Last Updated on November 20, 2021 by admin
सर्दियों में हाइपोथर्मिया, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, दमा तथा दिल के दौरे के कारण हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार, सर्दियों में न केवल तेज ठंड से उत्पन्न हाइपोथर्मिया के कारण, बल्कि उच्च रक्तचाप, दिल के दौरे, दमा और मधुमेह के कारण असामयिक मौत की घटनाएँ कई गुना बढ़ जाती हैं। हमारे देश में हर साल ऐसी मौतों की संख्या लाखों में होती हैं।
हाइपोथर्मिया क्या होता हैं (What is Hypothermia in Hindi)
हाइपोथर्मिया (अल्पताप) अर्थात क्या ?
हाइपोथर्मिया (अल्पताप) यानी शरीर का तापमान सामान्य से नीचे चला जाना । ठंड के असर के कारण शरीर का तापमान अत्यधिक गिर जाने पर हाइपोथर्मिया की स्थिति उत्पन्न होती है। ठंड के संपर्क में लंबे समय तक रहने से कम ठंड होने पर भी हाइपोथर्मिया उत्पन्न हो सकता है।
हमारे शरीर में ठंड से बचाव की प्राकृतिक प्रणाली काम करती है, जिसके तहत ठंड के संपर्क में आते ही त्वचा तक रक्त का प्रवाह बंद हो जाता है, ताकि और अधिक ताप क्षय रुक जाए। बचाव की इस प्रणाली के तहत शरीर में गरमाहट लाने के लिए स्वतः कँपकँपी शुरू हो जाती है और खास हारमोनों का उत्सर्जन होने लगता है, लेकिन अधिक ठंड में यह सुरक्षा प्रणाली आम तौर पर विफल हो जाती है। अगर ऐसे में शरीर से ताप क्षय को तत्काल रोका नहीं जाए और शरीर में गरमाहट लाने के उपाय नहीं किए जाएँ तो मौत हो सकती है।
किन्हें होता है ज्यादा खतरा ? :
जाड़े के दिनों में मधुमेह और हृदय रोगियों के लिए खतरा अधिक बढ़ जाता है, क्योंकि ठंड के कारण एंजाइना, रक्तचाप और शुगर बढ़ने की आशंका अधिक होती है।
हाइपोथर्मिया का खतरा एक साल से कम उम्र के बच्चों तथा बुजुर्गों को बहुत अधिक होता है। अनुमान है कि जब कभी भी तापमान सामान्य से एक डिग्री सेल्सियस घटता है, तब आठ हजार बच्चे और बुजुर्ग मौत के हवाले हो जाते हैं। हाइपोथर्मिया के कारण मौत का शिकार होने वालों में ज्यादातर लोग मानसिक रोगी, दुर्घटना में घायल लोग, मधुमेह, हाइपोथायराइड, ब्रोंकोनिमोनिया और दिल के मरीज तथा शराब का अधिक सेवन करने वाले होते हैं।
बेघर लोगों तथा ठंड से बचाव की सुविधाओं से वंचित लोगों को हाइपोथर्मिया से मौत का खतरा अधिक होता है। पर्वतारोहियों को अत्यधिक ठंड से प्रभावित होने का खतरा अधिक होता है, लेकिन आम तौर पर पर्वतारोही ऐसी आपात स्थिति की तैयारी करके पर्वतारोहण करते हैं।
विभिन्न अध्ययनों एवं आँकड़ों के अनुसार हाइपोथर्मिया से होने वाली करीब 50 प्रतिशत मौतें 64 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों में होती है। बुजुर्गों को कम उम्र के लोगों की तुलना में हाइपोथर्मिया से पीड़ित होने की आशंका बहुत अधिक होती है, क्योंकि ठंड से बचाव की शरीर की अपनी प्रणाली उम्र के साथ कमजोर पड़ती जाती है। इसके अलावा उम्र बढ़ने के साथ सबक्युटेनियस वसा में कमी आ जाती है और ठंड को सहन करने की क्षमता भी घट जाती है। इसके अलावा शरीर की ताप नियंत्रण प्रणाली भी कमजोर पड़ जाती है।
हाइपोथर्मिया के लक्षण (Signs and Symptoms of Hypothermia in Hindi)
हाइपोथर्मिया के क्या लक्षण होते हैं ?
- कँपकँपी, लड़खड़ाहट और घबराहट हलके हाइपोथर्मिया के लक्षण हैं।
- अत्यंत तेज कँपकँपी और कँपकँपी का अचानक बंद हो जाना, श्वसन में कमी आ जाना, दिल की धड़कन और नब्ज का धीमा चलना और कुछ भी नहीं सोच पाना आदि मध्यम हाइपोथर्मिया के लक्षण हैं।
- अति हाइपोथर्मिया की स्थिति में कँपकँपी बंद हो जाती है, मरीज बेहोश हो जाता है, श्वसन या तो अत्यंत धीमा हो जाता है या बंद हो जाता है तथा नब्ज या तो अनियमित हो जाती है या चलनी बंद हो जाती है।
हाइपोथर्मिया का उपचार (Hypothermia Treatment in Hindi)
हाइपोथर्मिया का उपचार कैसे किया जाता हैं?
- हाइपोथर्मिया होने पर तत्काल चिकित्सकीय सुविधाओं की जरूरत होती है।
- हाइपोथर्मिया होने पर मरीज को तत्काल सूखे एवं गर्म कपड़ों से लपेट देना चाहिए, ताकि शरीर से और अधिक ताप क्षय नहीं हो।
- अगर दिल की धड़कन एवं नब्ज नहीं चल रही हो तो तत्काल कार्डियोपल्मोनरी रेस्पिरेशन (सीपीआर) दिया जाना चाहिए।
- बार-बार गरम पानी और मालिश के जरिए गरमी पहुँचाने की कोशिश से परहेज करना चाहिए, क्योंकि अगर यह गलत तरीके से किया गया तो ऊतकों को गंभीर नुकसान पहुँच सकता है।
- मरीज को अल्कोहल या निकोटिन नहीं देना चाहिए।
हाइपोथर्मिया से बचाव (Tips to Prevent Hypothermia in Hindi)
हाइपोथर्मिया की रोकथाम कैसे करें?
- हाइपोथर्मिया से बचने के लिए कई गर्म कपड़े पहनने चाहिए।
- खूब गर्म तरल पेय का सेवन करना चाहिए।
- पौष्टिक भोजन करना चाहिए, लेकिन अल्कोहल से परहेज करना चाहिए।
- सर्दियों में कमरे को रूम हीटर या अन्य उपायों से गर्म रखना चाहिए।
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