शतावरी धृत के फायदे ,उपयोग और दुष्प्रभाव | Shatavari Ghrita ke Fayde aur Nuksan in Hindi

Last Updated on July 17, 2020 by admin

उत्तम आयुर्वेदिक योग – शतावरी घृत : Shatavari Ghrita in Hindi

शतावरी को, प्रमुख घटक द्रव्य के रूप में ले कर, अन्य गुणकारी औषधियों के साथ एक उत्तम बलपुष्टिदायक योग बनाया जाता है जिसका नाम है शतावरी घृत। यह घृत रसायन गुण युक्त है और स्त्री पुरुष दोनों के लिए सेवन योग्य है। यहां इस घृत का परिचय प्रस्तुत किया जा रहा है।

शतावरी धृत के घटक द्रव्य और उनकी मात्रा :

  • शतावरी का रस या काढ़ा – 500 मि.लि.
  • गो दुग्ध – 500 मि.लि.
  • गो घृत – 250 मि.लि.
  • जल (पानी) – 500 मि.लि.
  • जीवक – 5 ग्राम
  • ऋषभक – 5 ग्राम
  • मेदा (Meda) – 5 ग्राम
  • महामेदा – 5 ग्राम
  • काकोली – 5 ग्राम
  • क्षीर काकोली – 5 ग्राम
  • मुनक्का – 5 ग्राम
  • मुलहठी – 5 ग्राम
  • मुद्गपर्णी – 5 ग्राम
  • माषपर्णी – 5 ग्राम
  • विदारीकन्द – 5 ग्राम
  • लाल चन्दन – 5 ग्राम

बनाने की विधि :

जीवक से जीवक तक सभी 12 द्रव्यों का कल्क बना लें फिर शतावरी का काढ़ा, दूध, गोघृत व कल्क मिला कर घृत पाक सिद्ध करें। जब घृत सिद्ध हो जाए तब छान कर ठण्डा कर लें।

उपलब्धता : यह योग इसी नाम से बना बनाया आयुर्वेदिक औषधि विक्रेता के यहां मिलता है।

मात्रा और सेवन विधि : Dosage of Shatavari Ghrita

शतावरी धृत सेवन करते समय एक चम्मच घृत में एक चुटकी पिसी शक्कर और 3 से 4 बूंद शहद मिला कर सुबह शाम मीठे ठण्डे दूध के साथ सेवन करें।

शतावरी धृत के फायदे और उपयोग : Benefits & Uses of Shatavari Ghrita in Hindi

  1. शतावरी धृत उत्तम पौष्टिक, शीतवीर्य और वाजीकरण यानी पौरुष शक्ति वर्द्धक औषधि है।
  2. रक्त पित्त, वात रक्त, अंग में दाह, ज्वर, पित्त प्रकोप, पित्त जन्य पेशाब में रुकावट आदि रोगों का शमन करने के लिए यह घृत सफल सिद्ध हुआ है।
  3. शतावरी धृत शुक्राणुओं की कमी (Oligospermia) को दूर कर यह शुक्राणुओं (sperms) की संख्या बढ़ाता है।
  4. बल, वीर्य, वर्ण तथा अग्नि की वृद्धि करता है और शरीर को पुष्ट, सुडौल और शक्तिशाली बनाता है।
  5. शतावरी धृत रक्तप्रदर एवं अति ऋतुस्राव को सामान्य करने वाला तथा शीतलता प्रदान करने वाला है।
  6. स्त्रियों के लिए शतावरी धृत योनिशूल, योनिशोथ (योनि मे सूजन) और योनि विकार नाश करने वाला है।
  7. अती उष्णता, पित्तजन्य दाह के कारण स्त्रियों का योनि मार्ग दूषित हो जाता है ,जिसके परिणामस्वरूप पुरुष के शुक्राणु गर्भाशय तक पहुँचने से पहले ही नष्ट हो जाते हैं। इसी प्रकार पुरुष के वीर्य में शुक्राणु नष्ट होते रहते हैं।शतावरी घृत के नियमित सेवन से स्त्री व पुरुष दोनों को ही उत्तम लाभ होता है और स्त्री गर्भ धारण करने में सक्षम हो जाती है।

शतावरी घृत के दुष्प्रभाव : Shatavari Ghrita ke Nuksan in Hindi

  • शतावरी घृत लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।
  • शतावरी घृत के अत्यधिक मात्रा में सेवन से मतली (जी मिचलाना) व सिर दर्द जैसी समस्या पैदा हो सकतीहै।

शतावरी धृत का मूल्य : Shatavari Ghrita Price

  • Nagarjun Herbal Care Shatavari Ghritam – 200 g – Rs 353

कहां से खरीदें :

अमेज़न (Amazon)

शतावरीयूक्त बलपूष्टिदायक कुछ अन्य घरेलू नुस्खे :

शतावरी एक बहुत ही पौष्टिक, बलपुष्टिदायक और दौर्बल्य नाशक जड़ी है । शतावरी को प्रयोग कर अन्य द्रव्यों के साथ बनाये गये कुछ सफल सिद्ध नुस्खे यहां प्रस्तुत किये जा रहे हैं । विवाहित स्त्री-पुरुष किसी भी एक नुस्खे को, अपनी आवश्यकता के अनुसार चुन कर सेवन कर सकते हैं।

1). बलपुष्टि –

शरीर को बलिष्ठ, सुडौल और निरोग बनाए रखने के लिए पति-पत्नी दोनों के लिए सेवन योग्य नुस्खा इस प्रकार है-
शतावरी, गोरखमुण्डी, गिलोय, शालपर्णी और काली मूसली- पांचों 100-100 और मिश्री 300 ग्राम मिला कर कूट पीस कर खूब महीन चूर्ण करके एयरटाइट ढक्कन वाली बाटल में रखें। सुबह शाम 1-1 चम्मच चूर्ण, थोड़ा घी मिला कर, गर्म दूध के साथ सेवन करें।

2). वाजीकारक –

शतावरी का काढ़ा एक लिटर और दूध एक लिटर मिला कर इसमें 100 ग्राम घी डाल दें और विधिवत् सिद्ध करें फिर ठण्डा करके इसमें 50 ग्राम शहद और 100 ग्राम शक्कर (पिसी हुई) डाल कर अच्छी तरह मिला लें। यह मिश्रण एक चम्मच और आधा चम्मच पिप्पली चूर्ण मिला कर सुबह शाम सेवन करें। यह पौरुष शक्ति की कमी और शिथिलता दूर कर पौरुष शक्ति बढ़ाने और कठोरता प्राप्त कराने वाला अच्छा गुणकारी वाजीकारक योग है।

3). नपुंसकता –

शतावरी, सफ़ेद मूसली, कौंच के शुद्ध बीज, असगन्ध और गोखरू – सब 100-100 ग्राम ले कर कूट पीस कर खूब महीन चूर्ण कर सबको मिला कर तीन बार छान लें। इस चूर्ण को 1-1 चम्मच सुबह शाम गर्म दूध के साथ सेवन करें। यह योग नपुंसकता दूर करने में सफल सिद्ध हुआ है।

4). स्वप्नदोष –

शतावरी 100 ग्राम खूब बारीक महीन चूर्ण करें और मिश्री 50 ग्राम पीस कर मिला लें। एक गिलास दूध में एक चम्मच घी डाल कर घोल लें। इस दूध के साथ 1-1 चम्मच चूर्ण सुबह शाम सेवन करें। यह योग स्वप्नदोष दूर करने में सफल सिद्ध होता है।

(दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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