Last Updated on August 21, 2019 by admin
मस्तिष्क में स्फूर्ति और दिमागी ताजगी के नुस्खे :
✥ अदरक 5 ग्राम (एक छोटे आंवले के बराबर) मात्रा में लेकरपीस लें और एक कप दूध में डाल कर पका लें। एक छोटी डली गुड़ की और एक चम्मच शुद्ध घी डाल कर गुनगुना गर्म सुबह-शाम पिएं। इसके बाद 2 लौंग, 2 छोटी इलायची और थोड़ी सौंफ मुंह में डालकर धीरेधीरे इनका रस चूसें । यह योग शीतकाल भर सेवन करना चाहिए। यह मस्तिष्क की थकावट व सुस्ती दूर कर दिमागी ताजगी और तरावट देता है और चुस्तीफुर्ती पैदा करताहै।
✥ दिमागी शक्ति बढ़ाने के लिए – मेहंदी के बीजों का चूर्ण 1 छोटे चम्मच भर मात्रा में लेकर शहद में मिलाकर सुबह-शाम चाटने से नेत्रों की ज्योति और दिमागी शक्ति में वृद्धि होती है। रक्त के विकार दूर होते हैं और दस्त साफ आता है।
श्वास मित्र – श्वास वेग को कम करने का नुस्खा :
✥ अदरक का रस, प्याज का रस, ग्वारपाठा का रस, शहद और लहसुन का रस (लहसुन का रस पानी के छीटें मारकर पीसने से निकलता है)-ये पांचों बराबर मात्रा में छानकर मिला लें और कांच की इतनी बड़ी और चौड़े मुंह की बर्नी लें जिसमें यह मिश्रण 3/4 भाग में भरा रहे और 1/4 भाग खाली रहे। इसबर्नी के मुंह पर प्लास्टिक शीट रख कपड़ा लपेट कर बांध दें और अनाज में या मिट्टी में दबा कर 8 दिन रखें। बाद में निकाल कर छान लें। इसे प्रात: सूर्योदय से पहले या रात को सोते समय 2 चम्मच मात्रा में लेकर ऊपर से सौंफ खा ले। यह कफ को पतला करने, बाहर निकालने, श्वास वेग को कम करने, घबराहट कम करने, भूख और शक्ति बढ़ाने वाला उत्तम और सफल सिद्धयोग है।
लोकमान्य चूर्ण :
✥ काला नमक 40 ग्राम, काली मिर्च 20 ग्राम, नींबू का सत 5 ग्राम और पोदीना सत्व 2 ग्राम ।
इन सबको चूर्ण कर महीन करके मिला लें व शीशी में भरकर रखें। इसे पानी या बरसाती हवा न लगने दें। भोजन के बाद इसको चाय चम्मच से पाव चम्मच मात्रा में फांक लेना चाहिए । इससे पेट में गैस बढ़ना, भूख की कमी, पेट का दर्द, खट्टा व बदबूदार डकार आना, मुह का स्वाद खराब होना, मुंह में बार-बार पानी आना और जी मचलाना आदि सब शिकायतें दूर होती हैं।
इसको 2 से 3 सप्ताह प्रयोग करना पर्याप्त रहता है।
उदर मित्र :
✥ मीठा सोडा 100 ग्राम, सूखा पोदीना व दालचीनी 10-10 ग्राम, लौंग और काली मिर्च 5-5 ग्राम-इन सबको कूट-पीस कर छान कर मिला लें व एक ग्राम सत पोदीना मिला दें। इसको भोजन के बाद 1 ग्राम मात्रा में 3-4 दिन सेवन करने से ऊपर प्रस्तुत लोकमान्य चूर्ण जैसे गुण होते हैं। इसे नियमित रूप सेन लेकर उदर विकार होने पर ही सेवन करना चाहिए और 5-6 दिन लेकर बंद कर देना चाहिए।
ताकत बढाने वाले धातुवर्द्धक पौष्टिक योग :
आज का रहन-सहन, खानपान और आचार-विचार वातावरण के प्रभाव से ऐसा हो गया है कि अधिकांश पुरुष धातुक्षीणता और विकारों से पीड़ित रहते हैं। धैर्य, विश्वास और नियमपूर्वक किसी भी नुस्खे को 60 दिन सेवन करने पर निश्चित ही बलवीर्य और पौरुष शक्ति में वृद्धि होगी तथा कमजोरी और शिथिलता दूर होगी।
✥ मुलहठी 500 ग्राम मात्रा में कूट-पीस कर खूब महीन चूर्ण कर शीशी में भरकर रख लें। रात को सोने से पहले 1 चाय चम्मच भर मुलहठी चूर्ण, पिघला हुआ शुद्ध घी 1 चम्मच भर और शहद 3 चाय चम्मच भर मात्रा में मिलाकर चाट लें और ऊपर से मीठा दूध पी लें। दो बातों का पूरा ख्याल रखें। एक तो शाम का भोजन किये हुए डेढ़-दो घंटे गुजर चुके हों,दूसरे दूध गरम न हो, गरम करके ठंडा किया हो,क्योंकि शहद का सेवन गरम पेय या पदार्थ के साथ नहीं किया जाता। इस योग का सेवन पूरे शीतकाल में किया जाना चाहिए। जब तक खूब गर्मी न पड़ने लगे तबतक सेवन कर सकते हैं।
सुबह के नाश्ते के तौर पर इस योग का सेवन किया जाना चाहिए। इसकी मात्रा कम होने से पेट में वजन तो नहीं मालूम पड़ेगा, पर इससे शरीर को जो पोषण व बल मिलेगा उसके मुकाबले अच्छे से अच्छा नाश्ता भी हल्का पड़ेगा ।
✥ सफेद तिलों को कढ़ाई में सेक कर कूट-पीस चूर्ण कर लें | उड़द की छिलका सहित दाल को घी में भून लें । असगंध को बारीक कूट-पीस कर महीन चूर्ण कर लें। इन तीनों को किसी भी मात्रा में समान वजन में लेकर मिला लें और शीशी में भरकर रख लें। इस मिश्रण को चाय चम्मच से एक चम्मच, शुद्ध घी पिघला हुआ 1 चाय चम्मच और शहद 3 चाय चम्मच में मिलाकर सूर्योदय के समय चाट लें। इसके 10 मिनट बाद मीठा दूध पी लें, फिर डेढ़-दो घंटे तक कुछ भी खाएं-पीएं नहीं । इसको कम से कम 40 दिन तक अवश्य सेवन करें।
✥ काले तिल भुने हुए 100 ग्राम कूट-पीस कर चूर्ण करें। चावल का आटा 100 ग्राम और शुद्ध घी 200 ग्राम। भुने हुए तिल के चूर्ण और चावल के आटे को घी में डालकर भून लेंव नीचे उतार कर ठंडा करें। गुनगुना गरम रहे तब इसमें 250 ग्राम पिसी हुई मिश्री डालकर मिला दें।
इसको प्रतिदिन सुबह नाश्ते के तौर पर 50 ग्राम मात्रा में या अपनी पाचन शक्ति के अनुसार मात्रा में खूब चबा-चबा कर खाएं, ऊपर से गरम मीठा दूध पी लें। जब खत्म हो जाए तो हलवे की तरह ताजा तैयार कर लें। इसे भी कम से कम 40 दिन तक अवश्य सेवन करें।
खान पान और परहेज :
ऊपर दिये गये तीनों योग बहुत ही गुणकारी सिद्ध हुए हैं । सैकड़ों रोगियों पर परीक्षित हैं।
• इनमें से किसी भी योग का सेवन करते समय खटाई, तले हुए व तेज मिर्चमसाले वाले पदार्थों का सेवन न करें ।
• दूध, चावल की खीर, सात्विक भोजन, हरी शाक सब्जी, गाजर, प्याज और मौसमी फलों का सेवन करें।
• ये तीनों योग धातु क्षीणता, धातु विकार, शिथिलता, शीघ्र पतन आदि सभी व्याधियों को जड़ से उखाड़ फेंकते हैं। प्याज सफेद होना चाहिए ।
• सफेद प्याज बहुत बल वीर्यवर्द्धक होता है।
• गाजर के सेवन से पुरुषांग की शिथिलता दूर होती है और सुदृढ़ता आती है। 2-3 गाजर कच्ची ही खूब चबा-चबा कर प्रतिदिन खाने से बहुत ही सस्ते दामों में बड़ा भारी काम हो जाता है। दो माह खाकर खुद ही अनुभव कर लीजिए।
(दवा व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)
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