Last Updated on May 15, 2023 by admin
सोयाबीन क्या है? : Soybean in Hindi
सोयाबीन एक ऐसा पुष्टिकारक अन्न है, आजकल सोयाबीनका प्रयोग बढ़ रहा है। इसका प्रयोग सोयाबीन-तेल, सोया-चटनी, सोया-प्रोटीन आदिके रूपमें किया जा रहा है। इस भोजनको वसारहित भोजन कह सकते हैं।
सोयाबीन रक्तसंचारको संयत रखता है। यह रेशेदार भोजन है, जो पाचनके लिये सर्वोत्तम है। यह वजनको घटाकर शरीरको स्फूर्ति देता है। उच्च रक्तचापवाले रोगीके लिये यह उत्तम भोजन है।
सोयाबीन के पोषक तत्व : Soybean Nutrition Facts
- यह एक पोषक भोजन है। इसमें भरपूर विटामिन तथा प्रोटीन मौजूद हैं। साथ ही यह वसारहित भोजन है।
- सोयाबीन में प्रोटीन, वसा, श्वेतसार, खनिज, लवण, लौह, विटामिन ‘बी’ आदि पोषक तत्त्व प्रचुर मात्रामें विद्यमान होते हैं।
- इसमें मिलने वाला प्रोटीन किसी भी आमिष-निरामिष पदार्थों में पाये जानेवाले प्रोटीन से उन्नत किस्म का होता है। यह प्रोटीन उच्च कोटि का होने के साथ ही 35-40% तक पाया जाता है। यह बालक, वृद्ध तथा रोगी सभी के लिये हितकर है।
- कुपोषित भोजन के कारण ही 90 प्रतिशत रोगी गैस, अपच, तनाव, थुलथुलेपन तथा एनीमियाके शिकार देखे जाते हैं। कार्बोहाइड्रेट की अधिकता चर्बी बढ़ाती है तथा विभिन्न तन्तुओंको नष्ट करती है। जबकि सोया में कार्बोहाइड्रेट की अधिकता नहीं होती। इसके विपरीत इसका प्रयोग रक्ताल्पता को दूर रखता है।
सोयाबीन के गुण :
- सोयाबीन से क़ब्ज़ और गैस के रोग नहीं होते तथा बालकों का शारीरिक विकास होता है।
- इसमें कोलेस्ट्रॉल की मात्रा भी कम होती है। सोया में 32 प्रतिशत तक कोलेस्ट्राल घटाने की क्षमता है।
- इसके नियमित प्रयोगसे बल-वीर्यकी वृद्धि होती है। शाकाहारियों को तो प्रकृति के इस अनमोल भेटका अवश्य प्रयोग करना ही चाहिये।
- इसमें अति गुणकारी तत्त्वों की अपेक्षा इसका मूल्य भी काफी सस्ता है।
- सोयाबीन बच्चों के लिये विशेष उपयोगी है। बढ़ती हुई अवस्थामें संतुलित भोजन का विशेष महत्त्व है, जिसमें विभिन्न फलों, सब्जियों आदिसे प्रोटीन तथा विटामिन की प्राप्ति होती है। इसका अर्थ हुआ हमें संतुलित भोजन प्राप्त करने के लिये गुणोंके अनुसार अलग-अलग फल तथा सब्जियाँ लेनी होंगी, परंतु सोयाबीन में ये सभी गुण मौजूद हैं। बच्चों के लिये यह दूधका विकल्प भी है।
- सोयाबीन पाचनशक्ति बढ़ाता है।
- यह क़ब्ज़ दूर करता है।
- कोलेस्ट्रोलको मात्रा घटाकर हृदय रोगों को दूर रखता है।
- वजन घटाकर शरीरको स्फूर्तिदायक बनाता है।
- शरीरके विभिन्न तन्तुओंके लिये पोषक है।
- वसारहित होने के कारण उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिये उत्तम है।
- बच्चों के दूध का विकल्प है।
- यह रक्ताल्पता दूर करता है।
सोयाबीन के उपयोग : Soybean Uses in Hindi
इसके दैनिक उपयोगकी निम्नलिखित विधियाँ हैं
1. सोयाबीनका आटा – पानीमें लगभग १०घंटे भिगो दे। फिर सुखाकर चक्की में इसका आटा पिसवा ले। इसकी अत्यन्त स्वादिष्ठ रोटी बनती है। स्वादमें गेहूँके आटेसे कुछ अलग होती है। इसके आटेसे अनेक व्यञ्जन तैयार होते हैं। गेहूँके आटेमें मिलाकर इससे रोटी, पराठा, हलवा आदि बनाते हैं। इसके आटेको अधिक दिनतक नहीं रखा जा सकता।
2. सोयाबीनका दूध – दही-सोयाबीन को लगभग दस घंटे पानी में भिगो दे। फिर इसे बारीक पीसकर समुचित मात्रामें पानी मिलाये ताकि यह दूध जैसा हो जाय। इसका स्वाद ठीक करनेके लिये पीसते समय इसमें दो-तीन छोटी इलायची मिला दे तथा दूधको आधे घंटेतक उबाले। गुणकारी और पौष्टिक दूध तैयार हो गया। इस दूधमें जामन डालकर दही भी जमाया जा सकता है।( और पढ़े – सोयाबीन दूध के फायदे )
3. सोयाबीनका तेल – सरसों तथा मूंगफली की तरह सोयाबीनका भी तेल निकाला जाता है। पौष्टिकहोने के साथ ही अन्य खाद्य तेलों से अधिक सस्ता होता है। वनस्पति या सरसों के तेल के स्थान पर इसका प्रयोग कर सकते हैं। इसका तेल सिर में लगाने से बाल काले होते हैं। सोयाबीनके तेल में कुछ बूंद नीबू का रस मिलाकर लगाने से मुहाँसे ठीक हो जाते हैं।
4. सोयाबीनकी बड़ी – सोयाबीनका तेल निकालने के बाद इसका जो छिलका बचता है, उससे निर्मित बड़ी पौष्टिक होती है। सब्जी, दाल आदि में डालकर इसको उपयोग में लाते हैं।
5. सोयाबीनकी चटनी – भिगोये हुए सोयाबीन में अनुपात से नमक-मिर्च इत्यादि डालकर पीस ले। स्वादिष्ठ चटनीके रूप में इसका प्रयोग कर सकते हैं।
6. सोयाबीनकी खली – पशुओं को इसकी खली खिलाने से दूध की मात्रा बढ़ जाती है। बच्चों के लिये यह दूध बहुत गुणकारी होता है।
सोयाबीन का दही बड़ा :
सामग्री : 100 ग्राम सोयाबीन, 50 ग्राम उड़द की धुली दाल, घी-तेल तलने के लिए, सोंठ पिसी-चौथाई छोटी चम्मच, 500 ग्राम दही, भुना जीरा, लाल मिर्च, काला नमक, सफेद नमक स्वादानुसार।
विधि : सोयाबीन व उड़द की दाल को अलग-अलग रातभर भिगोयें। सोयाबीन के छिलके अलग कर दोनों को मिलाकर पेस्ट बना लें। इसमें सोंठ भी मिलायें इसे खूब अच्छी तरह मिलाकर फेट लें और बड़े बना कर तल लें। थोड़े गुनगुने पानी में नमक मिलाकर तले हुए बड़ों को 2 मिनट पानी में रखकर, निकालकर, दबाकर पानी अलग कर बड़ों को दही में डाल दें। ऊपर से मसाला डालकर परोसें।
स्वाद के लिए : इस बने हुए पेस्ट में सभी मसालें, हरी मिर्च, हरा धनिया आदि डालकर बड़े बनाकर चटनी या सॉस के साथ परोंसें।
सोयाबीन के फायदे व लाभ : Soybean Benefits in Hindi
1. मानसिक रोगों में : सोयाबीन में फॉस्फोरस इतनी होती है कि यह मस्तिष्क (दिमाग) तथा ज्ञान-तन्तुओं की बीमारी, जैसे-मिर्गी, हिस्टीरिया, याददाश्त की कमजोरी, सूखा रोग (रिकेट्स) और फेफड़ो से सम्बन्धी बीमारियों में उत्तम पथ्य का काम करता है। सोयाबीन के आटे में लेसीथिन नमक एक पदार्थ तपेदिक और ज्ञान-तन्तुओं की बीमारी में बहुत लाभ पहुंचता है। भारत में जो लोग गरीब है। या जो लोग मछली आदि नही खा सकते है, उनके लिए यह मुख्य फास्फोरस प्रदाता खाद्य पदार्थ है। इसको खाना गरीबों के लिए सन्तुलित भोजन होता है।
2. दिल के रोग में :
- सोयाबीन में 20 से 22 प्रतिशत वसा पाई जाती है। सोयाबीन की वसा में लगभग 85 प्रतिशत असन्तृप्त वसीय अम्ल होते हैं, जो दिल के रोगियों के लिए फायदेमंद है। इसमें ‘लेसीथिन’ नामक प्रदार्थ होता है। जो दिल की नलियों के लिए आवश्यक है। यह कोलेस्ट्रांल को दिल की नलियों में जमने से रोकता है।
- सोयाबीन खून में कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए यह दिल के रोगियों के लिये फायदेमंद है। ज्यादातर दिल के रोगों में खून में कुछ प्रकार की वसा बढ़ जाती है, जैसे-ट्रायग्लिसरॉइड्स, कोलेस्ट्रॉल और एलडीएल, जबकि फायदेमंद वसा यानी एचडीएल कम हो जाती है। सोयाबीन में वसा की बनावट ऐसी है कि उसमें 15 प्रतिशत सन्तृप्त वसा, 25 प्रतिशत मोनो सन्तृप्त वसा और 60 प्रतिशत पॉली असन्तृप्त वसा है। खासकर 2 वसा अम्ल, जो सोयाबीन में पायें जाते हैं। यह दिल के लिए काफी उपयोगी होते हैं। सोयाबीन का प्रोटीन कोलेस्ट्रल एवं एलडीएल कम रखने में सहायक है। साथ ही साथ शरीर में लाभप्रद कोलेस्ट्रॉल एचडीएल भी बढ़ाता है।
3. उच्चरक्तचाप : रोज कम नमक में भुने आधा कप सोयाबीन का 8 हफ्तों तक सेवन करने से ब्लड़प्रेशर काबू मे रहता है। इसका स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें कालीमिर्च भी डालकर सकते हैं। सिर्फ आधा कप रोस्टेड सोयाबीन खाने से महिलाओं का बढ़ा हुआ ब्लडप्रेशर कम होने लगता है। लगातार 8 हफ्ते तक सोयाबीन खाने से महिलाओं का 10 प्रतिशत सिस्टोलिक प्रेशर, 7 प्रतिशत डायस्टोलिक और सामान्य महिलाओं का 3 प्रतिशत ब्लडप्रेशर कम हो जाता है। तो आप भी सोयाबीन को 8 से 12 घण्टे पानी में भिगोकर रख दें और सुबह ही गर्म कर के खायें।
4. लेसीथिन : सोयाबीन में लेसीथिन पाया जाता है जो मस्तिष्क (दिमाग) के ज्ञान-तन्तुओं तथा लीवर (जिगर) के लिए फायदेमंद है।
5. प्रोटीन के लिए : प्रोटीन शरीर के विकास के लिए आवश्यक है। त्वचा, मांसपेशियां, नाखून, बाल वगैरह की रचना प्रोटीन से होती है। इसके अतिरिक्त मस्तिष्क (दिमाग), दिल, फेफड़े आदि मनुष्य शरीर के आंतरिक अंगों की रचना में प्रोटीन के स्रोत सोयाबीन, अंकुरित गेहूं, बिनौल का आटा, चना, मसूर, मटर, सेम तथा विभिन्न प्रकार की दालें, मूंगफली इत्यादि में है।
6. हड्डी के कमजोर होने पर : सोयाबीन हडि्डयों से सम्बन्धित रोग जैसे हडि्डयों में कमजोरी को दूर करता है। सोयाबीन को अपनाकर हम स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकते हैं। अस्थिक्षारता एक ऐसा रोग है जिसमें हडि्डयां कमजोर हो जाती हैं और उसमें फैक्चर हो जाता है। हडि्डयो में कैल्श्यिम की मात्रा कम हो जाती है।
7. रजोनिवृत्ति :
- महिलाओं में जब रजोनिवृत्ति (मासिकधर्म) होती है, उस समय स्त्रियों को बहुत ही कष्ट होते हैं। रजोनिवृत्त महिलाएं हडि्डयों में तेजी से होने वाले क्षरण से मुख्य रूप से ग्रसित होती है, जिसके कारण उन्हें आंस्टियो आर्थराइटिस बीमारी आ जाती है। घुटनों में दर्द रहने लगता है। यह इसलिए होता है, क्योंकि मासिक धर्म बंद होने से एस्ट्रोजन की कमी हो जाती है क्योकि सोयाबीन में फायटोएस्ट्रोजन होता है। जो उस द्रव की तरह काम करता है, इसलिए 3-4 महीने तक सोयाबीन का उपयोग करने से स्त्रियों की लगभग सभी कठिनाइयां समाप्त हो जाती है।
- महिलाओ को सोयाबीन न केवल अच्छे प्रकार का प्रोटीन देती है बल्कि मासिकधर्म के पहले होने वाले कष्टों-शरीर में सूजन, भारीपन, दर्द, कमर का दर्द, थकान आदि में भी बहुत लाभ करती है।
8. पेट में कीड़े : सोयाबीन की छाछ पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
9. मधुमेह (डायबिटीज) : सोयाबीन मोटे भारी-भरकम शरीर वालों के तथा मधुमेह (डायबिटीज) वाले लोगों के लिए उत्तम पथ्य है। सोया आटे की रोटी उत्तम आहार है।
10. आमवात या गठिया : सोया आटे की रोटी खाने तथा दूध पीने से गठिया (जोड़ों का दर्द) रोग दूर होता है।
11. दूध को बढ़ाने के लिए : दूध पिलाने वाली स्त्री यदि सोया दूध (सोयाबीन का दूध) पीये तो बच्चे को पिलाने के लिए उसके स्तनों में दूध की मात्रा बढ़ जाती है।
12. मूत्ररोग : सोयाबीन का रोजाना सेवन करने से मधुमेह (डायबिटीज) के रोगी का मूत्ररोग (बार-बार पेशाब के आने का रोग) ठीक हो जाता है।
सोयाबीन के नुकसान – Soybean Side Effects In Hindi
- गर्भधारण करने वाली स्त्रियों को सोयाबीन का प्रयोग बिलकुल नही करना चाहिए इससे होने वाली सन्तान पर बुरा असर पड़ता है।
- स्तनपान कराने वाली महिलाओं व गर्भवती महिलाओं को सोयाबीन दूध का अधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए इससे उन्हें उल्टी व चक्कर आने जैसी परेशानी हो सकती है।
अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।