Last Updated on March 22, 2024 by admin
वंशलोचन क्या होता है ?
वंशलोचन एक जाति के बांस के अन्दर से जिसे नजला बांस कहते हैं निकलता है । यह बांस मादा जाति का होता है और इसमें एक जाति का मद जम जाता है जो सूखने के पश्चात् निकाला जाता है । इसको हिन्दी में बंशलोचन और गुजराती में बांसकपूर करते हैं । इस वस्तु की कीमत अधिक होने से इसके कई प्रकार की नकली चीजों की मिलावट कर दी जाती है इसलिये इसको लेते समय बहुत सावधानी रखने की जरूरत है ।
अलग-अलग भाषाओं में इसका नाम :
- संस्कृत – वंशलोचन, त्वक्क्षीरी, क्षीरिका, कपूर रोचना, तुङ्गा, रोचनिका, पिगा; बंशशर्करा, बंस कर्पूर ।
- हिन्दी – बंशलोचन ।
- गुजराती – बांसकपूर ।
- बंगाल – बंशलोचन, बांसकावर ।
- मराठी – बंशलोचन ।
- फारस – तबाशीर ।
- अंग्रेजी – Ramboo Manna ।
- लेटिन – Bambuna Arundinacea ( बाबुना अरंडीनेसिया )।
असली वंशलोचन की पहचान ? :
असली बंशलोचन सफेद रङ्ग का होता है । मगर उस पर नीले रङ्ग की झाई होती है । इसको लकड़ी अथवा पत्थर पर घिसने से किसी प्रकार का निशान नहीं होता। इसको हाथ की चुटकी में लेकर दबाने से यह नहीं टूटता और मुंह में रखने से भी एक दम नहीं गलता । नकली बंशलोचन असली के बराबर ओज पूर्ण नहीं। होता । उसको पत्थर पर घिसने से उसकी लकीर उधड़ जाती है। असली बंशलोचन में पानी को सोख लेने की शक्ति रहती है और पानी सोख लेने के पश्चात् वह पारदर्शक हो जाता है। नकली बंशलोचन पानी में डालते ही घुल जाता है ।
आयुर्वेदिक के मतानुसार वंशलोचन के औषधीय गुण :
- आयुर्वेदिक मत से वंशलोचन रूखा, कसेला, मधुर, रक्त को शुद्ध करने वाला होता है
- यह शीतल, ग्राही, वीर्यवर्धक, कामोद्दीपक और क्षय रोग को दूर करता है
- यह श्वास, खांसी, रुधिर विकार, मन्दाग्नि, रक्त पित्त, ज्वर, कुष्ठ, कामला, पांडुरोग, दाह, तृषा, व्रण, मूत्रकृच्छ और वात को नष्ट करता है ।
यूनानी मतानुसार इसके गुण :
- युनानी मत से यह दूसरे दर्जे में सर्द और खुश्क होता है।
- यह काबिज, हृदय को आनन्द देने वाला, आमाशय की गरमी को दूर करने वाला और प्यास को बुझाने वाला होता है,
- हृदय, यकृत और आमाशय को यह ताकत देता है ।
- इसको पीसकर मुंह में बुरबुराने से मुंह के छाल मिटते हैं।
- खांसी, बुखार, पित्तरोग, गरमी का पागलपन, बेहोशी तथा पित्त के दस्त और वमन में यह बहुत मुफीद है।
- गर्मी की वजह से दिल में दशहत, गमगीनी और बहम पैदा हो जाय तो इसके प्रयोग से बहुत लाभ होता है।
- गर्मी की वजह से पैदा हुई अङ्गों की कमजोरी में बहुत लाभ होता है।
- बवासीर से बहने वाले खून और अनैच्छिक वीर्य स्राव को भी यह बन्द करता है।
- इसको एक पोटली में बांधकर पानी में डाल दें और उस पानी में से थोड़ा २ पानीं ऐसे रोगियों को पिलायें जिनको बहुत प्यास लगती हो तो उनको बहुत लाभ होगा।
- मिट्टी खाने वाले बच्चों को इसकी कंकरी हाथ में देने से उनकी मिट्टी खाने की आदत छूट जाती है ।
वंशलोचन का रासायनिक विश्लेषण :
- वंशलोचन में 70 प्रतिशत सेलिसिक एसिड और 30 प्रतिशन पोटास तथा चूना रहता है ।
- डाक्टर देशाई के मत से इसमें 90 प्रतिशत सेलिसिक एसिड, 1 प्रतिशत यवक्षार और 3 प्रतिशत मण्डूर का अंश रहता है ।
- जिस वंशलोचन में जितनी अधिक सेलसिक एसिड होती है वह उतना हो उत्तम रहता है ।
- इसके प्रयोग से श्वासेन्द्रिय की श्लेम त्वचा को बल मिलता है और इस वजह से उसके द्वारा उत्पन्न होने बाला कफ कम तादाद में उत्पन्न होता है । इस कार्य के लिये शोतोपलादि चूर्ण का योग बहुत उत्तम साबित हुआ है । यह चूर्ण बच्चों और नौजवानों के लिये विशेषरूप से उपयोगी होता है । इसके कफ रोगों के अन्दर त्वचा की दाह कम होती है और कभी – कभी कफ के साथ खून का बहना बन्द हो जाता है ।
- कर्नल चोपरा के मतानुसार वंशलोचन एक उत्तेजक और ज्वर नाशक वस्तु है ।
- इससे पक्षाघात की शिकायतें, दमा, खासी और साघाण कमजोरी में बहुत लाभ होता है ।
वंशलोचन के फायदे व उपयोग :
1. दमा : 20-20 ग्राम वंशलोचन और पीपल को पीसकर 2 ग्राम की मात्रा में शहद में मिलाकर सुबह-शाम देने से दमा का रोग दूर हो जाता है।
2. दांत निकलना : दांत निकलते समय बच्चे को वंशलोचन और शहद मिलाकर चटाने से दांत सुन्दर निकलते हैं और दांतों का दर्द भी खत्म हो जाता है।
3. खांसी :
- वंशलोचन एक ऐसा द्रव्य है जो अनेक योगों में प्रयुक्त होता है। बहुत सी प्रसिद्ध औषधियां इसके योग से बनती हैं। खांसी और सांस के रोग में इससे ज्यादा लाभ उठाया जा सकता है। खांसी अगर सूखी हो तो आधा ग्राम वंशलोचन शहद के साथ मिलाकर चाटने से दूर हो जाती है। सांस के रोग में भी वंशलोचन बहुत लाभकारी होता है। आधे ग्राम तक वंशलोचन के चूर्ण में 1 चुटकी पीपल का चूर्ण मिलाकर शहद के साथ देने से पूरा लाभ मिलता है।
- 1 से ढाई ग्राम वंशलोचन के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर खाने से सूखी खांसी ठीक हो जाती है।
4. गर्भ की रक्षा : आधा ग्राम वंशलोचन पानी या दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से गर्भपात नहीं होगा और गर्भशक्तिशाली बनता है। इससे गर्भवती स्त्री और बच्चे का स्वास्थ्य ठीक रहता है।
5. मुंह के छाले :
- वंशलोचन को शहद में मिलाकर लेप करने से मुंह के छाले मिटते हैं।
- हल्दी व वंशलोचन को एक साथ पीसकर मुंह के छाले पर लगाने से छाले ठीक हो जाते हैं।
6. स्त्रियों का प्रदर रोग :
- 50 ग्राम वंशलोचन को पीसकर 50 ग्राम चीनी में मिलाकर इसे 5-5 ग्राम कच्चे दूध और पानी से सुबह-शाम सेवन करने से प्रदर रोग में लाभ होता है।
- 50-50 ग्राम की मात्रा में वंशलोचन, नागकेसर, छोटी इलायची को लेकर पीस लें। इसमें 100 ग्राम की मात्रा में मिश्री मिला लें। इसमें से 1-1 चम्मच सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से प्रदर रोग में लाभ होता है।
7. यकृत का बढ़ना :
- 1.5 ग्राम वंशलोचन को शहद के साथ मिलाकर रोगी को चटाकर खिलाने से यकृत (जिगर) वृद्धि में बहुत लाभ होता है।
- 120 मिलीग्राम की मात्रा में असली वंशलोचन बच्चे को सुबह-शाम दूध या शहद के साथ सेवन करने से लाभ होता हैं।
- 120-120 मिलीग्राम वंशालोचन, पपीता और चिरायता का चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से यकृत वृद्धि में बहुत फायदा होता है।
8. वीर्य रोग में :
30 ग्राम वंशलोचन और 3 ग्राम छोटी इलायची को पीसकर 1-1 ग्राम सुबह-शाम घी और चीनी में मिलाकर लेने से वीर्य के रोग दूर होते हैं।
60 ग्राम वंशलोचन को पीस लें। इसमें 40 ग्राम चीनी मिला लें। इसे 5-5 ग्राम सुबह-शाम दूध से लेते रहने से वीर्य रोग में लाभ होता है।
9. हाथ-पैरों की जलन : 1 ग्राम वंशलोचन को शहद के साथ सुबह-शाम चाटने से हाथ-पैरों की जलन शान्त हो जाती है।
10. बालरोग : 120 मिलीग्राम पिसा हुआ वंशलोचन शहद में मिलाकर सुबह रोगी को चटाने से खांसी ठीक हो जाती है।
11. सुखी खांसी मे इसके फायदे : इसको 10 रत्ती 20 रत्ती तक की मात्रा में शहद के साथ चाटने से सूखी खांसी मिटती है । (1 रत्ती = 0.1215 ग्राम)
12. पेशाब की जलन मे वंशलोचन के लाभ : गोखरू, वंशलोचन और मिश्री के चूर्ण को कच्चे दूध के साथ देने से मूत्र की जलन मिटती है ।
13. विष विकार मे वंशलोचन के फायदे : साधारण विष विकार के अन्दर इसको शहद के साथ चटाने से शान्ति मिलती है ।
14. श्वास और खांसी मे इसके लाभ : इसको शहद के साथ चटाने से बालकों का श्वास और खांसी मिटती है ।
15. पुराना ज्वर मे लाभ : वंशलोचन और गिलोय के सत को शहद में मिलाकर चटाने से पुराना ज्वर मिटता है ।
16. रक्त-पित्त मे वंशलोचन के फायदे : शहद के साथ इसका सेवन करने से रक्तपित्त मिटता है ।
वंशलोचन से निर्मित आयुर्वेदिक दवा :
1. शीतोपलादि चूर्ण :
मिश्री 16 तोला, वंशलोचन 8 तोला, छोटी पीपर 4 तोला, छोटी इलायची के बीज दो तोला और दालचीनी 1 तोला । इन सब चीजों को पीस कर कपड़े में छान लेना चाहिये, यह आयुर्वेद के सुप्रसिद्ध शीतोपलादि चूर्ण का पाठ है। (1 तोला = 12 ग्राम)
इसके लाभ –
जो कि शरीर की साधारण कमजोरी दुर्बलता, क्षय, दम खांसी और मन्दाग्नि में बहुत उपयोगी माना जाता है। मगर हमारे अनुभव में आया है कि यदि इस नुस्खे में 4 तोला गिलोय सत्त्व और 2 तोला प्रवाल भस्म और मिला दी जाय तो वह बहुत प्रभावशाली हो जाता है और मनुष्य के बल, कान्ति और ओज के बढ़ाने में बड़ा सहायक होता है ।
2. सुजाक नाशक गोली –
वंशलोचन, कवाबचीनी, असली नागकेशर और इलायची के बीज ये चारो चीज समान भाग लेकर पीसकर कपड़े में छान लेना चाहिये । फिर इस चूर्ण को असली मलयागिरी चन्दन के तेल में अच्छी तरह तर करके झड़वेर(बेर) के बराबर गोलिया बना लेना चाहिये । इन गोलियों में से एक 2 गोली सबेरे शाम 4 तोला पानी में डालकर उसमें आधा तोला शक्कर मिलाकर अच्छी तरह घोलकर पी जाना चाहिये ।
इसके लाभ –
इस प्रयोग से व्यभिचार जनित नई सुजाक की जलन एक ही दिन में शान्त हो जाती है और 7 दिन में तो भयङ्कर सुजाक में नष्ट हो जाता है । यह औषधि जब तक चालू रहे तब तक पथ्य में सिर्फ गेहूं की रोटी, घी और शक्कर ही देन चाहिये ।
वंशलोचन के नुकसान :
वंशलोचन को डॉक्टर की सलाह अनुसार ,सटीक खुराक के रूप में समय की सीमित अवधि के लिए लें।
नोट :- ऊपर बताये गए उपाय और नुस्खे आपकी जानकारी के लिए है। कोई भी उपाय और दवा प्रयोग करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह जरुर ले और उपचार का तरीका विस्तार में जाने।
Read the English translation of this article here ☛ Vanshlochan (bamboo manna): 10 Medicinal Uses and Health Benefits
अस्वीकरण: इस लेख में उपलब्ध जानकारी का उद्देश्य केवल शैक्षिक है और इसे चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं ग्रहण किया जाना चाहिए। कृपया किसी भी जड़ी बूटी, हर्बल उत्पाद या उपचार को आजमाने से पहले एक विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें।