बालों की देखभाल के घरेलू उपाय और नुस्खे | Balo ki Dekhbhal ke Tips in Hindi

Last Updated on July 9, 2021 by admin

इस लेख में हम केश-रक्षा सम्बन्धी अत्यन्त लाभकारी और प्रभावशाली कुछ उपाय प्रस्तुत कर रहे हैं। पूरी सावधानी और नियमिततापूर्वक इन उपायों पर अमल करने पर एक से दो माह बाद अनुकूल परिणाम प्राप्त होने लगेंगे। यदि आप यह चाहते हों कि तुरत-फुरत परिणाम प्राप्त हो जाए तो यह चाहत पूरी न हो सकेगी। इस समस्या से मुक्ति प्राप्त करने में समय तो लगेगा ही, जिसके लिए धैर्य और आस्था का होना ज़रूरी है। आइये जाने बालों की देखभाल कैसे करनी चाहिए –

बालों की देखभाल के उपाय (हेयर केयर टिप्स) – Hair care Tips in Hindi

(1) गलत आहार-विहार से बचें –

देर रात तक जागने और सुबह देर तक सोने, चिन्ता, शोक, क्रोध एवं मानसिक तनाव से ग्रस्त रहने, अधिक देर तक भूखे रहने, देर रात को और गरिष्ठ भोजन करने, तले हुए – मिर्च मसालेदार- खटाईयुक्त , खराब तेल से बने हुए पदार्थों का अति सेवन करने से पाचन क्रिया बिगड़ती है और शरीर में अतिरिक्त उष्णता बढ़ती है। आयुर्वेद में कहा है –

शोक श्रम क्रोध कृतः शरीरोष्मा शिरोगतः ।
केशान् सदोषः पचति पलितं सम्भवत्यतः।।

शोक, अतिश्रम, क्रोध आदि कारणों से उत्पन्न शरीर की ऊष्मा सिर में जाकर वातादि दोष के साथ मिल कर बालों को पकाने लगती है और बाल सफ़ेद होने लगते हैं।
सुश्रुत के अनुसार पित्त को भी बालों की समस्याओं के लिए कारण माना गया है। सुश्रुत ने भी कहा है –

“पित्तंच केशान् पचति पलितं तेन जायते”

ग़लत ढंग से आहार-विहार करने से वात और पित्त कुपित होते हैं और धीरे-धीरे इनके प्रकोप से पूरे शरीर में खुश्की और उष्णता बढ़ती रहती है जो बालों को हानि पहुंचाती है। इन कारणों को जब तक दूर न किया जाए तब तक बालों की समस्या समाप्त होना कठिन है।

(2) बालों मे नित्य तेल लगायें –

बालों को रूखा सूखा नहीं रखना चाहिए। आजकल के फ़ैशन के अनुसार लड़के लड़कियां बालों में तेल नहीं लगाते जिससे बालों को पोषण नहीं मिल पाता । चरक संहिता में कहा है –

नित्यं स्नेहाशिरसः शिरः शूलं न जायते।
न खालित्यं न पालित्यं न केशाः प्रपतन्ति च ।।

सिर के बालों मे नित्य तेल लगाने से सिर में दर्द नहीं होता, खालित्य (गंजापन) और पालित्य (बाल सफ़ेद होना) रोग नहीं होते और केश झड़ते नहीं हैं। जैसे लकड़ी में तेल लगाने से लकड़ी मज़बूत होती है उसी तरह तेल की स्निग्धता से बालों को पोषण मिलता है और उनकी जड़ें मज़बूत होती हैं।

(3) बालों को धोने के लिए काली मिट्टी या मुलतानी मिट्टी का करें प्रयोग –

बालों में किसी भी प्रकार का साबुन नहीं लगाना चाहिए। बालों को धोने का सबसे अच्छा, सस्ता और निरापद तरीक़ा खेत की काली मिट्टी या मुलतानी मिट्टी प्रयोग करना है। खेत की काली मिट्टी, अच्छी साफ़ जगह से लाकर रख लें। स्नान करने से 15-20 मिनिट पहले एक कटोरी में मिट्टी के 1-2 ढेले रख कर ऊपर से पानी डाल दें। इतना पानी डालें कि मिट्टी पानी में डूब जाए। स्नान करते समय पहले सिर के बालों पर ठण्डा पानी डालकर बालों को गीला कर लें फिर कटोरी की मिट्टी और पानी को हाथ से मसल कर अच्छी तरह मिला लें। इसे पतले कपड़े से छान कर इसका पानी बालों में लगा कर बालों की जड़ों की मालिश करें और बालों को मसलें। कटोरी का सारा पानी इस्तेमाल कर लें। कपड़े में रखी, छनी हुई गीली मिट्टी फेंक दें और हर बार नई मिट्टी गलाएं। यह उपाय स्त्री और पुरुष दोनों के लिए समान रूप से उपयोगी है। मिट्टी से बाल धोने पर एक एक बाल खिल उठता है और बाल ऐसे साफ़ निकल आते हैं जैसे शेम्पू से धोए हों । इस प्रयोग से बालों को पोषण भी मिलता है और सिर की रूसी (फ्यास) भी समाप्त होती है।

(4) बालों की जड़ों में तेल लगाकर नित्य करें मालिश –

सिर धोने के बाद बालों को तौलिया से खूब अच्छी तरह पोछ कर सुखा लें। जब जड़ तक बाल ठीक से सूख जाएं तब अंगुलियों में तेल लेकर बालों की जड़ों में लगाकर थोड़ी देर खूब मालिश करें ताकि पूरे सिर में खूब अच्छी तरह तेल लग जाए। सोते समय तेल की मालिश करना
और भी अच्छा रहता है । गीले बालों में तेल नहीं लगाना चाहिए। बालों में देर तक कंघा करना हितकारी होता है।

(5) कृत्रिम सौन्दर्य प्रसाधनों से बचें –

कृत्रिम सौन्दर्य प्रसाधनों का उपयोग करना बालों को हानि पहुंचाता है। विदेशी सेंट, स्प्रे आदि का इस्तेमाल दिल को खुश ज़रूर करता है पर यह खुशी बड़ी महंगी पड़ती है इसलिए ऐसे खुशबूदार विदेशी प्रसाधनों का प्रयोग बालों में नहीं – करना चाहिए। ग्रीष्मकाल में चमेली का शुद्ध तेल बालों की जड़ों में लगाना अच्छा है।

सिर के बालों के लिए शीतकाल में सरसों का तेल और अन्य ऋतुओं में काले तिल का शुद्ध तेल सर्वश्रेष्ठ रहता है पर दोनों न तो सर्वत्र उपलब्ध ही होते हैं और ही इनकी दुर्गन्ध के कारण, इनको बालों में लगाना, आमतौर से पसन्द किया जाता है। मस्त कर देने वाली खुशबू वाले हेयर आइल या हेयर क्रीम के सामने ऐसे तेलों को लगाना कौन पसन्द करेगा? बाज़ार में मिलने वाले तेलों में, शुद्ध नारियल तेल का उपयोग करना निरापद रहता है ।

(6) आंवले के नित्य प्रयोग से बाल बने काले, घंने और चमकदार –

आहार में प्रतिदिन एक आंवले (जब हरा ताज़ा आंवला मिले तब एक हरा आंवला लें वरना सूखा आंवला लें। सूखा आंवला पंसारी के यहां मिलता है) दाल या शाक में अमचूर की जगह डाल कर नियमित सेवन करें।
आंवले के अलावा छिलके वाली मूंग की दाल भोजन के साथ प्रतिदिन ज़रूर खाएं। केला, सन्तरा, शुद्ध घी और दूध का सेवन करें। हरी शाक सब्जी व कच्चे सलाद का सेवन करें।

( और पढ़े – आंवला के फायदे और उपयोग )

(7) कुपित पित्त का करें शमन आयुर्वेद के इन उपायों से –

सिर पर गर्म पानी न डालें और तेज़ धूप में सिर को बचाएं। ग्रीष्मकाल में गुलक़न्द, आंवले का मुरब्बा, कोले (कुम्हेड़े) का पेठा और कच्चे दूध पानी की लस्सी का सेवन करना चाहिए। इन उपायों से शरीर में बढ़ी हुई गर्मी कम होती है और कुपित पित्त का शमन होता है। मेंहदी की पत्ती पीसकर रात में पैरों के तलुओं में लेप करना चाहिए। विशेष रूप से उष्णता बढ़ी हुई हो तो शीतल चीनी (कबाबचीनी) का महीन चर्ण आधा-आधा चम्मच सुबह शाम ठण्डे पानी के साथ फांकना चाहिए। इसका सेवन दो-तीन सप्ताह तक करना चाहिए। शरीर में बढ़ी हुई उष्णता केशों को हानि पहुंचाती है इसलिए इन उपायों से उष्णता को सामान्य करना निहायत ज़रूरी है।

(8) स्वस्थ और सुन्दर बालों के लिए ज़रूरी निरोगी काया –

रक्त की कमी (एनीमिया), कमज़ोर पाचनशक्ति, क़ब्ज़, लिवर का कमज़ोर होना, केल्शियम की कमी, मलेरिया और टायफाइड ज्वर होने तथा स्त्रियों को लगातार श्वेत-प्रदर बने रहने आदि कारणों से भी बालों को हानि होती है। इन सभी शिकायतों को उचित चिकित्सा और परहेज़ करके दूर करना ज़रूरी है। केश स्वस्थ और सुन्दर रहें इसके लिए शरीर का स्वस्थ और पुष्ट रहना ज़रूरी है।

(9) आयुर्वेदिक नुस्खें से करें बालों की सभी समस्याएं ठीक (बाह्य चिकित्सा) –

  • सप्ताह में 1 या 2 बार थोड़े दही में एक नींबू निचोड़ कर इसे बालों में अच्छी तरह से लगा कर मलें। थोड़ी देर बाद स्नान कर लें।
  • सप्ताह के दूसरे दिनों में प्रति सप्ताह, 1 या 2 बार अथवा छुट्टी के दिन यह प्रयोग करें – पिसी हुई सूखी मेंहदी 1 कप, काफ़ी (Coffee) पाउडर 1 चम्मच, 1 चम्मच दही, 1 चम्मच नींबू का रस, 1 चम्मच पिसा कत्था, 1 चम्मच ब्राह्मी बूटी का पावडर, 1 चम्मच आंवला चूर्ण, 1 चम्मच सूखे पोदीने का चूर्ण । इन सबको पानी में डाल कर दो घण्टे रखें। पानी इतना लें कि घोल गाढ़े लेप जैसा बन सके। स्नान से दो घण्टे पहले इस लेप को बालों में और बालों की जड़ों में खूब अच्छी तरह से लगा लें और सूखने दें। जब लेप और बाल सूख जाएं तब स्नान करें और बालों को धो डालें ।

बालों में किसी भी प्रकार का साबुन न लगाएं। खेत की काली मिट्टी पानी में गला लें और मसल कर कपड़े से छान लें। साबुन की जगह मिट्टी के इस छने हुए पानी से सिर के बाल धोया करें।

(10) बालों का झडना व असमय सफेद होना रोके भृंगराज का यह चमत्कारी प्रयोग (आन्तरिक चिकित्सा) –

भृंगराज का विभिन्न भाषाओं में नाम –

  • हिन्दी – भांगरा, घमिरा, भंगेरिया।
  • मराठी – माका।
  • गुजराती – भांगरो।
  • बंगाली – भीमराज।
  • कन्नड़ – गरूगमरू।
  • तेलगू – गलगरा।
  • तामिल – केकेशी।
  • फारसी – जमर्दर।
  • इंगलिश – टेलिंग इकलिप्टा
  • लेटिन – इकलिप्टा प्रोस्ट्रेटा ।

( और पढ़े – भृंगराज के फायदे ,औषधीय गुण और उपयोग )

इस भृंगराज का पंचांग याने पत्ते, फूल, बीज, जड़ और छाल को खूब कूट पीस कर कपडछन महीन चूर्ण कर लें। पंचांग खरीदते समय लकड़ी और डण्ठल की मात्रा कम लें ताकि फूल पत्ते और बीज पर्याप्त मात्रा में आ सकें। इन्हें कूटने से पहले, मिट्टी व कचरा अलग कर लें। पंचांग सूखा होना चाहिए। चूर्ण के वज़न के बराबर काले तिल ले कर पानी में डाल दें और धोकर कचरा मिट्टी अलग कर तिल सुखा कर चूर्ण में मिला लें और बर्नी में भर लें। तिल को साबुत ही रखना है ।

यह चूर्ण 5-6 ग्राम की मात्रा में लेकर खूब चबा कर खा लें, ऊपर से थोड़ा पानी पी लें। इसे दिन में एक बार सुबह सूर्योदय के समय खाली पेट और दांत मुंह साफ़ करके सेवन करना चाहिए। किसी भी ऋतु में इसे सेवन किया जा सकता है। 40 वर्ष से कम आयु के स्त्रीपुरुषों के लिए यह प्रयोग काफ़ी ज्यादा सफल हआ है। इसको सेवन करने की अवधि 5 से 6 माह की है इसके बाद ही इसका पूरा प्रभाव दिखाई देता है। इसके सेवन से बालों का सफ़ेद होना रुकता है, बाल झड़ना और कम होना बंद होता है तथा बाल लम्बे और घने होते हैं।

यह दस उपाय, नियम और निष्ठापूर्वक करने पर बालों की सभी शिकायतें दूर हो जाती हैं क्योंकि जब शिकायत पैदा होने के कारण ही समाप्त हो जाएंगे तो शिकायत पैदा कैसे हो सकेगी?

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