े – चोट लगने का 30 घरेलू इलाज)

8-कटिवात और गृध्रसी-चन्द्रशूर को पानी या दूध में उबालकर रोज सुबह पिलाने से कमर में, कूल्हों में वायु से जो वेदना हो जाती है, उस में लाभ होता है। यह जीर्ण आमवात में भी लाभ करता है।

(वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)

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