Last Updated on June 28, 2020 by admin
1). ताकत बढ़ाने के घरेलू नुस्खे : Takat Badhane ke Gharelu Nuskhe
पहला नुस्खा – एक चम्मच शुद्ध घी और तीन चम्मच शहद एक गिलास ठण्डा किये हुए दूध में घोल लें। शतावरी चूर्ण व असगन्ध चूर्ण 1-1 छोटा चम्मच भर ले कर मिला लें और फांक कर दूध पी लें। यह प्रयोग एक बार सुबह नित्य कर्मों से निवृत्त हो कर छः बजे से पहले और एक बार रात को सोते समय कम से कम दो मास तक सेवन करें। शरीर पुष्ट होगा व खूब बल बढ़ेगा।
दूसरा नुस्खा – भिण्डी की जड़ 250 ग्राम छाया में सुखा कर कूट पीस कर खूब महीन चूर्ण करके शीशी में भर लें। एक बड़ा चम्मच भर चूर्ण रात को एक गिलास पानी में भिगो कर रख दें। सुबह छः बजे से पहले, नित्य कर्मों से निवृत्त हो कर इसे मसल कर कपड़े से छान लें और एक चम्मच पिसी मिश्री मिला कर पी लें। एक मास तक यह प्रयोग करने और कामुक चिन्तन न करने से, स्वप्नदोष होना बन्द हो जाता है।
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2). अनियमित मासिक धर्म के घरेलू नुस्खे : Aniyamit Masik Dharm ke Gharelu Nuskhe
आज कल अनियमित दिनचर्या , मानसिक चिन्ता व तनाव, शोकपूर्ण और असन्तुष्ट मानसिक स्थिति वाला जीवन जीने से महिलाओं का हारमोनल बेलेन्स बिगड़ा हुआ रहता है जिससे उनका मासिक ऋतु स्राव अनियमित और असन्तुलित हो जाता है। इन कारणों का त्याग रखते हए निम्नलिखित घरेलू नुस्खों का सेवन करने से मासिक धर्म नियमित होने लगता है।
पहला नुस्खा – मासिक धर्म शुरू होने की सम्भावित तारीख से 2-3 दिन पहले,कच्चा सुहागा पिसा हुआ आधा चम्मच (3 ग्राम) और केसर की 5-6 पंखड़ियां खरल में डाल कर खूब घोंट कर बारीक करके सुबह छः बजे से पहले ठण्डे पानी के साथ लें।
दूसरा नुस्खा – मासिक ऋतु स्राव में अधिक मात्रा में रक्त गिरता हो तो दो चम्मच धना (धनिया) एक गिलास पानी में डाल कर उबालें। जब पानी चौथाई गिलास बचे तब उतार कर ठण्डा करके छान लें, सुबह छ: बजे से पहले लाभ न होने तक पिएं।
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3). श्वेत प्रदर का घरेलू नुस्खा : Safed Pani ka Gharelu Nuskha
शारीरिक कमजोरी, खान पान की अनियमितता, जीर्ण क़ब्ज़ और योनिमार्ग या गर्भाशय में संक्रमण (इन्फेक्शन) होने पर महिलाओं को श्वेतप्रदर (सफ़ेद पानी जाना) की शिकायत हो जाती है। श्वेत प्रदर होने पर शारीरिक निर्बलता और मानसिक क्षोभ की स्थिति बनती है, कमर में दर्द, हाथ पैरों में कमज़ोरी का अनुभव होना व थकावट होने की शिकायत होती है। इस स्थिति को दूर करने के लिए निम्नलिखित घरेलू नुस्खे का प्रयोग करें।
नुस्खा – पठानी लोध, विधारा, समुद्र शोष और सफ़ेद जीरा- सबका कुटा पिसा बारीक चूर्ण 10-10 ग्राम ले कर 40 ग्राम पिसी मिश्री खूब अच्छी तरह मिला कर खरल में डाल कर थोड़ा घोंट लें और तीन बार छान कर शीशी में भर लें। इसे आधा-आधा चम्मच ठण्डे पानी या दूध के साथ सुबह दोपहर व रात को सोते समय सेवन करने से प्रदर रोग ठीक हो जाता है।
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4). पथरी का घरेलू नुस्खा : Kdney Stone ka Gharelu Nuskha
आहार की अनियमितता, पाचन शक्ति की कमी और चयापचय प्रणाली की खराबी से गुर्दे (किडनी) में पथरी बनती है जिससे व्यक्ति को दर्द की पीड़ा झेलना पड़ती है। कभी-कभी यह दर्द असहनीय हो जाता है। मूत्रमार्ग से, मूत्र के साथ पथरी गला कर रेत की तरह बाहर निकालने वाले दो सफल सिद्ध नुस्खों की जानकारी प्रस्तुत की जा रही है।
नुस्खा नं. 1- पपीते की जड़ का टुकड़ा 5-6 ग्राम वज़न का ले कर, सिल पर महीन पीस लें और एक कप पानी में घोल कर कपड़े से छान लें। इसे सुबह खाली पेट पीना चाहिए। तीन सप्ताह तक पीने से पथरी गल कर मूत्र मार्ग से निकल जाती है।
नुस्खा नं. 2- मूली का रस दो बड़े चम्मच भर और एक ग्राम यवक्षार चूर्ण- इसे मिला कर अच्छी तरह से घोल लें और रोगी को पिला दें। ऐसा सुबह-शाम लाभ न होने तक सेवन कराते रहें। इस प्रयोग से कई रोगियों की पथरी गल कर मूत्रमार्ग से निकल गई है इसलिए परीक्षित है।
5). मधुमेह का घरेलू नुस्खा : Diabetes ka Gharelu Nuskha
निष्क्रिय दिनचर्या और जीवन शैली तथा ग़लत खानपान के कारण मधुमेह के रोगियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढती जा रही है। मधुमेह रोग के उपद्रवों को नियन्त्रित करना आसान नहीं होता, अतः मधुमेह पर नियन्त्रण रखना ही उचित होता है क्योंकि यदि रक्त में शर्करा का स्तर सामान्य बना रहे तो इससे होने वाली शारीरिक हानियों से बचा जा सकता है। निम्नलिखित दो नुस्खे रक्त में शर्करा के स्तर को नियन्त्रित रखने में सफल सिद्ध हुए है।
पहला नुस्खा – जामुन के 10 पत्ते, नीम की 20 पत्तियां, बेल के 30 पत्ते एवं श्यामा (काली) तुलसी की 40 पत्तियां । सबको साफ़ करके छाया में सुखा कर मिला लें और पीस कर बारीक चूर्ण कर लें। इस चूर्ण को एक बड़ा चम्मच (10 ग्राम) सुबह खाली पेट पानी के साथ लें। इसके एक घण्टे बाद वसन्त कुसुमाकर रस 1 गोली, शिला प्रमेह वटी व शिवा गुटिका 2-2 गोली फीके दूध के साथ लें। एक घण्टे बाद तक कुछ खाएं पिएं नहीं। ये तीनों गोलियां सोते समय भी दूध के साथ लें। सुबह शाम भोजन के तुरन्त बाद ‘पाचन सुधा खट्टा’ 4-4 चम्मच भर बिना पानी मिलाए पिएं। आवश्यक परहेज़ का पालन कर इस नुस्खे का लाभ उठाएं।
दूसरा नुस्खा – मेथी दाना, करेले के बीज, नीम की पत्तियां, जामुन की गुठली,गुड़मार, विजयसार, नीम गिलोय, अजवायन- प्रत्येक 50-50 ग्राम । सौंफ चिरायता, आंबा हल्दी, त्रिवंग भस्म, बेल के सूखे पत्ते, कुटकी, हल्दी, तुलसी पत्र, छोटा गोखरू, काला जीरा- प्रत्येक 25-25 ग्राम। इन सबको कूट पीस कर बारीक चूर्ण करके मिला लें फिर तीन बार छान कर सबको एक जान कर लें। सुबह शाम भोजन के एक घण्टे पहले एक चम्मच चूर्ण पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह पर नियन्त्रण हो जाता है।
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6). खूनी बवासीर का घरेलू नुस्खा : Bleeding Bloody Piles ka Gharelu Nuskha
नुस्खा – नागकेशर का महीन चूर्ण – 5 ग्राम, पिसी मिश्री – 5 ग्राम और ताज़ा मख्खन – 10 ग्राम ।
इन तीनों को मिला कर पेस्ट बना लें। यह मिश्रण सुबह शाम खाली पेट खाएं।
नुस्खा सेवन करने के उपरान्त एक घण्टे तक कुछ भी खाएं पिएं नहीं। इसके साथ अर्शकुठार रस और अर्शोघ्नी वटी की 1-1 गोली सुबह शाम पानी के साथ लें तथा भोजन के आधा घण्टे बाद अभयारिष्ट 2-2 चम्मच पानी के साथ लें। इस नुस्खे को पूर्ण लाभ न होने तक लेते रहें तथा क़ब्ज़ न होने दें।
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7). ईट का मलहम :
नुस्खा – मकान बनाने के काम आने वाली एक ईंट ले आएं। एक पीतल की कढ़ाई या तसले में सरसों का थोड़ा तैल डाल कर इस ईंट को घिसें और गाढ़ा लेप तैयार करें। इस लेप को कांच की बड़े मुंह वाली शीशी या प्लास्टिक की डिब्बी में भर लें, यही ईंट का मल्हम है।
यह मल्हम फोड़ा- फुँसी, साधारण चोट के घाव आदि पर लगाएं । 3-4 दिन में ही आराम हो जाएगा।
8). हदय रोग का घरेलू नुस्खा : Home Remedies for Heart Disease in Hindi
नुस्खा – मण्डूर भस्म, शुद्ध कुचला, भुनी जवाहर हरड़, सोंचर नमक-प्रत्येक 10-10 ग्राम, योगेन्द्र रस 1 ग्राम, बसन्त कुसुमाकर रस 1 ग्राम, अकीक पिस्टी व मोती पिस्टी- प्रत्येक 5-5 ग्राम । इन सबको मिला कर घृत कुमारी रस की 5 भावनाएं दें एवं 10 पुड़िया समभाग में बना लें। लौकी का ताज़ा रस छिलके सहित निकालें और लौकी के ताज़े रस के साथ एक पुड़िया प्रातः नाश्ते के एक घण्टे बाद लें एवं एक पुड़िया रात के खाने के एक घण्टे बाद लें। उक्त दवा एक माह में केवल पांच दिन लें, अगले माह पुनः पांच दिन लें और उसके अगले माह फिर पांच दिन लें। इस तरह इसका तीन माह का कोर्स होता है।
रोग की जटिलता होने पर हृदयामृत वटी की सुबह शाम 2-2 गोली लें। हृदय रोग की यह अचूक औषधि है फिर भी यदि कोई रोगी इस सम्बन्ध में कोई पूछताछ करना चाहे तो उसका स्वागत है।
( और पढ़े – ह्रदय रोग के कारण और बचाव के उपाय )
9). धनिया के सफल सिद्ध घरेलू नुस्खे :
पहला नुस्खा – धान्य पंचक क्वाथ- धनिया, बेल की गिरी, खस, नागरमोथा और सोंठ- सब द्रव्यों को समान मात्रा में ले कर कूट पीस कर चूर्ण कर लें। एक बड़ा चम्मच भर 10 (ग्राम) चूर्ण 100 मि. लि. पानी में डाल कर उबालें। जब पानी आधा रह जाए तब उतार कर ठण्डा करके छान लें और पी लें। इसे दिन में दो या तीन बार पीया जा सकता है। एक बार में तीन गुनी मात्रा में बना कर फ्रिज में रख कर तीन खुराक पी सकते हैं। यह क्वाथ (काढ़ा) पीने से पाचन ठीक होता है, भूख खुलती है। अतिसार रोग (बार-बार दस्त होना) में यह काढ़ा बहत लाभ करता है। यदि अतिसार पित्त प्रकोप के साथ (पित्तातिसार) हो या दस्तों के साथ रक्त जाता (रक्तातिसार) हो तो सोंठ की जगह सौंफ का प्रयोग करना चाहिए।
दूसरा नुस्खा – धान्यक अवलेहधनिया 200 ग्राम, चांदी वर्क 5 ग्राम, छोटी इलायची 20 ग्राम, गुलकन्द 400 ग्राम। धनिया व इलायची के दानों को बारीक पीस कर गुलकन्द में मिला कर चांदी वर्क डाल कर खूब अच्छी तरह मिला लें। रात को सोते समय एक बड़ा चम्मच भर अवलेह पानी के साथ लेना चाहिए। इसके सेवन से पाचन शक्ति बढ़ती है, नेत्रों की लाली या पानी गिरना, नेत्रों का भारीपन आदि शिकायतें दूर होती हैं, नेत्र ज्योति बढ़ती है, दिमाग़ शान्त व तरोताज़ा रहता है। यह प्रयोग सब प्रकृति वालों के लिए उपयोगी है।
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10). काले और घने बालों के लिए घरेलू नुस्खे : Kale aur Ghane Balo ke Liye Gharelu Nuskhe
नुस्खा – मेथीदाना चूर्ण 100 ग्राम, मेथी साग के हरे पत्ते 100 ग्राम और तिल का तैल 200 ग्राम- इन सभी पदार्थों को मिला कर सात दिन तक किसी साफ़ बर्तन में रखा रहने दें। बीच-बीच में इस मिश्रण को हिलाते चलाते रहें। सात दिन के बाद इसे बारीक कपड़े से छान कर छने हुए तैल को बोतल में भर लें। रात्रि को सोने के पहले 10-15 मिनिट उंगलियों से बालों की जड़ में इस तैल को लगा कर हलकी मालिश करें। सुबह नहाते समय शिकाकाई से सिर को धोएं। ध्यान रहें कि इस तैल को एक दिन छोड़ कर बालों में लगाना है। लगातार 2-3 महीने नियम पूर्वक प्रयोग करने पर बालों पर प्रभाव दिखाई पड़ने लगता है।
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11- नपुसंकता का घरेलू उपाय : Napunsakta ka Gharelu upay
नुस्खा – आंधीझाड़ा के कच्चे बीज 25 ग्राम, खसखस (पोस्ते के दाने) 25 ग्राम एवं मिश्री 10 ग्राम। रात को खसखस को पानी में भिगों दें। प्रातःकाल खसखस को पानी से निकाल कर सिलबट्टे पर आंधीझाड़ा के बीच एवं मिश्री के साथ अच्छी तरह पीस कर एक जान कर लें। इस मिश्रण को खूब चबा चबा कर खा लें और ऊपर से एक गिलास दूध पी लें।
यह प्रयोग 21 दिन तक सुबह शाम करने से कैसी भी नपुंसकता हो निश्चित ही दूर हो जाती है। इसके सेवन से वीर्य के सारे दोष दूर हो जाते हैं और व्यक्ति संतानोत्पत्ति करने लायक हो जाता है। अगर आंधीझाड़ा के बीज न मिले तो उसकी जड़ को उपयोग में ले सकते हैं। यह नुस्खा कई रोगियों पर आज़माया हुआ एवं परीक्षित है।
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12). श्वेत प्रदर के घरेलू नुस्खे : Leukorrhea ke Gharelu Nuskhe
एरण्ड की लकड़ी 100 ग्राम लेकर जला लें। इसकी राख में 100 ग्राम आंवले का चूर्ण मिला कर खरल में डाल कर घुटाई करें और दोनों को एक जान करके शीशी में भर लें।
यह चूर्ण 5-5 ग्राम सुबह शाम ठण्डे पानी के साथ फांक कर सेवन करें। यह प्रयोग श्वेत प्रदर रोग नष्ट करने में गुणकारी है।
13). रक्त प्रदर के घरेलू इलाज : Raktapradar ke Gharelu Upay
पहला नुस्खा – शुद्ध सोनागेरु को आंवलों के रस में 21 दिन तक खरल करें। इसकी चने बराबर गोलियां बना लें। सुबह शाम 1-1 गोली दूध के साथ लेने से रक्त प्रदर रोग ठीक होता है।
दूसरा नुस्खा – अशोक की छाल 100 ग्राम, आम, जामुन और बेर की छाल 50-50 ग्राम। सब को मिला कर जौ कुट (मोटा-मोटा) कूट लें। यह चूर्ण 20 ग्राम लेकर दो कप पानी में डालकर उबालें। जब आधा कप पानी बचे तब इसमें एक चम्मच गाय का घी और आधा चम्मच पिसी मिश्री डाल दें। इसे भोजन के 3 घण्टे बाद पीना चाहिए। यह योग रक्तप्रदर रोग को निश्चय ही ठीक करता है साथ ही गर्भाशय की निर्बलता, प्रदाह और दूषित अवस्था को भी दूर करता है।
14). योनि का ढीलापन दूर करने के के घरेलू नुस्खे :
योनि का ढीलापन दूर करने के लिए माजूफल 10 ग्राम, कपूर और फिटकरी 3-3 ग्राम । तीनों को पीस कर महीन चूर्ण कर लें। इस चूर्ण को दो भाग करके पतले कपड़े में रख कर दो छोटी सी पोटली बना कर धागे से बांध लें। धागा लम्बा रखें ताकि पोटली खींच कर योनि से बाहर निकाल सकें। यह पोटली रात को सोते समय योनि के अन्दर सरका कर रख लें। सुबह धागा खींच कर पोटली निकाल कर फेंक दें। कुछ दिनों तक यह पोटली रखने से योनि सुदृढ़ और संकुचित हो जाती है।
15). बुखार (ज्वर) के घरेलू नुस्खे : Bukhar ke Gharelu Upay
गर्भवती स्त्री को बुखार आना अच्छा नहीं होता। बुखार होने पर चन्दन, पठानी लोध, अनन्तमूल और मुनक्का- सभी 5-5 ग्राम लेकर दो कप पानी में डाल कर काढ़ा करें। जब आधा कप पानी बचे तब यथोचित मात्रा में शक्कर डाल कर उतार लें। इस काढ़े को सुबह शाम पीने से गर्भवती का ज्वर उतर जाता है।
16). प्रमेह के घरेलू उपाय : Prameh ka Upchar
जैसे स्त्रियों को प्रदर रोग प्रायः होता पाया जाता है वैसे ही अधिकांश पुरुषों को प्रमेह होता पाया जाता है क्योंकि प्रमेह 20 प्रकार का होता है और पुरुष किसी भी प्रकार के प्रमेह के जाल में न फंसे ऐसा तभी सम्भव है जब वह बहुत ही अच्छा आहार-विहार करने वाला हो।
पुरुष के प्रमेह और स्त्री के प्रदर रोग को नष्ट करने के लिए गूलर के पेड़ की जड़ को पानी के साथ सिल पर घिस कर लेप कटोरी में उतार लें। लगभग 20 मि.ली. (बड़े दो चम्मच भर) लेप में थोड़ी शक्कर (पिसी हुई) घोल कर सुबह पिएं। इसके बाद आधा चम्मच शहद में 2 रत्ती त्रिबंग भस्म मिला कर चाट लें। बहुत गुणकारी प्रयोग है।
(माप :- 1 रत्ती = 0.1215 ग्राम)
17). मासिक रजः स्राव :
युवा स्त्री का मासिक रजः स्राव बिना गर्भाधान के बन्द हो जाए यह अस्वस्थ स्थिति है और गर्भाशय में किसी विकार के होने का सूचक भी। ऐसी स्थिति में तिल, सरसौं, खली, गुठली रहित खजूर- 50-50 ग्राम।
डीकामाली, गुग्गुल, एलुआ और पोस्त डोडे – 20-20 ग्राम।
इन सबको पीस कर, पानी मिला कर, हलवे के समान पकाएं। इस हलवे को खाना नहीं है। रात को सोते समय स्त्री अपने तरेट पर (नाभि के नीचे और योनि से ऊपर का उदरभाग) सरसौं का तेल लगा कर, जितना गर्म सहन हो सके उतना गर्म हलवा, लेप की तरह फैलाकर लगा दें, ऊपर से साफ़ रुई रख कर कपड़ा बांध दें। सुबह स्नान के समय यह लेप धोकर हटा दें। इस लेप के प्रयोग से मासिक रजः स्राव खुल जाता है, गर्भाशय में शोथ हो तो दूर हो जाती है। यह एक अति निरापद और श्रेष्ठ नुस्खा है।
18). योनि की स्वच्छता :
प्रतिदिन स्नान करते समय अथवा शौच क्रिया करते समय योनि को अन्दर तक पानी से धो कर साफ़ करना उसी तरह ज़रूरी होता है जैसे प्रतिदिन दन्तमंजन और कुल्ले करके मुंह साफ़ करना। यदि मुंह साफ़ न किया जाए तो मुंह से दुर्गन्ध आने लगती है उसी प्रकार सफ़ाई न की जाए तो योनि में सफेद रंग का मैल जमा होने लगता है जिससे योनि से दुर्गन्ध आने लगती है और विकार पैदा होने की सम्भावना बन जाती है। एक या दो सप्ताह में नीम की पत्तियां पानी में उबाल कर, इस नीम के पानी से योनि को धोते रहने से योनि में कोई विकार पैदा नहीं होता।
(दवा व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)