Last Updated on November 16, 2020 by admin
सर्दी जुकाम के लक्षण : sardi jukam ke lakshan in hindi
- जुकाम ‘इन्फ्लूएन्जा’ का ही हल्का रूप होता है। इन्फ्लूएन्जा की तरह इसका प्रभाव क्षेत्र भी ‘नाक की झिल्ली’ और ‘गला’ ही है। किन्तु इसमें इन्फ्लूएन्जा की तरह बुखार नहीं होता है। लेकिन तबियत भारी-भारी और गिरी पड़ी रहती है।
- नये जुकाम में नाक से पानी गिरता है, नाक में छींके आती हैं तथा सिर में भारीपन रहता है, नाक में जलन सी महसूस होती है।
- आँखें लाल हो जाती है और गला भारी हो जाता है।
- एक दो दिन तक तो नाक से लगातार पानी बहता है फिर धीरे-धीरे बलगम गाढ़ा होने लगता है। आम तौर पर 3-4 दिन में जुकाम पक जाता है। जुकाम के पक जाने पर बलगम गाढ़ा और पीला सा हो जाता है। कई बार नाक बन्द हो जाती है। विशेष रूप से रात के समय आमतौर पर नाक बन्द हो जाने से रोगी को मुँह से सांस लेना पड़ता है।
- यह एक संक्रामक रोग है। इसमें रोगी की नाक की श्लैष्मिक कला में शोथ हो जाया करता है। आइये जाने जुकाम कैसे होता है व किन कारणों से होता है |
सर्दी जुकाम के कारण : sardi jukam ke karan in hindi
- जुकाम आम तौर पर कब्ज होने पर सर्दी लग जाने से होता है।
- कब्ज की हालत में नंगे, और ठन्डे पानी में चलने-फिरने से, बरसात में भीगनें से, एका एक पसीना बन्द हो होने से, बाहरी पदार्थ के प्रवेश करने से होता है।
- ऋतु परिवर्तन होने से भी जुकाम हो जाता है।
- मल, मूत्रादि के वेग को रोकना |
- अति स्त्री प्रसंग करना|
- धुल तथा धुएं का नाके के नथुनों में जाना |
- रात में अधिक जागरण |
- एकाएक पसीना बंद होना |
- श्वाश रोंग |
- पाचन शाक्ति के विकार|
- नासा रोग |
- शीतल जल पीने, बर्फ का सेवन से भी सर्दी जुकाम हो जाता है |
- श्वसन तंत्र का वयरल, इन्फेक्शन जेसे कारण भी सर्दी-जुकाम होने के लिए जिम्मेदार माने गए हैं ।
सर्दी जुकाम में खान-पान और परहेज :
- रोगी को विश्राम कराने से रोग कुछ कम हो जायेगा।
- सर्दी से रोग होने पर गले व सिर पर मफलर लपेटने का निर्देश दें।
- रात को पसीना लाने हेतु रजाई (लिहाफ) या कम्बल रोगी को ओढ़वा दें।
- गर्म पानी की बोतलें शरीर के साथ लगवा दें।
- गर्म पानी के साथ खाने की औषधिया दें। मामूली रोग 3 से 5 दिन में स्वत: ठीक हो जाता है।
- इसमें दवा नहीं देनी चाहिए ताकि शरीर का संचित ‘विजातीय द्रव’ नाक के द्वारा बहकर बाहर निकल जाये।
- रोगी को उपवास करायें।लघुपाकी आहार दें।
- कब्ज न रहने दें।
- आवश्यकतानुसार तुलसी के पत्तों की चाय पिलवायें ।
- मैथुन करने की सख्त मनाही कर दें।
- नजले में सोने से पूर्व गर्दन और छाती पर ‘अमृत द्रव’ को अच्छी तरह मलवाकर गर्म वस्त्र से ढकवा दें या गरम जल की केतली में इसको 4से 5 बूंद मिला कर रोगी को उसकी भाप सुंगवा दें। रोग में आराम आ जाता है।
सर्दी जुकाम दूर करने के आसान घरेलू उपाय : sardi jukam ke gharelu upay in hindi
sardi jukam ka nuskha
1) षडबिन्दु तैल – षडबिन्दु तैल की दो-दो बूंदे कुछ समय तक नाक एवं कान में टपकाने से बार-बार छींक आने का विकार नष्ट हो जाता है।
2) कुलिंजन – कुलिंजन की पोटली बाधकर सूंघने से अधिक छींके आना बन्द हो जाती हैं। ( और पढ़ें – सर्दी जुकाम के 20 घरेलु उपचार )
3) आक – जरा सी चूल्हे की गरम राख में 2 बूंद अकौड़ा (आक, अकौआ) का दूध डाल कर मिलालें और उसकी नस्य दें। इस प्रयोग से 3-4 मिनट में ही छींके आनी प्रारम्भ हो जाती हैं। जब छींके बन्द करनी हों तब एक लोटा पानी से नाक व गला साफ करायें। छींके आनी बन्द हो जायेगी।
4) सोंठ – दो ग्राम पिसी हुई सोंठ की फंकी लेकर ऊपर से गर्म दुग्ध पान करने से जुकाम दूर हो जाता है। ( और पढ़ें – सर्दी जुकाम के 15 नुस्खे)
5) अजवायन – मलमल के एक साफ वस्त्र में 1 ग्राम अजवायन रखकर पोटली को बार-बार सँधे । जुकाम दूर करने वाला अत्यन्त सस्ता, सरल, सुगम, योग है।
6) काली मिर्च – काली मिर्च 3 ग्राम, गुड़ 25 ग्राम, गाय का दही 50 ग्राम लें। काली मिर्ची को पीसकर तीनों वस्तुओं को आपस में मिलालें । प्रात: व सायं दोनों समय सेवन कराने से बिगड़ा हुआ जुकाम भी ठीक हो जाता है। ( और पढ़ें – कालीमिर्च के 51 हैरान कर देने वाले जबरदस्त फायदे )
7) गर्म सेक – कपड़े को गर्म करके माँथा सेकने से जुकाम में लाभ हो जाता है।
8) भांग की पत्ती – भांग की पत्ती डेढ़ ग्राम, गुड़ 3 ग्राम लें। दोनों को मिलाकर गोली बनाकर रोगी को निगलवा दें। दवा खिलाने के बाद पानी न पिलायें तथा तुरन्त सुलादें । एक ही रात्रि में जुकाम दूर हो जाता है किन्तु भांग का नशे के तौर पर प्रयोग करने वालों पर इस योग का प्रभाव नहीं होता है।
9) बताशे – बताशे 11 नग, काली मिर्च 6 नग कुटी हुई को 100 ग्राम पानी में औटा लें । जब 50 ग्राम पानी शेष रहे उतार कर ठन्डा होने पर पिलायें। जुकाम नष्ट हो जाता है।
10) कपूर – सत पोदीना (पिपर मेन्ट) 10 ग्राम, कपूर 3 ग्राम, दालचीनी का तेल 3 ग्राम, इलायची का तेल 1 ग्राम, लौंग का तैल डेढ़ ग्राम लें। पिपर मेन्ट व कपूर को खूब घोंटकर 15 ग्राम अच्छी वैसलीन में मिलालें । फिर अन्य औषधियाँ भी इसमें मिलालें । दर्द निवारक (हर प्रकार के दर्दो को दूर करने वाला) बाम तैयार है। जुकाम के प्रकोप में भी इस्तेमाल करें, माथे पर मालिश करायें। ( और पढ़ें – गर्मियों में पुदीना के अमृततुल्य 17 फायदे )
11) अदरक – अदरक का रस 3 ग्राम, काली मिर्च 5 नग, मिश्री 6 ग्राम सभी को 150 ग्राम जल में औटावें। चतुर्थांश रह जाने पर छानकर रोगी को पिलायें। जुकाम में विशेष लाभ होता है। ( और पढ़ें – गुणकारी अदरक के 111 औषधीय प्रयोग )
12) खसखस – बीज सहित 20 ग्राम खसखस (डोंडों) का क्वाथ बनाकर उसमें 25 ग्राम मिश्री मिलाकर, शर्बत बनालें। इसे 30 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार सेवन कराने से जुकाम(प्रतिश्याय) तथा कार (खाँसी) में लाभ होता है।
13) चना – भुने हुए चनों की पोटली बनाकर गले को खूब सेंकने से तथा बाद में उन्हीं को खाने से जुकाम(प्रतियाय) में लाभ होता है। यह प्रयोग दिन भर के उपवास के बाद रात्रि में करना चाहिए, इसके पश्चात सो जाना चाहिए। उपवास में कुछ भी सेवन न करें।
14) चिरौंजी – चिरौंजी की गिरी को पीसकर थोड़े घृत में छोंक व दूध मिलाकर आग पर 1-2 उबाल देकर, इसमें थोड़ा इलायची चूर्ण व शक्कर मिलाकर गरम-गरम पीने से जुकाम(प्रतिश्याय )में लाभ होता है।
15) नीबू – आग की भूभल पर पकाये हुए नीबू का गरम रस पीने से तथा नीबू को चीर उसे सूंघने जुकाम में लाभ होता है।
16) नकछिकनी – नकछिकनी के स्वरस, चूर्ण या फूल की घुन्डी को मसलकर नस्य देने से छींके आकर प्रतिश्याय खुल जाता है। सिर का दर्द ठीक हो जाता है तथा पीनस के कृमि नष्ट होकर छींक के साथ बाहर निकल जाते हैं।
17) लौंग – लौंग का तैल 2 बूंद को शक्कर के साथ देने से या उसे स्वच्छ रूमाल पर छिड़क कर बार-बार पूँघने से जुकाम में लाभ होता है। ( और पढ़ें – लौंग खाने के 73 बड़े फायदे )
18) नीलगिरी – नीलगिरी का तैल रूमाल पर डालकर बार-बार पूँघने से भी सर्दी जुकाम में लाभ हुआ करता है।
19) राई – राई 4-6 रत्ती तथा शक्कर 1 ग्राम को मिलाकर के थोड़े जल के साथ सेवन करने से सर्दी जुकाम में लाभ होता है।
20) पान – ताम्बूल (पान) 3 नग तथा तुलसी पत्र 15-20 (छोटे-छोटे टुकड़े कर लें) 100 ग्राम पानी में पकावें 50 ग्राम पानी शेष रहने पर 10 ग्राम शहद मिला कर दिन में 3 बार सेवन करने से सर्दी जुकाम 1-2 दिन में ही ठीक हो जाता है। ( और पढ़ें – तुलसी रहस्य किताब मुफ्त डाउनलोड करें )
21) तुलसी – तुलसी पत्र 11, काली मिर्च 5 तथा थोड़ी सी अदर या सोंठ मिलाकर बनाई गई चाय में शुद्ध गुड़ या चीनी मिलाकर पिलाने से साधारण सर्दी जुकाम में बहुत लाभ होता है।
22) जायफल – जायफल को जल में घिसकर नाक तथा कपाल पर लगाने से (लेप करने से) सर्दी जुकाम जन्य शिरःशूल (सिरदर्द) में लाभ होता है। ( और पढ़ें – जायफल के 58 अदभुत फायदे )
23) शहद – त्रिकटु, सोंठ, कालीमिर्च, पीपल तथा त्रिफला, बहेड़ा, आँवला, दोनों को समभाग पीसकूट एवं छानकर 3-6 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ सेवन करने से कफ की अधिकता वाला जुकाम नष्ट हो जाता है।
24) सरसों – पीली सरसों का तैल स्वच्छ कपड़े से छानकर सुरक्षित रखलें । इसकी 3-4 बूंदे नासा छिद्रों में डालने से तथा फिर सूँघने से जुकाम में लाभ होता है।
25) कागजी नीबू – प्रातः काल उठकर 1 प्याले पानी में कागजी नीबू निचोड़कर उसी में 1 ग्राम पिसा नमक मिलाकर 2-4 दिन सेवन करने से जुकाम में लाभ होता है।
26) कपूर – एक खरल में 5 ग्राम कपूर और थोड़ा (अधिक से अधिक 25 ग्राम) तारपीन का तेल डालदें। फिर शीशी में भरकर धूप में 1 दिन तक (कर्पूर) पिघलने तक) रखा रहने दें। इसकी नस्य लेने से दारुण एवं दुष्ट जुकाम (प्रतिश्याय) में भी लाभ हो जाता है। सहस्रों बार का परीक्षित है।
27) दूध 200 ग्राम, खाने वाला सोड़ा आधा चम्मच, शुद्ध शहद 2 चम्मच दूध को गरम करके उसमें सोड़ा तथा शहद मिलादें फिर इसी प्रकार योग बनाकर रोगी को सुबह-शाम पिलायें तथा चादर या कोई मोटा कपड़ा (ऋतु के अनुसार) ओढ़ाकर सुलावें। इस प्रयोग से रोगी को खूब पसीना आवेगा तथा जुकाम ठीक हो जायेगा ।
सर्दी जुकाम की आयुर्वेदिक दवा : sardi jukam ka ayurvedic ilaj / dawa
रस : समीर गज केशरी रस, मकरध्वज, लक्ष्मी विलास रस (नारदीय) कफ केतु रस, समीर पन्नग रस, उनमत्ताख्य रस, पंचामृत रस, मल्लसिन्दूर, त्रिभुवन कीर्ति रस, आनन्द भैरव रस, मृत्युन्जय रस, मृगांक रस, चन्द्रामृत रस, महालक्ष्मी विलास, अश्विनी कुमार रस इत्यादि का बल्याबल्य के अनुसार मात्रा का निर्धारण कर उचित अनुपान से सेवन करायें।
लौह मान्डूर : पंचामृत लौह मान्डूर 375 मि.ग्रा. दिन में 2 बार ताल मखाना क्वाथ से जीर्ण जुकाम (प्रतिश्याय) में विशेष उपयोगी।
भस्म : तालभस्म, अभ्रक भस्म, शृंग भस्म, गोदन्ती भस्म, प्रवाल भस्म, टंकण भस्म इत्यादि।
वटी : संजीवनी वटी, महाभ्र वटी, लवंगादि वटी, व्यौर्षाद वटी, विषतिन्दुक वटी इत्यादि।
चूर्ण : महाद्रक्षादि चूर्ण, सितोपलादि चूर्ण, लवंगादि चूर्ण, जातीफलादि चूर्ण, तालीसादि चूर्ण, श्रुग्यादि चूर्ण, कटफ्लायादि चूर्ण आदि।
क्वाथ: वनटिप्सकादि क्वाथ, गोजिव्हायादि क्वाथ, पिप्पल्यादि क्वाथ ,बहुलादि गण क्वाथ, दशमूल क्वाथ आदि।
पाक : अवलेह-चित्रक हरीतकी, अगस्त्य हरीतकी, बाहुशाल गुड़, अमृत भल्लातक, पिप्पली पाक, च्यवनप्राश इत्यादि।
घृत : षट्फल घृत, पंचगव्य घृत, क्ल्याणक घृत, महात्रिफलाघृत।
आसव : अरिष्ट-दक्षासव, चविकासव, दशमूलारिष्ट आदि।
तैल : अणुतैल, षटबिन्दु तैल, व्याघ्री तैल (महालाक्षादि तैल-ऊपरी मालिश के लिए हैं तथा इससे पूर्व वर्णित तीनों तैल नस्यार्थ हैं।) कलिंगाद्य नस्य, नजलानाशक नस्य, इत्यादि।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)