ऑस्टियोपोरोसिस (अस्थि भंगुरता) के कारण, लक्षण, बचाव और इलाज

Last Updated on June 18, 2021 by admin

ऑस्टियोपोरोसिस या अस्थि भंगुरता रोग क्या है ? (What is Osteoporosis in Hindi)

ऑस्टिओपोरोसिस (अस्थि भंगुरता) एक ऐसा रोग है जिसमें धीरे-धीरे शरीर की हड्डियाँ कमजोर होने लगती है। ‘बोन मास’ घटने लगता है और इनमें मौजूद ऊतक फटने लगते हैं। लगातार हड्डियों के टूटने का खतरा बना रहता है। यह रोग ज्यादातर मामलों में उम्रदराज स्त्रियों में पाया जाता है। बहुत ही कम लोग यह बात जानते है की ऑस्टिओपोरोसिस का प्रारंभ जीवन में बहुत पहले से ही हो जाता है, लेकिन इसके लक्षण देर से प्रगट होते हैं। इसीलिए यह सबसे बेहतर होगा की हम अपने आहार में कैल्शियम और विटामिन डी का सेवन अधिक से अधिक करें।

अमेरिका में लगभग 10 लाख लोग अभी ऑस्टिओपोरोसिस का शिकार हैं। अन्य 18 लाख लोगों का बोन मास इतना लो है कि उन्हें कभी भी ऑस्टिओपोरोसिस की ओर धकेल सकता है।

जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे ऑस्टिओपोरोसिस होने का खतरा भी बढ़ता जाता है। इस रोग के कुल मरीजों में औरतों की संख्या अधिक होती है। 50 वर्ष से अधिक उम्र की 2 महिलाओं में से एक और 8 पुरुषों में से 1 पुरुष को अवश्य ही अपने जीवन में ऑस्टिओपोरोसिस की वजह से फ्रैक्चर होता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अमेरिका में 50 से 59 वर्ष की 14 प्रतिशत औरतों में मेनोपॉज के बाद, 60 से 69 उन की 22 प्रतिशत महिलाओं 70 से 79 वर्ष की 39 प्रतिशत और 80 या उससे अधिक उम्र की लगभग 70 प्रतिशत महिलाओं में यह बीमारी होने का खतरा रहता है।

क्या है ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण ? (Symptoms of Osteoporosis in Hindi)

कुछ लक्षण जिनसे ऑस्टियोपोरोसिस (अस्थि भंगुरता) का पता लगाया जा सकता है जैसे –

  • हड्डियों की कमज़ोरी ।
  • हड्डियों का आसानी से फ्रैक्चर हो जाना ।
  • मसूड़ों का कमजोर और ढीला पड़ना ।
  • हाथों में पकड़ने की क्षमता में कमी का होना ।
  • नाखूनों का कमजोर और भुरभुरा होना ।
  • शारीरिक लम्बाई में कमी ।
  • अकसर गर्दन, पीठ या कमर में दर्द का रहना ।
  • पीठ के ऊपरी भाग में झुकाव का आना ।

ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम (Osteoporosis Risk factors in Hindi)

ऑस्टियोपोरोसिस (अस्थि भंगुरता) के जोखिम को बढ़ाने वाले कुछ कारक है –

  1. वृद्धावस्था (> 50 वर्ष) ।
  2. आहार में पोषक तत्वों की कमी । विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार अत्यधिक रिफाइंड खाद्य पदार्थों के सेवन जैसे – मैदा, पास्ता,सफ़ेद चावल, सैच्युरेटेड या ट्रांस फैट वाले खाद्य पदार्थ भी इस समस्या को बढ़ा रहे हैं।
  3. शारीरिक निष्क्रियता ।
  4. ऑस्टियोपोरोसिस का पारिवारिक इतिहास ।
  5. धूम्रपान ।
  6. अत्यधिक शराब या कैफीन का सेवन ।
  7. शरीर में कैल्शियम की कमी ।
  8. शरीर में विटामिन डी का निम्न स्तर ।
  9. कुछ दवाओं के दीर्घकालिक उपयोग जैसे – थायरॉयड दवाएं, मिर्गी की दवाएं ।
  10. उम्र बढ़ने के साथ पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन के स्तर में गिरावट ।
  11. एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर का घटना।
  12. क्रैश डाइटिंग, जिससे शरीर तथा हड्डियां कमज़ोर हो जाती हैं।
  13. अधिक व गलत व्यायाम के चलते लो बॉडी फैट की समस्या ।
  14. डायबिटीज़, लिवर संबंधी परेशानियां या अर्थाराइटिस की समस्या।
  15. हाइपरथायरॉयड की समस्या।
  16. एंटी-सीज़र या ओरल स्टेरॉयड्स दवाओं का लंबी अवधी तक सेवन।

ऑस्टिओपोरोसिस की जटिलताएं (Complications of Osteoporosis in Hindi)

ऑस्टिओपोरोसिस (अस्थि भंगुरता) से रोगी क्या-क्या कष्ट पा सकता है –

  • हड्डियाँ पोली हो जाने से उनके टूटने का भय सदा बना रहता है।
  • रीढ़ की हड्डियाँ (कशेरुक), कलाई के पास रेडियस, कूल्हे में फीमर, टाँग में टीबिया, ऊपरी बाँह में ह्यूमरस खासकर फ्रैक्चर होती हैं।
  • रीढ़ में कमर के बीच की हड्डियाँ कई बार जरा सा वजन उठाने, नीचे की तरफ झुकते या कूदते ही अपने से भीतर ही भीतर दब जाती हैं। कभी-कभी बिना किसी कारण के ही ऐसा हो जाता है।
  • इससे बहुत दर्द होता है और बिस्तर में करवट लेना भी मुश्किल हो जाता है।
  • सँभलने में एक हफ्ता यों ही बीत जाता है, लेकिन चलने लायक होने में चार-छह हफ्ते लग जाते हैं। बाद में भी कुछ लोगों में कूबड़ निकल आता है और व्यक्ति की लंबाई घट जाती है।

ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव के उपाय (Prevention of Osteoporosis in Hindi)

ऑस्टियोपोरोसिस (अस्थि भंगुरता) को रोकने के लिए –

  • पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी और कैल्शियम युक्त आहार का सेवन करें ।
  • हरी पत्तेदार सब्जियां, डेयरी उत्पाद और मौसमी फलों को अपने आहार में शामिल करें ।
  • नियमित रूप से योग, प्राणायाम और आसन का अभ्यास करें ।
  • धूम्रपान का त्याग करें।
  • शराब के अत्यधिक सेवन से बचे ।
  • यथासंभव तनाव, अवसाद और दबाव जैसे मानसिक विकारों से बचें।
  • हड्डियों की मज़बूती के लिए अपने चिकित्सक से पूछ कर – मूसली, अश्वगंधा, शतावरी, बला जैसी बल-वर्धक औषधीयों का सेवन करें ।
  • रजोनिवृत्ति के पश्चात स्त्रीयों को ऑस्टियोपोरोसिस की जाँच के बारे में अपने डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिये ।

ऑस्टिओपोरोसिस की जांच (Osteoporosis Tests in Hindi)

इस विकार में कौन-कौन से जाँच-परीक्षण उपयोगी होते हैं –

  1. बढ़े हुए रोग में सामान्य एक्स-रे पर ही ऑस्टिओपोरोसिस (अस्थि भंगुरता) दिखाई दे जाती है। लेकिन अल्ट्रासाउंड ‘बोन डेंसिटोमीटरी’ से इसका पहले ही निदान हो सकता है।
  2. कुछ विशेष रक्त-परीक्षण भी किए जाते हैं ताकि यह साफ हो सके कि ऑस्टिओपोरोसिस किसी दूसरे कारण से तो नहीं है।

ऑस्टिओपोरोसिस का उपचार (Osteoporosis Treatment in Hindi)

ऑस्टिओपोरोसिस (अस्थि भंगुरता) का इलाज क्या है –

  • कम-से-कम 1500 मिलीग्राम कैल्शियम आहार में रोजाना लेना रजोनिवृत्ति के बाद हर स्त्री के लिए जरूरी है।
  • इसकी भरपाई के लिए जरूरी होने पर डॉक्टर कैल्शियम की गोलियाँ देते हैं।
  • सक्रिय विटामिन ‘डी’, मसलन एल्फा डी-3 भी उपयोगी साबित होती है।
  • रजोनिवृत्त महिलाओं के लिए हाल के सालों में हॉरमोनल रिप्लेसमेंट थैरेपी (एच. आर. टी.) का सिद्धांत भी आया है जिसके अंतर्गत ऑस्टिओपोरोसिस से बचाने के लिए इस्ट्रोजन दिया जाता है। यह इलाज चंद महीनों से लेकर कई साल तक चलाया जाता है।
  • कुछ मरीजों में केल्सिटोनिन और बाइफास्फनेट्स भी दवा के रूप में दिए जाते हैं, ताकि हड्डियाँ खोई हुई मजबूती वापस पा सकें।
  • और हाँ, स्वास्थ्य अनुमति दे तो नित्य व्यायाम का कार्यक्रम भी जरूर बना लेना चाहिए जिसमें सैर सबसे उपयोगी और आसान है।

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