Last Updated on July 22, 2019 by admin
पुत्रजीवक (जिया पोता) क्या है ? : Putrajeevak in Hindi
पुत्रजीवक आयुर्वेद की प्रभावी जड़ी बूटी है। ‘पुत्र जीवक’ का वृक्ष पहाड़ी स्थानों पर मिलता है। इसके पेड़ की लम्बाई दस से पंद्रह फीट तक होती है। इसके पत्ते सदा ही रहने वाले, भालाकार तथा चमकीले होते हैं। मार्च व अप्रैल में इसके वृक्षों पर फूल आते हैं। शीतकाल में फल लगते हैं। आयुर्वेद के अनुसार इसके बीज व पत्ते गर्भोत्पादक होते हैं।
हजारों वर्ष पूर्व ऋषि-मुनियों ने इस औषधि का नामकरण इसकी प्रभावोत्पादकता के आधार पर किया था। यह सन्तानहीन स्त्रियों को सन्तानप्राप्ति में मददगार सिद्ध होती है। आयुर्वेद के द्रव्यगुण विज्ञान के पेज न. 591 पर वर्णित है कि यह वनस्पति शुक्रक्षय तथा गर्भस्राव, बन्ध्यत्व आदि विकारों को दूर करने वाली तथा जिन स्त्रियों को सन्तान नहीं होती उनको सन्तानसुख की प्राप्ति कराने वाली है। इसके साथ शिवलिंगी बीज 2-2 ग्राम दूध के साथ सेवन कराने से विशेष लाभ मिलता है।
सारे भारतवर्ष की पहाड़ी जमीन पर कुदरती तौर से पैदा होने वाले इस पुत्रजीवक वृक्ष को संस्कृत व हिन्दुस्तान की प्रादेशिक भाषाओं में पुत्रजीवक ही कहा जाता है लेकिन इसका यह तात्पर्य नहीं है कि इससे पुत्र ही पैदा होता है। आयुर्वेद में कई औषधियों के नाम ऐसे हैं कि यदि उनका अर्थ इसी तरह लिया जाए जैसा पुत्रजीवक के विषय में लिया जा रहा है तो बड़ी मुश्किल हो जाएगी ।यानी अश्वगन्धा के सेवन से अश्व यानी घोड़े पैदा होंगे, सर्पगन्धा क्या सर्प की उत्पत्ति करेगी ? इसी तरह गोदन्ती भस्म में गाय का दान्त नहीं होता है पर यह उसका नाम है। अब दारु हल्दी में क्या शराब होगी?
इस वनस्पति का लगभग हर भारतीय भाषा में जो नाम है वह सन्तान प्राप्ति से सम्बन्धित है, अब सन्तान पुत्र या पुत्री कोई भी हो सकती है।
पुत्रजीवक का विभिन्न भाषाओं में नाम :
संस्कृत – पुत्रजीवा, गर्भकरा, गर्भदा, कुमारजीवा। हिन्दी – पुत्रजीवक, जिया पोता। बंगला – जिया पोता, पुत्र जीवा । मराठी – जीवपुत्रक, पुत्रजुआ । पंजाबी – जियापुता, पातजन । तामिल – इरुपोलि, करुपलि । तेलुगु – कद्रजीवी, महापुत्र । लैटिन – पुत्रन्जिवा राक्सबर्गी (Putranjiva Roxburghii)
पुत्रजीवक के औषधीय गुण :
पुत्रजीवा भारी, वीर्यवर्द्धक, गर्भदायक, रेचक, रूक्ष, शीतल, मधुर , खारी, चरपरी, नमकीन तथा कफ और वात का नाश करने वाली है।
पुत्रजीवक के फायदे और लाभ : Health Benefits and Uses of Putrajeevak in Hindi
1- पुत्र जीवक नामक औषधि का उल्लेख आयुर्वेद के ग्रंथों में मिलता है। आयुर्वेद के ग्रंथों में यहां तक लिखा है कि यदि नि:संतान महिला पुत्रजीवक के बीजों की माला बनाकर गले में डाल ले तो अवश्य ही संतान की प्राप्ति होगी। ( और पढ़े – बाँझपन के 16 रामबाण घरेलू उपाय)
2- पुत्रजीवक (जिया पोता) वृक्ष की जड़ को दूध में पीसकर पीने से गर्भ ठहर जाता है।( और पढ़े – अगर बार बार जन्म लेते ही बच्चे की मृत्यु हो जाती है तो गर्भरक्षा के लिए अपनाये यह उपाय)
3- यह संतान प्रदान करने में विलक्षण साबित होता है। बार-बार गर्भपात होने पर भी यह उपयोगी है। ऐसी महिलाएं जिन्हें कम मात्रा में माहवारी होती हैं, गर्भधारण नहीं होता है, जन्म के समय ही बच्चे की मृत्यु हो जाती है, वे योग्य चिकित्सक से परामर्श कर ‘पुत्र जीवक’ ले सकती हैं। ( और पढ़े –गर्भपात से रक्षा व सुंदर पुत्रप्राप्ति के लिये उपाय )
‘पुत्र जीवक’ का प्रयोग करते समय तेल, खटाई, मिर्च, मसालों तथा गरम आहार-विहार से बचना जरूरी है।
आयुर्वेद की कई औषधियों में, जो सन्तोत्पत्ति के लिए प्रयोग में लायी जाती हैं, पुत्रजीवक का एक घटक द्रव्य के रूप में उपयोग होता है। ऐसे ही एक आयुर्वेदिक योग ‘गर्भधारक योग’ का विवरण हम इस लेख के साथ दिये जा रहे बाक्स में प्रस्तुत कर रहे हैं।
गर्भधारक योग : Garbh Dharak Yog in Hindi
पुत्रजीवक (जिया पोता) का घटक द्रव्य के रूप में उपयोग कर निर्मित होने वाले एक ऐसे योग का विवरण यहां प्रस्तुत किया जा रहा है जिसके नाम से ही उसके प्रभाव का ज्ञान हो जाता है-
गर्भधारक योग स्त्रियों में बन्ध्यत्व यानी गर्भधारण न कर पाना एक ऐसी समस्या है जो उन्हें शारीरिक और मानसिक स्तर पर ही नहीं बल्कि पारिवारिक एवं सामाजिक स्तर पर भी बहुत कष्ट पहुंचाती है। वैसे तो गर्भधारण न होने के पीछे कई कारण होते हैं पर ज्यादातर मामलों में गर्भाशय और डिम्ब वाहिनियों से सम्बन्धित विकार ही इसका कारण होते हैं। आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रन्थ रसतन्त्रसार द्वितीय खण्ड में इस योग का वर्णन किया गया है। इस योग की निर्माण एवं सेवन विधि इस प्रकार है
गर्भधारक योग के घटक द्रव्य : Garbh Dharak Yog Ingredients in Hindi
✦रस सिन्दूर-10 ग्राम
✦जायफल-10 ग्राम
✦जावित्री-10 ग्राम
✦लौंग-10 ग्राम
✦कपूर-10 ग्राम
✦केशर -10 ग्राम
✦रुद्रवन्ती -10 ग्राम
✦ पुत्रजीवक (जियापोता)-10 ग्राम
✦शतावरी 250 ग्राम।
गर्भधारक योग बनाने की विधि : Preparation Method of Garbh Dharak Yog
शतावरी को छोड़ कर सभी घटक द्रव्यों का बारीक चूर्ण कर लें। शतावरी का क्वाथ तैयार करें और इस काढ़े को इतना उबालें कि यह एक कप जितना रह जाए।अब इसमें घटक द्रव्यों का चूर्ण मिलाकर खरल में एक जान होने तक घुटाई करें। तत्पश्चात इसकी 100-100 मि. ग्रा. की गोलियां बना लें ।
उपलब्धता : यह योग इसी नाम से बना बनाया आयुर्वेदिक औषधि विक्रेता के यहां मिलता है।
गर्भधारक योग की सेवन विधि :
मासिक धर्म के रक्तस्राव के चौथे दिन से इसकी 2-2 गोली दूध के साथ लेना आरम्भ करें तथा अगले मासिक धर्म आने पर बन्द कर दें।
अगले मासिक धर्म के चौथे दिन से पुनः इसी प्रकार इस योग को शुरू करें। इस प्रकार लगातार तीन मासिक धर्म तक इसका सेवन करने से गर्भधारण हो जाता है।
यदि इसके साथ सोमघृत की 1-1 चम्मच मात्रा का भी सेवन करते हैं तो विशेष लाभ होता है।
गर्भधारक योग के उपयोग और फायदे : Garbh Dharak Yog Benefits in Hindi
1- जिन महिलाओं में गर्भाशय से सम्बन्धित विकृतियों के कारण गर्भ नहीं ठहर रहा हो उनमें यह योग गर्भस्थापना में मदद करता है।
2- यह योग गर्भाशय की विकृति को दूर करने के साथ-साथ अनियमित माहवारी, डिम्बाशय व डिम्बवाहिनियों की विकृति को भी दूर करता है जिससे गर्भधारण करने में मदद मिलती है। इसीलिए इसे ‘गर्भधारक योग’ नाम दिया गया है।
पुत्रजीवक के नुकसान : Putrajeevak Side Effects in Hindi
पुत्रजीवक उन व्यक्तियों के लिए सुरक्षित है जो इसका सेवन चिकित्सक या सम्बंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार करते हैं।