Last Updated on December 10, 2020 by admin
सोरायसिस रोग एक जटिल त्वचा विकार है, जिसका सही कारण अब तक डॉक्टरों को समझ में नहीं आया है। इसका सही इलाज भी सामने नहीं आया है, अपितु फिर भी आहार और वैकल्पिक थेरपी द्वारा इस पर नियंत्रण पा सकते हैं।
शोधकर्ता किस संतुलित आहार द्वारा इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है, इस विषय पर गहराई से संशोधन कर रहे हैं। दवाइयों के साथ सही आहार इस रोग से मुक्त होने में सहायक हो सकता है।
एक ऐसा आहार, जो शरीर में जमा सभी विषैले पदार्थों को मूत्र द्वारा साफ कर पाए ना कि त्वचा द्वारा। इसके साथ यह बात भी सामने आई है कि वजन नियंत्रण में रखने से भी इस बीमारी में राहत आ सकती है। डॉक्टरों द्वारा सूचित दवाइयों के साथ सही आहार लेने से सोरायसिस उपचार में सहायता प्राप्त हो सकती है। एक ऐसा आहार जो शरीर को डीटॉक्सिफाय कर सके।
( और पढ़े – सोरायसिस क्या है ? इसके लक्षण, कारण, दवा और उपचार )
सोरायसिस में लेने योग्य आहार (Psoriasis me Kya Khana Chahiye in Hindi)
1). आहार में ग्लूटेन (gluten) नामक तत्त्व (गेहूँ वगैरह में ग्लुटेन होता है) कम करें। भोजन में विटामिन ‘डी’ युक्त पदार्थों का सेवन करें, फलों का सेवन बढ़ाएँ।
2). आहार में नित्य दो से तीन अंजीर लें।
3). सूर्यप्रकाश में जाने से पहले इसका असर कम करने हेतु सॅलिरी, गाजर, रसभरे फल, अंजीर, सौंफ खाएँ। इनसे सूर्यप्रकाश के UV किरणों से बच सकते हैं।
4). ओमेगा-3 का सेवन बढ़ाएँ और ओमेगा 6 कम करें। सफेद सरसों का तेल (canola oil), अलसी का तेल (flaxseed oil), अखरोट, हरी पत्तेदार सब्जियाँ इ. में ओमेगा-3 होता है और दालें, वेजिटेबल ऑइल, होल ग्रेन ब्रेड, मार्जरिन, अंडे आदि में ओमेगा-6 होता है। इन पदार्थों का सेवन कम करें।
5). विटामिन ‘ए’ युक्त पदार्थ और झिंकयुक्त पदार्थ सेवन करें।
6). विटामिन ‘सी’ से भरे पदार्थ जैसे- आँवला, नींबू लें।
7). आहार में हरे धनिया का इस्तेमाल बढ़ाएँ।
8). दूध में 2-3 केसर डालकर पीएँ।
9). प्रतिदिन 3-4 तुलसी के पत्ते खाएँ।
( और पढ़े – सोरायसिस के 6 सबसे प्रभावशाली घरेलू उपचार )
आयुर्वेद में सोरायसिस रोग का उपचार :
- मॉडर्न मेडिसिन में लाक्षणिक चिकित्सा की जाती है। इसमें सामान्य मॉइश्चराइजर या ग्लिसरीन, वेसलिन जैसे शांत करनेवाले तत्त्वों का उपयोग किया जाता है।
- फोटोथेरपी : इसमें UV rays का उपयोग किया जाता है। यह केवल स्थानीय उपचार है, जिससे थोड़े समय के लिए राहत मिलती है।
आयुर्वेद शास्त्र में सोरायसिस के उपचार हेतु पंचकर्म किया जाता है, जिससे पूरे शरीर की शुद्धि होती है। उसके बाद औषधि अच्छा असर करती है। नए सोरायसिस में इसका बहुत ही अच्छा लाभ मिलता है। दवाई के साथ आहार-विहार और परहेज में विशेष ध्यान रखना पड़ता है। खट्टी, तली हुई चीजें, इडली, डोसा, ढोकला, आचार, दही, बेसन की चीजें बिलकुल नहीं लेनी हैं।
मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए योग का अच्छा उपयोग होता है । सोरायसिस का तुरंत निदान होते ही आयुर्वेद उपचार करने से वह ठीक हो सकता है।