चंदन के कुछ बेशकीमती फायदे व औषधीय गुण

Last Updated on January 30, 2023 by admin

चंदन का पेड़ कैसा होता है ? : 

     चंदन की पैदावार तमिलनाडु, मालाबार और कर्नाटक में अधिक होती है। इसका पेड़ सदाबहार और 9 से 12 मीटर तक ऊंचा होता है। बाहर से इसकी छाल का रंग मटमैला और काला और अन्दर से लालिमायुक्त लंबे चीरेदार होता है। इसके तने के बाहरी भाग में कोई गंध नहीं होती है जबकि अन्दर का भाग सुगन्धित और तेल युक्त होता है। चंदन के पत्ते अण्डाकार तथा 3 से 6 सेमी तक लम्बे होते हैं। इसके फूल गुच्छों में छोटे-छोटे पीलापन लिए हुए, बैंगनी रंग के तथा गंधहीन होते हैं। चंदन के फल छोटे-गोल, मांसल और पकने पर बैंगनी रंग के तथा बिना किसी गंध के होते हैं। आमतौर पर चंदन में फूल और फल की बहार जून से सितम्बर और नवम्बर से फरवरी तक आती है। चंदन के पेड़ की आयु लगभग 50 वर्ष होती है। चंदन 5-6 प्रकार का होता है जिसमें सफेद लाल, पीत (पीला), कुचंदन (पतंगों) के रंगों के आधार पर जाने जाते हैं। उत्तम चंदन स्वाद में कटु घिसने पर पीला ऊपर से सफेद काटने में लाल, कोटरयुक्त और गांठदार होता है।

चंदन का विभिन्न भाषाओं में नाम :

हिन्दी        चंदन, सफेद चंदन
संस्कृत      श्रीखंड, चंदन भदश्री
बंगाली        चंदन
मराठी       चंदन
तेलगू         चंदन
गुजराती     लुघड़
फारसी       सन्दल सफेद
अरबी         सन्नले अर्वायद
अंग्रेजी        सैण्डल वुड
लैटिन       सैन्दल अलवम

चंदन के औषधीय गुण : 

सफेद चंदन के गुण –

         सफेद चंदन कड़वा, तीखा, शीतल, फीका, कान्तिवर्द्धक, कामोत्तेजक, रूक्ष, आनन्दप्रद, लघु और हृदय के लिए हितकारी होता है तथा यह पित्त की गर्मी से होने वाले भ्रम के ज्वर, पेट के कीडे़, जलन, संताप, मुंह के रोग, प्यास, श्रम, शोष (बेहोशी), विष, कफ, रक्त विकार को दूर करता है।

पीला चंदन के गुण –

        पीला चंदन शीतल, कड़वा और कान्तिवर्द्धक होता है तथा यह कफ, सफेद दाग, कण्डू (खुजली), विसूचिका, दाद, कृमि (पेट के कीडे़), रक्तपित्त, जहर, पित्त, प्यास, जलन और बुखार को नष्ट करता है।

केसरी चंदन के गुण –

        केसरी चंदन कड़वा और शीतल होता है तथा पित्त, थकान, शोष और दमा को दूर करता है।

गुलाबी चंदन के गुण –

गुलाबी चंदन शीतल और कड़वा होता है तथा कफ, पित्त, वायु, कोढ़, खुजली, घाव और रक्त विकारों को दूर करता है।

हल्का पीला चंदन के गुण –

        हल्का पीला चंदन शीतल और कड़वा होता है। यह वात, कफ, पित्त, थकान, छाले, खाज, दाह (जलन), कुष्ठ, तृषा (प्यास), मिर्गी और दाद को ठीक करता है।

सूखा चंदन के गुण –

       सूखा चंदन, कड़वा, सुगन्धित और ठण्डा होता है तथा मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन), पित्त, रक्तविकार और दाह (जलन) को दूर करता है। गीले चंदन को काटकर सुखा देने से उसमें सुगन्ध कम आती है। लाल चंदन की लकड़ी ग्राही और पौष्टिक होती है। सूजन में ठण्डक लाने के लिए और सिर के दर्द होने पर यह सफेद चंदन से अधिक लाभदायक होती है।

विभिन्न रोगों में चंदन के फायदे और उपयोग :

1. शरीर की जलन :

  • चंदन और कपूर को घिसकर शरीर पर लेप करने से शरीर की जलन दूर हो जाती है।
  • हाथ-पैरों की जलन को दूर करने के लिए सरसों का तेल या चंदन के तेल की मालिश करें।

2. खुजली :

  • चंदन के तेल को नींबू के रस में मिलाकर लेप करने से खुजली समाप्त हो जाती है।
  • दूध के अन्दर चंदन या नारियल का तेल और कपूर मिलाकर लगाने से खुजली दूर हो जाती है।

3. मूत्रकृच्छ और रक्तातिसार: चंदन को चावल के पानी में घिसकर शहद और शक्कर के साथ पीने से मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन) और रक्तातिसार (खूनी दस्त) मिट जाता है।

4. मूत्र रोग:  लगभग 8 से 10 बूंद चंदन का तेल बताशे में डालकर एक कप दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से पेशाब की जलन, पेशाब में पीप आना बंद हो जाती है।

5. शरीर पर गर्मी से उत्पन्न फुंसियां: शरीर पर गर्मी से पैदा हुई फुंसियों पर चंदन और गुलाबजल में पिसे हुए धनिये और खस का लेप करना चाहिए। केवल चंदन भी लाभ करता है।

6. गर्मी :

  • चावल के पानी में सफेद चंदन घिसकर चीनी के साथ देने से गर्मी में राहत मिलती है।
  • गर्मी के दिनों में शरीर की गर्मी दूर करने के लिए 20 ग्राम चंदन को घिसकर मिश्री मिलाकर शर्बत बनाकर पीने से मानसिक शान्ति मिलती है और शरीर को भी शांति मिलती है।

7. हिचकी :

  • स्त्री के दूध में चंदन को घिसकर नाक में डालने से हिचकी आना बंद हो जाती है।
  • चंदन और नीमगिलोय का चूर्ण सूंघने से हिचकी में लाभ होता है।
  • स्त्री के दूध में लाल चंदन को घिसकर सूंघने से हिचकी नहीं आती है।

8. प्रमेह और प्रदर: लगभग 10 ग्राम वंशलोचन और 10 ग्राम इलायची के दानों को बारीक पीसकर कपडे़ से छान लेते हैं। इसके बाद उसे चंदन के तेल में मिलाकर सुपारी के बराबर गोलियां बनाएं। सुबह-शाम 5 ग्राम चीनी को 40 मिलीलीटर ठण्डे पानी में मिलाकर एक-एक गोली के साथ सेवन करना चाहिए। इसका पथ्य गेहूं की रोटी, अरहर की दाल, घी और चीनी है।

9. तेज बुखार में नींद न आने और सिर दर्द करने पर: कपूर, केसर और चंदन को घिसकर सिर पर लगाने से तेज बुखार की वजह से नींद न आना और सिर में दर्द में लाभ मिलता है।

10. शरीर के किसी जगह पर सूजन होने से जलन: जलन के स्थान पर चंदन को घिसकर कुछ दिनों तक लेप करते रहने से जलन दूर होकर सूजन ठीक हो जाती है।

11. प्रमेह: लगभग 10 ग्राम गाय के दूध में चंदन के तेल की 5-6 बूंदे और चुटकीभर चीनी डालकर 3-3 घंटे के अन्तर पर दिन में पांच बार सेवन करना चाहिए। एक दिन में ही लाभ मालूम होता है अथवा 10 ग्राम शीतल चीनी (कंकोल) और 10 ग्राम वंशलोचन का कपड़े से छाना हुए बारीक चूर्ण को चंदन के तेल में भिगोकर 2-2 घंटे के अन्तर पर लगभग आधा-आधा ग्राम की मात्रा में देना चाहिए। दो दिन में सभी प्रकार के प्रमेह दूर हो जाते हैं।

12. पित्त के कारण उत्पन्न ज्वर (बुखार): लगभग 10 ग्राम चंदन को आधा किलोग्राम (500 मिलीलीटर) पानी के साथ काढ़ा बनाकर उसमें थोड़ी सी मिश्री डालकर पीने से पित्त ज्वर में होने वाली उल्टी बंद हो जाती है और धीरे-धीरे बुखार उतर जाता है।

13. हृदय की कमजोरी: एक ग्राम घिसे हुए चंदन में चुटकी भर चीनी और बूंद भर शहद डालकर सेवन करने से दिल की कमजोरी दूर हो जाती है।

14. पेशाब में जलन और लाल रंग का पेशाब होने पर: लगभग 120 मिलीग्राम चंदन को घिसकर उसमें दूध और मिश्री मिलाकर पीने से पेशाब के रोग ठीक हो जाते हैं।

15. ठंडक के लिए चंदन का शर्बत: चंदन के लगभग 1 किलो बारीक बूरे को 800 ग्राम उत्तम सुगन्धित पानी में भिगो देते हैं। लगभग चौबीस घंटे के बाद भीगने के बाद उस पानी को हल्की आग पर उबालते हैं। इसके खौलने पर इसे नीचे उतारकर छान लेते हैं और 800 ग्राम मिश्री डालकर इसे पका लेते हैं। यह चंदन का शर्बत सुबह-शाम 10-10 ग्राम लेने से शरीर की गर्मी दूर हो जाती है।

16. फोड़े-फुन्सी:

  • चंदन को पानी में घिसकर लगाने से फोडे़-फुन्सी और घाव ठीक हो जाते हैं।
  • फोड़े और फुंसियों पर लाल चंदन का लेप करने से ये जल्दी ही ठीक हो जाती हैं।

17. मलद्वार की खुजली: चंदन के तेल को नींबू के रस में मिलाकर लगाने से मलद्वार की खुजली दूर हो जाती है।

18. वमन (उल्टी) :

  • 1 चम्मच चंदन के चूर्ण को इतनी ही मात्रा में आंवले के रस और शहद को मिलाकर पीने से वमन (उल्टी) आना बंद हो जाती है।
  • 10 ग्राम चंदन के चूर्ण को शहद में मिलाकर चाटने से उल्टी आना बंद हो जाती है।

19. मुंहासें: दूध में लाल चंदन को घिसकर रोजाना 3 बार लगाने से चेहरे के कील मुंहासे ठीक हो जाते हैं।

20. कान का दर्द:

  • चंदन का गुनगुना गर्म तेल कान में 2-3 बूंद डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
  • चंदन का तेल कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।

21. सूजाक: 1 बूंद चंदन का तेल बताशे या चीनी में मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करें। यदि पेशाब में जलन अधिक हो तो पूयस्राव बंद (सूजाक) होने के बावजूद इसे 15 दिनों तक सेवन करें।

22. मुंहसौंदर्यवर्द्धक :

  • 2 बडे़ चम्मच दूध में चंदन को घिसकर मिला देते हैं। कुछ बूंदे संतरे के रस की और थोड़ा सा बेसन भी हाथ में मिला लेते हैं। मुंह को भाप देकर साफ कर लेते हैं और इस लेप को लगा लेते हैं। लगभग 20 मिनट बाद चेहरे को गुनगुने पानी से धो लेते हैं। इससे चेहरा सुन्दर लगने लगता है।
  • चेहरे के काले दाग, मुंहासों के कालों दागों पर चंदन पाउडर और बादाम पानी में घिसकर लगाने से चेहरे के काले दाग दूर हो जाते हैं।

23. कमर दर्द: यदि गर्भावस्था में कमर के नीचे वाले भाग पर बहुत दबाव पड़ता है तो कमर दर्द को ठीक करने के लिए एक ओर करवट लेकर सोयें। मूंगफली के तेल में 2-4 बूंदे लवंडर और दो बूंद चंदन का तेल डालकर अच्छी तरह से मिलाते हैं और इस तेल से कमर पर मालिश करें। नहाते समय पानी में 5 बूंद लवंडर ऑयल को डालकर पीठ को धो लेते हैं। इससे कमर दर्द जल्द ठीक हो जाता है।

24. धूप से त्वचा का झुलस जाना (सनबर्न) : तेज धूप से हाथ, पैर, चेहरे की त्वचा का रंग काला पड़ने लगता है तथा त्वचा झुलसने लगती है। इसे सनबर्न कहते हैं। बाहर जाने से पहले चेहरे को ठण्डे पानी से धोना चाहिए तथा ठंडा पानी पीकर बाहर जाना चाहिए। रोजाना दिन में एक बार बर्फ का टुकड़ा चेहरे पर लगाना चाहिए। चंदन का बुरादा, बेसन, गुलाबजल एवं नींबू, मिलाकर चेहरे पर लेप करें। चेहरे को दिन में एक बार गुलाबजल में रूई को भिगोकर साफ करना चाहिए। सनबर्न के कारण चेहरे की त्वचा अधिक काली पड़ जाती है। ऐसी स्थिति में कच्चे दूध को चेहरे पर सुबह-शाम लगाना चाहिए जब दूध सूख जाए तो उसे ठण्डे पानी से धोना चाहिए।

25. लू लगना :

  • लू लगने पर पानी में चंदन, खस व गुलाबजल बनाकर मिलायें तथा बेहोशी की अवस्था में मुंह पर पानी के छींटे देने से लाभ होता है।
  • चंदन का तेल यदि दूध में 1 बूंद डालकर पी लिया जाए तो लू के सभी दोष समाप्त हो जाते हैं।
  • लगभग 125 ग्राम सफेद चंदन के चूर्ण को 500 मिलीलीटर जल में रात को सोने से पहले भिगोकर रख दें। सुबह इसी जल में 400 ग्राम मिश्री मिलाकर उबाल लें। इस तरह से तैयार किये गये शर्बत को 20 मिलीलीटर पानी के साथ लेने से लू का प्रकोप शांत हो जाता है।

26. घमौरियां :

  • गर्मियों में होने वाली अलाइयों (घमौरियों) में यदि चंदन को पानी में घिसकर शरीर पर लेप किया जाए तो वे समाप्त हो जाती हैं।
  • सफेद चंदन को पानी के साथ पीसकर लगाने से घमौरियां दूर हो जाती हैं।
  • गुलाबजल में चंदन को घिसकर और कपूर को मिलाकर घमौरियों पर लगाने से आराम आता है।

27. आन्त्रवृद्धि: लाल चंदन, मुलहठी, खस, कमल और नीलकमल को दूध में पीसकर लेप करने से पित्तज आन्त्र वृद्धि की सूजन, जलन और दर्द दूर हो जाता है।

28. बुखार: चंदन के तेल को बताशे पर डालकर सेवन करें और ऊपर से सादा पानी पीयें। इससे जलन के साथ-साथ प्यास शान्त हो जाती है और पसीना आकर बुखार उतर जाता है।

29. खांसी: दुर्गन्धित कफयुक्त खांसी में 2 से 4 बूंद चंदन का तेल बताशे पर डालकर रोजाना 3-4 बार सेवन करने से खांसी में लाभ मिलता है।

30. दांतों में कीड़े लगना: चंदन के तेल में रूई भिगोकर दर्द वाले दांत के नीचे दबाकर रखने से दर्द व कीड़े नष्ट होते हैं।

31. डेंगू का बुखार: 5 से 10 बूंद चंदन के तेल को बताशे पर डालकर सुबह और शाम सेवन करके ऊपर से पानी पीने से डेंगू का बुखार कम हो जाता है।

32. खून की उल्टी: सफेद चंदन को पीसकर उसकी गोली बनाकर दिन में 2 से 3 बार रोगी को खिलाने से खून की उल्टी बंद हो जाती है।

33. गर्भपात रोकना: गोपी चंदन का पेट पर लेप करने से गर्भ स्थिर हो जाता है।

34. मूत्ररोग :

  • चंदन का तेल 5 से 15 बूंद बताशे पर डालकर रोज 3 बार खाने पेशाब की जलन ठीक हो जाती है।
  • 4-5 बूंदे चंदन के तेल की दूध के साथ लेने से पेशाब के रोग दूर हो जाते हैं।

35. पेशाब में खून आना :

  • चावल से धुले पानी में चंदन घिसकर और मिश्री मिलाकर सुबह-शाम खाने से रक्तमेह (पेशाब के साथ खून आना) ठीक हो जाता है।
  • लगभग 6 ग्राम सफेद चंदन का चूरा लेकर रात को पानी में भिगो दें। सुबह इस पानी को छानकर पीने से पेशाब में खून आना बंद हो जाता है।

36. बवासीर: चंदन, चिरायता, जवांसा और सोंठ का काढ़ा बनाकर पीने से अर्श (बवासीर) में खून का निकलना बंद हो जाता है।

37. रजोनिवृत्ति के बाद के विकार: 10 ग्राम चंदन का काढ़ा सुबह-शाम सेवन करने से रजोनिवृत्ति के अन्त होने के समय होने वाले विकार (मासिक-धर्म का समाप्त होना), कालिका, रक्तप्रदर और शारीरिक जलन नष्ट हो जाती है।

38. खूनी अतिसार :

  • छोटी चंदन के फल का चूर्ण, कुड़ा की छाल के चूर्ण के साथ 1 से 2 ग्राम दही के साथ खाने से खूनी दस्त का रोग दूर हो जाता है।
  • छोटी चंदन के फूल का चूर्ण और कुड़ाछाल के चूर्ण को एक समान भाग में लेकर अच्छी तरह से मिला लें। इसे 1 से 2 ग्राम दही में मिलाकर सेवन करने से खूनी दस्त (रक्तातिसार) ठीक हो जाता है।

39. चोट लगना: चोट, मोच की सूजन पर चंदन के तेल का लेप करने से आराम आता है।

40. घाव: नाक के फुंसीवाले घाव में चंदन के तेल को दुगुने सरसों के तेल में मिलाकर लगाने से घाव जल्दी ही भर जाता है।

41. श्वेत प्रदर: 40 ग्राम चंदन के काढे़ को सुबह-शाम सेवन करने से दुर्गन्ध युक्त सफेद प्रदर और रक्त प्रदर मिट जाता है।

42. रक्तप्रदर :

  • किसी भी तरह का रक्तप्रदर हो अथवा कितना ही दुर्गन्धित श्वेतप्रदर क्यों न हो चंदन का काढ़ा लगभग 40 ग्राम की मात्रा में रोजाना 2 बार देने से लाभ मिलता है।
  • 5 ग्राम चंदन के चूर्ण को दूध में पकाकर 10 ग्राम घी और 25 ग्राम शर्करा मिलाकर सेवन करने से रक्तप्रदर की बीमारी मिट जाती है।
  • 1 चम्मच सिल पर पिसा हुआ सफेद चंदन, 2 चम्मच हरी दूब का रस पानी में घोलकर मिश्री मिलाकर सुबह-शाम पीने से रक्त प्रदर अवश्य ही ठीक हो जाता है। यदि सफेद चंदन का बुरादा ही उपलब्ध हो तो 1 चम्मच ली जा सकती है। इसके घिसने की जरूरत नहीं होती है।

43. शीतपित्त: शरीर पर चंदन का तेल मलने से शीतपित्ती चली जाती है।

44. रक्तपित्त :

  • 10 ग्राम चंदन, धनिया, सौंफ, गुरिज, पित्तपापड़ा लेकर पीसकर 1.5 लीटर पानी में पकायें। पकने पर जब 125 मिलीलीटर के करीब पानी रह जाये तब इसे उतारकर इसमें लगभग 50 ग्राम मिश्री मिलाकर पीने से रक्तपित्त दूर हो जाता है। इसे रोजाना कम से कम 2-3 बार जरूर पीना चाहिए।
  • 3 से 6 ग्राम चंदन में सुगन्धबाला, मिश्री को चावल के धुले पानी के साथ खाने से रक्तपित्त के रोग में लाभ मिलता है।
  • 125 ग्राम सफेद चंदन के बुरादा को आधा लीटर गुलाबजल में 12 घंटे तक भिगोयें बाद में इसे हल्की आग पर पकायें। पकने पर थोड़ा पानी बचने पर इसे उतारकर छान लें और मिश्री मिलाकर आधा लीटर का शर्बत बना लें। इसे दिन में दो बार 20 मिलीलीटर से 40 मिलीलीटर तक लेने से रक्तपित्त का रोग दूर हो जाता है।
  • 48. नींद न आना (अनिन्द्रा): लगभग 1 से 2 ग्राम छोटी चंदन का चूर्ण सोने से पहले लेने से अच्छी तरह से नींद आ जाती है। उच्च रक्तचाप में भी यह लाभकारी होता है।
  • 49. जनेऊ (हर्पिस) रोग: चंदन को गुलाब जल में घिसकर लेप करने से शान्ति मिलती है और दर्द कम हो जाता है।
  • 50. नाक के रोग: चंदन के तेल को उससे 2 गुना सरसों के तेल में मिलाकर लगाने से नाक की फुंसियां ठीक हो जाती हैं।

45. सूतिका ज्वर: चंदन की लकड़ी, तिन्दुक फल, मुस्तक मूल, क्षीर काकोली मूल व वचा कन्द बराबर लेकर 14 से 28 मिलीलीटर में काढ़ा बना लें। इसे दिन में 2 बार सेवन करने से सूतिका ज्वर नष्ट हो जाता है।

46. नासागुहा शोथ: चंदन के तेल को उससे 2 गुना सरसों के तेल में मिलाकर नाक के अन्दर और बाहर लगाने से नाक के अन्दर की सूजन ठीक हो जाती है।

47. उपदंश (सिफलिस) :

  • 20 ग्राम शीतलचीनी को 200 मिलीलीटर पानी में उबालें थोड़ा-सा बचने पर छान लें। इसमें 10 बूंद चंदन का तेल मिलाकर कम गर्म करके पीने से उपदंश का रोग दूर हो जाता है।
  • 10-10 मिलीलीटर चंदन का तेल, चिरौंजी तेल, बिरोजा तेल को मिलाकर इसकी 10 बूंदें बूरा या बताशे में डालकर सुबह 250 मिलीलीटर कच्चे दूध से लेने से उपदंश के रोग में लाभ होता है।

48. मानसिक भ्रम: छोटी चंदन या सर्पगंधा का चूर्ण बनाकर रोजाना 1-2 ग्राम रात में सोने से पहले भ्रम के रोगी को देने से स्नायुविक गड़बड़ी से होने वाला भ्रम रोग दूर हो जाता है।

49. योनि की जलन और खुजली: चंदन के तेल में नींबू के रस को मिलाकर योनि पर लगाने से योनि में होने वाली खुजली मिट जाती है।

50. हैजा: 1-2 ग्राम सर्पगंधा (छोटी चंदन) की कन्द का चूर्ण ईश्वर मूल के साथ सेवन करने से हैजे में लाभ होता है।

51. उच्चरक्तचाप :

  • 1 से 2 ग्राम सर्पगंधा (छोटी चंदन) का चूर्ण रोज 1 खुराक सोने से पहले सेवन करने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) की समस्या धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो जाती है।
  • सर्पगंधा को पीसकर रख लें। रोजाना सुबह-शाम 2-2 ग्राम चूर्ण खाने से बढ़ा हुआ उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) सामान्य हो जाता है।
  • 10 ग्राम आंवला, 10 ग्राम सर्पगंधा और 10 ग्राम गिलोय को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बनाकर रखें। इसमें से 2 ग्राम चूर्ण को पानी के साथ सेवन करने से रक्तचाप कम होता है।
  • सर्पगन्धा, गिलोय और आंवला को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। रोजाना सुबह-शाम 1-1 ग्राम खाने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) में लाभ होता है। परहेज में गर्म चीजे न खायें।
  • सर्पगन्धा, आंवला, गिलोय, अर्जुन-वृक्ष की छाल, पुनर्नवा और आशकन्द बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को शहद के साथ दिन में 2 बार खाने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) में लाभ होता है।

52. दिल की कमजोरी: 2 चम्मच चंदन का शर्बत, एक कप गुलाब के रस में मिलाकर सुबह-शाम पीने से दिल की कमजोरी दूर हो जाती है।

53. त्वचा के छाले: चंदन के तेल में नींबू का रस और कपूर मिलाकर लेप करने से त्वचा के ऊपर के छाले मिट जाते हैं।

54. क्रोध: लगभग 1 ग्राम से 2 ग्राम छोटी चंदन (सर्पगंधा) के चूर्ण को रोजाना रात को सोते समय खाने से धीरे-धीरे क्रोध या चिड़चिड़ापन चाहे वह उच्च रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) के कारण हो दूर हो जाता है।

55. मानसिक उन्माद (पागलपन):

  • लगभग 120 मिलीग्राम चान्दी की भस्म को शहद के साथ मिलाकर पागलपन के रोगी को देने से पागलपन ठीक हो जाता है।
  • लगभग 3 ग्राम सफेद चंदन के चूरे को 50 ग्राम गुलाबजल में शाम को डालकर रख दें। सुबह इसको उबालकर छानकर मिश्री मिलाकर चाशनी बना लें। इस चाशनी को पागलपन या उन्माद के रोगी को खिलाने से यह रोग ठीक हो जाता है।

56. खसरा: खसरे के छोटे-छोटे दानों में जलन होने पर चंदन को पानी के साथ घिसकर शरीर पर लगाने से जलन समाप्त होती है।

57. चेहरे के दाग-धब्बे और कीलमुंहासे: चंदन का तेल लगाने से हर प्रकार के चेहरे के दाग-धब्बे और कीलमुंहासे ठीक हो जाते हैं।

58. सिर का दर्द :

  • लाल चंदन, मुलहठी, खस, खिरैंटी, नील-कमल और नखी को बराबर मात्रा में लेकर गाय के दूध के साथ पीसकर सिर पर लेप की तरह लगाने से पित्तज के कारण होने वाला सिर दर्द ठीक हो जाता है।
  • 10-10 ग्राम की मात्रा में सफेद चंदन का चूर्ण, छोटी इलायची के दाने, देशी कपूर और शर्करा लें और 5 ग्राम नीम की छाल और 50 ग्राम नौसादर लें इन सबका बारीक चूर्ण बनाकर सूंघने से अथवा थोड़े से पानी के साथ सिर पर लगाने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है। इसके अलावा बिच्छू के जहर और बर्र का जहर और चोट में भी यह लाभकारी होता है।
  • लाल चंदन को पानी में घिसकर माथे पर लगाने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
  • शुद्ध सन्दल (चंदन) के इत्र को माथे पर लगाने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
  • लगभग 10-10 ग्राम की मात्रा में चंदन, कपूर और दालचीनी के तेल में 250 ग्राम तिल का तेल मिलाकर रख दें। इन मिले हुए तेलों को माथे पर मलने या लगाने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है। 2-3 बूंदे इस तेल की कान में डालने से भी सिर दर्द में आराम मिलता है।
  • लगभग 1 से 2 ग्राम छोटी चंदन (सर्पगन्धा) के चूर्ण को शाम को सोते समय लेने से पुराने से पुराना स्नायविक के कारण होने वाला सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
  • लाल चंदन को घिसने के बाद उसमें कपूर मिलाकर माथे या सिर पर लेप की तरह लगाने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।

59. त्वचा के विकार: चंदन, खस और पद्याख को पीसकर लेप करने से बच्चों की `खुजली´ `विचर्चिका´ `सिध्म´ और पामा रोग समाप्त हो जाते हैं।

60. लिंग की उतेजना कम करने के लिए: 3 से 4 बूंद चंदन के तेल को बताशे में डालकर पानी के साथ रोजाना 2 बार खाने से लिंग की हर समय की उत्तेजना खत्म हो जाती है।

61. त्वचा की सुन्दरता: चंदन का पाउडर गुलाबजल में मिलाकर चेहरे पर लेप करने से चेहरे के दाग-धब्बे मिट जाते हैं और मुंहासें भी दूर हो जाते हैं।

62. विसर्प (छोटी-छोटी फुंसियों का दल): चंदन, खस की जड़, मंजीठ, पद्याख, प्लक्ष, मुलहठी और नीलकमल को दूध में पीसकर लेप की तरह फुंसियों पर लगाने से पित्तज के कारण होने वाला विसर्प नाम का यह रोग ठीक हो जाता है।

63. बच्चों के विभिन्न रोगों की औषधि:

  • चंदन का बारीक बुरादा नाभि (टुंडी) पर लगाने से नाभि (टुंडी) का पकना ठीक हो जाता है।
  • सारिवा, लालकमल, नीलकमल, नागरमोथा, उशीर (खस), सफेद चंदन, कमल, मंजीठ, मुलेठी और सरसों को बारीक पीसकर (विसर्प) छोटी-छोटी फुंसियों के दल पर लेप करने से लाभ मिलता है।
  • चंदन, खस, पद्माख को पीसकर लेप करने से भी सिध्म, पामा और विचर्चिका रोगों में लाभ होता है।
  • चंदन, दोनों सारिवा और शंखनाभि को पीसकर पानी में मिलाकर लेप करने से तथा इन्ही दवाओं को सूखी पीसकर शहद में मिलाकर रोगी को चटाने से व्रणपश्चातक रोग में आराम हो जाता है।

64. कफयुक्त खांसी: 1 बूंद चंदन का तेल बताशे में डालकर खाने से कफयुक्त खांसी दूर हो जाती है।

(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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