बिनौला (कपास के बीज) के फायदे, गुण और उपयोग

Last Updated on December 9, 2022 by admin

बिनौला क्या है ? (Cotton Seeds in Hindi)

 बिनौला कपास के बीज होते हैं जो बहुत ही प्रसिद्ध है। बिनौला का बाहरी रंग नीला और अंदर सफेद होता है। इसका स्वाद तीखा होता है। तासीर से यह गर्म होतें है।

बिनौला के औषधीय गुण (Binola ke Gun in Hindi)

कपास के बीजों के औषधीय गुण बताइए ?

  • बिनौला धातु को पुष्ट करता है। 
  • मैथुन में होने वाली सभी परेशानियों को दूर करता है। 
  • पेट और छाती को नरम रखता है। 
  • गर्मी की खांसी को दूर करता है। 
  • बेहोशी में यह बहुत ही लाभदायक है।
  • यह वीर्य को गाढ़ा करता है। 
  • दूध और घी पैदा करता है।
  • बिनौला के तेल का लेप लिंग पर करने से मैथुन शक्ति बढ़ती है। 
  • इसके तेल को चेहरे पर मलने से झांई, दाग और धब्बे को नष्ट करता है। 
  • यह पेट के कीड़ों को मारता है और घावों को भर देता है।

सेवन की मात्रा : 

बिनौला की गिरी 6 ग्राम की मात्रा में सेवन की जा सकती है।

बिनौला के फायदे (Binola ke Fayde in Hindi)

कपास के बीज के क्या फायदे है ?

1. अंडकोष की सूजन : 10-10 बिनौले और सोंठ को लेकर पीसकर पानी के साथ लेप बना लें। इस लेप को हल्के-सा सेंककर अण्डकोशों पर बांधने से अंडकोष की सूजन में लाभ होता है।

2. कमर दर्द : 2 ग्राम बिनौले को रात को भिगो दें। सूरज उगने के समय इसे पीसकर इसमें थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर इसे रोगी को पिलाने से कमर दर्द में लाभ होता है।

3. कमजोरी : बिनौले को पीसकर दूध में उबालकर रोजाना रात को सोने से पहले पीते रहने से शरीर की कमजोरी कम हो जाती है।

4. मधुमेह के रोग :

  • 50 ग्राम बिनौलों को रात को 250 मिलीलीटर पानी में भिगो दें। सुबह बिनौलों को मसलकर छान लें और पानी को कढ़ाही में डालकर आग पर रख दें। इसमें लगभग 30 ग्राम मिश्री मिला दें। जब शहद जैसी चाशनी हो जाये तो उतारकर ठंडा कर लें। 21 दिन तक इसका सेवन करने से मधुमेह का रोग मिट जाता है।
  • 2 ग्राम बिनौले की गिरी को 150 मिलीलीटर पानी के साथ उबाल लें। एक तिहाई रहने पर इसे छानकर सुबह-शाम लें। इससे मधुमेह के रोग में फायदा होता है।
  • 10 ग्राम बिनौले को 250 मिलीलीटर पानी में भिगो दें। सुबह बिनौलों को पानी में मसल लें। फिर पानी को छानकर गर्म करने के लिए रखें। ठंडा हो जाने पर इस काढे़ को 20-25 दिन तक पियें। इससे मधुमेह के रोग में लाभ होता है।

5. गिल्टी (ट्यूमर) : बिनौलों को अच्छी तरह से पीसकर उसकी टिक्की बनाकर गिल्टी पर लगाने से फायदा मिलता है।

6. गठिया रोग : 

  • 20 ग्राम बिनौले को पीसने के बाद पानी में उबालकर थोड़ा गर्म होने पर उसे घुटने पर बांधने से रोगी को गठिया के रोग में लाभ मिलता है।
  • गठिया का दर्द दूर करने के लिए बिनौले के तेल से मालिश करने से रोगी का रोग दूर हो जाता है।

7. शरीर को शक्तिशाली बनाना : लगभग 50 ग्राम की मात्रा में बिनौला लेकर इनको भून लें और पीसकर इसका चूर्ण बना लें। लगभग 50 ग्राम की मात्रा में सफेद मूसली को लेकर इसको पीस लें और चूर्ण बना लें। इसके बाद लगभग 3-3 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम को दूध के साथ सेवन करने से मनुष्य के शरीर में शक्ति का विकास होता है।

बिनौला (कपास के बीज) के नुकसान (Binola ke Nuksan in Hindi)

बिनौला का अधिक मात्रा में सेवन गुर्दे के लिए हानिकारक होता है।

दोषों को दूर करने वाला : खमीरा, बनफ्शा और मिश्री इसके गुणों को सुरिक्षत रखकर इसके दोषों को दूर करता है।

(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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