Last Updated on August 13, 2024 by admin
गोखरू क्या है ? : Gokhru in Hindi
धरती पर बेल की भाँति फैलने वाला यह पौधा दो प्रकार का होता है छोटा गोखरू और बड़ा गोखरू। छोटे गोखरू के पत्ते चने के पत्तों की भाँति होते हैं। उस पर पीले रंग के फूल आते हैं। बड़े गोखरू के पत्ते छोटे होते हैं पर वे ऊपर की ओर उठे रहते हैं। इनके फलों को ही गोखरू कहते हैं जो चार काँटे वाले होते हैं। सूखने पर ये धरती पर गिर जाते हैं। इनके काँटे सख्त हो जाते हैं और आने-जाने वाले उन राहगीरों के पैरों में चुभते रहते हैं। जो नंगे पैर उधर से गुजरते हैं।
गोखरू का विभिन्न भाषाओं में नाम : Name of Gokhru in Different Languages
Gokhru in –
- हिन्दी (Hindi) – गोखरू,
- संस्कृत (Sanskrit) – गोक्षुर,
- मराठी (Marathi) – सराटे,
- गुजराती (Gujarati) – गोखरू,
- पंजाबी (Punjabi) – भखड़ा,
- फ़ारसी (Farsi) – खोरखसक,
- अरबी (Arbi) – हसक,
- तामिल (Tamil) – पान्नेरुमुल्लू,
- तामिल (Tamil) – नेरूनाजि,
- कन्नड़ (Kannada) – सन्नानेग्गुलु,
- बंगाली (Bangali) – गोखरी,
- इंगलिश (English) – Tribulus terrestris,
- लैटिन (Latin) – ट्रिबुलस टेरेस्ट्रिस
गोखरू के औषधीय गुण : Gokhru ke Gun in Hindi
- गोखरू शक्तिवर्द्धक, शीतल, मधुर, मूत्रशोधक और वीर्यवर्द्धक होता है ।
- यह पथरी, प्रमेह, साँस की बीमारी, वात रोग, हृदय रोग और बवासीर में काम आने वाला माना जाता है।
- गोखरू पथरीनाशक, पेट के सभी रोगों में काम आने वाला तथा नपुसंकता को दूर करने वाला है ।
- यह गुर्दे के विकार को नष्ट करने वाला तथा प्रजनन अंगों में संक्रमण करने वाले रोगों को रोकने वाला है ।
- गोखरू स्त्रियों के प्रदर-रोग में लाभकारी और अत्यधिक रक्त-स्राव को रोकने वाला है।
गोखरू का उपयोगी भाग : Useful Parts of Gokhru in Hindi
गोखरू का उपयोगी भाग इसके फल है । गोखरू की बेल में शरद ऋतु के उपरान्त पुष्प लगते हैं। बाद में गोखरू फल लगते हैं। इसे संग्रहीत करके एक वर्ष तक इसका चूर्ण उपयोग में लाया जा सकता है। इससे मिलती-जुलती अन्य जातियाँ जहरीली होती हैं। इसके रस में गन्ने के रस जैसी गन्ध आती है।
गोखरू के फायदे और औषधीय उपयोग : Uses and Benefits of Gokhru in Hindi
1. वीर्य वर्धक – गोखरू का प्रयोग धातु दुर्बलता के लिए बहुत कारगर है। गोखरू, शतावर, नागबला, खिरैटी, असगन्ध, इनको समभाग में लेकर कूट-पीसकर कपड़छन कर लें और प्रतिदिन एक छोटा चम्मच चूर्ण, दूध के साथ लें। इसका सेवन धातु क्षीणता की समस्या में रामबाण औषधि के समान है। इसे कम-से-कम चालीस दिन नियमित रूप से लें। ( और पढ़े – वीर्य को गाढ़ा व पुष्ट करने के आयुर्वेदिक उपाय)
2. सुजाक में – गोखरू के हरे पत्ते 10 ग्राम ककड़ी के बीज 6 ग्राम, काली मिर्च दो-तीन, इन्हें पीसकर अच्छी तरह घोंट लें और पानी के साथ पी जाएँ। कुछ ही दिनों में सुजाक रोग नष्ट हो जाएगा।
3. मूत्र रोग – गोखरू के बीजों का काढ़ा रोज रात को पीने से मूत्र रोग दूर हो जाते हैं। पेशाब खुलकर आता है। स्वप्नदोष नहीं होता।
4. पिस्सू – इसको पानी में उबाल कर उस पानी को कमरे में छिड़कने से पिस्सू भाग जाते है।
5. सूजन – इसको पीसकर गरम करके लेप करने से सूजन दूर हो जाती है । ( और पढ़े – सूजन दूर करने के घरेलु उपाय )
6. कामेन्द्रिय की शक्ति – गोखरू को तीन बार दूध में जोश देकर तीनों बार सुखाकर उसके बाद उनका चूर्ण बनाकर खाने से कामेन्द्रिय की शक्ति बहुत बढ़ती है।
7. रक्त शुद्धि – इसकी तरकारी खून को साफ करती है।
8. पेशाब की जलन – इसके पंचाग को पानी में भिगोकर खुब मसलने से इसका लुआब निकल आता है इस लुआब में मिश्री मिलाकर पीने से सूजाक और पेशाब की जलन में बहुत लाभ होता है। ( और पढ़े – पेशाब में जलन के 25 घरेलू उपचार)
9. घाव – जख्मों या घावों के ऊपर भी यह वनस्पतिं अच्छा काम करती है। इसके काढ़े से घावों को धोने से या इसका रस लगाने से घावों का मवाद साफ होकर घाव जल्दी भर जाते हैं।
10. नेत्र रोग – नेत्र रोगों के ऊपर भी इस वनस्पति का प्रभाव इष्टिगोचर होता है। इसका ताजा रस आँख में लगाने से आख की बीमारियों में लाभ होता है।
11. आँख का लाल होना – इसको ताजा कुचलकर आँख के ऊपर बाधने से आँख की ललाई, आँख से पानी को बहना और आँख के खटकने में फायदा होता है।
12. मसूड़ों में सूजन – इसको पानी में उबाल कर उस पानी से कुल्ले करने से मसूड़ों के जखम और बदबू मिट जाती है। गले की सूजन भी इससे नष्ट हो जाती है।
13. स्वप्नदोष – रात्रि के समय होनेवाले अनैच्छिक मुत्रश्राव और स्वप्नदोष तया नपुंसकता और धातु दौर्बल्य में गोखरू काम में लिया जाता है। ( और पढ़े –स्वप्नदोष के घरेलू उपचार )
14. पथरी – गोखरू और पाषाण भेद का काढ़ा बनाकर पिलाने से पथरी गल जाती है।
15. भेड़ के दूध में शहद मिलाकर उसके साथ इसके चूर्ण को खाने से पथरी दूर होती है।
16. आमवात – गोखरू और सूठ का काढा प्रतिदिन सुबह लेने से आमवात में लाभ होता है।
17. प्रसूति रोग – गोखरू का काढ़ा बनाकर पिलाने से प्रसूति के बाद गर्भाशय में रही हुई गन्दगी साफ हो जाती है।
18. पुराना सुजाक – गोखरू के पंचाग का काढ़ा बनाकर उसमें यवक्षार मिला कर पीने से पुराना सुजाक मिटता है।
19. मूत्रकृच्छ – गोखरू, शतावर, काशमूल, कुशमूल, विदारीकन्द, शालिधान्यमूल , इक्षुमूल, कशेरू, मिलित 2 -2 तोले, काढ़ा बनाने के लिए जल 32 तोले, अवशिष्ट क्वाथ(क्वाथ निर्माण के पश्चात् बचा जल) 8 तोले।
इस क्वाथ को छानकर शीतल होने पर मधु (1 तोला ) तथा मिश्री (1 तोला ) मिलाकर पीने से पैत्तिक मूत्रकृच्छ नष्ट होती है |
20. आमवात – गोखरू, सोये, वच, सहिजन की जड़ की छाल, वरूण की छाल, बला, पुनर्नवा, कचूर, प्रसारणी, जयन्ती के बीज, हींग; इन्हें शुक ( सिरका ) एवं कॉजी से पीसकर लेप करना चाहिये। इससे आमवातज वेदना नष्ट होती है | ( और पढ़े – आमवात के 15 घरेलू उपचार )
गोखरू के दुष्प्रभाव : Gokhru ke Nuksan in Hindi
- ठण्डे स्वभाव के व्यक्तियों गोखरू का अधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिये इसका सेवन उनके लिए हानिकारक हो सकता है।
- गोखरू का अधिक मात्रा का सेवन करने से प्लीहा और गुर्दों को हानि पहुंचती है और कफजन्य रोगों की वृद्धि होती है।
अस्वीकरण: इस लेख में उपलब्ध जानकारी का उद्देश्य केवल शैक्षिक है और इसे चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं ग्रहण किया जाना चाहिए। कृपया किसी भी जड़ी बूटी, हर्बल उत्पाद या उपचार को आजमाने से पहले एक विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें।