मनुष्य जीवन दुर्लभ क्यों ?
प्राचीन काल से हमारे ऋषि-मुनियों, विचारकों और मर्मज्ञों ने इस बात का समर्थन किया है कि मनुष्य जीवन अपने आप में अद्भुत एवं महान है। ईश्वर ने पृथ्वी पर 84 लाख योनियां बनाई हैं जिसमें …
प्राचीन काल से हमारे ऋषि-मुनियों, विचारकों और मर्मज्ञों ने इस बात का समर्थन किया है कि मनुष्य जीवन अपने आप में अद्भुत एवं महान है। ईश्वर ने पृथ्वी पर 84 लाख योनियां बनाई हैं जिसमें …
हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य का आरंभ करने के पूर्व गणेशजी की पूजा करना आवश्यक माना गया है, क्योंकि उन्हें विघ्नहर्ता व ऋद्धि-सिद्धि का स्वामी कहा जाता है। इनके स्मरण, ध्यान, जप, आराधना …
आप ज़रूर सोचते होंगे कि आख़िर हिंदू धर्म में १०८ का इतना ज़्यादा माहात्म्य क्यों है? यह संख्या १०८ हर जगह क्यों मौजूद है? सनातन धर्म में १०८ का इतना ज़्यादा उपयोग क्यों होता है? …
यदि हम स्त्रियों को सम्मान नहीं देंगे, तो नियति भी हमारा सम्मान नहीं करेगी। हिन्दू धर्म का मूलाधार वेद हैं और वेद नारी को सर्वोच्च सम्मान प्रदान करते हैं। विश्व का अन्य कोई भी सम्प्रदाय, …
यज्ञोपवीत क्या है ? yadnyopavit in hindi आपने देखा होगा कि बहुत से लोग बाएं कांधे से दाएं बाजू की ओर एक कच्चा धागा लपेटे रहते हैं। इस धागे को यज्ञोपवीत या जनेऊ कहते हैं। …
मन को कैसे जीते : मन सिर्फ चंचल ही नहीं बल्कि बहुत शक्तिशाली भी होता है तभी तो हमसे अपनी मन-मानी करवा लेता है और उसके आगे हमारी एक भी नहीं चलती। जैसे वायु को …
जन्मान्तरीय पापों से रोगों की उत्पत्ति और उनके उपाय : समस्त प्राणियों में मानव श्रेष्ठ है, क्योंकि इसने शारीरिक उन्नतिके साथ-साथ आध्यात्मिक उन्नतिके शास्त्र रचे तथा ईश्वरीय प्रेरणा एवं साधना से गहन अध्ययन किया और …
स्वर विज्ञान क्या है ? | Swar Vigyan in Hindi जिस तरह वायु का बाहरी उपयोग है वैसे ही उसका आंतरिक और सूक्ष्म उपयोग भी है। जिसके विषय में जानकर कोई भी प्रबुद्ध व्यक्ति आध्यात्मिक …
गायत्री मंत्र की महिमा : गायत्री मंत्र को शास्त्रों के अनुसार चारों वेदों का सर्वश्रेष्ठ मंत्र कहा गया है, गायत्री मंत्र सनातन एवं अनादि मंत्र है। पुराणों में कहा गया है कि सृष्टिकर्ता ब्रह्मा को …
शिव स्वरोदय विज्ञान क्या है ? : shiv swarodaya vigyan kya hai वायु के बाहरी उपयोग के अलावा उसका आन्तरिक एवं सूक्ष्म उपयोग भी है, जिसके विषय में जानकर कोई भी प्रबुद्ध व्यक्ति आध्यात्मिक तथा …