Last Updated on November 3, 2020 by admin
किशोरावस्था वह नाजुक उम्र होती है जहाँ से बच्चा धीरे-धीरे शारीरिक तौर पर युवावस्था की ओर बढ़ता है। प्रत्येक किशोर में 10-18 वर्ष की आयु के बीच एक अपरिभाषित दबाव और स्वयं की पहचान को खोजने की इच्छा उत्पन्न होती है, जिससे कई प्रकार की अस्वस्थ व गलत प्रवृतियों (व्यवहारों) का जन्म होता है, जैसे मोटापा, अतिक्षुधा, धूम्रपान, मद्यपान, अनिद्रा और हिंसक प्रतिक्रिया आदि बहुत सी समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं, तो इन प्रवृत्तियों पर अंकुश रखने के लिए सही तरीके के पोषक तत्त्वों से भरपूर भोजन पर ध्यान देना ज़रूरी होता है। किशोरावस्था में हार्मोन प्रमुख भूमिका निभाते हैं और वे सही ढंग से काम करें, इसके लिए रोज़ाना की जीवनशैली में निरंतरता और अनुशासित जीवन जीने की आवश्यकता होती है।
पोषक आहार के विकल्प :
किशोरावस्था में पोषक तत्त्वों के सेवन को पाँच श्रेणियों में विभाजित किया गया है।
1. अनाज : साबुत अनाज जो गेहूँ, चावल, जई, मक्की का आटा, जौ या अन्य अनाजों से बने होते हैं, जिसमें गेहूँ, भूरे चावल और दलिया शामिल हैं।
2. सब्ज़ियाँ : विविधता जीवन का मसाला है यह इसे सभी स्वाद देता है। इसलिए आहार में विभिन्न प्रकार की सब्ज़ियों का सर्वोत्कृष्ट स्थान है। अतः अपने आहार में विभिन्न प्रकार की गहरी हरी, लाल और नारंगी सब्ज़ियों, फलियों (मटर और बींस) और स्टार्चवाली सब्ज़ियों को चुनें।
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3. फल : कोई भी फल या 100 प्रतिशत फलों का रस फलों के समूह के रूप में ही गिना जाता है तो बच्चों में ताज़गी और स्फूर्ति लाने के लिए फलों के रस का उपयोग करें।
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4. डेयरी : दुग्ध उत्पादन और दूध से बने कई खाद्यपदार्थ इस खाद्य समूह का हिस्सा माने जाते हैं। वसारहित या कम वसावाले उत्पादन साथ ही साथ इसमें उच्च मात्रा में कैल्शियम पर ध्यान दिया जाता है। दोनों ही समान रूप से उनकी पोषण की ज़रूरतों को संतुलित करने में मदद करते हैं।
5. प्रोटीन : प्रोटीन पर निर्भरता ज़रूरी है। रोज़ाना प्रोटीनवाली चीज़ों को बदलते रहें, ज़्यादातर नट्स, बीज, मटर और बींस का चुनाव करें।
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6. तेल : हालाँकि तेल खाद्यसमूह में नहीं आता हैं, फिर भी कुछ जैसे मेवों के तेल में आवश्यक पोषक तत्त्व होते हैं और इन्हें आहार में शामिल किया जाना चाहिए।
किशोरावस्था की पोषण आवश्यकताएँ :
किशोरावस्था की कुछ बुनियादी पोषण आवश्यकताएँ निम्न हैं –
किशोरावस्था में लड़कियों को रोज़ाना लगभग 2200 कैलोरी की आवश्यकता होती है, जबकि इसी दौरान लड़कों को 2500-3000 कैलोरी की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त वसा, कैल्शियम, लोहा, जस्ता, विटामिन और फाइबर को आवश्यक रूप से शामिल किया जाना चाहिए।
पोषक आहार और स्वस्थ दिनचर्या के टिप्स :
1) दिन में तीन बार भोजन, साथ ही पौष्टिक नाश्ता एक अच्छी आदत मानी जा सकती है।
2) आहार में ज़्यादा फाइबर का सेवन और कम नमक का उपयोग ज़्यादा असरदार होता है।
3) पानी अधिक पीएँ। उन पेय से बचने की कोशिश करें जिनमें चीनी की मात्रा अधिक हो। हाइड्रेट रहें लेकिन समझदारी से।
4) फलों के रस में बहुत अधिक कैलोरी हो सकती है, इसलिए इसका सीमित सेवन करें। नाश्ते में फल या सब्ज़ियाँ खाएँ।
5) मक्खन और ग्रेवी का उपयोग कम करें। घर में बने घी और अच्छे वसायुक्त बादाम, अखरोट आदि का सेवन करें।
6) सामाजिक संपर्क और स्वस्थ भोजन व्यवहार के प्रदर्शन के माध्यम से आपके बच्चे को कब और कहाँ खाना चाहिए और उसकी खाने की आदतों को नियंत्रित और नियमित करने का प्रयास करें।
7) खाद्यपदार्थों के चयन और इसकी तैयारी में युवाओं को शामिल करें और उनके पोषणमूल्य के आधार पर खाद्यपदार्थों का चयन करने के अवसर प्रदान करके उन्हें स्वस्थ विकल्प बनाना सिखाएँ। कम भोजन और गैर संसाधित खाद्यपदार्थ का सेवन सीमित करने से कैलोरी कम होती है और पोषक तत्त्वों को बढ़ाने में मदद मिलती है। बुद्धिमान बनें और उन्हें भी बुद्धिमान बनाएँ।
8) बच्चों द्वारा वीडियो, टेलीविज़न और कम्प्यूटर का उपयोग प्रतिदिन दो घंटे से कम समय तक सीमित करें और सुस्त गतिविधियों को उन गतिविधियों से बदलें जिससे शरीर में अधिक स्फूर्ति आए। शारीरिक गतिविधियाँ ही हमारे दिन का लक्ष्य होना चाहिए। ज़्यादा वसायुक्त भोजन की जगह ज़्यादा व्यायाम करें।
9) बच्चों और किशोरों को विकास के दौरान सही वज़न और अच्छे स्वास्थ्य और फिटनेस के लिए कम से कम 60 मिनट की शारीरिक गतिविधि की आवश्यकता होती है।
अपने बच्चे को एक उल्लासपूर्ण स्वस्थ जीवन दें। सही भोजन का चुनाव करें और देखें कि उनका भविष्य कैसे उज्जवल होता है। अच्छा और पौष्टिक भोजन खाएँ और मुस्कुराते रहें।