Last Updated on July 13, 2020 by admin
कामचूड़ामणि रस क्या है ? : What is Kamchudamani Ras in Hindi
आजकल के वातावरण ने आम आदमी के आहार-विहार और आचार-विचार को इस तरह से दूषित कर दिया है कि वह न मन से स्वस्थ रह पाता है और न तन से। इसी कारण से अधिकतर पुरुष यौन दौर्बल्य, नपुंसकता और यौन व्याधियों से भी पीड़ित हो रहे हैं। ऐसी व्याधियों को नष्ट करने वाले एक श्रेष्ठ आयुर्वेदिक योग ‘कामचूड़ामणि रस’ का परिचय प्रस्तुत किया जा रहा है।
कामचूड़ामणि रस के घटक द्रव्य और उनकी मात्रा :
- मुक्ता पिष्टी – 20 ग्राम
- सुवर्ण माक्षिक भस्म – 20 ग्राम
- सुवर्ण भस्म – 20 ग्राम
- भीमसेनी कपूर – 20 ग्राम
- जावित्री – 20 ग्राम
- जायफल – 20 ग्राम
- लौंग – 20 ग्राम
- वंग भस्म – 20 ग्राम
- रजत भस्म – 20 ग्राम
- दालचीनी – 22 ग्राम
- तेजपत्ता – 22 ग्राम
- छोटी इलायची के दाने – 22 ग्राम
- नागकेशर – 22 ग्राम
बनाने की विधि :
ऊपर लिखे सभी 13 द्रव्यों को भली भांति मिला लें , अब इसे खरल में डाल कर सात दिन तक अच्छे से घुटाई करे , उसके बाद 1-1 रत्ती की गोलियां बना लें।
माप :- 1 रत्ती = 121.50 मिली. ग्राम
उपलब्धता : यह योग प्रसिद्ध औषधि निर्माताओं द्वारा बना -बनाया बाज़ार में मिलता है।
मात्रा और सेवन विधि : Dosage of Kamchudamani Ras
सुबह और रात मे सोने से पहले मिश्री मिले कुनकुने गर्म मीठे दूध के साथ 2-2 गोली लें।
कामचूड़ामणि रस के फायदे और उपयोग : Benefits & Uses of Kamchudamani Ras in Hindi
☛ आजकल फिल्मों और टी वी सीरियलों तथा फिल्मी गानों के विडियो एलबमों में दिखाये जा रहे कामोत्तेजक दृश्यों का किशोर और युवा आयु वाले बच्चों के मन-मस्तिष्क पर दूषित प्रभाव पड़ रहा है जिससे बच्चों की मानसिकता कामुक हो रही है। युवा पाश्चात्य विचारधारा और वहां के तौर तरीकों से प्रभावित हो कर अपने आचरण को दूषित कर रहे हैं जिसके परिणाम स्वरूप वे धातु क्षीणता, यौन दौर्बल्य, शीघ्रपतन आदि यौनव्याधियों से पीड़ित हो रहे हैं । जिन युवकों ने हस्तमैथुन या स्त्री सहवास करके लम्बे समय तक शुक्र धातु का नाश किया हो उनके लिए यह योग अमृत के समान अत्यन्त लाभदायक है। कामचूड़ामणि रस रसायन गुण रखने वाला योग है, शीतवीर्य, पौष्टिक और कामोत्तेजना पैदा करने वाला वाजीकारक योग है।
☛ कामचूड़ामणि रस की यह विशेषता है कि यह योग कोई साइड इफेक्ट या रिएक्शन नहीं करता और निरापद रूप से अपने प्रभाव से रोगी के न सिर्फ यौन रोगों और दौर्बल्य को ही दूर करता है बल्कि प्रमेह, मूत्र रोग, अग्निमांद्य, शोथ (सूजन), रक्त दोष और नारी रोगों को भी दूर करता है। इस प्रकार यह योग स्त्री पुरुष दोनों के लिए लाभप्रद होने से सेवन योग्य है।
☛ कामचूड़ामणि रस का प्रयोग, यौन दौर्बल्य एवं किसी भी यौन व्याधि के लिए करते समय मन वचन कर्म से ब्रह्मचर्य का पालन करना और कामुक विचार-चिन्तन से सर्वथा बच कर रहना अनिवार्य है, ऐसी शास्त्र की मान्यता भी है और रोगी को चेतावनी भी है।
☛ धातु दौर्बल्य, नपुंसकता आदि यौन व्याधि के रोगी को कामचूड़ामणि रस के साथ ही शतावरी घृत 1-1 चम्मच भी लेनी चाहिए ।
☛ मादक द्रव्यों के सेवन से आई शिथिलता और कमज़ोरी को दूर करने के लिए कामचूड़ामणि रस का सेवन च्यवनप्राश अवलेह के साथ करना चाहिए।
☛ पेशाब के आगे पीछे धातु स्राव होना या मल विसर्जन के लिए ज़ोर लगाने पर वीर्य निकल पड़ता हो तो कामचूड़ामणि रस का सेवन – गिलोय, गोखरू और आंवले का काढ़ा बना कर इसमें थोड़ी पिसी मिश्री डाल लें – इस काढ़े के साथ करना चाहिए।
☛ बार बार पेशाब आता हो, पेशाब रोकना कठिन हो तो कामचूड़ामणि रस के साथ शतावर्यादि चूर्ण 1 चम्मच लेना चाहिए।
☛ कामचूड़ामणि रस अन्य वाजीकारक योगों की तरह उग्र और भड़काने वाले घटक द्रव्यों का नहीं है जैसे पूर्ण चन्द्रोदय रस, पुष्पधन्वा रस, वसन्त कुसुमाकर रस आदि हैं। इसमें कोई मादक द्रव्य भी नहीं है जो सेवन करने वाले को इसका आदी (Addicted) बना देता है बल्कि इसमें, कर्पूर को छोड़ कर, सभी घटक द्रव्य शामक है इसलिए यह योग धातु को गाढ़ा करता है और शीतल रखता है,यौनांग की वातवाहिनियों को स्वस्थ और सुदृढ़ रखता है जिससे यौनांग, कामोत्तेजना के प्रचण्ड वेग को झेलने में सक्षम बना रहता है और शीघ्रपतन का शिकार नहीं होता।
☛ कामचूड़ामणि रस का प्रभाव मस्तिष्क में स्थित उत्तेजना केन्द्र पर भी शमनकारी पड़ता है जिससे मस्तिष्क कामोत्तेजना पर नियन्त्रण रखने में सफल रहता है।
☛ पित्त प्रकोप से पीड़ित और उष्ण प्रकृति के व्यक्ति के लिए कामचूड़ामणि रस बहुत ही अनुकूल और निरापद रूप से लाभकारी सिद्ध होता है। इसे पूरे वर्ष तक किसी भी ऋतु में सेवन किया जाता है।
☛ जिन अविवाहित युवकों को हस्तमैथुन करने से नपुंसकता का अनुभव हो रहा हो या विवाहित को स्त्री-समागम में अति करने के कारण ऐसा अनुभव हो रहा हो, चेहरा निस्तेज, गाल बैठे हुए, आंखें धंसी हुई और शरीर सुस्त व कमज़ोर हो गया हो उन्हें मन वचन कर्म से ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए और कामोत्तेजना से बच कर रहते हुए कामचूड़ामणि रस के साथ पौष्टिक आहार भी लेना चाहिए तभी आयुर्वेदिक योगों के सेवन से लाभ हो सकेगा।
☛ कामचूड़ामणि रस चूंकि रसायन के गुण रखता है इसलिए पुरुषों की तरह स्त्रियों के लिए भी बहुत हितकारी है। जैसे यह पुरुषों के शुक्र को शुद्ध, शीतल, सबल और गाढ़ा बनाता है उसी तरह स्त्रियों के रज को भी शुद्ध व सशक्त बनाता है।
☛ पुरुषों के शुक्र और शुक्राणुओं को लाभ करने के साथ ही साथ स्त्रियों के डिम्बाशय, डिम्ब और रज को भी लाभ करता है इसलिए कामचूड़ामणि रस का सेवन स्त्री-पुरुष दोनों के लिए उपयोगी सिद्ध होता है।
☛ यौन-क्रीड़ा करने में मर्यादाहीन यौनाचरण करने वाले परस्त्रीगमन, वेश्यागमन करने आदि कारणों से व्यक्ति संक्रामक रोगों से पीड़ित हो जाते हैं ऐसे व्यक्ति को सुजाक, गर्मी आदि गुप्त रोग हो जाते हैं। सुजाक होने पर इस रोग के प्रभाव से शरीर विषाक्त हो जाता है, रक्त अशुद्ध, वीर्य पतला व उष्ण हो जाता है तथा शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है जिससे कई रोग शरीर में पैदा होने लगते हैं। ऐसी स्थिति में कामचूड़ामणि रस के साथ अमृतासत्व और मिश्री मिला कर, दूध के साथ यह मिश्रण 1 चम्मच मात्रा में लेना चाहिए। लगातार 4-5 मास तक सेवन करने पर रक्त शुद्ध होता है और रोग का शमन हो जाता है।
☛ जिन युवतियों को युवावस्था प्राप्त होने पर भी, शरीर के कृश और कमज़ोर होने से, बीजाशय का उचित विकास नहीं होता और नियमित मासिक ऋतुस्राव नहीं होता उन्हें यदि उष्ण औषधि दे कर ऋतुस्राव कराया जाए तो वे कुछ वर्षों के बाद युवावस्था में ही बूढ़ी जैसी दिखने लगती हैं। ऐसी युवतियों को कामचूड़ामणि रस के साथ प्रवाल पिष्टी, अमृतासत्व और सितोपलादि चूर्ण का सेवन करना चाहिए। इस प्रयोग से उनका बीजाशय, गर्भाशय, स्तन आदि अंगों का उचित विकास होता है और मासिक धर्म नियमित होने लगता है।
संक्षेप में यह कहना उचित और पर्याप्त होगा कि यह कामचूड़ामणि रस सही मायनों में पुरुष को पुरुषत्व प्रदान कर ‘मर्द’ बनाता है और स्त्री को स्त्रीत्व प्रदान कर ‘सम्पूर्ण स्त्री’ बनाता है।
कामचूड़ामणि रस के दुष्प्रभाव और सावधानीयाँ : Kamchudamani Ras Side Effects in Hindi
- कामचूड़ामणि रस लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।
- कामचूड़ामणि रस को डॉक्टर की सलाह अनुसार ,सटीक खुराक के रूप में समय की सीमित अवधि के लिए लें।
- बच्चों और गर्भवती महिलाओं को इस दवा से परहेज करना है।
- दवा को अधिक मात्रा में लेने पर कंपकंपी ,चक्कर आना आदि लक्षण प्रगट हो सकते हैं।
- इस योग का सेवन करते समय ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए,खटाई, खट्टे पदार्थ, तेज़ मिर्चमसालेदार व तले हुए एवं उष्ण प्रकृति के व्यंजनों का सेवन न करें, क़ब्ज़ न होने दें और कामुकता से सर्वथा बच कर रहें।
कामचूड़ामणि रस का मूल्य : Kamchudamani Ras Price
Vyas Kamchudamani Ras – 5gm – RS 849
कहां से खरीदें :
Ling me erection nhi aa rha he age 54 he