जड़ी-बूटियों से निखारें सुंदरता

Last Updated on May 4, 2023 by admin

आयुर्वेद में वर्णित सौंदर्य वर्धक जड़ी-बूटियाँ : 

       त्वचा को रोगों से बचाने के लिए सौन्दर्य प्रसाधनों में जो चीज इस्तेमाल होती है वह चंदन, लौंग, यूकेलिप्टस, कपूर, नींबू, खीरा, गुलाब और पुदीना आदि का रस होता है। इनमें सिर्फ औषधीय गुण ही नहीं होते बल्कि यह प्रत्यक्ष रूप से त्वचा को प्रभावित करते हैं। यह दर्द में भी राहत देते हैं। कैमोमाइल एक ऐसी जलन को रोकने वाली औषधीय बेल है जिसमें हानिकारक तत्व न के बराबर होते है। सुगंधित जड़ी-बूटियों का तेल बहुत हल्का और ताजा होता है, जो कई प्राकृतिक औषधियों के साथ प्रयुक्त होता है। इन सौन्दर्य प्रसाधनों में दो या इसे अधिक औषधियों का बेजोड़ मेल होता है। वास्तव में अधिकांश जड़ी बूटियों से अधिक फायदे होते हैं। कैमोमाइल तेल लगभग 250 साल से दवा के रूप में इस्तेमाल होता आ रहा है।

     चंदन, यूकेलिप्टस और लौंग आदि जड़ी-बूटियां घाव भरने में और त्वचा सम्बंधी रोगों में काफी लाभकारी साबित होती हैं, फिर चाहे सिर पर तैलीय बाल हों या रूसी। कुछ जड़ी-बूटियों से रूखी त्वचा पर भी काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है।

आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां जो लाये सौंदर्य में निखार : 

1. एलैन्शन

       एलैन्शन वनस्पति से बना एक पदार्थ है। इसका प्रयोग उन विभिन्न उत्पादों के लिए होता है, जो होंठ और त्वचा की रक्षा करते हैं।

2. एलौवेरा : 

       त्वचा के ढलने का प्रमुख कारण तेज सूरज की किरणें, रूखा वातावरण और त्वचा की नमी का खोना है। इन कारणों से त्वचा पर झुर्रियां पड़ जाती हैं, साथ ही साथ त्वचा का स्वाभाविक खिंचाव भी कम हो जाता है। शुष्क और झुर्रीदार त्वचा के लिए पुन: नमी व चमक प्रदान करने वाले उत्पाद बनाए गए हैं। त्वचा की सफाई करने से स्वाभाविक नमी खो सकती है, जो असंतुलन उत्पन्न करती है। दूसरी ओर एलोवेरा, कैक्टस और नींबू युक्त क्लीजिंग क्रीम नमी का संतुलन रखते हुए अशुद्धियां दूर करती हैं। एलोवेरा मॉश्चराइजर में पाया जाने वाला महत्त्वपूर्ण अवयव है जिसमें शक्तिशाली औषधीय गुण भी होते हैं। पुराने समय में एलोवेरा के रस से घावों का उपचार भी होता था। यह नई कोशिकाओं के संवर्धन में सहायक तो है ही, एस्ट्रिजेंट और एंटीबॉयोटिक का कार्य भी करता है।   

     जब से एलोवेरा बनी है तभी से इसका प्रयोग विभिन्न प्रकार की त्वचा के प्रसाधनों में होने लगा है। एलोवेरा की एक मुख्य विशेषता यह भी है कि यह नमी खोने वाली त्वचा को सील कर देता है। क्लींजन और मॉश्चाराइजर में एलोवेरा होने से तीव्र नमी की कमी दोबारा पाई जा सकती है। यह त्वचा की मृत कोशिकाओं को भी प्रभावित करता है। एलोवेरा इन मृत कोशिकाओं को नर्म करके इन्हें हटाने का काम करता है। जिससे उसका स्थान अधिक नर्म त्वचा ले सके। यह त्वचा की कार्यप्रणाली में भी सुधार लाता है। सूरज की किरणों के कारण त्वचा के खराब होने और ब्लैक हेड्स में एलोवेरा बहुत अच्छा असर करता है।     

2. बादाम : बादाम का इस्तेमाल साधारणत: चेहरे के लिए अच्छा होता है। बादाम को बारीक पीसकर या घिसकर चेहरे पर लगाने से चेहरा चिकना और चमकदार बनता है। इसे लगाने के कुछ देर बाद जब घोल सूखने लगे तो चेहरा धो लेना चाहिए। इससे चेहरे की सफाई होती है।

3. बादाम रोगन : बादाम रोगन का इस्तेमाल त्वचा पर बहुत अधिक किया जाता है। इसे घर में तैयार करके त्वचा पर लगाया जा सकता है। जो लोग बादाम पीसने और घिसने से बचना चाहते हैं, वे बादाम रोगन का इस्तेमाल कर सकते हैं।

4. ब्राह्मी : औषधीय पौधों से बने उत्पादों से सिर की त्वचा के रोगों का उपचार होता है। जिससे बाल सुन्दर और स्वस्थ रहते हैं। भारत में बहुत बड़े स्तर पर आयुर्वेद में ब्राह्मी का उपयोग होता रहा है। यह जलन दूर करने और संक्रमण रोकने में लाभकारी है। इसकी तासीर तंत्रिकाओं को ठण्डक और आराम देती है। किसी लंबे रोग के कारण बाल झड़ने की समस्या को ब्राह्मी चमत्कारिक से दूर करती है। ब्राह्मी `तंत्रिका और आत्मविश्वास को जगाकर आशावादी बनाती है। ब्राह्मी त्वचा और सिर की खाल का अम्लीय और क्षारीय संतुलन बनाए रखती है। इसका इस्तेमाल बालों के कण्डीशनर के रूप में आंवला, हिना, चंदन, शिकाकाई के साथ होता है। आंवला बालों को भूरे होने से रोकता है तो हिना प्राकृतिक कण्डीशनर है। हिना और आंवला का उपयोग हर्बल ‘शैंपू में होता है, जिससे काफी हद तक रूसी व बाल झड़ने की समस्या दूर होती है। दूसरी ओर शिकाकाई प्राकृतिक रूप से सिर की खाल की अम्लीय परत को छेड़े बिना अच्छी तरह बालों की सफाई करती है।

5. चमेली : चमेली के तेल में विटामिन `ई` पाया जाता है। जिसकी उम्र बढ़ने के साथ अधिक आवश्यकता होती है। स्वास्थ्य को ठीक बनाये रखने के लिए क्रीम में चमेली का तेल मिलाना लाभदायक होता है। भारत में गुलाब की तरह चमेली भी ज्यादा लोकप्रिय होती है। चमेली की मनमोहक तासीर तंत्रिकाओं का तनाव दूर करती है। चमेली सूखी और संवेदनशील त्वचा विशेष रूप से जब उस पर लाल रंगत और खरोंच में लाभकारी होती है।

6. चंदन : चंदन को सौन्दर्य प्रसाधनों में अधिक इस्तेमाल किया जाता है। भारत के प्राचीन ग्रंथों में कहा गया है कि चंदन के गुणों से सौन्दर्य और त्वचा दोनों की रक्षा होती है। चंदन न केवल जलन और खरोंचों को दूर करता है, बल्कि त्वचा पर उम्र को भी कम दिखाता है। चंदन सभी प्रकार की त्वचा के लिए काफी अच्छा साबित होता है क्योंकि यह हल्का एस्ट्रिजेंट होता है इसलिए यह रूखेपन का भी इलाज करता है। चंदन युक्त क्रीम त्वचा को प्रदूषण, सूरज की तेज किरणों आदि से बचाती है।

7. फिटकरी : फिटकरी एक सफेद, पीले रंग का एस्ट्रिजेट पॉउडर होता है। फिटकरी का लोशन बनाया जाता है जिसे पैर फटने पर लगाया जाता है। फिटकरी का प्रयोग शैम्पू को सुखाने में किया जाता है।

8. गुलाब : गुलाब का रस एक ऐसा सौदंर्य प्रसाधनों का अवयव है जिसे उपचार और मनमोहक खुशबू स्नान के लिए कई सालों से प्रयोग किया जाता है। परफ्यूम और सुगंधित स्नान के लिए गुलाब आवश्यक अवयव के रूप में प्रयुक्त होता है। गुलाब की महक का शरीर की नसों पर सीधा प्रभाव पड़ता है जो थकान दूर करने में उपयोगी होता है। मानव शरीर और मन को आराम पहुंचाने में गुलाब का प्रयोग किया जाता है। गुलाब हर प्रकार की त्वचा के लिए लाभकारी होता है। गुलाब त्वचा में नई जान और गुलाबीपन लाता है, तथा जलन और खुजली भी दूर करता है। संवेदनशील त्वचा के लिए यह क्लींजर का काम भी करता है।

       गुलाब के रस को आंखों के चारों ओर नाजुक त्वचा पर लगाया जाता है। इससे जलन और थकान दूर होती है। गुलाब के रस को रूई के फाहे से आंखों के नीचे लगाने से दीर्घकालिक लाभ के साथ-साथ ताजगी मिलती है। गुलाब के रस में विटामिन `ई´ भी पाया जाता है।

9. हल्दी : हल्दी त्वचा को नमी प्रदान करती है। हल्दी एन्टीसैप्टिक और प्राकृतिक ब्लीच भी मानी जाती है।

10. नींबू की उपयोगिता : नींबू का प्रयोग केवल प्राचीनकाल की स्त्रियां ही नहीं किया करती थी, बल्कि आधुनिक महिलाएं भी त्वचा की खुश्की दूर करने के लिए नींबू के रस का प्रयोग करती है। वास्तव में सौन्दर्य के क्षेत्र में नींबू बहुत उपयोगी होता है। इसलिए खूबसूरती को बढ़ाने के लिए नींबू के अन्य उपयोगों का वर्णन नीचे किया गया है-

लाभकारी

  • नींबू का रस नींबू को फल, सब्जी और अचार आदि के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह त्वचा की चिकनाई और बालों की जड़ों को मजबूत करने के लिए बहुत ही जल्दी असर करता है।
  • विरंजक के रूप में – सूखे शरीर पर पड़े दागों को दूर करने के लिए नींबू के टुकड़े को कोहनियों, एड़ियों और पैर की उंगलियों पर रगड़कर पानी से धो डालने से लाभ होता है।
  • बाल धोने के लिए– चाय के उबले और छने पानी में नींबू का रस मिलायें और बालों को शैम्पू करने के बाद इसी मिश्रण से धो डालें। यह मिश्रण बालों को चमक प्रदान करके कोमल बनाता है। प्रतिदिन सुबह टमाटर के रस की 2 से 3 बूंदों को नींबू के रस को साथ लें और इसके बाद नाश्ता कर लें।  

11. पुदीना : 

     पुदीने के रस को बालों और त्वचा की देखभाल करने वाले प्रसाधनों में बहुत अधिक प्रयोग किया जाता है। पुदीना शरीर को ठण्डक देकर खुजली और खरोंचों से निजात दिलाता है। इसके तेल के ज्यादा प्रभावकारी होने के कारण इसे दूसरी औषधीय पौधों के साथ मिलाकर हल्का किया जाता है। यह त्वचा और सिर की खाल पर बैक्टीरिया के संक्रमणों को दूर करने में मदद करता है। पुदीना त्वचा को तेजवान बनाता है, इसलिए ज्यादातर इसका उपयोग तेल और हेयर कण्डीशनर में होता है।

लाभकारी

  • झाईयां, मुंहासे दूर करने हों तो पुदीने की कुछ पत्तियों को पानी में पीसकर सोने से पहले हर रोज रात में लगाएं, इससे जरूर लाभ होता है।
  • 2 चम्मच जई का पॉउडर, चौथाई चम्मच पोदीने की पत्तियां और चौथाई चम्मच सूखा हुआ पोदीना को गर्म पानी में डालकर पेस्ट बना लें और चेहरे पर लगाएं। इसके सूख जाने पर इसे ठंडे पानी से साफ करने से चेहरे पर चमक आ जाती है।

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