यूरिक एसिड की रामबाण दवा और घरेलू उपाय | Uric Acid ke Karan Lakshan Dawa aur ilaj

Last Updated on December 11, 2021 by admin

यूरिक एसिड क्या है ? इसके बढ़ने के कारण : Uric Acid Kya Hai Uric Acid Badhne ke Karan

जब शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है तो गठिया रोग हो जाता है। कुछ विशेष प्रोटीन तत्वों प्युरिन्स पदार्थों का पाचन ठीक प्रकार से नहीं हो पाता है तो यह पदार्थ यूरिक एसिड में बदल जाते हैं। ऐसी अवस्था में यूरिक एसिड की मात्रा शरीर में अधिक हो जाती है और यह पदार्थ शरीर के बाहर जाने के अलावा अन्दर ही रहने लगता है। यूरिक एसिड के क्रिस्टल जोड़ों में विशेष रूप से, गुर्दे तथा त्वचा में जमा होने लगता है। ये क्रिस्टल सुईयों की तरह चुभने लगते हैं जिसके कारण यह रोग हो जाता है।

यूरिक एसिड बढ़ने की वजह : uric acid badhne ki wajah

  • यह रोग अनुवांशिक भी हो सकता है और कुछ जाति के व्यक्तियों में यह अधिक होता है।
  •  मांस-मछली, किसी खास ब्रांड की शराब तथा अधिक पौष्टिक भोजन का सेवन करने से भी गठिया रोग हो जाता है।
  • भोजन में अधिक प्रोटीन का सेवन करने से ।
  • अधिक दवाईयों का सेवन करने के कारण भी यूरिक एसिड की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है।
  • श्रम तथा व्यायाम की कमी होने के कारण भी गठिया रोग हो जाता है।
  • शरीर में कब्ज तथा गैस बनाने वाले पदार्थों का खाने में अधिक सेवन करने के कारण भी यूरिक एसिड बढ़ गठिया रोग हो सकता है जैसे- मिर्च-मसाले, नमक, दाल, मछली, अण्डे तथा मांस आदि।
  • इसके अलावा शरीर में खून की कमी, शारीरिक कमजोरी तथा बुढ़ापे में हड्डियों की चिकनाई कम होने के कारण भी यह रोग उत्पन्न होता है।

यूरिक एसिड बढ़ने के लक्षण : Uric Acid Badhne ke Lakshan

1. इस रोग का प्रभाव रोगी में अचानक ही दिखने लगता है। 90 प्रतिशत व्यक्तियों को यह रोग पैर के अंगूठे से शुरू होता है। जब अंगूठे में दर्द होता है तो इस रोग के कारण अंगूठा लाल हो जाता है। इस रोग के कारण अंगूठे में सूजन तथा बहुत तेज दर्द होता है।

2. इस रोग के कारण रोगी व्यक्ति को बुखार भी हो सकता है।

3. यह रोग अंगूठे के अलावा घुटनों, कोहनियों तथा कानों के बाहरी भाग में भी सूजन के रूप में हो सकता है।

4. इस रोग की सूजन का उपचार न भी किया जाए तो भी यह सूजन कुछ दिनों के अन्दर अपने आप ही ठीक हो जाती है।

5. इस रोग के कारण दर्द दिन में कम तथा रात में अधिक होता है।

6. गठिया का रोग नियमित रूप से व्यायाम करने, अधिक पानी पीने तथा उन पदार्थों को ग्रहण करने, जिनसे शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा कम हो जाती है, से ठीक हो जाता है।

7. यूरिक एसिड का जमाव गुर्दे में पथरी को बनाने में मदद कर सकता है।
आइये जाने uric acid badne par kya kare ,uric acid ka ilaj in hindi

यूरिक एसिड का घरेलू उपचार : Uric Acid ka Gharelu Upchar Hindi me

1. हरड़ -यूरिक एसिड की रामबाण दवा : हरड़ और सोंठ को 3-3 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ लेने से यूरिक एसिड में लाभ होता है। ( और पढ़े – गठिया का कारण लक्षण और इलाज)

2. लोंग: लोंग, सुहागा, भुना एलवा एवं कालीमिर्च को 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर पीस लें। इस चूर्ण को घीग्वार(एलोवेरा) के रस में मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर छाया में सुखाने के बाद 1-1 गोली सुबह-शाम लेने से कुछ ही समय में यूरिक एसिड कम हो जाता है ।

3. अगर: गठिया के रोगी को दर्द वाले स्थानों पर अगर का लेप करने से लाभ मिलता है तथा उसका रोग खत्म हो जाता है।( और पढ़े – वात नाशक 50 सबसे असरकारक आयुर्वेदिक घरेलु उपचार)

4. गुग्गुल-uric acid ko jad se khatam karne ka upay: लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम गुग्गुल को शिलाजीत के साथ मिलाकर 2-3 खुराक के रूप में लेने से यूरिक एसिड की परेशानी ठीक हो जाता है।

5. तारपीन : तारपीन का तेल और एरण्ड का तेल बराबर मात्रा में लेकर मालिश करने से गठिया रोग में होने वाली सूजन मिट जाती है।

6. सहजना : गठिया के दर्द में सहजना (मुनगा) के जड़ की छाल और 2 से 4 ग्राम हींग एवं सेंधानमक मिलाकर रोगी को देने से गठिया रोग में भूख खुलकर लगती है तथा कमजोरी के कारण होने कारण होने वाला दर्द भी दूर हो जाता है।

7. शतावरि: शतावरि के तेल से मालिश करने से यूरिक एसिड के रोगी को लाभ होता है।( और पढ़े – जोड़ों का दर्द दूर करेंने के 17 घरेलु उपाय)

8. इन्द्रायण: यूरिक एसिड के रोगी को 1 से 3 ग्राम इन्द्रायण की जड़ का चूर्ण बनाकर गुड़ व सोंठ के साथ दिन में 2 बार देने से जल्द आराम मिलता है।

9. अपामार्ग : अपामार्ग (चिरचिरी) के पत्तों को पीसकर और गर्म करके गठिया रोग से ग्रस्त अंगों में बांधने से दर्द व सूजन दूर हो जाती है।

10. श्वेत पुनर्नवा : यूरिक एसिड के रोगी को श्वेत पुनर्नवा (सफेद गद पुरैना) को शाक के रूप में प्रयोग करने से लाभ मिलता है।

11. बरगद : गठिया रोग के कारण होने वाले दर्द वाले स्थान पर बरगद के दूध में अलसी का तेल मिलाकर मालिश करने से लाभ मिलता है।

12. पीपल : पीपल और बेलिया के पत्तें व छाल को एकसाथ पीसकर लेप बना लें। इसका लेप अंगुलियों व घुटनों पर करने से अंगुलियों व घुटनों की हड्डियां मजबूत होती है।

13. ऊंटकटारा : ऊंटकटारा की जड़ का रस 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करने से यूरिक एसिड के बढ़ने से होने वाला रोग(गठिया) ठीक हो जाता है।

14. गोरखमुण्डी : गठिया या जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए गोरखमुण्डी और लोंग का चूर्ण बनाकर मालिश करने से लाभ मिलता है।

15. मेथी : मेथी की सब्जी को खाने से खून साफ और शुद्ध होता है। वात रोग में मेथी के आटे को ताजी छाछ में मिलाकर पीने से लाभ मिलता है। इसके सेवन से वायु, कफ और बुखार शांत हो जाता है। मेथी पेट के कीड़ो, दर्द, सन्धिवात, पेट में वायु की गांठ, कमर का दर्द और शारीरक पीड़ा को दूर करती है। मेथी को पित्तनाशक, वायुनाशक और स्तनपान कराने वाली स्त्री के स्तनों में दूध को बढ़ाने वाली मानी जाती है।

मेथी हृदय के लिए काफी लाभदायक होती है। मेथी में पेट का दर्द मिटाने, भोजन को पचाने और कामवासना को रोकने के गुण होते हैं। इसके सेवन से स्त्रियों की कमजोरी दूर होती है। यह भूख को बढ़ाती है। प्रसूति होने के बाद गर्भाशय में कोई कसर रह गई हो, गर्भाशय ठीक से संकुचित न हुआ हो तो मेथी को पकाकर खाने से लाभ होता हैं। स्त्रियो को होने वाली बीमारी जैसे- दस्त, बदहजमी, अरूचि (भोजन की इच्छा न करना) और जोड़ों के दर्द में मेथी के लड्डुओं का सेवन किया जाता है। घरेलू औषधि के रूप में मेथी बहुत उपयोगी मानी जाती है।

यूरिक एसिड का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार : Uric Acid ki Prakritik Chikitsa

1. रोग का उपचार करने के लिए सबसे पहले शरीर में जमा यूरिक एसिड को घुलाकर शरीर से बाहर निकालने वाले पदार्थ जैसे- पोटाशियम प्रधान खाद्य पदार्थ लौकी, तरबूज, ककड़ी, खीरा, पत्तागोभी, पालक, सफेद पेठा आदि के रस को प्रतिदिन पीना चाहिए और फिर उपवास रखना चाहिए।

2. इस रोग से पीड़ित रोगी को लहसुन अधिक खाने चाहिए।

3. सुबह के समय में अंकुरित मेथीदाना तथा शहद का सेवन करने से यूरिक एसिड कम हो गठिया रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

4. गठिया रोग से प्रभावित भाग पर नारियल या सरसों के तेल में कपूर मिलाकर मालिश करने से जोड़ों की अकड़न कम हो जाती है और दर्द भी कम हो जाता है।

5. रोगी को 1 चुटकी हल्दी खाकर ऊपर से पानी पीने से दर्द में आराम मिलता है।

6. इस रोग से पीड़ित व्यक्ति यदि हारसिंगार की 4-5 पत्तियों को पीसकर 1 गिलास पानी में मिलाकर सुबह तथा शाम लगातार 2-3 सप्ताह तक पिये तो उसका यूरिक एसिड कम हो गठिया रोग जल्दी ठीक हो जाता है।

7. यूरिक एसिड की बढ़ी हुयी मात्रा कम करने के लिए कई आसन हैं जिन्हें प्रतिदिन करने से गठिया रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है ये आसन इस प्रकार हैं- पद्मासन, वज्रासन, उज्जायी, सूर्यभेदी, प्राणायाम, भस्त्रिका-नाड़ीशोधन, सिद्धासन, गोमुखासन, गोरक्षासन, सिंहासन तथा भुजंगासन आदि।

यूरिक एसिड में क्या खाना चाहिए :

  • रोगी को संतुलित, आसानी से पचने वाला भोजन खाना चाहिए जैसे चोकर युक्त आटे की रोटी, छिलके वाली मूंग की दाल खाएं।
  • सब्जियों में सहिजन, मेथी, सरसों का साग, लौकी, तुरई, पत्ता गोभी, परवल, अजमोद,आलू, अदरक, करेला, लहसुन का सेवन करें।
  •  डेयरी पदार्थ जैसे दूध और दूध से बने उत्पाद कैल्शियम का अच्छा स्रोत है। इन्हें ले सकते है लेकिन बेहतर यह होगा की आप इस रोग में दूध दही भी कम मात्रा में ही लें।
  •  कैल्शियम की पूर्ति फलों और सब्जियों से करें।
  • रोगी बादाम, अखरोट, काजू, मूंगफली आदि भी खाएं।
  • चाय में ग्रीन टी और तुलसी की चाय ।
  •  इस रोग में हींग, शहद, अश्वगंधा और हल्दी भी लाभकारी है।

यूरिक एसिड में क्या नहीं खाना चाहिए / परहेज :

  • यूरिक एसिड बढ़ने पर बासी, गरिष्ठ, घीतेल में तले हुए, अचार, मिर्च मसालेदार भोजन न खाएं। इस रोग में गैस पैदा करने वाले खट्टी व ठंडी चीजों से परहेज करना चाहिए।
  • सॉफ्ट ड्रिक और मैदे से बनी चीजे, डिब्बा बंद भोजन, फ्रोजन सब्जियां और जंक फूड, नही लेने चाहिए।
  • गठिया रोग में रात या शाम के समय दही, छाछ, लस्सी आदि का परहेज रखें ।
  • रोगी खटाई युक्त चीजें कच्चा आम, इमली, सिरका आदि का सेवन न करें।
  • कॉफी, चाय और सोडा ड्रिक में कैफीन होती है। कैफीन शरीर में कैल्शियम का एब्जाब्शन रोकती है, जिससे हडियों को नुकसान हो सकता है। इसलिए शरीर में ज्यादा कैफीन नहीं जानी चाहिए।
  • ज्यादा एल्कोहल यानी शराब भी हमारी हड़डियों को नुकसान पहुचाती है ।

यूरिक एसिड में इन बातों का भी रखें ख्याल :

  •  नियमित टहलना, घूमनाफिरना, व्यायाम एवं मालिश करें।
  • सीढ़ियां चढ़ते समय, घूमनेफिरने जाते समय छड़ी का प्रयोग करें।
  • रोगी ठंडी हवा, नमी वाले स्थान व ठंडे पानी के संपर्क में न रहें।
  •  रोगी घुटने के दर्द में पालथी मार कर न बैठे एवं अधिक आराम करने की भी आदत न डालें।
  •  दर्द निवारक दवाओं की आदत न डालें।

यूरिक एसिड की आयुर्वेदिक दवा : Uric Acid ki Ayurvedic Dawa

यूरिक एसिड कम करने वाली लाभदायक आयुर्वेदिक औषधियां ।

  • संधिशूल योग
  • गोझरण अर्क
  • रामबाण बूटी

(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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