Last Updated on July 16, 2021 by admin
पेट के छाले बहुत ही तकलीफ देनेवाली खतरनाक बीमारी है। जो गलत खान-पान की आदतों के कारण या अति अम्लता (Hyperacidity) के कारण होती है। ऐसा कहा जाता है कि हर काम में जल्दबाजी, अधिक चिन्ता एवं मिर्च-मसाले, चाट, तला भोजन (Hurry, worry and curry) पेट में अति अम्लता और फिर छाले (Ulcer) के लिए उत्तरदायी होते हैं।
वैसे नई खोजों के अनुसार विषाणु अथवा जीवाणु भी इसके कारक होते हैं। (कारणों का वर्णन आगे विस्तार से किया जाएगा।) खोजों से विदित हुआ है कि एच. पायलोरी (Helicobacte pylori) नामक जीवाणु के प्रभाव से भी आमाशय की दीवारों (Mucosa) में घाव अथवा अल्सर उत्पन्न होता है। और यह जीवाणु अल्सर का सबसे बड़ा कारण माना गया है।
पेट के छाले क्या हैं ? (What is Peptic Ulcer in Hindi)
आमाशय और संग्रहणी (Duodenum) एवं आँतों की अन्दरूनी हिस्सों में एक पतली सतह होती है जिससे पाचक द्रव भी स्रावित होते हैं। यह सतह (Mucosa) अति अम्लता वं अन्य हानिकारक पदार्थों से इन अंगों की रक्षा भी करती है। लेकिन जैसा कि बतलाया गया है लम्बे समय तक अति अम्लता, बदपरहेजी करने एवं जीवाणुओं के कुप्रभाव से यह सतह छिल जाती है और उस स्थान पर घाव भी बन जाते हैं, इन्हें छाले कहते हैं। जब अम्लीय पाचक रस या तीखे खाद्य पदार्थ इनके सम्पर्क में आते हैं तब दर्द पैदा होता है।
पेट के छालों के प्रकार (Types of Peptic Ulcer in Hindi)
वैसे तो पूरे पाचन संस्थान में कहीं भी छाले बन सकते हैं। उदाहरणार्थ – मुँह के अन्दर की श्लेष्मा में भी अक्सर छाले हो जाते हैं लेकिन इलाज से या अपने आप ठीक भी हो जाते हैं अत: यह खतरनाक नहीं होते। लेकिन पेट के अंदरूनी छालों का यदि पर्याप्त इलाज न किया जाए तो ये जीवन के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। ये छाले (Peptic) दो प्रकार के होते हैं –
- आमाशय के छाले (Gastic Ulcer)
- संग्रहणी के छाले (Dudenal Ulcer)
1).आमाशय के छाले (Gastic Ulcer in Hindi)
यह छाले आमाशय में होते हैं। भोजन अन्न नलिका से होता हुआ आमाशय में रह जाता है। आमाशय में अम्लता का सम्बन्ध छालों से होता है पहले यह माना जाता था लेकिन अब आमाशय में छालों की वजह मुख्य रूप से एच. पायलोरी नामक जीवाणु ही होता है। इसके अलावा खान-पान की गलत आदतों जैसे – अधिक तला हुआ, मिर्च-मसालेदार या खट्टा भोजन, अधिक व्रत, उपवास या खाली पेट रहना भी इसके कारण हो सकते हैं। आमाशय के कैंसर के रोगी को भी ये छाले हो सकते हैं। बढ़ती उम्र के अनुसार छालों की सम्भावना भी बढ़ जाती है। एस्प्रिन जैसी कुछ दर्दनाशक दवाएँ लम्बे समय तक खाने से भी अल्सर हो सकते हैं।
आमाशय में हुए छाले के लक्षण (Gastic Ulcer Symptoms in Hindi)
पेट में ऊपर के हिस्से में तेज जलन और दर्द होता है। कई बार खाना से इसका सम्बन्ध नहीं होता अथवा खाना खाने के बाद दर्द और बढ़ जाता है। रोगी को भूख कम लगती है। इसलिए रोगी का क्रमश: वजन भी कम हो जाता है।
आमाशय में हुए छाले से जटिलताएँ (Gastic Ulcer Risks & Complications in Hindi)
- छालों से रक्तस्राव हो सकता है।
- इसके अलावा आमाशय की दीवारों में छेद हो सकता है। यह एक खतरनाक स्थिति होती है। यदि तुरंत ऑपरेशन न किया जाए तो रोगी की जान भी जा सकती है।
- इसके अलावा पैंक्रियाज (पक्वाशय) में सूजन की बीमारी भी उत्पन्न हो सकती है।
रोग की पहचान :
इंडोस्कोपिक जाँच में पेट के छाले दिख जाते हैं। इसके अलावा बेरियम दवा पिलाकर अलग-अलग समय के अन्तर से रेडियोग्राफ्स (X-Rays) करने से भी रोग का पता चल जाता है।
2). संग्रहणी के छाले (Dudenal Ulcer in Hindi
ये अल्सर या छाले आमाशय से नीचे की ओर संग्रहणी (Dudenrum) में हो जाते हैं। इनके होने के कारण भी लगभग वही हैं जो आमाशय (Gastic Ulcer) में छालों के होते हैं। अम्लीय स्राव का बढ़ा होना और एच. पायलोरी नामक जीवाणु इस अल्सर के जनक तो हैं ही साथ ही कुछ बीमारियों जैसे – गुर्दो की पुरानी अक्षमता में, यकृत के सीरोसिस में, फेफड़ों की लम्बी बीमारी में इस तरह के अल्सर हो सकते हैं।
रोग की पहचान :
जिस तरह से आमाशय के छालों की पहचान करते हैं उसी तरह से संग्रहणी की छालों की पहचान की जाती है। जैसे – इंडोस्कोपी, बेरियम मेल एक्स-रे इत्यादि । पेट के स्राव से एच. पायलोरी जीवाणु की भी जाँच की जाती है।
( और पढ़े – पेट की बीमारी : कारण, सावधानियाँ और बचाव के उपाय )
दोनों प्रकार के पेट के छालों का इलाज (Peptic Ulcer Treatment in Hindi)
चिकित्सकों द्वारा इलाज का उद्देश्य –
- दर्द कम करना
- जटिलताओं को रोकना
- इलाज से ठीक हुए छालों को दुबारा होने से रोकना
पहले तो धूम्रपान, शराब का सेवन, दर्दनाशक दवाएँ एवं तीखे गर्म पेय पदार्थों का सेवन रोगी के लिए बन्द करवाना चाहिए।
पेट में अम्लता और उसका स्राव कम करने के लिए एंटासिड और अम्लता (Acidity) कम करनेवाली दवाएँ जैसे-सुक्रेल्फेज और ओमेप्राजोल नियमित रूप से देते हैं। इस इलाज से लगभग 6 सप्ताह में 60 प्रतिशत आमाशय के छाले भर जाते हैं। और 90 प्रतिशत संग्रहणी के छाले भर जाते हैं।
शल्य चिकित्सा द्वारा पेट के छाले का इलाज :
जब छालों से खून बहता है या छेद हो जाता है तो शल्य चिकित्सा ही विकल्प होता है। वैसे आजकल छालों का इलाज परहेज से एवं दवाइयों से अधिक करते हैं।
शल्य चिकित्सा की जटिलता (Complication of Surgery in Hindi)
- सर्जरी के बाद आँतों में रुकावट (Obstruction) हो सकती है।
- आमाशय की दीवारों में सूजन (Gastritis) आ सकती है।
- दस्त लगने की शिकायत भी हो सकती है।
- रक्त की कमी हो सकती है।
- खाने के पाचन और अवशोषण में कमी हो सकती है।
- आमाशय का कैंसर हो सकता है।
पेट के छालों से बचाव (Prevention of Peptic Ulcer in Hindi)
छालों के कारणों का वर्णन ऊपर किया गया है। यदि उक्त कारणों से बचा जाए तो अल्सर या छालों की सम्भावना अत्यन्त कम हो जाती है। जैसे कि –
- मदिरा का सेवन और धूम्रपान छोड़ना।
- एस्प्रिन जैसे दर्द निवारक, चिकित्सक की सलाह से लेना।
- अधित तीखे और गर्म पेय पदार्थों पर नियंत्रण रखें।
- लम्बे वक्त तक खाली पेट न रहें या अधिक उपवास न करें।
- कुल मिलाकर जल्दबाजी (Hurry), चिन्ता और तले मिर्च-मसालेदार भोजन से बचें।