Last Updated on October 5, 2020 by admin
अव्यवस्थित जीवनशैली के परिणामस्वरूप डायबिटीज जैसे कई रोग बढ़ते जा रहे है। डायबिटीजएक ऐसा रोग है जिसमें एक बार दवाइयां लेने से रोग ठीक नहीं होता, किंतु जीवनभर ही दवाइयां लेकर इसे नियंत्रण में लाया जा सकता है। कुछ लोग आयुर्वेद को जड़ीबुटी का शास्त्र मानते है। वनस्पतियों में रोगों से लड़ने की अद्भुत क्षमता होती है। आयुर्वेद के पास वनस्पतियों के रूप में प्रकृति का खजाना है और इस रोग में चूंकि हमेशा ही दवाइयां लेनी पड़ती है इसलिए रूग्णों के लिए यह बहुत जरूरी है कि कृत्रिम औषध और उसके साइड इफेक्टस के चक्रव्यूह से छूटकर डायबिटिज़ में उपयोगी प्राकृतिक वनस्पतियों के बारे में जानकर, उन्हें उपयोग कर अधिकाधिक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकता है।
डायबिटीज में लाभदायक आयुर्वेदिक औषधियां :
डायबिटिज़ में गुणकारी औषधों के बारे में जानकारी निम्नलिखित हैं –
नीम की पत्तियां कंट्रोल करेगी शुगर का लेवल –
इसे संस्कृत में निम्ब कहा जाता है, निम्ब शब्द का अर्थ ही ‘निम्बति सिन्चति स्वास्थ्यम्’ अर्थात् जो वनस्पति स्वास्थ्य को बढ़ाए। मीठा नीम का प्रयोग विविध व्यजनों में तथा कड़वे नीम का कडुवा स्वाद ही इसकी विशेषता है, इसी से रक्त में बढ़े हुए माधुर्य को कमकर स्वास्थ्य लाभ करवाता है।यह ब्लडशुगर को कम करता ही है, साथ ही साथ त्वचाविकारों में पत्रस्वरस सुबह खाली पेट 20 ml तक लेना चाहिए। इसके पत्ते, पुष्प, त्वक, बीज व तैल सभी का औषध के रूप में उपयोग किया जाता है। दाह में पत्रस्वरस का फेन लगाना चाहिए, खुजली में पत्तों के काढ़े से स्नान करना चाहिए, जुएं होने पर बीज को पीसकर सिर पर लगाना चाहिए, जख्म होने पर पत्तियां और पुष्प गुणकारी है।
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जामुन रखेगा शुगर लेवल कम –
इसे संस्कृत में जम्बु कहते है इसका वृक्ष काफी बड़ा होता है। इसके फल की गुठली शर्करा की पाचनक्रिया को सुधारती है। अतः इससे मूत्रगत और रक्तगत शर्करा कम होती है। फलों का सिरका भी सभी प्रकार के प्रमेह में उपयोगी है।
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वट है लाभकारी –
समस्त भारत में बहुतायत से पाया जानेवाला बरगद का पेड़ न केवल पूजनीय है बल्कि औषधि गुणों से भी भरपूर है। मधुमेह में इसकी छाल का क्वाथ सुबह और शाम 50 ml तथा दूध 5-10 बूंद देते है, फल रस 2-5 ml तक देते है। साथ ही साथ इसका कसैला रस होने से किसी भी प्रकार के रक्तस्राव में अतीव उपयोगी है। वीर्यस्राव को रोकने के लिए, बार-बार होने वाले गर्भस्राव को रोकने के लिए, वटश्रृंग (कोपल) का प्रयोग लाभकारी है। दूध को जखम, क्षत (घाव) और विपादिका (कुष्ठ रोग का एक भेद) में लगाते है।
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अश्वत्थ (पीपल) से शुगर लेवल होगा कम –
सर्वत्र पुजित पीपल का पेड़ भी डायबिटिज़ में औषध के रूप में अत्यंत गुणकारी है। हिंदु संस्कृति में इसका अत्यंत धार्मिक महत्व है ओर बौद्धों का प्रतीकवृक्ष है। डायबिटीजमें फल और छाल उपयोगी है और गर्भस्थापन के लिए फल का चूर्ण देते है।
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बीजक (विजयसार) का रस है फायदेमंद –
इसे हिंदी में विजयसार, संस्कृत में असन और मराठी में बिवला वृक्ष कहते है। मधुमेह में इसकी कांडसार का क्वाथ पिलाते है। इससे मूत्र की मात्रा कम होती है, रक्तगत शर्करा घटती है और मधुमेहजन्य अन्य उपद्रव भी कम होते है। इसकी लकड़ी से बने गिलास का प्रयोग मधुमेह में विशेष उपयोगी है। इस गिलास में रात में पानी भरकर रखना चाहिए और सुबह तक गिलास के औषधीय गुण पानी में उतरते है और सुबह खाली पेट 50-100 ml तक इस पानी को पीना चाहिए तथा मोटापे से पीड़ित व्यक्ति भी इसी तरह इसी पानी का प्रयोग कर सकते है। कांड (तना) चूर्ण की मात्रा 3-5 gm तक है।
करेला (कारवेल्लक) से शुगर लेवल होगा कम –
करेला का प्रयोग न केवल सब्जी के रूप में बल्कि डायबिटिज़ को कम करने के लिए भी किया जाता है। इसकी वर्षायु आरोहिणी लता होती है। कड़वाहट के कारण यकृत और आमाशय की प्रतिक्रिया को सुधारता है और अग्न्याशय रस को उत्तेजित करके इंसुलिन के स्राव को बढ़ाता है। आमदोष को पचाता है। साथ ही साथ मेदोरोग और विष में प्रयुक्त होता है। करेले के पंचांग और फलत्वक में ही औषधीय गुण प्रचुर मात्रा में होते है। स्वरस मात्रा 10-20 ml तक व चूर्ण मात्रा 5-10 gm तक है।
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सप्तचक्र रखेगा शुगर से दूर –
इसका सदाहरित छोटा वृक्ष या बड़ा काष्ठीय लतागुल्म होता है। इसे हिंदी में सप्तरंगी व मराठी में इंगली कहते है। इसका मूल काटने पर अंदर सात चक्र दिखाई पड़ते है और ताजे मूल में इंद्रधनुष के सदृश भिन्न-भिन्न वर्ण होते है।
फल में मधुमेह को कम करने के औषधीय गुण पाए जाते है। मूल क्वाथ की 50-100 ml तक की मात्रा लेने से मूत्र का प्रणाम कम होता है।
गुड़मार (मेषश्रृंगी) से होगा शुगर का इलाज –
इसे संस्कृत में मधुनाशिनी भी कहते है। इसकी पतली काष्ठीय लता होती है। पत्तियों को चबाने पर कुछ घंटों के लिए रसना की ग्रहणशक्ति विशेषकर मधुररस के लिए अवरूद्ध हो जाती है। यह इंसुलिन के स्राव को बढ़ाकर रक्तशर्करा कम करने में मदद करती है। डायबिटिज में पत्रचूर्ण 3-6 gm तक खिलाते है। यह पौष्टिक और विषघ्न (विषनाशक) भी है। सर्पविष में 50-100 ml मूलक्वाथ उपयोगी है।
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कुंदरू (बिम्बी) भी होता है फायदेमंद –
बिम्बी को हिंदी में ‘कुंदरू’, मराठी में ‘तडली’ कहते है। यह बहुवर्षायु आरोहिणी लता है। मधुमेह में विशेषकर इसका पत्र या मूलस्वरस 10-20 ml तक देना चाहिए।
उदुम्बर (गुलर) भी है लाभकारी –
हिंदी में ‘गुलर’ व मराठी में ‘उम्बर’ कहा जानेवाला यह वृक्ष बहुतायात से मिलता है। मधुमेह में गुलर की छाल का क्वाथ का पका फल खिलाते है। रक्तप्रदर, श्वेतप्रदर और वीर्यदौबल्य में उदुम्बर के दूध के संतोषजनक परिणाम मिलते है।
वनस्पतियां प्रकृति की अनुपम देन है, इनके औषधीय गुणों को जानकर सहज ही स्वास्थ्य लाभ करने का प्रयत्न करना चाहिए। वैद्य की सलाह के अनुसार इनमें से सहज रूप से मिलने वाली एक या अनेक औषधियों का मिश्रित प्रयोगकर निश्चित ही मधुमेह जैसी व्याधियां और उनसे होनेवाले भयंकर उपद्रवों से छुटकारा पाकर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करना चाहिए।