Last Updated on July 22, 2019 by admin
शिशु व माता दोनों के लिए लाभकारी : स्तनपान
★ आयुर्वेद व आधुनिक विज्ञान – दोनों के अनुसार नवजात शिशु के लिए माँ का दूध ही सबसे उत्तम व सम्पूर्ण आहार है।
★ स्तनपान से शिशु को पौष्टिक आहार के साथ-साथ माँ का प्रेम व वात्सल्य भी प्राप्त होता है, जो उसके संतुलित विकास के लिए अति आवश्यक होता है।
★ नवजात शिशु की वृद्धि के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्त्व जैसे प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, फॉस्फोरस तथा विटामिन्स माँ के दूध में उचित मात्रा में होते हैं।
★ माँ के दूध में केसीन नामक प्रोटीन तथा पोटैशियम का अंश भी पाया जाता है जो गाय के दूध में नहीं पाया जाता। माँ का दूध बच्चे के लिए वास्तव में कवच-कुंडल ही हैं।
★ परंतु वर्तमान में यह मान्यता बन गयी है कि स्तनपान कराने से शारीरिक सुंदरता कम हो जाती है। इस डर से कुछ माताएँ बच्चे को स्तनपान नहीं करातीं, बोतल से दूध पिलाती हैं। परिणामस्वरूप बच्चे का पूर्ण विकास नहीं होता और साथ ही उन माताओं को स्तन कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का शिकार होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
★ विभिन्न प्रयोगों के बाद अब वैज्ञानिक भी तटस्थता से स्वीकार करने लगे हैं कि ‘स्तनपान कराने से माँ व बच्चे दोनों को लाभ होता है।’
स्तनपान से शिशु को होने वाले फायदे / लाभ : Stanpan se Sisu ko labh
★ माँ के दूध में रोगप्रतिकारक तत्त्व भरपूर होते हैं, जो शिशु की मोटापा, मधुमेह, दमा एवं अन्य कई रोगों से सुरक्षा करते हैं।
★ जॉय कोसक के अनुसार ‘यह सिद्ध हो चुका है कि स्तनपान से शिशु की एलर्जी से सुरक्षा होती है तथा रोग-संक्रमण का खतरा कम हो जाता है।’
★ माँ के दूध में पाये जाने वाले प्रतिरक्षी तत्त्वों के कारण स्तनपान करने वाले बच्चों में रोग-संक्रमण की सम्भावना 50 से 95 प्रतिशत कम होती है।
★ बच्चों की बौद्धिक क्षमता बढ़ती है।
★ माँ और शिशु के बीच भावनात्मक रिश्ता मजबूत होता है।
★ एक महीने से एक साल की उम्र तक शिशु में ‘अचानक शिशु मृत्यु संलक्षण’ का खतरा रहता है। माँ का दूध शिशु को इससे बचाता है।
★ पाचन संस्थान के रोग जैसे – दस्त लगना, पेट फूलना, कब्ज होना कम हो जाते हैं।
★ शिशुओं को छूत की बीमारी कम होती है क्योंकि माँ में एन्टीबॉडीज कण होने के कारण दूध के जरिये ये शिशु में भी पहुँच जाते हैं।
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स्तनपान कराने से माँ को होने वाले फायदे / लाभ : Stanpan se Maa ko labh
★ अतिरिक्त कैलोरी नष्ट व उत्साह में वृद्धिः स्तनपान कराना प्राकृतिक ढंग से वज़न कम करने और मोटापे से बचने में मदद करता है। इससे प्रसव के बाद पेट का लटकाव भी नहीं होता है।
★ एलिजाबेथ डेल के अनुसार ‘स्तनपान कराते समय माँ के शरीर में ऑक्सीटोसिन हार्मोन स्रावित होता है, जो गर्भाशय को सिकोड़कर प्रसूति से पूर्व के आकार का कर देता है। यह हार्मोन तनावमुक्ति तथा सुख-बोध की अनुभूति भी प्रदान करता है।’
★ रोगों से बचावः जितने लम्बे समय तक माँ शिशु को अपना दूध पिलाती है, उतनी अधिक अंडाशय व स्तन के कैंसर जैसे गम्भीर रोगों से उसकी रक्षा होती है। साथ ही हृदयरोग, मधुमेह तथा ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों की कमजोरी) के खतरे कम हो जाते हैं।
★ मानसिक रोगों से बचावः जॉय कोसक के अनुसार ‘जो महिलाएँ स्तनपान नहीं करातीं यह जल्दी बंद कर देती हैं, उनके मानसिक अवसाद से ग्रस्त होने की सम्भावना अधिक होती है।’
★ अतः यदि कभी बच्चा बीमार हो तो भी बच्चे को माँ अपना दूध जरूर पिलाये। यदि किसी कारणवश कभी महिलाओं को स्तनपान के लिए समय तथा सुविधा न हो तो वे अपना दूध स्वच्छ कटोरी में निकालकर चम्मच से पिलाने का प्रबंध कर सकती हैं। माँ का दूध भी बोतल से नहीं पिलाना चाहिए।
आइये जाने बच्चे को stanpan kaise karte hai,stanpan kase karave |
बच्चे को दूध पिलाने का सही तरीका तथा प्रमुख सावधानियां :
★ प्रथम बार स्तनपान कराते समय माँ पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे। स्तन पानी से धो के थोड़ा सा दूध निकलने देवे। फिर बच्चे को पहले दाहिने स्तन का पान कराये।
★ बच्चे को हमेशा बैठकर ही स्तनपान कराना चाहिए। दूध पीते हुए बच्चे का सिर ऊपर तथा पैर नीचे की ओर होने चाहिए। मां को अपने बच्चे को स्तनपान कराते समय अच्छी तरह पकड़कर रखना चाहिए।
★ दूध पिलाने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप बैठ जाएं बच्चे को गोद में इस तरह लें कि बच्चे का सिर ऊपर और पैर कुछ नीचे हो। बच्चे को हाथों में इस तरह लेना चाहिए कि आपका हाथ बच्चे को पूरी तरह समेटे हुए होना चाहिए।
★ मां यदि बच्चे को सही तरीके से स्तनपान नहीं कराती हैं तो बच्चे के मसूड़ों से निप्पल पर घाव और दरारें पड़ सकती है। इस कारण स्तनपान के समय स्तन बच्चे के पास में और सीधे होने चाहिए।
★ सोते समय बच्चे की करवटे बदलते रहना चाहिए। ताकि बच्चे को दूध जल्दी हजम हो सके। करवटे न बदलने से बच्चा एक ही तरफ लेटा रहता है जिस कारण कभी-कभी बच्चे का सिर चपटा हो जाता है।
★ स्तनपान कराने के बाद बच्चे को हिचकियां आना एक साधारण बात है। इसलिए इसको लेकर परेशान नहीं होना चाहिए।
★ निप्पल के पीछे काले भूरे रंग का एक घेरा होता है जिसको एरोला कहते हैं। बच्चा स्तनपान करते समय ऐरोला को अपने मसूड़े और तालु के बीच दबाता है और जुबान से दूध पीता है। इस कारण बच्चा आसानी से दूध पी लेता है।
★ यदि बच्चा एरोला तक नहीं पहुंच पाता है तो वह केवल निप्पल को ही मुंह से चूसता रहता है जिससे मां को अधिक कष्ट होता है। जब मां को कष्ट हो तो हाथ की अंगुली को बच्चे के मुंह के किनारे से डालकर बच्चे को सही स्थान तक पहुंचाए या अपनी ठोड़ी को स्तन और बच्चे के मुंह के बीच में डालकर बच्चे को दूर करना चाहिए। फिर उसे सही तरीके से स्तनपान कराना चाहिए।
★ स्तनपान के समय जब बच्चा ऐरोला को दबाता है तो मां के मस्तिष्क में संवेदना होती है और हार्मोन्स निकलते हैं जिसके कारण स्तनों में अधिक दूध उतरता है।
★ स्त्रियों को ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे को पहली बार किस स्तन से दूध पिलाया है तथा अगली बार किस स्तन से स्तनपान कराना है।
★ यदि स्तनों में घाव हो गया हो तो उसे गुनगुने पानी से साफ करना चाहिए। स्तनों पर साबुन का प्रयोग न करें तथा स्तनों को खुली हवा में बाहर सूर्य का प्रकाश देना चाहिए। स्तनों पर कोई चिकनाई युक्त पदार्थ लगाना चाहिए। सोते समय ब्रा को उतार देना चाहिए तथा स्तनपान कराने के बाद स्तनों को धोकर सुखा लेना चाहिए या कोई चिकनाईयुक्त पदार्थ लगा लेना चाहिए।