Last Updated on July 20, 2024 by admin
चिलगोजा के गुण : chilgoza ke gun in hindi
- चिरौंजी, पिस्ता, बादाम एवं काजू की ही तरह चिलगोजा से हर भारतीय परिचित है। इसे भी सूखे मेवों के रूप में ही प्रयुक्त किया जाता है। चिलगोजा भी सर्वत्र भारत में सर्व सुलभ होता है। अन्य मेवों की तरह इसे भी ताकत का पर्याय समझकर प्रयोग में लाते हैं।
- हमारे यहाँ शक्तिवर्द्धक द्रव्यों का सेवन शीत ऋतु में करते हैं जिससे बल, कांति, शक्ति एवं स्फूर्ति बढ़ती है। इसलिए चिलगोजा को पाक एवं मेवों के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। अत: इसका प्रयोग भी अन्य मेवों की तरह शीत ऋतु में ही प्रयुक्त करते हैं जिससे शक्ति बढ़कर सप्त धातुएं रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा एवं शुक्र बढ़कर रोग प्रतिरोध क्षमता बढ़ती है- जिससे शरीर रोगी नहीं होता। है।
- इसके साथ-साथ औषधियुक्त पाकों एवं औषधियों में भी इसका प्रयोग बहुतायत से प्राचीन-काल से होता आ रहा है।
- अन्य सूखे मेवों की तरह ही चिलगोजा का उपयोग शक्तिवर्द्धक पकवान, मिठाईयों के बनाने में अवश्य प्रयुक्त किया जाता है। व्यावहारिक रूप में देखा गया है। कि भारतीय परिवारों में चिलगोजा को गाजर तथा अन्य खाद्य-पदार्थों से निर्मित हलुओं में इसका प्रयोग अनिवार्य रूप से किया जाता है।
- चिलगोजे के वृक्ष मध्यम आकार के होते हैं। चिरौंजी की ही तरह चिलगोजा के फल आधे इंच आकार के होते हैं। इस पर भी चिरौंजी के फल की ही तरह कठोर छिलका होता है। छिलका तोड़कर उसमें से। गिरी को निकालकर फिर इसका ही प्रयोग किया जाता है। गिरी बहुत ही स्वादिष्ट और शक्तिवर्द्धक होती है। शीतऋतु में चिलगोजा प्रयुक्त करने से शरीर में उष्णता तथा ताकत आती है।
- चिलगोजा की गिरी में वसा, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और अनेक प्रकार के खनिज तत्त्व विद्यमान होते हैं। इसकी गिरी में फॉस्फोरस, लौह तत्त्व तथा कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।
- गिरी से तैल भी निकाला जाता है जिसको औषधि के रूप में भी प्रयुक्त किया जाता है। चिलगोजा भी अन्य मेवों की तरह उष्ण प्रकृति का होता है जिससे ताकत भी मिलती है
- यह वात रोगों में भी उपयोगी पाया गया है। इसके साथ-साथ यह सूजन तथा शूल को भी दूर करने में सक्षम पाया गया है। यह पक्षाघात में भी उपयोगी पाया गया है।
- चिलगोजे खाने से बादाम, चिरौंजी, पिस्ता, काजू की तरह शक्ति अवश्य बढ़ती है अतः ज्यादातर लोग सर्दी के मौसम में इसका प्रयोग अवश्य करते हैं।
- आयुर्वेद तथा यूनानी औषधियों में इसका प्रयोग बहुतायत से किया जाता है। यूनानी चिकित्सा पद्धति में इसकी गिरी से अनेक शक्तिवर्द्धन माजून, कुश्ते बनाए जाते हैं। माजून व कुश्तों से शारीरिक एवं पुरुषत्व शक्ति बढ़ती है।
- चिलगोजे की गिरी १०-१५ ग्राम मात्रा में प्रतिदिन चबाकर खाने और ऊपर से दूध पीने से वीर्य वृद्धि होती है तथा नुपंसकता को भी मिटता है।
- वात रोग, पक्षाघात में चिलगोजे, बादाम की गिरी, पिस्ता, चिरौंजी, | कुलंजन की १०-१० ग्राम मात्रा में लेकर पीसकर, मधु मिलाकर दूध के साथ सेवन कराना चाहिए। पक्षाघात रोगी को बहुत लाभ होता है।
चिलगोजा के फायदे और उपयोग : Chilgoza Khane ke Fayde
1. सूजन में : सूजन की अवस्था यकृत तथा वृक्क की खराबी से आ जाती है। अतः सूजन की अवस्था में चिल गोजा को निम्न प्रकार से प्रयुक्त करना चाहिए।
चिलगोजा – 4 ग्राम,
पिस्ता – 4 ग्राम,
चिरौंजी – 4 ग्राम
एक मात्रा।
इन सबको मिला लें- फिर इसमें मधु मिलाकर लेह जैसा रख लें। इस लेह को चाट लें। उसके बाद पुनर्नवार (साटा) का चूर्ण 2 ग्राम दूध के साथ अवश्यक सेवन करायें। ऐसी एक-एक मात्रा को दिन में दोबार सुबह एवं शाम को प्रयुक्त करें। एक बात का ध्यान रखें। कि रोगी को नमक बन्द करा दें तो शीघ्र फायदा होगा। यह प्रयोग नियमित रूप से कई दिनों तक करने से अच्छा लाभ प्राप्त होता है।
2. कमजोरी दूर करने हेतु : रोग से बाद की कमजोरी या अन्य कारण से व्याप्त शरीर की कमजोरी में चिलगोजा अच्छा कार्य करती है। अतः इसका प्रयोग निम्न प्रकार से करें।
चिलगोजा – 5 ग्राम
मुनक्का (बीज रहित) – 10 नग
पिस्ता – 5 ग्राम
एक मात्रा
सभी को मिलाकर एक कर लें। इसमें मधु मिलाकर एकजी कर लें तथा अच्छी तरह घोटकर लेह जैसा बना लें। इसको चाट लें तथा ऊपर से दूध पी लें। ऐसी एकएक मात्रा को दिन में दो बार सुबह-शाम प्रयुक्त करें। ( और पढ़े – शरीर की कमजोरी दूर कर ताकत बढ़ाने के घरेलू उपाय)
3. पक्षाघात में : पक्षाघात में अंग अपना कार्य सक्रियरूप से नहीं कर पाते हैं- ऐसी अवस्था में चिलगोजा अच्छा कार्य करता है। इसका प्रयोग निम्न प्रकार से करें
चिलगोजा – 10 ग्राम
बादामगिरी – 10 ग्राम
पिस्ता – 10 ग्राम
चिरौंजी – 10 ग्राम
कुलंजन – 10 ग्राम
एक मात्रा
सभी वस्तुओं की घुटाई करके फिर इसको मधु में डुबों दें। कुछ समय तक डुबा रहने दें। इसके बाद इस लेह को खालें तथा ऊपर से दूध पीलें। ऐसी एक-एक मात्रा को दिन में दो बार तक प्रयुक्त करें। ( और पढ़े – लकवा के प्राकृतिक घरेलु उपचार )
4. वीर्य वृद्धि हेतु : चिलगोजे की गिरी 10-15 ग्राम मात्रा में प्रतिदिन चबाकर खाने और ऊपर से दूध पीने से वीर्य की वृद्धि होती है तथा किसी भी कारण से उत्पन्न नपुंसकता भी इस प्रयोग से दूर होती है। ( और पढ़े – वीर्य की कमी को दूर करेंगे यह रामबाण प्रयोग)
5. कब्जी में : आज खान-पान की विषमता से मिथ्या आहार-विहार से कब्ज की। शिकायत आम हो गई है। ऐसी अवस्था में चिलगोजा की 20 ग्राम की मात्रा को चबाकर खा लें तथा ऊपर से दूध पी लें। यह प्रयोग मात्र रात्रि को ही करें। ( और पढ़े – कब्ज का 41 रामबाण आयुर्वेदिक इलाज)
6. पाचन-संस्थान की मजबूती में : पाचन-संस्थान की मजबूती के लिए चिलगोजा रामबाण औषधि के रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है। इसका प्रयोग निम्न प्रकार से करें
चिलगोजा – 15 ग्राम
सेंधा नमक – 125 मि०ग्राम
काली मिर्च – 125 मि० ग्राम
मुनक्का (बीज रहित) – 10 नग
एक मात्रा
इन सबको मिलाकर लेह बना लें। इसको खाने के बाद ऊपर से दूध पीने से पाचन-संस्थान के हर अंग को ताकत मिलती है।
7. सिर का दर्द दूर करने में : चिलगोजे का तेल कनपटियों पर लगाने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
8. शरीर को शक्तिशाली बनाने में :
- चिलगोजा की मींगी और मुनक्का को लगभग 24 घंटे तक पानी में भिगोकर रख दें, और इसके बाद इसमें शक्कर मिलाकर खाने से शरीर की कमजोरी के दूर होने के साथ ही साथ शरीर में ताकत आ जाती है।
- चिलगोजा खाने से व्यक्ति के शरीर में चुस्ती और फुर्ती के साथ ही साथ अधिक ताकत भी आती है।
चिलगोजा खाने के नुकसान : chilgoza khane ke nuksan
- चिलगोजा भारी होता है तथा देर में हजम होता है।
- चिलगोजा के अधिक मात्रा में सेवन से मतली व उल्टी हो सकती है।