Last Updated on January 13, 2022 by admin
उपवास परम औषधि : Fasting Health Benefits
यदि यह कहा जाए कि रोगों से मुक्ति प्राप्ति के लिए उपवास करने की प्रथा उतनी ही पुरानी है जितनी कि स्वयं मनुष्य जाति, तो कोई अतिशयोक्ति न होगी। बाइबिल हो या कुरान या हिन्दुओं के आदि धर्मग्रन्थ-इन सभी में उपरोक्त प्रमाणों की भरमार है। केलसस के मतानुसार-‘अनाहार परमोत्तम औषधि है जो अकेले ही बिना किसी खतरे के रोग को दूर कर देता है।’
हमारे शरीर के भीतर प्रतिदिन जो क्रियाएँ होती हैं, उनमें शरीर के निरुपयोगी और हानिकारक द्रव्यों को बाहर निकाल देने की एक महत्त्वपूर्ण क्रिया हर पल चलती रहती है। इस शरीर रूपी यन्त्र को व्यवस्थित रूप से चलाने की जिम्मेदारी मुख्यतः शुद्ध रक्त पर होती है। रक्त के लाल कण (R. W.C.)-नये कोषों की रचना करते रहते हैं और श्वेत कण (W.B.C.) शरीर के हानिकारक अथवा अनुपयोगी अंश को बाहर निकालने का कार्य करते रहते हैं। शरीर में अधिक परिमाण में संचित हुए मल और विष को बाहर निकाल देने की जोरदार ‘कोशिश’ को ही बीमारी कहा जाता है ।
संसार की समस्त चिकित्सा पद्धतियों में अब यह माना जाने लगा है कि रोगी होने पर शरीर स्वभावतः स्वयं निरोग होने का प्रयत्न करता है, अन्य किसी प्रकार के इलाज केवल उसकी सहायता करते हैं। रोगों से मुक्त होने के लिए शरीर सदैव ही प्रयत्नशील रहता है और यह काम शुद्ध रक्त के द्वारा होता है। रोग मुक्ति के इस स्वर्ण सिद्धांत को समझ लेने के बाद फिर इस बात की शंका या सन्देह ही शेष नहीं रहता कि रोगों का कारण शरीर स्थित मल को दूर करने हेतु ‘उपवास सर्वोपरि और आवश्यक साधन है।
उपवास का अर्थ ही होता है-शरीर की सब प्रकार की शुद्धि, जिसमें रक्त विकार आदि सभी सम्मिलित हैं।
उपवास काल में शरीर में जो ओषजन लिया जाता है वह नये लिए गए भोजन के अभाव में पहले के बचे हुए एवं अनपचे भोजन तथा शरीर के विष या मल को धीरे-धीरे भस्म कर डालता है। यही कारण है कि उपवास से रोग स्वतः ही ठीक हो जाता है।
हमारा शरीर पाँच तत्वों से मिलकर बना है जिसमें आकाश तत्त्व सबसे अधिक मूल्यवान है। शरीर को आकाशतत्त्व की यह शक्ति उपवास द्वारा प्राप्त होती है। इस दृष्टिकोण से भी रोगों के निवारण के लिए उपवास सबसे अधिक महत्त्व रखता है।
ज्वर, संग्रहणी, पेचिश, दस्त, सर्दी, खाँसी, फोड़े, चेचक आदि तीव्र रोग कहलाते हैं,जो अपनी चिकित्सा स्वयं होते हैं। इस प्रकार के रोगों में आरम्भ से उपवास करना अतीव लाभप्रदायक सिद्ध होता है। बहुमूत्र, दमा, गठिया, अजीर्ण, कब्ज, मोटापा आदि जीर्णरोग कहलाते हैं । इस प्रकार के रोगों की चिकित्सा नियमित आहार से आरम्भ करनी चाहिए और उसके अन्त में रोगी को लम्बा उपवास या छोटे-छोटे कई उपवास करने चाहिए।
जीर्ण रोगों में रोगी की शारीरिक अवस्था ऐसी नहीं रहती, जो आरम्भ में उपवास के लिए उपयुक्त हो। इस प्रकार का एक और रोग होता है जिसे मारक कह सकते हैं जैसे-क्षय रोग । ऐसे रोगों में रोगी की जीवनीशक्ति इतनी अधिक कमजोर हो जाती है कि उसका पुनः निर्माण यदि असम्भव नहीं तो कठिन अवश्य होता है। इन रोगों में जब तक मृत्यु की अटल तिथि नहीं आ पहुँचती तब तक कोई भी चिकित्सा रोगी को केवल थोड़ा-सा आराम पहुँचा सकती है। ऐसे रोगी को यूँ तो उपवास नहीं कराना चाहिए और यदि उपवास कराना ही हो तो एक दिन से अधिक नहीं कराना चाहिए। इसी प्रकार यदि शरीर का कोई अंग बिल्कुल नष्ट हो गया हो तो वह भी उपवास से ठीक नहीं होगा।
अपवादस्वरूप उपर्युक्त कुछ रोगों को छोड़कर अधिकांश साधारण रोगों में उपवास जादू की भाँति काम करता है। शायद ही कोई रोग ऐसा हो जिसमें लघु या दीर्घ उपवास प्रभावकारी न होता हो, बल्कि किसी-किसी अवस्था में तो-उपवास का न कराया जाना ही मृत्यु का प्रमुख कारण हो जाता है।
ये बात अभी अनेक यूनिवर्सिटी में शोध की जा चुकी है के जो लोग सप्ताह या पंद्रह दिन में एक बार उपवास करते हैं, उनकी रोग प्रतिरोधक शक्ति कहीं अधिक होती है। आइये जाने उपवास रखने से होने वाले लाभों के बारे में |
उपवास रखने के फायदे : upvas rakhne ke fayde in hindi
1. मोटापे में कमी – नियमित रूप से उपवास करने पर हमारे शारीरिक वजन को कम होने में काफी मदद मिलती है। जब हम उपवास करते हैं तो हम कई घंटों तक कुछ नहीं खाते। उस समय हमारे शरीर में वसायुक्त कोशिकाएँ प्रभावशाली रूप से पिघलने लगती हैं तथा हमारा वजन नियंत्रण में रहता है।
2. मन की प्रसन्नत और शांति – मन की शांती ,प्रसन्नता तथा तेज दिमाग के लिए उपवास करना लाभदायक होता है। उपवास करने से आदमी अपने आप को हल्का महसूस करने लगता है। शरीर से टॉक्सिक केमिकल्स का निकास होता है।
3. पाचन क्रिया दुरुष्त होती है – उपवास रखने से हमारी पाचनक्रिया को कुछ घंटों तक अथवा कुछ समय तक विश्राम मिलता है। इसकी वजह से आपकी चयपचय की क्रिया अधिक कुशलता से कार्य करती है। यदि आपकी पाचनशक्ति कमजोर है तो आपके शरीर में वसायुक्त पदार्थों को नष्ट करने की क्षमता कम हो जाती है। व्रत रखने से आपके पाचनशक्ति की क्रिया का सही रूप से संचालन होता है तथा आपके शारीरिक चयपचय क्रिया का विकास होता है।
4. शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल का लेवल घटता है – जब हम अत्यधिक मात्रा में cholesterol का उपयोग हमारे शरीर में करते हैं तो उसके साथ साथ हमारे शरीर में triglyceride के मात्रा में भी वृद्धि होने लगती है जिससे हमें हृदय संबंधित बीमारियाँ हो सकती हैं। उपवास करने से शरीर में मौजूद Bad cholesterol की मात्रा कम होने लगती है जिसकी वजह से हमारे शरीर में triglyceride का निर्माण भी नहीं हो पाता। तथा हमारा हृदय स्वस्थ रहता है।
5. रोगप्रतिरोधक शक्ति का विकास – उपवास करने से हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक शक्ति का विकास होता है। शरीर के सभी अवयवों में ऊर्जा का संचार होने लगता है।
उपवास में सावधानियाँ : upvas me savdhaniya
- यदि आप शारीरिक रूप से कमजोर हैं तथा अपको कोई गंभीर बीमारी है तो आपको उपवास नहीं रखना चाहिए।
- गर्भवती महिलाओं को अक्सर उपवास न करने की सलाह दी जाती है क्योंकि गर्भवस्था के दौरान यदि उपवास रखा गया तो इसका असर होने वाले नवजात शिशु के शारीरीक स्वास्थ्य पर हो सकते हैं। स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी उपवास नहीं रखना चाहिए।
- आपको अपने शारीरिक क्षमता से अधिक उपवास नहीं करना चाहिए।
- उपवास के दिन अधिक परिश्रम का कार्य नहीं करना चाहिए। यदि ग्लूकोज का लेवल नीचे जाने की वजह से चक्कर आएं तो एक गिलास तुरंत नींबू पानी या फिर फलों का जूस पीना चाहिए।
- उपवास खत्म होने के बाद अचानक से भारी आहार का सेवन न करें। कुछ भी हल्का खाना खाकर ही अपना उपवास खत्म करें।