Last Updated on October 21, 2020 by admin
नकसीर को आयुर्वेदिक चिकित्सा में नासा रक्तस्राव कहते हैं। ग्रीष्म काल में शरीर में अधिक ऊष्मा संचय के कारण रक्तवाहिनियों में रक्तका तीव्र संचार होने लगता है। दबाव असहनीय होनेपर यही रक्त नाक के माध्यम से बाहर निकल आता है। यही क्रिया नकसीर अथवा नासा रक्तस्राव कहलाती है।
नाक से खून क्यों आता है ? (Causes Of Nose Bleeding in Hindi)
सामान्यतः नकसीर के शिकार गर्म प्रकृति के लोग होते हैं। जो धूप अथवा गर्म प्रकृति के खाद्य-पदार्थो के उपयोग के कारण नकसीर का शिकार बनते हैं।
नकसीर का एक ही लक्षण होता है नाक से रक्त बहना। केवल ग्रीष्म ऋतु में ही यह होता है, ऐसा कदापि नहीं है, कभी कभी शीत ऋतु या अन्य रोगों के कारण भी यह तकलीफ होती है। नाक को दो भागों में विभाजित करनेवाली एक रचना सेप्टम होती है नकसीर में आनेवाला रक्त इसी सेप्टम के अग्रभाग में स्थित लिटील एरिया से आता है, यहां रक्त वाहिनिया प्रचुर मात्रा में होती है।
नाक से रक्तस्राव होने के दो कारण है :
1) स्थानिक 2) सार्वदैहिक
1) स्थानिक –
- नाक के स्थानिक कारणों में नाक पर चोट लगना ,
- नाक के साइनस का इंफेक्शन,
- नाक के भीतर फोड़े फुन्सी होना,
- वायरल इंफेक्शन,
- पुराना नासा रोग,
- पुराना जुकाम,
- क्षय रोग,
- नाक के मस्से,
- एडिनॉइड्स,
- नाक का कैंसर,
- टयुमर इत्यादि,
- नाक की हड्डी में एक्सीडेन्ट आघात लगकर रक्तस्राव हो सकता है।
- कभी कभी सिर की चोट में भी नकसीर हो सकती है ।
- छोटे बच्चे अक्सर नाक में उंगली, पेन्सिल, कोई नुकीली वस्तु डालने से नाक की श्लेष्मकला में आघात होकर नकसीर की शिकायत होती है।
2) सार्वदैहिक –
इसमें मुख्य कारण है –
- उच्च रक्तचाप, जिसके कारण नाक की धमनियों की छोटी छोटी शाखाएं फटने से रक्त गिरने लगता है।
- मादक द्रव्य शराब इत्यादि का अधिक सेवन,
- शरीर की शक्ति की अपेक्षा अधिक कार्य,
- उष्ण भोज्य पदार्थ व उष्ण औषधि का अत्याधिक सेवन,
- मानसिक तनाव,
- क्रोध,
- अधिक तेज बोलना इत्यादि से यह संभावित है।
- तेज उष्णता,
- गर्मी के अलावा तेज बुखार में भी यह होता है।
- वातश्लैष्मिक ज्वर व विषमज्वर (मलेरिया) के कारण भी नासा से रक्तस्राव होता है।
- रक्तजनित विकार जैसे हिमोफिलीया,
- रक्त कैंसर ,
- परप्यूरा,
- स्कर्वी,
- रक्त कोशिकाओं के ऐसे रोग जिनमें रक्त जमने की क्रिया देर से होती है या होती ही नहीं इसके कारण नाक से खून आता है।
- विटामिन ‘सी’ व ‘के’ की कमी
- कुछ औषधि जैसे हिपॅरीन, एस्प्रिन भी नकसीर की जिम्मेदार है।
कई व्यक्तियों में अज्ञात कारणों से भी अचानक नाक से रक्त गिरने की शिकायत होती है जिसे आधुनिक भाषा में स्पांटेनियस एपिस्टेक्सिस (spontaneous epistaxis) कहते हैं। इसके लिए भी कुछ प्रक्रियाएं सहायक है जैसे जोर से नाक छिनकना, छीकें आना, खांसी का तीव्र वेग, अधिक बोझा उठाना, मानसिक तनाव इत्यादि के कारण नाक की रक्त कोशिकाएं फटकर रक्तस्राव होता है। नकसीर की बीमारी वंशानुकम के कारण भी हो सकती है।
नकसीर के क्या लक्षण होते हैं ? (Nose Bleeding Symptoms in Hindi)
नकसीर की बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। इसका लक्षण एकमात्र नाक से रक्तस्राव होना ही है । आयुर्वेद में इसे उर्ध्वग रक्तपित्त व आधुनिक मतानुसार इसे एपिस्टेक्सिस (Epistaxis) कहते हैं। कई बार नकसीर होने के पहले रोगी को कुछ लक्षण महसूस होते हैं जैसे
- नाक में सुरसुर या खुजली होना,
- सिर में दर्द,
- चक्कर या कान में आवाजें आती है।
- आमतौर पर रक्तस्राव अत्यंत कम होता है या कभी कभी नाक में खून जमा हुआ दिखाई देता है परंतु कभी-कभी खून की मात्रा अधिक भी होती है। जब अत्याधिक रक्तस्राव हुआ तो रक्त का कुछ भाग पेट में जाकर वहां सूजन उत्पन्न करता है व रोगी को रक्तमिश्रित उल्टी हो सकती है अतः यह खतरनाक बीमारी तो नहीं लेकिन रक्तस्राव पर नियंत्रण नहीं हुआ तो रोगी के स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है।
इससे स्पष्ट है कि नकसीर की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
नाक से खून निकलने का घरेलू इलाज (Natural Home Remedies for Nose Bleeds in hindi)
नकसीर का उपचार कैसे किया जाता हैं ?
नकसीर होने पर बिना लापरवाही बरते तुरंत उपचार प्रारंभ करना चाहिए। यदि अचानक नाक से खून बहने लगे तो घबराएं नहीं, रोगी को धैर्य बंधाकर उसे शांत व शीतल स्थान में लेकर जाएं व निम्न उपाय प्रारंभ करें।
नाक को हडड़ी के पास अंगष्ठ व तर्जनी से जोर से 5 मिनट तक दबाएं व रोगी से मुँह से श्वास लेने के लिए कहें गले में रक्त जा रहा हो तो थूकने के लिए कहें इससे खून जाना बंद ना हो तो नाक को रूई से बंद कर दे। रुग्ण को आराम से लिटाकर निम्नलिखित में से कुछ घरेलू उपाय करें –
1). गूलर (Ficus glomerata) – गूलर का उपयोग करने से नासास्राव अथवा देह के अन्य भागसे गिरनेवाला रक्त गिरना बंद हो जाता है।
2). फालसा (Grewie asiatica) – फालसा के रस में मिश्री या शक्कर मिलाकर पीने से रक्त की ऊष्मा और पित्त का नाश होता है तथा नकसीर आनी बंद हो जाती है।
3). आम (Mongo) – आम की गुठली की गिरी को घिसकर बनाये रस को नासिका में डालनेपर नकसीर बंद हो जाती है।
4). मिट्टी – मिट्टी के ढेले पर पानी डालकर सुंघाने से लाभ होता है।
5). गन्ना (Sugarcane) – गन्ने के रस को नाक में डालने पर तेज धूप, अधिक मिर्च-सेवन करने आदि के कारण आनेवाला रक्त रुक जाता है।
6). अनार (Punica granatum) – अनार दाने के रस दस तोले में दो-तीन तोले मिश्री मिलाकर पीने से ग्रीष्मकाल में नाक से आनेवाले रक्त को रोका जा सकता है।
7). आँवला (Phyllantus emsbica) – आँवले का रस पिलाने अथवा आँवला चूर्ण और घी में सिके आँवले को मही (मट्ठा)-के साथ लेनेसे रक्तस्राव रुक जाता है।
8). काली मिर्च (Piper nigrum) – काली मिर्च को दही और पुराने गुड के साथ खाने से नकसीर बंद हो जाती है।
9). केला – केला आँवले का चूर्ण तथा शक्कर को मिलाकर खाने से नाकसे गिरने वाला रक्त रुक जाता है।
10). फिटकिरी – मुँह, नाक, कफ तथा पेशाब से आनेवाले रक्तको पाँच-सात रत्ती फिटकिरी (Alum) शहद या मिश्री के साथ लेने पर गिरनेवाला रक्त रुक जाता है।
नाक से खून निकलने पर अन्य उपचार :
- सिर पर शीतल जल सिंचन करें या सिर पर बर्फ रगड़ें।
- सिर को मुंडवाकर ताजे गाय के घी से प्रति सप्ताह मालिश करें।
- अनार के पुष्प का रस, प्याज का रस 5 से 6 बुंद नाक में डालें।
- उदुंबर का पका फल लेकर उसमें शक्कर डालें व रोज एक या दो फल खाये।
- सुखा आंवला 25 ग्राम पानी में भिगाकर रखे, सुबह छानकर पानी पिएं व आंवले को पीसकर तालु तथा माथे पर लेप करें या 10 ग्राम मुलतानी मिट्टी कुटकर 1 प्याला पानी में भिगाएं सुबह उपर का पानी पीने के लिए दे व नीचे बैठी मिट्टी माथे पर लेप करें।
- थोड़े से सुहागे को थोड़े पानी में घोलकर दोनो नथुनों पर लेप करें।
- फिटकरी व हल्दी प्रत्येक 10-10 ग्राम को पीसकर मिलाकर रखें, 2 ग्राम चूर्ण पानी के साथ दिन में 3 बार लेने से नकसीर अवश्य बंद हो जाती है।
- मनुक्का पानी में 20 ग्राम रात को भिगाएं सुबह बीज निकालकर खाएं और उस पानी में थोड़ी शक्कर मिलाकर पिएं, 15 दिन लेने से नकसीर बिलकुल बंद हो जाती है।
- ज्येष्ठ मध चूर्ण 1 चम्मच व मधु 1 चम्मच चांवल के धोवन के साथ सेवन करे।
- ताजी दुर्वा घास का रस 10-12 बूंद नाक में डालें। इसके अलावा कारणानुसार नकसीर की चिकित्सा करें।
- नागकेशर 1 चम्मच को मिश्री में मिलाकर ठंडे पानी से पिएं।
नाक से खून निकलने की आयुर्वेदिक दवा (Ayurvedic Medicine for Nose Bleeding in Hindi)
- सामान्यतः नकसीर पीड़ित रुग्णों को चंद्रकला रस 5 ग्राम, कामदुधा रस 5 ग्राम, अकीक पिष्टी 5 ग्राम, बोलबद्धरस 5 ग्राम, कहरवा रस पिष्टी 5 ग्राम की 60 पुड़ियां बनाकर 1 पुड़ी सुबह-शाम उशीरासव 2 चम्मच के साथ 3 से 4 माह तक लेना चाहिए।
- नकसीर का कारण सर्दी होने पर नारदीय लक्ष्मी विलास रस व नागगुटी 1-1 वटी सुबह शाम वासावलेह के साथ लेना चाहिए तथा नाक में षडबिंदु तेल दो-दो बूंद डालना चाहिए।
अधिक तकलीफ होने पर चिकित्सक परामर्शानुसार चिकित्सा कराएं।
नाक से खून निकलने से बचाव के उपाय :
नकसीर की रोकथाम कैसे करें ?
कुछ आवश्यक बातों पर ध्यान रखना चाहिए, जैसे-
- नकसीर से बचने के लिये जितना सम्भव हो सके तेज धूप और गर्म हवा की चपेट से बचना चाहिये।
- गर्मी के मौसम में अधिक चाय, काफी, शराब, सिगरेट अथवा तैलीय खाद्य पदार्थों, गुड़, रात्रि-जागरण और शुष्क भोजन का त्याग करना चाहिये।
- ग्रीष्म ऋतु में ब्रह्मचर्य ठण्डई, फालसा, मौसमी, संतरा, अंगूर, शर्बत, इमली तथा केरी (कच्चा आम)पना, दलिया, खिचड़ी, दही की लस्सी आदि का उपयोग करना चाहिये।
- इसके अलावा इस मौसम में लौकी, ककड़ी, तोरई, पालक, पोदीना, नीबू आदि का उपयोग अधिक करना चाहिये।
- रोगी को कब्ज से बचना चाहिए।
- चाय, कॉफी धूम्रपान, व्यायाम, नकसीर के रोगी के लिए पूर्णतः वर्जित हैं।
- जब नकसीर आ रही हो तब बर्फ या आइस्क्रीम चूसना लाभकारी होता है।
- नकसीर के रोगियों को विटामिन ‘सी’ युक्त पदार्थों का अधिक सेवन करना चाहिए।
नकसीर मे सावधानी (Precautions to be Taken During Nose Bleeds in Hindi)
नासिका से रक्तस्राव होता है तो उसे शीघ्र रोका नहीं जाना चाहिये अन्यथा यह निकलनेवाला रक्तं तन्त्रिका-तन्त्र के अन्य भागों पर अपना प्रभाव डालेगा, जिससे अधिक स्वास्थ्य-हानि होनेकी सम्भावना रहती है।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)