Last Updated on November 11, 2021 by admin
आज की भाग-दौड़ की जिंदगी में तनाव हमारे जीवन का हिस्सा बन गया है। काम-काज के दौरान अकसर ऐसे पल आते हैं, जब हम किसी-न-किसी बात को लेकर तनावग्रस्त हो जाते हैं। हालाँकि आमतौर पर इस तरह के तनाव अपने आप दूर हो जाते हैं, लेकिन कई बार ऐसी बातें होती हैं, जिनके कारण लंबे समय तक तनाव बना रहता है। इसके अलावा कई लोगों का स्वभाव इस तरह का होता है कि वे उन बातों को दिल से लगाए रहते हैं और लंबे समय तक तनावग्रस्त रहते हैं। कई बार तनाव इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि वह दूसरी भावनाओं और अनुभवों पर हावी हो जाता है तथा व्यक्ति लगातार घबराहट, बेचैनी, चिंता और अनमनेपन में डूबा रहता है। ऐसे में तनाव पर दबाव बनाए रखना आवश्यक हो जाता है।
तनाव की स्थिति में आमतौर पर चार प्रकार की प्रतिक्रियाएँ होती हैं –
- साधारण – इसमें बचाव करने के लिए सावधानी बरती जाती है।
- न्यूरोटिक – इसमें सावधानी और चिंता इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि बचाव नहीं किया जा सकता।
- साइकोटिक – इसमें मनोविकार के कारण सावधानी बरतने की चेतावनी को या तो गलत ढंग से समझा जाता है या उसकी अनदेखी कर दी जाती है।
- साइकोसोमैटिक – इसमें मस्तिष्क द्वारा बरती गई सावधानी बेकार हो जाती है और इसका सीधा असर शरीर पर पड़ता है, जिससे कई तरह के शारीरिक परिवर्तन आ जाते हैं।
सावधानी और तनाव वाली स्थिति ज्यादा दिनों तक बनी रहने पर सिर दर्द, आधासीसी (माइग्रेन), कमर दर्द आदि बीमारियों से लेकर दमा, दाद खाज, जोड़ों का दर्द, दिल की धड़कन बढ़ने, बदहजमी, दस्त, कब्ज और नींद की गड़बड़ी की शिकायतें भी शुरू हो जाती हैं। ये समस्याएँ जानलेवा तो नहीं होती हैं, पर इनसे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बुरी तरह से प्रभावित होता है, जिसका असर शारीरिक एवं मानसिक क्षमता पर पड़ता है।
तनाव या तो शारीरिक रूप से, भावनात्मक रूप से या फिर व्यावहारिक लक्षणों के रूप में व्यक्ति को प्रभावित करता है। इसलिए हर किसी को यत्न करना चाहिए कि तनाव की वह स्थिति सीमा के अंदर ही रहे।
तनाव को नियंत्रण में रखने के लिए अपने व्यवहार और नजरिए में, दूसरों में या फिर अपने आस-पास के माहौल में बदलाव लाना जरूरी है। तनाव का सामना करने के लिए ऐसे तौर-तरीके अपनाएँ जिनसे तनाव एक निश्चित सीमा से आगे न जा सके या फिर अपने आप में कुछ ऐसे परिवर्तन लाएँ कि तनावपूर्ण स्थिति आपके लिए ज्यादा खतरनाक न बने और वह आपके मन में घबराहट पैदा करने के बजाय आपको प्रोत्साहित करने का एक स्रोत बन जाए।
अकसर लोगों को यह मालूम होता है कि अपने तनाव और समस्याओं को कैसे कम किया जा सकता है; पर वे ऐसा कर नहीं पाते या फिर कुछ ऐसे तरीकों का सहारा ले बैठते हैं जिनसे तनाव घटने की बजाय बढ़ ही जाता है। दूसरी ओर कुछ ऐसे लोग होते हैं, जो किसी भी तरह की कोशिश तथा उसके परिणाम से हमेशा डरे रहते हैं और थोड़ा सा भी खतरा लेने के बजाय तनावपूर्ण स्थिति को झेलते रहते हैं।
1. पौष्टिक आहार –
यदि सही अंतराल पर और नियमित रूप से संतुलित और
पौष्टिक आहार लिया जाए तो वह तनाव को काफी हद तक कम करने में हमारी मदद करता है। अभी हाल में ही विभिन्न प्रयोगों से यह पता लगा है कि यदि अत्यधिक तनाव के समय विटामिन ‘बी’ कॉम्प्लेक्स, विटामिन ‘सी’ और विटामिन ‘ई’ लिये जाएँ तो हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है और हम कई बीमारियों से बच सकते हैं। विटामिनों और खनिजों से युक्त भोजन शरीर को स्वस्थ रखता है तथा रोग एवं तनाव का प्रतिरोध करने की भरपूर शक्ति देता है।
2. व्यायाम –
यह शारीरिक और मानसिक तनाव कम करने का बेहतरीन तरीका है। इसलिए जब हम बेहद परेशान या तनावग्रस्त होते हैं तो किसी भी तेज गति वाले शारीरिक कार्य, जैसे – सफाई, झाड़-पोंछ, चीजों को दोबारा तरतीब देने आदि के बाद काफी राहत महसूस होती है। नियमित व्यायाम या खेल से न सिर्फ तनावमुक्त हुआ जा सकता है, बल्कि ताजगी और चुस्ती भी महसूस होती है।
3. दूसरी ओर ध्यान लगाना –
धार्मिक सीरियल , नाटक, संगीत कार्यक्रम, खेल आदि कुछ ऐसे शौक हैं, जिनकी मदद से हम कुछ देर के लिए अपने तनाव और परेशानियों को भूल सकते हैं और दूसरी ओर ध्यान लगा सकते हैं। मनोरंजन के इन साधनों से हमें खुशी मिलती है और कई प्रकार की अंदरूनी उलझनों का सामना करने के लिए हम एक बार फिर से तैयार हो जाते हैं। लेकिन साथ-ही-साथ यह ध्यान रखना भी जरूरी है कि कुछ देर के लिए समस्या से दूर चले जाने से यह एकदम खत्म नहीं हो जाती। जरूरी यह है कि व्यक्ति उस अंतराल में एक नए जोश और उमंग के साथ समस्या का सामना करने के लिए खुद को तैयार करे।
4. तनाव जन्य परिस्थितियों से दूरी –
तनाव कम करने का एक और तरीका यह है कि कुछ समय के लिए पर्यटन आदि के इरादे से कहीं दूर चले जाएँ। पहाड़ों पर या किसी अन्य दर्शनीय स्थल पर छुट्टियां बिताना इस मामले में बहुत लाभकारी सिद्ध होता है। इससे माहौल तो बदलता ही है, आराम और तनावमुक्त वातावरण, बेहतर और नियमित खाने-पीने तथा सोने की वजह से तन व मन तरोताजा हो जाते हैं और तनाव का प्रतिरोध करने के लिए हम एक बार फिर उत्साह प्रद कदम उठा सकते हैं। हालाँकि अकसर समस्याएँ फिर पहले की तरह घेर लेती हैं, लेकिन थोड़े समय के लिए ही सही, पर हमारे तन और मन के लिए यह बदलाव जरूरी है।
5. योग एवं ध्यान –
कुछ लोग अध्यात्म, योग आदि में भी तनाव से मुक्ति पाते हैं। यदि वे इस दिशा में पूरे मन से और किसी उचित मार्गदर्शक की देख-रेख में बढ़ें तो उन्हें भी आराम की अनुभूति होती है। योगाभ्यास द्वारा हम अनुशासित ढंग से अपने मन और मस्तिष्क पर नियंत्रण करना सीख सकते हैं। यह व्यक्ति की अपनी रुचि पर निर्भर करता है कि वह तनाव-मुक्ति का कौन सा उपाय अपनाए।
तनाव पर नियंत्रण पाने का मतलब केवल अप्रिय घटनाओं का सामना करने से बचना नहीं, बल्कि सकारात्मक उपायों के जरिए तनाव का सामना करने का अभ्यास डालना भी है। यदि हम अपने रहन-सहन और व्यवहार में उचित परिवर्तन लाएँ तो आसानी से तनाव का मुकाबला कर सकते हैं और हर ऐसी स्थिति, जिसमें हम पहले कमजोर पड़ जाया करते थे, को अपने बस में कर सकेंगे। अपने दृष्टिकोण में एक सकारात्मक बदलाव लाने मात्र से ही हम उस हर परेशानी का सामना कर सकेंगे, जो हमारे जीवन में गहरे तनाव का कारण बन सकती है।