Last Updated on June 21, 2022 by admin
प्रलाप (बड़बड़ाना) क्या है ? (Delirium in Hindi)
जब व्यक्ति के मुंह से ऐसी बातें निकलें जिनका कोई अर्थ या मतलब न हो और रोगी स्वयं ही बोलता हो और स्वयं ही सुनता हो तो इसे बड़बड़ाना कहते हैं। इस रोग में रोगी के मुंह से ऐसे शब्द व वाक्य निकलते हैं जिसे समझा नहीं जा सकता है। इस तरह अपने आप से बातें करना, हंसना, रोना व होंठों को पटपटना प्रलाप व बड़बड़ाना कहलाता है।
प्रलाप के कारण :
प्रलाप या बड़बड़ाने का मुख्य कारण तेज बुखार का आना या मानसिक परेशानी होती है।
प्रलाप के लक्षण :
इस रोग में व्यक्ति के सोचने और समझने की शक्ति खत्म हो जाती है और वह किसी भी बात पर तुरन्त ही गम्भीर हो जाता है।
विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों से प्रलाप का उपचार :
1. जटामांसी : लगभग आधे से एक ग्राम जटामांसी का चूर्ण शहद के साथ रोगी को चटाने से रक्ताभिशरण (रक्त संचार) क्रिया ठीक होती है और नाड़ी तंतुओं को मजबूती मिलती है। इससे कफ ढीला होकर निकल जाता है और बुखार के कारण उत्पन्न प्रलाप खत्म हो जाता है। इसका प्रयोग मुख्य रूप से त्रिदोष (कफ, वात, पित्त) के खराब होने पर ज्यादा लाभकारी होता है।
2. बान्दा : 10 से 20 मिलीलीटर बान्दा (बांझी) के फूलों का रस सुबह-शाम देने से बुखार के कारण उत्पन्न प्रलाप या बड़बड़ाना ठीक होता है।
3. वन्य काहू : लगभग 1 से 2 ग्राम वन्य काहू की अफीम को खाने से बुखार के कारण होने वाला प्रलाप ठीक हो जाता है।
नोट – इन पौधों में दुग्ध होता है जिसे संग्रह किया जाता है। इसे वन्य काहू की अफीम कहते हैं ।
4. पाढ़ल : लगभग 20 से 40 मिलीलीटर पाढ़ल (घंटा पाढ़र) का काढ़ा रोगी को पिलाने से ज्वर के कारण होने वाली बेचैनी और बड़बड़ाना ठीक हो जाता है।
5. केवांच : लगभग 20 से 40 मिलीलीटर केवांच (कपकच्छु) की जड़ का काढ़ा या 10 से 20 मिलीलीटर जड़ का रस प्रलाप या बड़बड़ाने के रोगी को देने से रोग ठीक होता है।
6. लौंग : लगभग 1-1 ग्राम मात्रा में लौंग, तगर, ब्राह्मी और अजवायन को लगभग 16 मिलीलीटर पानी में उबालें और जब पानी एक चौथाई रह जाए तो छानकर रोगी को दिन में 2-3 बार पिलाएं। इससे मानसिक परेशानी के कारण प्रलाप व बड़बड़ाना ठीक होता है।
(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)