Last Updated on October 17, 2020 by admin
बर्साइटिस अर्थात क्या ? (What is Bursitis in Hindi)
यदि जोड़ो में दर्द और सूजन है तथा चलने-फिरने में तकलीफ होती है तो बर्साइटिस हो सकता है। बर्साइटिस (श्लेष्म पुटि शोथ) का अर्थ होता है, बर्सा की सूजन । पूरे शरीर में 160 बर्सा होती है लेकिन एड़ी, घुटनों, कोहनी, कंधे, नितंब, कूल्हों, जांघों के पास उपस्थित बर्सा में अन्य भागों में उपस्थित बर्सा की तुलना में अधिक सूजन (Inflammed) या बर्साइटिस होती है।
बर्सा या श्लेष्म पुटि एक प्रकार की थैली होती है जो लुब्रिकेटिंग (चिकनाई युक्त) तरल पदार्थ से भरी होती है और हड्डियों के जोड़ो और मांसपेशियों के बीच झटके को अवशोषित करने के लिए एक तकिया के रूप में कार्य करता है। ये थैलिया बर्सा हमारी हड्डियों, मांसपेशी, टेंडन और अस्थिबंधन (Ligament) तथा त्वचा जैसे ऊतकों के बीच स्थित होती है जो रगड़, घर्षण और जलन को कम करती है।
जब बर्साइटिस घुटने के पीछे वाले बर्सा (पॉप्लिटियल बर्सा) को प्रभावित करता है। तो इसे ‘म्लर्जीमैन्सनी या हाउसमेड्सनी’ कहा जाता है और यदि कोहनी को प्रभावित करता है, तो इसे ‘टेनिस एल्बो (Tenes Elbow) कहते है। (Bursitis indicates the inflammation of a tiny sac like tissue called Bursa)
बर्साइटिस क्यों होता है ? (Bursitis Causes in Hindi)
निम्नलिखित कारणों से बर्साइटिस हो सकता है –
- जोड़ो का बहुत अधिक उपयोग करने से बर्साइटिस हो जाता है।
- यह किसी चोट के कारण भी हो सकता है।
- बर्साइटिस आमतौर पर घुटने या कोहनी पर होता है।
- लंबे समय तक एक कठोर सतह पर अपनी कोहनी, घुटने रखने या टिकाने से बर्साइटिस शुरू हो सकता है।
- बार-बार उसी तरह के काम करने या जोड़ों पर तनाव डालने से यह समस्या बढ़ जाती है।
बर्साइटिस के क्या लक्षण होते हैं ? (Bursitis Symptoms in Hindi)
बर्सा में सूजन या बर्साइटिस से प्रभावित व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण हो सकते है –
- दर्द होता है जो कि जोडो को हिलाने या दबाव से बढ़ जाता है।
- जोड़ों के बिना हिले-डूले भी दबाव से बढ़ जाता है।
- जोड़ो के बिना हिले-डुले भी संवेदना महसूस होना।
- जोड़ों में सूजन होना ।
- जोड़ों का हिलना डुलना कम हो जाना इत्यादि।
- प्रभावित क्षेत्र शरीर के दबाव को सहन करने में असमर्थ होने के कारण अधिक दर्द होता है।
बर्साइटिस का आयुर्वेदिक उपचार (Bursitis Ayurvedic Treatment in Hindi)
बर्साइटिस के आयुर्वेदिक उपचार में निम्न उपाय किए जा सकते हैं –
1. मेथी – सूजन व दर्द में राहत पाने के लिए मेथी पाउडर 1/2 या 1 चम्मच सुबह-शाम गर्म पानी से देना चाहिए।
( और पढ़े – मेथी के चमत्कारी फायदे और औषधीय प्रयोग )
2. लौंग – लौंग के तैल में रूई का फोहा भिगोकर प्रभावित स्थान पर रखने से सूजन, दर्द में काफी आराम मिलता है।
3. ऐलोवेरा – ऐलोवेरा का गूदा, हल्दी के साथ हल्का गर्म करके बांधने पर बर्साइटिस की सूजन में लाभ होता है।
( और पढ़े – एलोवेरा रस के बेशकीमती फायदे )
4. अदरक – अदरक का प्रयोग बर्साइटिस में काफी लाभदायक है।
5. अश्वगन्धा – अश्वगन्धा चूर्ण, 40 ग्राम सोंठ चूर्ण-20 ग्राम, खाण्ड-40 ग्राम इन तीनों को अच्छी तरह मिलाकर रखें। 3-3 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम हल्दी मिले दूध से लेने पर बर्साइटिस अर्थात् वर्सा की सूजन में बहुत अच्छा लाभ मिलता है।
( और पढ़े – कमाल की औषधि अश्वगन्धा )
6. आलू – एक कप पानी में रात भर कदूकस किया हुआ आलू रखें और दर्द से निजात पाने के लिए रोज सुबह नाश्ते से पहले इसका रस पीना चाहिए।
7. तेल – गर्म जैतुन का तैल, तिल का तैल, चंदन की लकड़ी का पेस्ट, नीलगिरी का तैल, चाय के पेड़ का तैल और नीम का तैल बर्साइटिस के लिए प्रभावी आयुर्वेदिक उपचार है जो रोगी को तुरंत राहत देता है।
कैल्शियम और विटामिन बी-12 की कमी से बर्सा की सूजन होती है इसलिए कैल्शियम, मैग्नीशियम विटामिन बी-12 से भरपूर पदार्थों का मौखिक सेवन करना चाहिए।
बर्साइटिस की आयुर्वेदिक दवा (Bursitis Ayurvedic Medicine in Hindi)
आयुर्वेदिक औषधियों में सल्लकी, रास्ना सप्तक क्वाथ, दशमूल क्वाथ, महारास्नादि काढ़ा, सारिवाद्यासव, पुनर्नवासव या पुनर्नवारिष्ट, आरोग्यवार्धनी वटी, योगराज गुग्गुल, सिंहनाद गुग्गुल, गोदंती भस्म, कैशौर गुग्गुल, अश्वगन्धा चूर्ण, चन्द्रप्रभा वटी, त्रिफला चूर्ण, एरण्ड तैल, रास्ना चूर्ण, सैन्धवादि तेल आदि का प्रयोग कुशल चिकित्सक की सलाह पर किया जा सकता है।
उपरोक्त उपचार के अलावा बर्साइटिस से पीड़ित व्यक्ति को शरीर को तनाव मुक्त करने और लक्षणों को कम करने के लिए योग चिकित्सक / विशेषज्ञ की सलाह पर योग का अभ्यास करना चाहिए।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)