मकोय के अनूठे फायदे ,औषधीय गुण और उपयोग | Makoy Benefits In Hindi

मकोय क्या है ? : makoy in hindi

मकोय एक उपयोगी वनस्पति है । मकोय के पौधे एक से लेकर तीन फुट तक ऊंचे होते हैं। इसकी डालियां मिरची की डालियों की तरह आड़ी टेढ़ी निकलती हैं । इसके पत्ते गोल, लम्बे और मिरची के पत्तों की तरह होते हैं। इसके फूल सफेद रङ्ग के और छोटे होते हैं। इसके फल छोटी गंदी के फलों के समान होते हैं। ये कच्ची हालत में हरे, पकने पर लाल और बाद में काले पड़ जाते हैं । मालवे में औषधि चरबोटी के नाम से मशहूर है।

विभिन्न भाषाओं में मकोय के नाम :

✦ संस्कृत – काकमाची, ध्वांचमाची, वायसी, मनाधना, बहुफला, बहुतिक्ता, कुष्ठनी इत्यादि ।
✦ हिन्दी – मकोय, कबैया, चरगोटी, गुरकमाई ।
✦ गुजराती – पीलूडी।
✦ मराठी – लघु कावड़ी, कामोनी ।
✦ बंगाल – काकमाची, मको, तुलीदन, गुडकामाई ।
✦ बम्बई – घाटी, कामुनी, मको।
✦ पंजाबी – कचमच, कम्बेई, मको, काँसफ ।
✦ उर्दू – मकोय ।
✦ तामील – मानातकाली ।
✦ तेलगू – गजचेट्ट , काकमाची, कमांची ।
✦ अरबी – अम्बूसालब ।
✦ फारसी – रोबाहतरीक ।
✦ इङ्गलिश – Common night Shade ( कामन नाइट शेड )।
✦ लेटिन – Solanum Nigrum ( सोलेनम माय ग्रम)।

आयुर्वेदिक मतानुसार मकोय के औषधीय गुण : makoy ke gun in hindi

☛ आयुर्वेदिक मत से मकोय त्रिदोष नाशक, स्निग्ध और गरम होती है ।
☛ यह स्वर को सुधारनेवाली, वीर्यजनक, कडवी, रसायन, चरपरी तथा नेत्रों के लिये हितकारी है ।
☛ मकोय सूजन, कोढ़, बवासीर, ज्वर, प्रमेह, हिचकी, वमन और हृदयरोग को हरनेवाली है।
☛ राजनिघण्टु के मतानुसार मकोय चरपरी, तिक्त, गरम, कफनाशक तथा शूल, बवासीर, सूजन, कोढ़ और खुजली को नष्ट करनेवाली होती है ।
☛ निघण्टु रत्नाकर के मतानुसार मकोय तिक्त, गरम, चरपरी, रसायन, कामोद्दीपक, पौष्टिक, भूख बढ़ानेवाली, रुचिवर्धक, हृदय और आंखों की तकलीफ को दूर करनेवाली, दस्तावर, हलकी तथा कफ, शूल बवासीर, सूजन, त्रिदोष, कोढ़, खुजली, कानों के कीड़े, अतिसार, हिचकी, वमन, श्वास, खांसी, ज्वर और हृदन रोग को दूर करती है।

यूनानी मतानुसार मकोय के गुण :

✸ यूनानी मत से मकोय की जड़ की छाल मृदु विरेचक, कान और आँख की बीमारी में उपयोगी, गले पर होनेवाले व्रण में लाभदायक है
✸ इसकी छाल कंठनाली की जलन को दूर करनेवाली तथा जीर्णज्वर और यकृत की सूजन में बहुत उपयोगी होती है ।

मकोय का रासायनिक विश्लेषण :

इस बनस्पति में विषेला द्रव्य बहुत कम मात्रा में रहता है और उसमें एक अम्ल द्रव्य मिला रहने से वह प्राणघातक नहीं हो सकता। दूसरे अङ्गों की अपेक्षा इसके फल में विष की मात्रा कुछ अधिक रहती है। इसके पञ्चांग को उबालने से उसके विष का असर बहुत कम हो जाता है और किसी प्रकार की हानि नहीं होती है।

मकोय के फायदे : makoy benefits in Hindi

1- मस्तकशूल में लाभदायक –
इसके पत्ते खराब गंध और खराब स्वाद वाले होते हैं । ये मस्तकशूल और नाक की बीमारी में लाभ पहुंचाते हैं।

2- सूजन दूर करने वाला –
इसका फल सूजन को दूर करनेवाला और ज्वर की प्यास को मिटानेवाला होता है ।
देशी चिकित्सा विज्ञान में सूजन को दूर करनेवाली जितनी वनस्पतियां प्रधान मानी जाती हैं उनमें मकोय भी एक है ।

3- मृदु विरेचक –
इसके बीज मृदु विरेचक, बहम को दूर करनेवाले और सुजाक प्यास में लाभदायक होते हैं ।

4- यकृत की क्रिया सुधारने वाला –
इसकी प्रधान क्रिया यकृत के ऊपर होती है। इसके सेवन से यकृत की सब क्रिया सुधार कर उसमें उचित रूप से रस की उत्पत्ति होने लगती है और विषैले उपरसों की उत्पत्ति बंद हो जाती है। यकृत की क्रिया बिगड़ने से जो सूजन, बवासीर, उदररोग, अतिसार या कई प्रकार के चर्मरोग हो जाते हैं। वे सब इस औषधि के सेवन से धीरे २ मिट जाते हैं । इसके पत्तों के रस से दस्त साफ होकर आंतों के अन्दर पैदा होनेवाला विष नष्ट हो जाता है और जो थोड़ा बहुत विष यकृत में पहुँचता है वह पेशाब के जरिये बाहर निकल जाता है।

5- पित्त में लाभदायक –
पित्त प्रकोप में इसके , पत्तों की शाक बहुत उपयोगी होती है।

6- दाद खुजली को मिटाने वाला –
सूखी खुजली, दाद, खसरा तथा प्राचीन चर्मरोगों में इसके कोमल पत्तों तथा डंठलों की तरकारी बहुत लाभदायक होती है । इसके पत्तों का लेप भी ऐसे रोगों में किया जाता है ।

7- सूजन में मकोय के अदभुत फायदे –
सूजन में इसके फलों का लेप और उनका सेवन लाभदायक होता है । सुजाक, बस्तिशोथ, मूत्रपिंड की सूजन और हृदय की सूजन में वेदना को दुर करने के लिये इसके पत्तों का रस पिलाया जाता है।

8- रक्तस्राव में उपयोगी –
मुंह, बवासीर अथवा किसी भी अंग से होनेवाले रक्तस्राव को रोकने के लिये इसका स्वरस उपयोगी होता है।

9- अनेक रोगों मे उपयोगी मकोय का फल –
जलोदर, हृदयरोग और नेत्ररोगों में इसके फल दिये जाते हैं ।

10- बैक्टीरिया नाशक –
इस औषधि में वेक्टेरिया नामक जन्तुओं को नष्ट करने की शक्ति भी रहती है जिससे इसके फल और फूलों का निर्यास क्षय रोगियों को देने के काम में आता है।

11- जहरीले चूहे के विष को नष्ट करने वाला –
इन सब बातों के अतिरिक्त इस वनस्पति में जहरीले चूहे के विष को नष्ट करने की भी अद्भुत शक्ति रहती है । जहरीले चूहे के काटने से सारे शरीर का रक्त विषमय होकर जो यन्त्रणा पैदा होती है उसमें इसके रस को सारे शरीर पर मालिश करने से और 120 ग्राम पानी में 120 ग्राम शक्कर और 24 ग्राम मकोय का रस मिलाकर प्रतिदिन सबेरे शाम पिलाने से आठ दस दिन में ही चूहे के विष का सब असर नष्ट हो जाता है ।

12- जलोदर में लाभदायक –
डाक्टर मुडीन शरीफ का कथन है कि हमने इस वनस्पति के पत्तों का काढ़ा और इससे तैयार किया हुआ एक्स्ट्रक्ट दिन में तीन बार जलोदर की सूजन को दूर करने के लिए दिया और उसमें अच्छी सफलता प्राप्त हई । यह वनस्पति अपने मूत्रल और मृदु विरेचक गुणों की वजह से उक्त प्रभाव पैदा करती है।

13- पागल कुत्ते के विष को दूर करने वाला –
बंगाल में इसके फल जर, प्रवाहिका, नेत्र रोग और पागल कुत्ते के विष को दूर करने के उपयोग में लिए जाते हैं।

14- यकृत वृद्धि में मकोय के फायदे –
बम्बई में इसका रस ६ से लेकर ८ औंस तक की मात्रा में यकृत वृद्धि के प्राचीन रोग को दूर करने के लिए दिया जाता है । और यह एक उत्तम धातु परिवर्तक वस्तु मानी जाती है । इसके अन्दर जलनिःसारक, विरेचक और मूत्रल गुण भी रहते हैं।

15- कफ में मकोय के लाभ –
इसका शरबत कफनिस्सारक और पसीना लाने वाला होता है। ज्वर में इसका उपयोग एक शान्तिदायक पेय की तरह किया जाता है।

16- खूनी अतिसार में मकोय के फायदे –
उत्तर पश्चिमी प्रान्तों में इस वनस्पति का रस खूनी बवासीर, खूनी अतिसार और किसी भी अंग से होने वाले रक्तस्राव को रोकने के लिये किया जाता है।

17- पुराने चर्म रोग दूर करने वाला –
कोकण में इसकी कोमल डालियां और पत्ते पुराने चर्म रोग और खुजली इत्यादि में बहुत सफलता के साथ उपयोग में लिए जाते हैं।

18- मूत्राशय की सूजन दूर करने मे उपयोगी –
चायना में इसके पत्तों का रस गुर्दे और मूत्राशय की सूजन और यन्त्रणा को दूर करने के लिए दिया जाता है और तीब्र सुजाक में भी इसका उपयोग किया जाता है।

19- बेहोशी और ऐंठन दूर करने वाला –
दक्षिण अफ्रीका के यूरोपियन लोग इस पौधे का उपयोग आक्षेप रोग ( Convulsions / बेहोशी और ऐंठन) को दूर करने के लिये करते हैं ।

20- दाद में मकोय के लाभ –
यह वनस्पति वहां पर फोड़े फुन्सियों पर लेप करने के लिये एक घरेलू औषधि की तरह काम में ली जाती है । दाद के ऊपर इसके हरे फलों का लेप बनाकर लगाया जाता है ।

21- चमकी बुखार में लाभदायक –
रोडेसिया में यह वनस्पति मलेरिया, अतिसार और गरम देशों में होने वाले भयंकर पतिक ज्वर ( Black water fever / चमकी बुखार) में एक घरेलू औषधि की तरह उपयोग में ली जाती है।

22- सर्प विष नाशक –
चरक और सुश्रुत के मतानुसार यह वनस्पति दूसरी औषधियों के साथ सर्प विष को दूर करने के काम में ली जाती है ।

23- हृदय रोग लाभदायक –
कर्नल चोपरा के मतानुसार इसके काले फल एक मूत्रल और पसीना लाने वाले द्रव्य की तरह हृदय रोग में जब कि टांगों और पंजों पर सूजन आ गई हो तब दिये जाते हैं । इसके पौधे के पञ्चांग से तैयार किया हुआ ताजा एक्स्ट्रक्ट भी एक से दो डाम तक की मात्रा में दिया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह यकृत की वृद्धि को दूर करने में बहुत उपयोगी है।

मकोय रस के फायदे : makoy juice benefits in hindi

मकोय के रस को देने की विधि इस प्रकार है –
इस वनस्पति का स्वरस निकाल कर उसको मिट्टी के बर्तन में भरकर हलकी आंच पर गरम करना चाहिये । जब उसका हरा रङ्ग बदलकर कुछ ललाई लिए हुए बादामीपन पर आ जाय तब उसको उतारकर छान कर १५ से २० तोले तक की मात्रा में पीने से वह विरेचक और मूत्रल असर पैदा कर लीवर अथवा यकृत के पुराने से पुराने रोग को दूर करता है ।

✸ मकोय का रस सेवन करने से तिल्ली की वृद्धि को मिटाकर सारे शरीर में चढ़ी हुई सूजन को उतार देता है।

✸ हृदयरोग के अन्दर भी यह बहुत लाभ पहुंचाता है। इसी प्रकार तैयार किये हुए रस को कुछ कम मात्रा में अर्थात् 20 से 30 ग्राम तक की मात्रा में देने से यह अपना रक्तशोधक असर बतलाता है और शरीर में फैली हुई खुजली की व्याधि को तथा उपदंश की वजह से पैदा हुए रक्त दोषों को दूर करता है ।

✸ यह औषधि अपने मूत्रल गुण की वजह से पेशाब में इकट्ठे होने वाले क्षारों को गलाकर रक्त को शुद्ध और पुष्ट करती है, जिससे मनुष्य की देह मुक्त होकर दीर्घायु को प्राप्त करती है ।
इसीसे इस वनस्पति की गणना आयुर्वेद में रसायन औषधियों में की गयी है ।

✸ अगर इसका विधिपूर्वक सेवन किया जाय तो संधिवात, गठिया, जलोदर, प्रमेह, कफ, सूजन, बवासीर, कुष्ठ, लीवर तथा तिल्ली के रोगों में बहुत उपयोगी साबित होती है। इस औषधि में सूजन नागक, जलरेचक और वेदनाशामक धर्म रहने की वजह से अंडकोष की वृद्धि में इसके रस का लेप किया जाता है । स्वेदल गुण की वजह से यह ज्वर में भी दी जाती है ।

रोग उपचार में मकोय के उपयोग :

1- ज्वर –
मकोय का क्वाथ बनाकर पिलाने से ज्वर छूटता है।

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2- मंदाग्नि –
मकोय के क्वाथ में पीपल का चूर्ण मिला कर पिलाने से मन्दाग्नि मिटती है ।

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3- पागल कुत्ते का विष –
पागल कुत्ते के विष में मकोय का क्वाथ पिलाने से और उसी क्वाथ से उस घाव को धोने से घाव भर जाता है और विष उतर जाता है।

4- यकृत की वृद्धि –
इसके पौधे का 200 से लेकर 250 ग्राम तक रस आग पर गरम करके जब उसका रंग हरे से गुलाबी हो जाय तब उसको पिलाने से बहुत दिनों की पुरानी यकृत वृद्धि मिट जाती है ।

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5- लाल चट्टे –
इसको थोड़ी मात्रा में देने से शरीर पर पड़े हुए बहुत दिनों के लाल चट्टे मिट जाते हैं।

6- जलोदर और हृदय रोग –
इसके पत्ते, फल और डालियों का सत्व निकाल कर उस सत्व को दो से आठ माशे तक की मात्रा में दिन में एक या दो बार देने से जलोदर और सब प्रकार के हृदय रोग मिटते हैं ।

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7- मुंह के छाले –
मकोय के पत्तों को चबाने से जीभ और मुह के छाले मिटते हैं।

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8- दाँतों की तकलीफ –
मकोय के पत्तों के रस में घी या तेल मिलाकर दांत की जगह पर मलने से दांत बिना किसी कष्ट के बाहर निकल आते हैं ।

9- मूत्रकृच्छ्र –
मकोय के रस में मिश्री मिलाकर पिने से मूत्रकृच्छ्र मे लाभ होता है।

10- कामला –
मकोय के क्वाथ में हल्दी का चूर्ण डालकर पिलाने से कामला रोग मिटता है ।

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11-वमन –
मकोय के रस में सुहागा मिलाकर पिलाने से वमन बंद होता है ।

12- चेचक –
मकोय का क्वाथ पिलाने से दबी हई चेचक बाहर निकल आती हैं।

13-अनिद्रा –
मकोय की जड़ के क्वाथ में थोड़ा गुड़ मिला कर पिलाने से नींद आती है।

मकोय के नुकसान : makoy herb side effects in hindi

✸ यह औषधि गर्भवती स्त्रियों को नहीं देना चाहिये ।

(दवा व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें )