Last Updated on July 31, 2020 by admin
वात पित्त और कफ प्रकृति के लक्षण (Body According To Ayurveda Vata Pitta And Kapha in Hindi)
वात प्रकृति वाले व्यक्ति के लक्षण (vata prakriti ke lakshan in hindi)
vata prakriti ke vyakti kaise hote hain
वात प्रकृति वाले व्यक्तियों में निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ होती हैं –
- वात प्रकृति (vata prakriti) वाले व्यक्तियों का सीना सामान्यतः चपटा होता है।
- वात प्रकृति के व्यक्ति शारीरिक रूप से दुबले व अत्यंत सक्रिय होतें है।
- इनकी मांसपेशियाँ, स्नायु और नसें बाहर से दृष्टिगोचर होती हैं।
- ऐसे व्यक्ति का रंग भूरा या नीलाभ होता है।
- इनकी त्वचा रूखी, ठंडी, सूखी और फटी हुई होती है।
- इनके बाल काले और घुघराले होते हैं तथा मांसपेशियाँ कमजोर होती हैं।
- इनकी आँखें छोटी सूखी और धसी हुई होती हैं तथा इनके नेत्र श्लेष्म (कंजक्टिवा) कीचयुक्त तथा सूखे होते है।
- वात प्रकृति के व्यक्ति की पाचन शक्ति में भिन्नता हो सकती है ।
- ऐसे व्यक्ति मीठा, खट्टा और नमकीन खाद्य पदार्थ तथा गरम भोजन पसंद करतें है।
- इनका मल सख्त, सूखा और मात्रा में कम होता है।
- अधिकांशत: ऐसे व्यक्ति कब्ज का शिकार होता है।
- उसकी नींद बाधित होती है।
- इनके हाथ-पैर अकसर ठंडे रहते हैं तथा इन्हें पसीना कम आता है ।
- यह जल्दी-जल्दी बात करते है और चलते है तथा थका हुआ महसूस करतें है।
- असहिष्णुता और आत्मविश्वास की कमी के कारण इनकी याददाश्त क्षीण होती है।
- वात अवस्था जीवन का अंतिम एक तिहाई भाग (इकसठ वर्ष की उम्र से जीवन के अंत तक) है।
पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति के लक्षण (pitta prakriti ke lakshan in hindi)
pitta prakriti ke vyakti kaise hote hain
पित्त प्रकृति वाले व्यक्तियों में निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ होती हैं –
- कद – मध्यम आकार का
- शरीर का गठन – नाजुक
- सीना – मध्यम
- मांसपेशियाँ, नसें – मध्यम
- स्नायु – मध्यम प्रधानता
- तिल – कई, नीलाभ या भूरापन लिये हुए
- त्वचा – गरम, मुलायम, कम झुरींदार होती है
- बाल – पतले, लाल, रेशमी, जल्दी सफेद होनेवाले
- आँखें – मध्यम प्रमुख रूप से
शारीरिक रूप से –
- चयापचय – अच्छा रहता है
- पाचन – अच्छा रहता है
- भूख – अच्छी, अधिक भोजन तथा पेय पदार्थ लेते है
- स्वाद – मीठा, कडवा और सख्त
- नींद – अबाधित
- शरीर – इनका तापमान वात प्रकृतिवाले लोगों से अधिक होता है
- पसीना – अधिक आता है
- पैर और हाथ – गरम रहते है
- सहनशीलता – गरम मिजाजी
- वित्त/संपत्ति – पित्त प्रकृतिवाले लोग आर्थिक समृद्ध होते है
- पित्त का काल जीवन का दूसरा एक-तिहाई भाग (31-60 वर्ष) होता है।
कफ प्रकृति वाले व्यक्ति के लक्षण : cough prakriti ke lakshan in hindi
cough prakriti ke vyakti kaise hote hain
कफ प्रकृति वाले व्यक्तियों में निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ होती हैं –
- शरीर – सुविकसित रहता है
- वजन – अधिक होता है
- सीना – चौड़ा और विस्तृत होता है
- नसें, मांसपेशियों, स्नायु – नहीं दिखती
- रंग – चमकीला तथा गोरा होता है
- त्वचा – मुलायम, तैलीय, ठंडी तथा पीली होती है
- बाल – नीले या काले और घने तथा आकर्षक
शारीरिक रूप से –
- भूख – नियमित
- पाचन – धीमा
- मात्रा – कम
- स्वाद – तीखा, कड़वा और सख्त स्वाद पसंद करते है
- जीवन – ये खुशहाल, स्वस्थ और शांतिपूर्ण जीवन जीते है
- मानसिक स्थिति – प्यार करनेवाला, सहनशील, शांत, माफ करनेवाला, लालचीपन, नफरत
- याददाश्त – अच्छी होती है
- वित्त – अपनी समृद्धि को बरकरार रखता है
- कफ का काल जीवन का पहला एक-तिहाई (30 वर्ष तक) होता है।
वात, पित्त, कफ प्रकृति के अनुसार वर्गीकृत आहार : Ayurvedic Vata, Pitta Kapha Diet chart in Hindi
नीचे दी गयी सूची विवरण देती है कि आपकी प्रकृति के अनुरूप आपको कौन से आहार को महत्व देना चाहिए। वे आपके दोषों को संतुलित और अनुकूल करते हैं।
दिलचस्प बात है कि, हो सकता है आपको लगेगा कि ये वही भोजन हैं जिन्हें खाने में आपको मजा आता है, क्योंकि आपका शरीर जानता है कि इसे किस समय किसकी जरुरत है। आपके शरीर द्वारा भेजे गये संकेतों को पहचाना सीखें।
वात प्रकृति के अनुरूप आहार (vata prakriti diet plan) :
वात प्रकृति वाले लोगों के लिए मीठे, खट्टे और नमकीन स्वाद का दोष पर संतुलित असर पड़ता है।
वात प्रकारों को भी गर्म भोजन और पेय पदार्थों को महत्व देना चाहिए।
निम्नलिखित भोजनों की सिफारिश की जाती हैं –
अनाज : गेहूं, ओट्स/ जई, सूजी, बासमती चावल। अनाजों को पकाना उत्तम रहता है।
सब्जियां : अच्छे से पकी सब्जियां, कम या बिल्कुल भी कच्चा भोजन नहीं, चुकुंदर, गाजर, खीरा, भिंडी, शकरकंद, स्टीम की गयी मूली, सिलेरी, एस्पैरागस, ताजी मटर, आलू, टमाटर, हरी पत्तेदार सब्जियां।
दालें : पीली मूंग दाल, मसूर दाल (दोनों छिलके सहित), अच्छी क्वालिटी के पके हुए छोलें जब वे मुलायम हों।
फल : मीठे, पके हुए फल जैसे अंगूर, आम, केले, अवकाडो, तरबूत, पपीता, बेरीज, चेरीज, नारियल, ताजे अंजीर, ताजे खजूर, संरते, आडू, नेक्टरीन्स, पाइनेप्पल, आलू बुखारा, ढेर सारे सेव और नाशपाती, मुख्यतया स्ट्यू किए गए।
दूध के उत्पाद : दूध, क्रीम, क्रीम चीज, लस्सी, खट्टे दूध के उत्पाद।
तेल और वसा : घी, मक्खन, तल का तेल, सूरजमुखी का तेल, ऑलिव ऑयल।
मेवे और बीज : काजू, कद्दू के बीज, साबुत बादाम, तिल के बीज, सूरजमुखी के बीज।
स्वीटनर (शक्कर) : पाम शुगर, गुड़, मैपल सिरप, शहद, कैंडी शुगर।
मसाले : अनीज, हींग, मेथी, जीरा, हल्दी, सौंफ, अदरक, इलायची, लौंग, जायफल, कलौंजी, नमक, सरसों के दाने, काली मिर्च, दालचीनी।
जड़ी-बूटियां : तुलसी, लेमन बॉम, मार्जोरम, ऑरिगानो, थाइम। सभी मीठी, खट्टी और नमकीन स्वाद वाली जड़ी-बूटियां।
पित्त प्रकृति के अनुरूप आहार (pitta prakriti diet plan) :
पित्त सरंचना के लिए मीठा, कड़वा और कसैला स्वाद में दोषों पर संतुलित असर होता है। पित्त प्रकारों को ठंडक भरा खाना और पेय की जरुरत होती है और निम्नलिखित भोजनों को पसंद करना चाहिए –
अनाज : बासमती चावल, गेहूं, सूजी, ओट्स, जौ, कूसकूस।
सब्जियां : सब्जियां जिनका स्वाद या तो मीठा, कड़वा या कसैला हो । आर्टिचोक्स, आलू, हरी बीन्स, कॉर्जेट्स, चिकोरी, हरी पत्तेदार सब्जियां, लेट्यूस, भिंडी, एस्पैरागस, खीरा, फूलगोभी, ब्रोकली, लाल पत्ता गोभी, सफेद पत्तागोभी, मटर, कद्दू, लौकी।
दालें : सभी तरह की दालें, जैसे – लाल दालें, चना दाल, उड़द दाल, पीली मूंग दाल, छोले ।
फल : केला, नाशपाती, फिरस, खजूर, आम, अंगूर, मीठी चेरीज, नारियल, तरबूज, आलू बुखारा, किशमिश, अनार और मीठे, पके हुए सेब।
दूध के उत्पाद : दूध, क्रीम, क्रीम चीज, लस्सी, ठंडी आईस-क्रीम (शर्बत) लेकिन किफायत से।
तेल और वसा : घी, मक्खन, नारियल तेल, ऑलिव ऑयल।
मेवे और बीज : नारियल, हरे पिस्ता, ।
स्वीटनर (शक्कर) : शक्कर, गुड़, पॉम शुगर।
मसाले : धनिया, जीरा, सौंफ, किफायती मात्रा में अदरक, इलायची,केसर, जरा सी काली मिर्च, दालचीनी।
जड़ी-बूटियां : बेसिल (तुलसी), हरा धनिया, मिन्ट, पार्सले, सेज, लेमन बाम ,सभी मीठी, कसैली और कड़वे स्वाद वाली जड़ी-बूटियां।
कफ प्रकृति के अनुरूप आहार (cough prakriti diet plan) :
कफ प्रकृति वालों के लिए तीखा, कड़वा और कसैला स्वाद वाले भोजन दोष को संतुलित करते हैं। भोजन चटपटा और गर्म खाना पसंद किया जाता है। कफ प्रकृति वालों को वसा और तले हुए भोजनों से सावधान रहना चाहिए। कफ हावी रहने वालों के लिए सिफारिश किए गए भोजन –
अनाज : बासमती चावल किफायती मात्रा में, बाजरा, मक्का, जौ, राई।
सब्जियां : तीखी, कड़वी और कसैली सब्जियां पसंद की जानी चाहिए, ब्रोकली, फूलगोभी, चिकोरी, चुकुंदर, गाजर, सिलेरी, एस्पैरागस, भिंडी, पेपरिका, मटर, लाल पत्ता गोभी, सफेद पत्ता गोभी, हरी पत्तेदारी सब्जियां, लेट्यूस, स्प्राउट्स, मूली, छोटी मूली, सौंफ।
दालें : दालें, चना दाल, तुअर दाल, पीली मूंग दाल, छोले, लाल दालें।
फल : सेव, बेरीज, आम, नाशपाती, अनार, चेरीज, सूखे हुए अखरोट,किशमिश, आलूबुखारा और फिग्स।
दूध के उत्पाद : दूध के उत्पाद किफायत से, क्योंकि वे कफ प्रकार वालों में अपशिष्ट पदार्थ बनाते हैं। छाछ, लस्सी।
तेल और वसा : केवल छोटी मात्राओं में। घी, सूरजमुखी का तेल, सैफ्लावर तेल, ऑलिव ऑयल।
मेवे और बीज : इन्हें भी केवल कम मात्रा में लेना है । सूरजमुखी के बीज, कद्दू के बीज, पिस्ता।
स्वीटर/शक्कर : शहद, गुड़ सीमित मात्रा में।
मसाले : हींग, अदरक, मिर्ची, काली मिर्च, धनिया के बीज, हल्दी, दालचीनी, लौंग, इलायची, जीरा, सरसों के दाने, मेथी के दाने, काला जीरा, ऑलस्पाइस (पंचमसाला)।
जड़ी-बूटियां (Herbs) : पार्सले, हरा धनिया, तुलसी, लेमन बाम, टैरागन, लोवेज।