Last Updated on July 22, 2021 by admin
क्षय रोग किसी को भी हो सकता है। पहले टी.बी. लाइलाज बीमारी मानी जाती थी, लेकिन अब इलाज से यह पूरी तरह ठीक हो जाती है। क्षय रोग मुख्य रूप से फेफड़ों का होता है, लेकिन शरीर के अन्य अंगों में भी क्षय रोग हो सकता है।
टी.बी. (यक्ष्मा /क्षय रोग) के प्रमुख कारण :
इस रोग के उत्पन्न होने का मुख्य कारण मायक्रोबेक्ट्रीयम ट्यूबरक्लोसिस कीटाणु होते हैं।
इसके अलावा –
- शक्ति से अधिक परिश्रम करने,
- अंधेरे कमरे में रहने,
- खाने-पीने में बेहद बदपरहेजी,
- अत्यधिक मैथुन करने,
- ज्यादा चिंता करने से,
- अपुष्ट भोजन करने,
- या फिर टी.बी. के रोगी के साथ आहार-विहार आदि कारणों से यह रोग फैलता है।
जब क्षय का रोगी खांसता, छींकता, बातें करता, गाता या कफ थूकता है, तो क्षय के कीटाणु हवा में फैल जाते हैं। हवा में ये कीटाणु घंटों तैरते रहते हैं। जिस स्वस्थ व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) कमजोर होता है, उसकी सांस में ये कीटाणु चले जाएं, तो उसे भी क्षय रोग हो जाता है।
टी.बी. (यक्ष्मा /क्षय रोग) के प्रमुख लक्षण :
क्षय रोग के लक्षणों के रूप में –
- हलकी हरारत होना,
- हलका-हलका बुखार बना रहना,
- खांसी आना,
- वजन कम होना,
- कमजोरी आना,
- छाती में दर्द,
- भूख न लगना,
- बलगम में खून आना,
- रात में अधिक पसीना आना,
- दिल की धड़कन बढ़ना,
- सांस लेने में तकलीफ,
- अजीर्ण,
- प्यास की अधिकता,
- जी मिचलाहट
- या वमन आदि देखने को मिलते हैं।
टी.बी रोग में क्या खाएं :
✓ हलका, सुपाच्य, अधिक पौष्टिक भोजन खाएं।
✓ मक्खन, मिश्री में घी मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें।
✓ नये रोग में एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी मिला सुबह-शाम पिएं।
✓ रोग पुराना होने पर पुराने चावल का भात, मूंग की दाल, सूजी की रोटी, अरारोट, बार्ली नियमित रूप से खाएं।
✓ फलों में अंगूर, मीठा संतरा, अनार, मीठा आम, केला, सेब, नीबू, नारियल सेवन करें।
✓ कमजोरी में शहद, मुनक्का, अखरोट, खजूर, गाजर खाएं।
✓ सब्जी में प्याज, लहसुन, फूल गोभी, लौकी, पालक खाएं।
टी.बी रोग में क्या न खाएं :
✘ भारी, गरिष्ठ, तले हुए, मिर्च-मसालेदार आहार न खाएं।
✘ चाय, कॉफी, शराब का सेवन न करें।
✘ मांस, मछली, अंडा न खाएं।
✘ बासी अन्न और साग-सब्जी का सेवन न करें।
✘ अचार, खटाई, तेल, घी का अधिक सेवन करने से बचें।
✘ तंबाकू, गुटखा से परहेज करें।
( और पढ़े – टी.बी का घरेलू उपचार )
रोग निवारण में सहायक उपाय :
क्या करें –
✓ खांसते समय मुंह पर रूमाल रखें। इसे डिटोल मिले गर्म पानी में साफ करें।
✓ स्वच्छ हवादार, प्रकाश युक्त कमरे में पूर्ण आराम करें।
✓ जो दवाएं दी जा रही हों, उनका पूरा सेवन धैर्यपूर्वक करें।
✓ बलगम को राख युक्त अलग डब्बे में थूकें।
✓ परिवारीजन रोगी से मिलते समय मास्क लगाएं।
✓ मनोरंजन के लिए मनपसंद संगीत सुनें।
क्या न करें –
✘ धूम्रपान न करें।
✘ स्त्री-प्रसंग से सख्त परहेज रखें।
✘ अपनी शक्ति से ज्यादा परिश्रम न करें।
✘ दूषित हवा युक्त, गीले स्थान और अंधेरी जगह में न रहें।
✘ औषधियों का सेवन बीच में न छोड़ दें। कोर्स पूरा लें।