Last Updated on May 24, 2021 by admin
भारत में वैदिक काल से ही औषधीय महत्व रखने वाले पौधों, लताओं और वृक्षों की पहचान कर रखी है। जड़ी बूटियों के चमत्कारिक औषधीय प्रभाव को वैज्ञानिक धरातल पर जांचा परखा जा चुका है। आज भी ऐसी आयुर्वेदिक दवाओं का प्रचलन देहातों में अधिक देखने को मिलता है। महानगरों में संपन्न वर्ग भी एलोपैथिक दवाओं के दुष्प्रभाव से घबराकर आयुर्वेद की ओर लौटने लगे हैं। एकाएक ही विश्व में एलोपैथिक दवाओं के स्थान पर वैकल्पिक जड़ी बूटियों का परंपरागत दवाओं की तरफ लोगों का झुकाव बढ़ने लगा है।
महर्षि चरक की चरक संहिता तथा भाव प्रकाश निघंटु पुस्तक में पेड़ पौधों के औषधीय महत्व की विवेचना की गई है। इससे प्रत्येक पेड़ पौधे, लताओं की जड़ों से लेकर फूल पत्ते, जड़ों और अन्य भागों के औषधीय गुणों और उससे उपचार की विधियां वर्णित हैं।
विभिन्न पेड़ पौधों की पत्तियों से इलाज :
1). आम के पेड़ की पत्तियों से – मलारोधक रुचि कारक वात, पित्त, कफ का शमन करते हैं। खूनी बवासीर एवं कान की पीड़ा दूर होती है।
2). तुलसी की पत्तियों से – खांसी चर्म रोग बालों की समस्या, कफ-कोरोना को भी दूर किया जा सकता है। ( और पढ़े – तुलसी के औषधीय उपयोग और लाभ )
3). पुदीने की पत्तियों से – इसके रस में शहद मिलाकर पीने से वमन आना दूर हो जाता है। हैजा रोग में भी लाभ होता है।
4). खजूर की पत्तियों से – खजूर की पत्तियों का रस एवं नींबू का रस 5-5 मि.ग्रा मिलाकर पीने से पेट के कीड़े समाप्त होते हैं।
5). चमेली की पत्तियों से – चमेली के पत्तों का काढ़ा बनाकर उसके कुल्ले करने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं और पत्तों को मुंह से चबाने से दांतों का दर्द खत्म हो जाता है। इसके रस को बालों में लगाने से बाल लंबे होते हैं।
6). नीम की पत्तियों से – चर्म रोग ठीक हो जाते हैं। पत्ते पीसकर उसके रस में थोड़ा शहद मिला लें। इससे ज्वर में लाभ होता है और पेट के कीड़े खत्म हो जाते हैं। ( और पढ़े – नीम की पत्ती खाने के बेशकीमती स्वास्थ्य लाभ )
7). मेहंदी की पत्तियों से – बरसात में उंगलियां सड़ने पर मेहंदी का रस लगाएं।
8). बबूल की पत्तियों से – बरसात में उंगलियां सड़ने पर बबूल का रस लगाएं।
9). गाजर की पत्तियों से – इनके पत्तों की सब्जी बनाकर खाने से पौरुष शक्ति में वृद्धि होती है।
10). सरसों की पत्ती से – इनकी सब्जी खाने से विटामिन ए अधिक मात्रा में मिलता है। एनीमिया व रक्त की कमी दूर होती है।
11). पान के पत्ते से – बंगला पान के पत्ते पर सरसों का तेल लगाकर, गर्म करके छाती पर बांधने से खांसी और सर्दी समाप्त होती है । ( और पढ़े – पान के पत्ते के अनोखे फायदे और उपयोग )
12). बेल के पत्ते – इनकी पत्तियों का चूर्ण बनाकर रखें। इसमें आधा चम्मच त्रिफला चूर्ण मिलाकर रात को गुनगुने जल से लेने से गुर्दे की सूजन में आराम मिलता है। डायबिटीज में भी इस चूर्ण से फायदा होता है। ( और पढ़े – औषधीय गुणों से मालामाल दिव्य वनस्पति बेलपत्र )
13). अमरूद के पत्ते – एक पत्ते में थोड़ा कत्था लपेटकर पान की तरह चबाने से मुंह के छाले ठीक होते हैं। बाल झड़ते हो तो इसका रस पिलाएं।
14). करौंदे के पत्ते – खांसी होने पर इसके पत्तों में शहद मिलाकर खाने से फायदा होता है। इनके रस के ड्रॉप आंखों में डालने से मोतियाबिंद भी साफ हो जाता है।
15). मूली के पत्तों से – सूजन आने पर इसकी पत्तियों को कुचलकर मरहम की भांति सूजन के स्थान पर लगावें। 50 मिलीग्राम रस प्रतिदिन सवेरे मिश्री मिलाकर पिलाने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
16). जामुन के पत्तों से – डायबिटीज पर लाभ होता है। शरीर के बगलों में पसीने की बदबू आती हो तो पत्तों को खूब रगड़ने से बदबू दूर हो जाएगी।
17). खाकरे के पत्तों से – इनको सरसों के तेल में डालकर गर्म करें उसमें थोड़ा कपूर मिलावें और शरीर की पीड़ा वाले स्थान पर मालिश करें, आराम होगा।
18). सेम के पत्ते – इनके पत्तों को दाद पर लगाने से दाद ठीक हो जाता है।
19). अनार के पत्तों से – खूनी बवासीर होने पर 10 काली मिर्च, दो मुट्ठी अनार के पत्ते पीसकर उसे पीने से खून आना बंद हो जाता है। दिन में एक बार ही प्रयोग करें।
20). बेर के पत्तों से – बेर के पत्ते और कड़वे नीम के पत्ते मिलाकर खूब उबालें , ठंडा होने पर ईससे सिर धोने से बाल झड़ना बंद हो जाते हैं। बाल लंबे और घने होते हैं।
21). बारामासी (हरश्रृंगार) के सफेद फूल और पत्तों से – सुबह उठकर खाली पेट छह सफेद फूल रोज खाने से शरीर का वजन कम होता है।इसी पेड़ के बैगनी रंग के पांच फूल रात को एक कप पानी में डाल दें और सुबह कप में से फूल फेंक दें और वह पानी पी लें इससे भी फायदा होता है।
22). ग्वारपाठा के पत्तों से – मधुमेह, हृदय रोग, फेफड़ों की तकलीफ, गठिया, पेट रोग, बवासीर, केश रोग,में फायदा होता है। ( और पढ़े – एलोवेरा के आश्चर्यजनक फ़ायदे फायदे )
23). पलाश (ढाक) के पत्ते, जड़ और फूल – वीर्यवर्धक, दस्तावर, गुदा के रोग, बवासीर संग्रहणी, कृमिनाशक है। पेशाब में रुकावट, वातरक्त और कृष्ठ रोगों को नष्ट करता है। यह दाद, खुजली, मिर्गी दूर करने तथा पौरुष शक्ति बढ़ाने में भी लाभप्रद है।
24). नीलगिरि के पत्तो से – सर्दी, जुकाम, कफ की उत्तम औषधी तैयार की जाती है।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)