Last Updated on September 25, 2024 by admin
चौलाई क्या है ? : Cholai kya Hoti Hai
हरी सब्जियों में उच्च स्थान प्राप्त करनेवाली चौलाई (Chaulai) एक श्रेष्ठ पथ्यकर तथा अनेक खनिजों का खजाना है । आयुर्वेद के ‘भावप्रकाश निघंटु’ के अनुसार यह हलकी, शीतल, रुक्ष, रुचिकारक, अग्निदीपक एवं मूत्र व मल को निकालनेवाली तथा पित्त, कफ, रक्तविकार व विष को दूर करनेवाली होती है ।
चौलाई की मुख्य दो किस्में होती हैं – लाल और हरी । लाल चौलाई (lal bhaji ) ज्यादा गुणकारी होती है ।
चौलाई में पाये जाने वाले तत्व व गुण : Chaulai ke Gun in Hindi
- चौलाई में कैल्शियम, फॉस्फोरस, लौह, विटामिन ‘ए’ व ‘सी’ प्रचुर मात्रा में होते हैं ।
- गर्भिणी तथा स्तनपान करानेवाली माताओं को इसका सेवन अवश्य करना चाहिए ।
- इसमें रेशें होने के कारण यह आँतों में चिपके हुए मल को अलग करती हैं । पुराने कब्ज में भी लाभदायी है ।
- चौलाई रक्त शुद्ध करनेवाली, अरुचि को दूर कर पाचनशक्ति को बढ़ानेवाली, त्वचा के विकार व गर्मी के रोगों में बहुत गुणकारी है।
- यह नेत्रों के लिए हितकारी, मातृदुग्धवर्धक एवं रक्तप्रदर, श्वेतप्रदर आदि स्त्रीरोगों में लाभकारी है ।
- चौलाई की सब्जी खून की कमी, शीतपित्त, रक्तपित्त, बवासीर, पुराना बुखार, संग्रहणी, गठिया, उच्च रक्तचाप, ह्रदयरोगों तथा बाल गिरने आदि बीमारियों में भी लाभदायक है ।
- चौलाई की भाजी को केवल उबालकर या घी का बघार दे के तैयार करें । (इसे भी पढ़े : देवलोक के वृक्ष पारिजात के चमत्कारिक औषधीय प्रयोग)
- चौलाई के 50 मि.ली. रस में मिश्री मिलाकर पीने से खुजली और गर्मी दूर होती है । हाथ-पैर के तलवों व पेशाब की जलन में लाभ होता है ।
- चौलाई का रस शहद के साथ सुबह-शाम पीने से रक्तपित्त में लाभ होता है तथा नाक, गुदा आदि स्थानों से निकलनेवाला खून बंद हो जाता है ।
- आँखों से कम दिखना, आँखे लाल हो जाना, जलन, रात्रि को न दिखाना आदि तकलीफों में चौलाई का रस 50-60 मि.ली. प्रतिदिन दें अथवा चौलाई को सब्जी के रूप में उपयोग करें ।
- पित्त-विकृति में चौलाई की सब्जी खाते रहने से बहुत लाभ होता है ।
चौलाई खाने के फायदे और उपयोग : Chaulai ke Fayde aur Upyog in Hindi
1. पथरी: रोजाना चौलाई ( Chaulai )के पत्तों की सब्जी खाने से पथरी गलकर निकल जाती है।
2. रक्तचाप, बलगम, बवासीर और गर्मी के दुष्प्रभाव: रोजाना चौलाई की सब्जी खाते रहने से रक्तचाप, बलगम, बवासीर और गर्मी के रोग दूर हो जाते हैं।
3. भूख: चौलाई की सब्जी भूख को बढ़ाती है।
4. विसर्प (छोटी-छोटी फुंसियों का दल): चौलाई (गेन्हारी) साग के पत्तों को पीसकर विसर्प और जलन युक्त त्वचा पर पर लगाने से जलन मिट जाती है।
5. दमा: चौलाई की सब्जी बनाकर दमा के रोगी को खिलाने से बहुत लाभ मिलता है। 5 ग्राम चौलाई के पत्तों का रस शहद के साथ मिलाकर चटाने से सांस की पीड़ा दूर हो जाती है।
6. पागल कुत्ते का काटना: पागल कुत्ते के काटने के बाद जब रोगी पागल हो जाए, दूसरों को काटने लगे, ऐसी हालत में कांटे वाली जंगली चौलाई की जड़ 50 ग्राम से 125 ग्राम तक पीसकर पानी में घोलकर बार-बार पिलाने से मरता हुआ रोगी बच जाता है। यह विषनाशक होती है। सभी प्रकार के विषों व दंशों पर इसका लेप लाभकारी होता है। चौलाई रूखी होती है तथा यह नशा और जहर के प्रभाव को नष्ट कर देती है। चौलाई की सब्जी रक्तपित्त में भी लाभदायक होती है।
7. कब्ज: चौलाई की सब्जी खाने से कब्ज में लाभ मिलता है।
8. गर्भपात की चिकित्सा: 10 से 20 ग्राम चौलाई (गेन्हारी का साग) की जड़ सुबह-शाम 60 मिलीग्राम से 120 मिलीग्राम “हीराबोल“ के साथ सिर्फ 4 दिन (मासिकस्राव के दिनों में) सेवन कराया जाए तो गर्भधारण होने पर गर्भपात या गर्भश्राव का भय नहीं रहता है।
9. गुर्दे की पथरी: रोज चौलाई की सब्जी बनाकर खाने से पथरी गलकर निकल जाती है।
10. बवासीर (अर्श): चौलाई की सब्जी खाने से बवासीर ठीक हो जाती है।
11. मासिक-धर्म संबन्धी विकार: चौलाई की जड़ को छाया में सुखाकर पीसकर छान लेते हैं। इसकी लगभग 5 ग्राम मात्रा की मात्रा को सुबह के समय खाली पेट मासिक-धर्म शुरू होने से लगभग 1 सप्ताह पहले सेवन कराना चाहिए। जब मासिक-धर्म शुरू हो जाए तो इसका सेवन बंद कर देना चाहिए। इससे मासिक-धर्म के सभी रोग दूर हो जाते हैं। (इसे भी पढ़े : चिरौंजी खाने के 17 सेहतमंद फायदे व उसके लाभकारी गुण)
12. प्रदर रोग:
- लगभग 3 से 5 ग्राम की मात्रा में चौलाई के जड़ के चूर्ण को चावलों के पानी में शहद के साथ मिलाकर सेवन करने से प्रदर रोग मिट जाता है।
- चौलाई ( Chaulai )की जड़ को चावल धुले हुए पानी के साथ पीसकर उसमें पिसी हुई रसौत और शहद मिलाकर पीने से सभी प्रकार के प्रदर रोग मिट जाते हैं।
13. रक्तप्रदर:
- 15 ग्राम वन चौलाई की जड़ का रस दिन में 2-3 बार रोजाना पीने से रक्तप्रदर की बीमारी मिट जाती है।
- चौलाई (गेन्हारी का साग), आंवला, अशोक की छाल और दारूहल्दी के मिश्रित योग से काढ़ा तैयार करके 40 ग्राम की मात्रा में रोजाना 2-3 बार सेवन करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है। इससे गर्भाशय की पीड़ा भी दूर हो जाती है और रक्तस्राव (खून का बहना) भी बंद हो जाता है।
14. स्तनों की वृद्धि: चौलाई (गेन्हारी) की सब्जी के पंचाग को अरहर की दाल के साथ अच्छी तरह से मिलाकर स्त्री को सेवन कराने से स्त्री के स्तनों में बढ़ोत्तरी होती है।
15. पेट के सभी प्रकार के रोग: चौलाई की सब्जी बनाकर खाने से पेट के रोगों में आराम मिलता है।
16. गठिया रोग: गठिया के रोगी के जोड़ों का दर्द दूर करने के लिए चौलाई ( Chaulai )की सब्जी का सेवन करना चाहिए।
17. उच्चरक्तचाप: उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए चौलाई, पेठा, टिण्डा, लौकी आदि की सब्जियों का प्रयोग अधिक मात्रा में करना चाहिए, क्योंकि इनमें रक्तचाप को नियन्त्रित करने की शक्ति होती है।
18. दिल का रोग: चौलाई की हरी सब्जी का रस पीने से हाई ब्लड प्रेशर में लाभ होता है।
19. नासूर (नाड़ी) के लिए: यदि नाड़ी व्रण (जख्म) में ज्यादा दर्द हो और वह पक न रहा हो तो उस पर चौलाई ( Chaulai )के पत्तों की पट्टी बांधने से लाभ होता है।
20. नहरूआ (स्यानु) –
- नहरूआ के रोगी को चौलाई की जड़ को पीसकर घाव पर बांधने से रोग दूर हो जाता है।
- चौलाई की सब्जी खाने से नहरूआ के रोगी का रोग दूर हो जाता है।
21. आग से जलने पर: दुर्वा और चौलाई के पत्तों को बराबर की मात्रा में लेकर उन पर पानी की छींटे मारकर सिल पर पीसकर शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से जलन और दर्द दूर होता है।
चौलाई के दुष्प्रभाव : Chaulai ke Nuksan in Hindi
चौलाई के कोई ज्ञात दुष्प्रभाव नहीं हैं ।
Read the English translation of this article here ☛ Amaranth (Chaulai): 21 Amazing Uses, Benefits, Dosage and Side Effects
(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)