Kusum Phool ke Fayde | कुसुम फूल के फायदे ,गुण ,उपयोग और नुकसान

Last Updated on May 21, 2020 by admin

कुसुम फूल क्या है ? : What is Safflower (Kusum Phool) in Hindi

कुसुमल रंग (कुसुम्भ रंग) और शूरवीर का राजस्थान की वीर प्रसविनी धरा पर गहरा सम्बन्ध रहा है। कुसुम फूल का रंग अत्यन्त पक्का और सुन्दर होता है इसे वीरता के प्रतीक रूप में प्रस्तुत किया गया है। रंजनकर्म में इसके फूलों का उपयोग होने के कारण इस कुसुम फूल की खेती की जाती थी। संप्रति विदेशी रंगों के प्रचार के कारण इसका उपयोग कम होने लग गया है।

कुसुम फूल के प्रकार :

भृंगराज कुल (कम्पोजिटी) की इस वनौषधि के क्षुप दो प्रकार के होते हैं। कंटक (कांटे) युक्त और कंटक रहित।

कुसुम फूल का विभिन्न भाषाओं में नाम : Name of Safflower (Kusum Phool) in Different Languages

Safflower (Kusum Phool) in –

  • संस्कृत (Sanskrit) – कुसुम्भ, वस्त्ररंजक, ग्राम्यकुंकुम, वन्हिशिखा।
  • हिन्दी (Hindi) – कुसुम्भ, कुसुम, कसूम्बा
  • गुजराती (Gujarati) – कसुबो
  • मराठी (Marathi) – करडई
  • बंगाली (Bangali) – कुसुम
  • तामिल (Tamil) – सेन्दुरकम्
  • तेलगु (Telugu) – बंगारमु, अग्निशिखा
  • फ़ारसी (Farsi) – दरखने कुर्तुम, गुले भास्कर, खसकदाना
  • अंग्रेजी (English) – वाइल्ड सेफ्रान (wild saffron), सेफ्लावर (Safflower)
  • लैटिन (Latin) – कार्थेमस टिंक्टोरियस (carharmus tinctorius Linn.)

कुसुम फूल का पौधा कैसा होता है ? :

  • कुसुम फूल का पौधा – इसके क्षुप 3 से 4 फुट तक ऊँचे होते हैं।
  • कुसुम के पत्ते – पत्ते लम्बे, किनारे कटे हुये कंटक युक्त होते हैं।
  • कुसुम के फूल – पुष्प शीतकाल में शाखा के अग्रभाग में डंडियों में पीताभ लाल रंग के, छोटे-छोटे कांटों से युक्त कुछ सुगन्धित होते हैं। इन पुष्पों का रंग केशर जैसा होने से इन्हें ग्राम्य केशर कहते हैं किन्तु कंटक रहित कुसुम्भ पुष्पों का रंग अधिक उत्तम होता है। इन पुष्पों के तन्तु केशर के समान होने से केशर में इनकी मिलावट कर दी जाती है। रंग के लिये इन पुष्पों को छाया में सुखाकर कूट-पीसकर सुरक्षित रखते हैं। इनमें जो डोडी बड़ी सुपारी जैसी, नोंकदार तथा कांटों से युक्त है उन्हीं में से उक्त केसरिया पुष्प तथा छोटे-छोटे श्वेत चिकने बीज होते हैं इन्हें लोक में कर्र, बरैया कड़ कहते हैं। इन बीजों से तेल निकाला जाता है वह पीताभ और पतला होता है। इसके 400 ग्राम बीजों में से 70 से 80 मिलि. तेल निकलता है।

कुसुम फूल का रासायनिक विश्लेषण : Safflower (Kusum Phool) Chemical Constituents

कुसुम के फूलों में कार्येमिन नामक जल में न घुलने वाला रक्त रंग तथा घुलनशील अन्य पीत रंग, सेल्युलोज, अलब्युमिन, मैगनीज, लोह आदि पाये जाते हैं। बीजों में एक स्थिर तेल होता है।

कुसुम फूल के पौधे का उपयोगी भाग : Beneficial Part of Kusum Phool Plant in Hindi

पत्र, पुष्प, मूल, बीज तथा तेल।
औषधि कार्य के लिये श्वेत वर्ण, नवीन, स्थूल और भारी बीजों को ग्रहण करना चाहिये।

सेवन की मात्रा :

  • पत्र स्वरस 5 से 20 मिलि.
  • पुष्य चूर्ण – 2 से 4 ग्राम
  • पुष्प क्वाथ – 20 से 40 मिलि.
  • बीज चूर्ण – 2 से 5 ग्राम
  • बीज तेल – 5 से 10 मिलि. (पूर्णमात्रा 20 मिलि.)

कुसुम फूल के औषधीय गुण : Kusum Phool ke Gun in Hindi

  • कुसुम पत्र – मधुर, कटु, रूक्ष, उष्ण और कफनाशक ।
  • कुसुम फूल (पुष्प) – मधुर, कटु,रूक्ष, लघु उष्ण त्रिदोषघ्न (विशेषत: कफहर)।
  • कुसुम बीज – मधुर, कषाय, गुरू, स्निग्ध, शीत वात नाशक है।
  • कुसुम बीज तेल – गुरू स्निग्ध उष्ण और वातशामक।
  • कुसुम के बीजों का चिकित्सा में अधिक प्रयोग होता है। ये रेचक,कफघ्न,स्वर्य (स्वर के लिये हितकारी) और आर्तवजनन है।
  • इनसे प्राणवह स्रोतस के श्लेष्मा का पाचन और निर्हरण होता है।
  • कुसुम बीज तेल अल्पमात्रा में रेचन, शोथघ्न और शूलहर है किन्तु इसकी अधिक मात्रा विदाह (गर्मी) करती है तथा सब दोषों का प्रकोप करती है। सुसुम्भ तेल मुष्णं च विपाके कटुकं गुरू। विदाहि च विशेषेण सर्वदोष प्रकोपणम्।। -च.सू. 27
  • कुसुम मूल मूत्रल है।
  • पुष्प कवाथ स्वेद जनन, रक्तपित्त हर और कफनाशक है।
  • कुसुम के नवीन क्षुप के कोमल पत्तों का शाक रुचिकारक, अग्निदीपन, मृदुविरेचक और नेत्रों के लिये हितकारी है।
  • इसके बीजों का शंक धान्यों के अन्तर्गत वर्णन कर परिस्थितिवश अन्न के रूप में प्रयोग का विवरण मिलता है। इन्हें वरटा (वरे) कहा गया है । वरटा मधुरा स्निग्धा रक्तपित्तकफापहा।कषाया शीतला गुर्वी स्याद वृष्या निलापहा।। -भा. प्र.

कुसुम फूल के उपयोग : Uses of Safflower (Kusum Phool) in Hindi

  1. कंटकयुक्त कुसुम के बीजों का तेल विशेष उपयोगी होता है और कंटकरहित कुसुम्भ के पुष्पों का उपयोग उत्तम केसरिया कुसुम्भा रंग हेतु होता है।
  2. कटकयुक्त कुसुम की खेती विशेषत: बीजों के तेल हेतु रबी की फसल के साथ शरत्काल में प्रायः दक्षिण भारत में खूब की जाती है। उत्तर प्रदेश और पंजाब में भी यह बोया जाता है।
  3. इसके हरे भरे पौधों को काटकर यह कुट्टी भैंस-गाय आदि को खिलाई जाती है जिससे उनका दूध बढ़ता है।
  4. इसका तेल खाने के काम आता है। बाजारू तिल तेल, मूंगफली के तेल और घृत में इसकी मिलावट भी की जाती है।
  5. सुगन्धि हेतु विदेशों में इसका निर्यात होता है।
  6. इस तेल को साबुन बनाने तथा रंग रोगन करने में भी उपयोग में लाया जाता है।
  7. बीजों की खली (पिष्याक) अधिक टिकाऊ होती है यह कई दिनों तक खराब नहीं होती है। इसे जानवरों को खिलाने तथा ईख आदि की खेती में खाद के रूप में उपयोग में लाया जाता है।

कुसुम फूल के फायदे : Benefits of Safflower (Kusum Phool) in Hindi

मूत्रकृच्छ्र रोग में कुसुम से फायदा

मूत्रकृच्छ्र (रोग जिसमें पेशाव बहुत कष्ट से या रुक रुककर थोड़ा थोड़ा होता है) रोग उपचार के लिए कुसुम मूल, खीरा बीज और ककड़ी बीज को मिश्रित कर द्राक्षा रस के साथ देने से मूत्र खुलकर होता है।

( और पढ़े – पेशाब रुकने का इलाज )

पथरी मिटाए कुसुम का उपयोग

कुसुम के फलों को पानी में पीस छानकर मिश्री मिलाकर देना पथरी (अश्मरी) में लाभदायक है।

बवासीर में लाभकारी है कुसुम फूल का प्रयोग

बवासीर में कुसुम पुष्प चूर्ण को दही के साथ देना चाहिये। पांडु कामला (पीलिया) में पुष्पचूर्ण को पानी के साथ देना चाहिये।

वात रोग में कुसुम फूल का उपयोग फायदेमंद

कुसुम पुष्यों के स्वरस को तिल तेल में पकाकर तेल सिद्धकर उस तेल का मर्दन करने से शोथ (सूजन) युक्त वातशूल मिटता है। बीजों से प्राप्त तेल की मालिश भी लाभप्रद है।

( और पढ़े – गठिया रोग के कारण और इलाज )

कुसुम तेल के इस्तेमाल से घाव में लाभ

व्रणों पर कुसुम तेल लगाने से वे शीघ्र भरते हैं। पुष्प स्वरस से सिद्ध तेल भी दुष्ट व्रणों को भरने में श्रेष्ठ है। इस तेल से कण्डू (खुजली) भी दूर होती है।

लिवर की सूजन (यकृत शोथ) में फायदेमंद कुसुम का लेप

कुसुम के बीजों को सिरके के साथ पीसकर लेप करने से यकृत का शोथ कम होता है।

( और पढ़े – लीवर में सूजन का घरेलू उपचार )

कष्टार्तव (कष्ट से रजस्राव होना) में कुसुम के प्रयोग से लाभ

कुसुम्भ बीजों का कषाय गुड़ डालकर पिलाने से आर्तव (महावारी) का प्रवर्तन ठीक होता है।

सर्दी-जुकाम (प्रतिश्याय) में कुसुम फूल का उपयोग फायदेमंद

कुसुम फूल 10 ग्राम को 20 गुने पानी में औटा कर चतुर्थांश शेष रख पीने से सर्दी-जुकाम में लाभ होता है। यह क्वाथ आमवात में भी उपयोगी है।

बालों की समस्या मिटाए कुसुम का उपयोग

कुसुम के बीज और बबूल की छाल समभाग भस्म को चमेली के तेल में मिलाकर बालों की जड़ों में मलते रहने से बाल नरम होते हैं। और वे लम्बे होते है।

( और पढ़े – बालों को लंबा ,काला और घना करने के घरेलू उपाय )

उन्माद में कुसुम से फायदा

कुसुम बीजों को दूध में भिगोकर पीसकर छानकर उसमें शंख पुष्पी का शर्बत मिलाकर पिलाने से उन्माद के रोगी को लाभ मिलता है। यह दिल की घबराहट को भी मिटाता है।

मसूरिका (खसरा) में लाभकारी है कुसुम फूल का प्रयोग

कुसुम के पुष्पों को मेंहदी के पत्तों के साथ पीसकर रोगी के तलुवों और हथेलियों पर लगाने से चेचक का प्रकोप कम होता है। इसके पुष्पों का फाण्ट पिलाने से मसूरिका, रोमान्तिका आदि का विकार सरलता से शीघ्र ही दूर हो जाते है।

खाँसी (कास) ठीक करे कुसुम का प्रयोग

कुसुम बीज चूर्ण को मधु के साथ सेवन करने से कास, श्वास एवं स्वरभेद में लाभ होता है।

प्रमेह रोग में कुसुम से फायदा

प्रमेह रोग के उपचार में कुसुम का तेल उपयोगी है।

अग्निमांद्य (भूख न लगना) में कुसुम का उपयोग लाभदायक

कुसुम के नवीन पत्तों का शाक अग्निवर्धक एवं रुचिकारक है।

कुसुम फूल के दुष्प्रभाव : Safflower (Kusum Phool) ke Nuksan in Hindi

  • कुसुम लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।
  • कुसुम तेल के अतियोग या मिथ्या योग से विदाह (गर्मी) , रक्तपित्त आदि उपद्रव हो जाते हैं।

दोषों को दूर करने के लिए : इसके दोषों को दूर करने के लिए सौंफ, इलायची, मुलेठी आदि का सेवन हितकर है।।
पुष्पों का दर्पनाशक मधु है।

(उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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