शारीरिक दुर्बलता, असंतुलित भोजन, कब्जियत, पानी कम पीने, अनियमित खानपान, अव्यवस्थित दिनचर्या, अत्यधिक परेशानी, गंदे वातावरण और उठने-बैठने की गलत शैली के कारण कई लोगों में जोड़ों का दर्द एवं गठिया की शिकायत मिल रही है। मेडिकल साइंस के मुताबिक यह रोग प्रायः छोटी आयु में शुरू होता है जिसके लिए स्ट्रेप्टोकोक्स एवं हेमालाइटिस नामक कीटाणु जिम्मेदार हैं। यह पाया गया है कि यह रोग पुरुषों की तुलना में स्त्रियों को अधिक हो रहा है।
यदि प्रारंभ में विशेष ध्यान नहीं दिया जाए और ठीक से इलाज नहीं कराया जाए, तो बढ़ती उम्न के साथ यह रोग तीव्र हो जाता है, जिसमें जोड़ों में दर्द के साथ सूजन हो जाती है एवं ज्वर भी बढ़ने लगता है। यह रोग वर्षों तक रोगी को तंग कर सकता है। धीरे-धीरे रोगी रह-रहकर सख्त दर्द का आभास करता है जो पूरे शरीर में फैल जाता है और जीर्ण संधिवात या जीर्ण गठिया (Chronic Rheumatism) का रूप ले लेता है। यदि समय रहते सही इलाज न कराया जाए तो रोगी का हृदय एवं मस्तिष्क भी रोगग्रस्त हो सकता है।
गठिया रोग के देसी नुस्खे (Gathiya Rog ke Desi Nuskhe in Hindi)
गठिया व जोड़ों के दर्द में निम्न उपचार करें –
1). कलौंजी – एक माह तक प्रातः खाली पेट एवं रात्रि में सोते समय एक चम्मच सिरका में चौथाई चम्मच कलौंजी का तेल व आधा चम्मच शहद मिलाकर नित्य सेवन करने से गठिया एवं जोड़ों के दर्द में काफी आराम मिलता है।
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2). बरगद – गठिया व जोड़ों के दर्द वाले स्थान पर बरगद की शाखाओं के दूध का लेप नियमित रूप से एक माह तक लगाने से लाभ पहुंचता है। इसके अलावा रोगी को यदाकदा इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर 2 माह तक सेवन करना चाहिए।
3). हरड़ – एक से दो माह तक रोजाना एक हरड़ एवं थोड़ा-सा गुड़ खाकर गिलोय का क्वाथ ग्रहण करने से गठिया रोग समाप्त हो जाता है। जोड़ों पर एरण्ड के तेल की मालिश नियमित रूप से एक माह तक करने एवं इसके पत्तों को बांधने से जोड़ों के दर्द में फायदा होता है।
4). अलसी – तीसी (अलसी) को पानी में मिलाकर हलवा जैसा बनाते हुए गरम-गरम लेप गठिया व जोड़ों के दर्द वाले स्थान पर करने से रोगी को काफी आराम मिलता है। इसका प्रयोग 1-2 माह किया जा सकता है।
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5). चालमोगरा – गठिया रोगी को चालमोगरा का बीज 2 से 3 रत्ती पीसकर मक्खन के साथ भोजन के आधे घंटे बाद एक दिन के अंतराल में 2 माह तक देने से गठिया व जोड़ों के दर्द में बहत लाभ पहेंचता है। साथ ही सोते समय दर्द वाले स्थान पर चालमोगरा का तेल लगाने से काफी फायदा होता है।
6). अजवायन – अजवायन के तेल में अगस्त के फूल, आक के फूल को पीसकर इसका लेप नियमित रूप से एक माह तक दर्द वाले स्थान पर लगाने से रोगी को आराम मिलता है।
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7). दालचीनी – आधा कप गरम पानी में आधा चम्मच दालचीनी चूर्ण एवं आधा चम्मच शहद मिलाकर गठिया व संधिशोथ वाले स्थान पर रोजाना 2 बार 15 दिनों तक मालिश करने से दर्द समाप्त हो जाता है।
8). लहसुन – एक गिलास दूध में आधा चम्मच सौंठ व दालचीनी चूर्ण, 3 छोटी इलायची, एक चम्मच एरण्ड चूर्ण एवं लहसुन की 3-4 कली मिलाकर खूब उबालें। इसे नियमित रूप से एक माह तक रोगी को पिलाएं। गठिया रोग धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगा।
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9). मेथी – रोगी को खाली पेट मेथी का लड्डू 1-2 माह तक सेवन करना चाहिए। साथ ही नियमित रूप से 50-50 ग्राम सूखा आँवला एवं मेथी तथा 5 से 10 ग्राम काला नमक मिलाकर जल के साथ सुबह-सुबह ग्रहण करने से रोगी के जोड़ों में एक नया प्राण-संचार होता है, जकड़न दूर होती है एवं दर्द गायब हो जाता है। रोगी को यदाकदा गुड़ में मेथी पाक बनाकर खाते रहना चाहिए, जो गठिया रोग में अत्यंत लाभदायक है।
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10). हल्दी – हल्दी, गुड, एवं पिसी हुई मेथी का लेप बनाकर हलका गरम-गरम जोड़ों के दर्द एवं गठिया में लगाने से काफी फायदा होता है।
11). छुहारा – शुद्ध जल में मेथी एवं छुहारे उबालकर नियमित रूप से एक माह तक पीने से कमर दर्द एवं अन्य अन्य दर्द में काफी लाभ मिलता है।
12). अश्वगंधा – अश्वगंधा, देशी शक्कर, काली मिर्च का चूर्ण सुबह-शाम एक माह तक गरम जल के साथ ग्रहण करने से इस रोग में लाभ पहुंचता है। अश्वगंधा 50 ग्राम एवं बादाम 100 ग्राम का चूर्ण दूध के साथ नियमित रूप से सुबह-शाम एक माह तक ग्रहण करने से पुराने से पुराना जोड़ों का दर्द समाप्त हो जाता है। ऐसे रोगी इस तरह के आयुर्वेदिक प्रयोग के समय गैस पैदा करने वाले भोज्य पदार्थ, उड़द, चावल, आलू, अत्यधिक तेल व मसाले वाले खाद्य पदार्थों से परहेज करें तो विशेष फायदा होगा।
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13). पारिजात – हरसिंगार (पारिजात) के फूलों को पीसकर जोड़ों पर नियमित रूप से 2 माह तक लगाने से संधिवात, गठिया एवं जोड़ों के दर्द धीरे-धीरे दूर हो जाते हैं। साथ ही इसके छाल का काढ़ा भी यदाकदा ग्रहण किया जा सकता है।
14). नीम – सरसों के तेल में नीम के नए पत्तों को गरम कर जोड़ों एवं हड्डियों पर नियमित रूप एक माह से लेकर 3 माह तक मालिश करने से रोगी को लाभ पहुंचता है। इसके अलावा नीम के कोमल पत्तों को चबाएं, काफी राहत मिलेगी। नीम के तेल में थोड़ा-सा हल्दी पाउडर एवं लहसुन डालकर गरम कर लें। इसे 2 माह तक जोड़ों वाले स्थान पर लगाने से रोग ठीक हो जाते हैं।
15). सहजन – यदि गठिया काफी पुराना हो तो रोगी को सहजने सब्जी में मेथी, अजवायन, सोंठ, लहसुन, कलौंजी, हरसिंगार पत्ती मिलाकर नियमित रूप से 1-2 माह तक खाना चाहिए. रोग धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगा।
रोगी जीर्ण गठिया (Chronic Rheumatism) से घिर चुका हो तो उसे नियमित रूप से 6 माह तक आमवातारि गुटिका, योगराज गुग्गुल, महावात विध्वंस रस, अमृतमंजरी वटी विडंगादि लौह, रास्नादि गुग्गुल एवं सुण्ठी घृत का प्रयोग निष्णात आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में करना चाहिए।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)
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