टी बी का देसी इलाज ,खानपान और बचाव के उपाय | T.B ka Desi ilaj in Hindi

Last Updated on September 20, 2019 by admin

टी बी रोग क्या है ? : tb disease information in hindi

टीबी की बीमारी को क्षय रोग और तपेदिक रोग भी कहा जाता है। टीबी आनुवांशिक रोग नहीं है। यह बीमारी कभी भी किसी को भी हो सकती है। टीबी घातक संक्रामक बीमारी है, जो आमतौर पर फेफड़ों पर हमला करती है। हालांकि यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। टीबी के बैक्टीरिया हवा के ज़रिए फैलते हैं। दरअसल, टीबी के मरीज़ खांसी, छींक या किसी अन्य प्रकार से अपने बैक्टीरिया हवा में छोड़ते हैं, जो आस-पास होनेवाले व्यक्ति को संक्रमित करते हैं और सांस के ज़रिए उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। इससे छुटकारा पाने का सही तरीक़ा है इसका पूरा इलाज। सही उपचार न मिल पाने से लगभग ५० फ़ीसदी से ज़्यादा लोगों की मौत हो जाती है।

घातक संक्रामक रोग टीबी के बैक्टीरिया ज़्यादातर फेफड़ों में ही पाए जाते हैं। लेकिन ये खतरनाक बैक्टीरिया आंत, मस्तिष्क, हड्डियों, जोड़ों, गुर्दे, त्वचा, दिल को भी ग्रसित कर सकते हैं। कह सकते हैं कि टीबी के बैक्टीरिया शरीर के हर अंग को प्रभावित करते हैं,

टी बी रोग की पहचान और लक्षण : tb rog ki pehchan in hindi

✡ तीन-चार हफ़्ते से अधिक वक़्त हो जाने पर भी खांसी का न रुकना।
✡ बलगम के साथ खून आना,
✡ ख़ासतौर पर शाम को बुखार आना।
✡ सीने में लगातार तेज़ दर्द होना।
✡ मरीज़ का वज़न घटना।
✡ भूख न लगना।
✡ फेफड़ों में बहुत ज्यादा इंफेक्शन हो जाना।
✡ सांस लेने में दिक़्क़त होना।

टी बी से बचाव के उपाय : tb rog se bachne ke upay in hindi

✡ शिशु को टीबी का टीका लगवाएं।
✡खांसते या छींकते समय मुंह पर रुमाल रखें।
✡ मरीज़ को जगह-जगह थूकने से रोकें।
✡ टीबी के मरीज़ इलाज का कोर्स पूरा करें।
✡ अल्कोहल और धूम्रपान से परहेज़ करें।
✡ बहुत ज़्यादा श्रमवाला काम न करें।

कैसे होता है टी बी का संक्रमण ? : tb rog kaise failta hai

टीबी के रोगियों का इलाज करनेवाले डॉक्टरों का कहना है कि टीबी रोगियों के क़फ़, छींक, खांसी, थूक और उनके सांस से बैक्टीरिया पहले वातावरण में प्रवेश करते हैं और फ़ौरन आसपास मौजूद व्यक्ति के सांस के ज़रिए उसके फेफड़े तक पहुंच जाते हैं। इस तरह टीबी के मरीज़ों के संपर्क में आने के कारण अच्छा खासा स्वस्थ आदमी भी आसानी से टीबी का शिकार हो जाता है। किसी टीबी के मरीज़ के कपड़े पहनने, उससे हाथ मिलाने या उसे छूने से टीबी नहीं फैलता।

डॉक्टरों का कहना है कि जब भी टीबी के बैक्टीरिया सांस के ज़रिए दूसरे व्यक्ति के फेफड़े तक पहुंचते हैं, तब वे कई गुना बढ़ जाते हैं। टीबी के बैक्टीरिया फेफड़ों को संक्रमित कर देते हैं। कभी-कभी हट्टे-कट्टे व्यक्ति का मज़बूत इम्यून सिस्टम इन्हें रोक लेता है, लेकिन ज़्यादातर मामलों में ये बैक्टीरिया हावी हो जाते हैं और मरीज़ का इम्यून सिस्टम कमज़ोर कर देते हैं।

टीबी का संक्रमण तीन चरणों में होता है।

प्रथम चरण: टीबी की पहली अवस्था में मरीज़ की पसलियों में दर्द होता है, उसके हाथ-पांव अकड़ जाते हैं। उसके पूरे शरीर में हल्की टूटन-सी मसूस होती है और मरीज़ को लगातार बुखार बना रहता है। इस अवस्था में बीमारी का पता लगाने के लिए किसी स्पेशलिस्ट डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

द्वितीय चरण: टीबी की दूसरी अवस्था में मरीज़ की आवाज़ भारी या मोटी हो जाती है, उसके पेट में दर्द होता है। इसके अलावा कमर दर्द और बुखार भी होता है। इस अवस्था में अगर बीमारी का पता लग जाए, तो आसानी से इलाज हो जाता है।

तृतीय चरण: टीबी की तीसरी अवस्था में रोगी को बहुत तेज़ बुखार होता है। उसे लगातार तेज़ खांसी आती है। खांसी बहुत कष्टदायक होती है। मरीज़ को क़फ़ के साथ खून भी आने लगता है, जिससे उसका शरीर बहुत कमज़ोर पड़ जाता है। टीबी की यह अवस्था गंभीर होती है।

कैसे कराएं जांच? : tb rog ki janch in hindi

टी बी होने की आशंका होने पर जांच कराने के कई तरीके हैं। सबसे पहले सीने का एक्स-रे किया जाता है। उसके बाद क़फ़ की जांच की जाती है। कई बार डॉक्टर स्किन का टेस्ट करवाने की भी सलाह देते हैं। आजकल टीबी का पता लगाने के लिए आधुनिक तकनीक आईजीएम से हीमोग्लोबिन की भी जांच होने लगी है। सरकारी अस्पतालों में सभी जांच मुफ़्त में होती है। टीबी का ट्रीटमेंट आजकल तो टी बी का आसान इलाज उपलब्ध है। डॉक्टरों का कहना है कि टीबी के मरीज़ इलाज का कोर्स पूरा करके इस बीमारी

से पूरी तरह से मुक्त हो सकते हैं। सरकारी डॉट्स सेंटर देश भर में हैं, जहां टीबी का इलाज मुफ्त में होता है। मरीज़ को इन केंद्रों पर ही दवाई खिलाई जाती है, ताकि उपचार में मरीज़ की ओर से कोताही न बरती जाए। जिन्हें टीबी है, उन्हें इन केंद्रों पर ज़रूर जाना चाहिए।

टी बी रोग में खानपान कैसा हो ? : t b ki bimari me kya khaye

डॉक्टर्स का कहना है कि टीबी के रोगियों को हाई प्रोटीनवाला संतुलित आहार लेना चाहिए। मरीज़ को अखरोट, लहसुन, लौकी, हींग, आम का रस, तुलसी, देसी शक्कर, बड़ी मुनक्का और अंगूर देना भी बहुत फ़ायदेमंद साबित होता है। अगर सामान्य व्यक्ति को एक ग्राम प्रोटीन डायट की सलाह दी जाती है, तो टीबी के मरीज को १। ५ ग्राम प्रोटीनवाला डायट देना चाहिए

टी बी का घरेलू उपचार और उपाय : tb ka desi ilaj in hindi

1- लहसून -लहसुन में सल्फ्यूरिक एसिड होता है। इसके एंटीबैक्टीरियल गुण टीबी के बैक्टीरिया और कीटाणुओं का नाश कर देते हैं। लहसुन इम्यून सिस्टम को मज़बूत करता है। इसे भूनकर, पकाकर या फिर कच्चा ही खाना चाहिए। लहुसन की १० कलियों को एक कप दूध में उबाल लें। फिर उबली हुई कलियों को चबाकर खा लें और दूध पी जाएं। ऐसा दो हफ़्ते तक करें। इस दौरान पानी न पीएं, नहीं तो लहसुन असर नहीं करेगी।
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2- आंवला –आंवला अपने सूजन विरोधी एवं एंटीबैक्टीरियल गुणों के लिए मशहूर है। आंवला के पोषक तत्व में शरीर की प्रक्रियाओं को सही ढंग से चलाने की ताक़त होती है, चार या पांच आंवले का बीज निकाल कर उसका जूस बना लें। जूस में एक चम्मच शहद मिलाकर रोज़ाना खाली पेट पीने से काफ़ी लाभ होता है ।
( और पढ़ेटीबी का आयुर्वेदिक इलाज )

3- संतरा –संतरे का क्षारीय प्रभाव फेफड़े के लिए फ़ायदेमंद होता है। यह क़फ़ सारक है यानी क़फ़ को आसानी से बाहर निकालने में मदद करता है। एक ग्लास संतरे के रस में चुटकी भर नमक, एक बड़ा चम्मच शहद अच्छी तरह मिलाकर सुबह और शाम पीने से टीबी के वायरस मर जाते हैं।
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4- गो मूत्र- प्रथम दिन 10 ग्राम गो मूत्र पिलाऐं, तीन दिन पश्चात मात्रा 15 ग्राम कर दें, छह दिन पश्चात 20 ग्राम। इसी प्रकार 3-3 दिन पश्चात 5 ग्राम मात्रा प्रतिदिन पिलाऐं निरंतर गौ मूत्र पिलाने से तपेदिक रोग जड़ से समाप्त हो जाएगा। और फिर दोबारा जिन्दगी में नही होगा।

5- कालीमिर्च –कालीमिर्च शरीर को कई रोगों से राहत दिलाने में मदद करती है। यह फेफड़े की सफ़ाई करती है और टीबी की वजह से होनेवाले दर्द को दूर करती है। टीबी की बीमारी से राहत पाने के लिए कालीमिर्च के १०-१५ दाने को घी में भूनकर पाउडर बना लें, फिर उसमें चुटकी भर हींग पाउडर डालकर मिक्स कर लें। ठंडा होने के बाद मिश्रण को तीन भागों में बांट लें। एक घंटे के बाद इसका सेवन करें, इससे शर्तिया आराम मिलेगा।
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6- पुदीना –पुदीना सेहत के लिए बहुत फ़ायदेमंद होता है। इसके एंटीबैक्टीरियल गुण क़फ़ से निजात दिलाने में मदद करते हैं। यह फेफड़े को भी खराब होने से बचाता है, आधा कप गाजर के जूस में एक चम्मच पुदीने का रस, दो चम्मच शहद और दो चम्मच शुद्ध सिरका मिलाएं। इस मिश्रण को तीन भागों में बांट लें और हर एक घंटे में पीएं। टीबी की बीमारी से राहत पाने के लिए पुदीना लाभकारी है।

7- ग्रीन टी –ग्रीन टी को अच्छी तरह से उबाल कर इसका सेवन करें। यह टीबी के बैक्टीरिया का खात्मा करता हैं। ग्रीन टी पीने से टीबी पैदा करनेवाले बैक्टीरिया का ख़तरा कम हो जाता है। इसके अलावा इम्यून सिस्टम भी मज़बूत होता है,
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8- दूध- दूध से मिलनेवाले कैल्शियम से हड्डियां मज़बूत बनती हैं। टीबी होने पर हड्डियों को नुक़सान पहुंचानेवाले संक्रमण से बचने के लिए दूध का सेवन करना लाभकारी साबित होता है।

(दवा व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)

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