Last Updated on March 30, 2023 by admin
गूलर क्या है : Cluster Fig in Hindi
गूलर बड़ पीपल और अंजीर के वर्ग का वृक्ष है। इसका वृक्ष 20 से 30 फुट तक ऊंचा होता है। इसके पत्ते बड़ के पत्तों से मिलते हुए मगर उससे छोटे रहते हैं । इसकी डालियों से इसके फल फटते हैं। इसके किसी अङ्ग में चीरा देने से उसमें से दूध निकलता है । इसके फल अंजीर के फलों की तरह होते हैं । गूलर के फूल (gular ka phool) के बारे में कहा जाता है कि जो गूलर के फूल देख लेता है, वह बहुत अमीर हो जाता है ।
गूलर के विभिन्न भाषाओं में नाम : Name of Gular in Different Languages
Gular in –
- संस्कृत (Sanskrit) – औदुम्बरम्, उदुम्बर, हेमदुग्धक, जंतुफल, क्षीर वृक्ष
- हिन्दी (Hindi) – गूलर, ऊमर, परोया
- गुजराती (Gujarati) – उमरो
- मराठी (Marathi) – ऊंबर, गूलर
- बंगाली (Bangali) – यज्ञ डुम्बर, जगनो डुम्बर
- पंजाबी (Punjabi) – ददुरि, काकमाल
- अरबी (Arbi) – जमीझा
- तामिल (Tamil) – अतिमरम
- तेलगु (Telugu) – अत्तिमाणु
- फ़ारसी (Farsi) – अंजीरे आदम
- लैटिन (Latin) – Ficus Glomerata (फिकस ग्लोमीरेटा)
आयुर्वेदिक मतानुसार गूलर के गुण : Gular ke Aushadhiya Gun in Hindi
- आयुर्वेदिक मत से गूलर शीतल, गर्भ रक्षक, व्रण को भरने वाला, मधुर, रूखा, कसैला, भारी, हड्डी को जोड़ने वाला, वर्ण को उज्वल करने वाला तथा कफ, पित्त, अतिसार और योनिरोग को नष्ट करने वाला है।
- इसकी छाल अत्यन्त शीतल, दुग्ध वर्द्धक, कसैली, गर्भ को हितकारी और वर्ण विनाशक है।
- इसके कोमल फल स्तम्भक, कसैले, रुधिर के रोगों को नष्ट करने वाला और तृषा, पित्त तथा कफ को दूर करने वाले होते है।
- इसके मध्यम कच्चे फल शीतल’, कसैले, रुचिकर तथा प्रदर को नष्ट करने वाले होते हैं।
- इसके पके हुए फल कसैले, मधुर, कृमि पैदा करने वाले, अत्यन्त शीतल, रुचिवर्द्धक, कफ कारक, तथा रुधिर विकार, पित्त, दाह, क्षुधा, श्रम, प्रमेह और मूर्छा को हरने वाले होते हैं।
यूनानी मतानुसार गूलर के गुण :
- यूनानी मत से यह दूसरे दर्जे में गरम और पहले दर्जे में तर है ।
- कुछ लोगों के मत से यह सर्द और तर है ।
- इस पेड़ का फल पेट में फुलाव पैदा करता है ।
- यह सूखी खांसी, सीने का दर्द, तिल्ली और गुर्दे का दर्द में मुफीद है ।
- आँख की बीमारियों में भी इसके फल खाने से अच्छा लाभ होता है।
- अगर वर्ष भर में १०-२० दफें इसके फल खा लिये जाय तो वर्ष भर में नेत्र रोग होने का डर नहीं रहता ।
- इसकी तरकारी बनाकर रोटी के साथ खाने से बवासीर से जाने वाला खून बन्द हो जाता है ।
- इस पेड़ के पचांग का काढ़ा बनाकर उसमें शक्कर मिलाकर पीने से खांसी और दमा में लाभ होता है।
- खांसी के लिये यह एक आजमूदा चीज है।
- इस वृक्ष का दूध लगाने से कठिन सूजन भी बिखर जाती है ।
- इसकी छाल को पानी में पीसकर पीने से जहर का असर दूर हो जाता है ।
- एक यूनानी हकीम के मतानुसार गूलर खून की खराबी, बेहोशी और गरमी को मिटाता है।
- यह भूख को बढ़ाता, शरीर को पुष्ट करता और गर्भवती स्त्रियों के लिये बहुत लाभदायक है ।
- जिन – जिन रोगों में शरीर के किसी अङ्ग से खून बहता है और सूजन होती है उन रोगों में गूलर एक उत्तम औषधि है ।
- नाक से खून बहना, पेशाब के साथ खून जाना, मासिक धर्म में अधिक खून का जाना, गर्भपात, वगैरह रोगों में इसके पके हुये फलों को शक्कर के साथ देने से फौरन लाभ होता है।
- अगर इससे जल्दी लाभ नहीं हो तो फलों के साथ इसकी अन्तर छाल को भी देना चाहिये । गर्भपात को रोकने के लिये यह औषधि देने से गर्भ को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता है ।
- प्रमेह और मधुप्रमेह के रोगों में भी गूलर के फल बहुत लाभदायक है ।
- ये पौष्टिक होने से धातु की कमजोरी को भी मिटाते हैं ।
- चेचक की बीमारी में शरीर की जलन को कम करने के लिये इसके फल दिये जाते हैं।
- तीव्र रक्तातिसार में गूलर का दूध देते हैं।
- छोटे बच्चों के “सूखा रोग” में जब कि उनको खाया हुआ पचता नहीं है, दस्त और उल्टियां होती रहती हैं उस हालत में गूलर के दूध की दस दस बूंद दूध में मिलाकर देने से अच्छा लाभ होता है। कण्ठमाल, बदगांठ और दूसरे फोड़े फुन्सियों पर तथा सूजन पर इसके दूध को लगाने से बहुत जल्दी लाभ होता है।
- कमर के दर्द में कमर के ऊपर और दमे के रोग में छाती पर इसके दूध को लगाने से अच्छा फायदा होता है।
- गूलर की जड़ें अतिसार में दी जाती हैं । इसकी जड़ों का रस शीतल, स्तम्भक जोर उत्तम पौष्टिक होता है।
- जिन रोगों में शरीर से खून निकलता है उन रोगों में यह बहुत लाभदायक है ।
- सुजाक में इसको देने से मूत्र नलिका की सूजन कम होती है ।
- इसकी छाल की फांट बनाकर अत्यधिक रजःस्राव पर दी जाती है।
गूलर के उपयोग : Uses of Gular in Hindi
- कर्नल कीर्तिकर और वसु के मतानुसार इसके पत्ते, छाल और फल देशी औषधियों में काम में लिये जाते हैं। इसकी छाल संकोचक औषधि के काम में आती है ।
- शेर या बिल्ली के द्वारा मनुष्य या पशुओं को जो जखम हो जाते हैं उनके विष को दूर करने के काम में भी यह लिया जाता है ।
- इसकी जड़ में छेद करके उसमें से एक रस निकाला जाता है।
- इसके पत्तों को पीसकर शहद के साथ मिलाकर देने से पित्त के रोग दूर होते हैं ।
- इसके पत्तों पर छोटी – छोटी फुन्सियां रहती हैं उनको दूध में पीसकर शहद के साथ मिलाकर चेचक की बीमारी में अधिक मवाद न होने देने के लिये देते हैं ।
- इसके फल का गूदा संकोचक, अग्निवर्द्धक, अत्यधिक रजन्नाव और मुंह से खून जाने की बीमारी में लाभदायक है ।
- इसका दूध बवासीर और अतिसार में उपयोगी है ।
- इसको तील के तेल के साथ मिलाकर लगाने से नासूर में भी लाभ होता है।
- इसका ताजा दूध बहमूत्र और मूत्र नली सम्बन्धी अन्य रोगों में भी लाभदायक है।
- इसका रस बहुत ही प्रचलित औषधि है । यह कण्ठमाला, बदगांठ तथा अन्य प्रकार के प्रादाहिक फोड़ों पर काम में लिया जाता है ।
- ढोरों की महाभारी में इसकी छाल को प्याज, जीरा, नारियल की दाढ़ी के साथ पीसकर सिरके में मिलाकर दिया जाता है।
- तमील के लोग इसकी छाल के शीत निर्यास को अत्यधिक रजःस्राव की बीमारी में काम में लेते हैं।
- कर्नल चोपरा के मतानुसार गूलर की छाल, पत्ते, फल और दूध सब औषधियों के काम में आता है। इसकी छाल का शीत निर्यास और इसके पत्ते संकोचक हैं। इन्हें मसूड़े की बीमारी में कुल्ले करने के काम में लेते हैं ।
- पेचिश, अत्यधिक, रजःस्राव और मुंह से कफ के साथ खून निकलने की बीमारी में इनको पिलाने से अच्छा लाभ होता है ।
- इसके पिण्ड का निस्सरण बहुमूत्र रोग की उत्तम औषधि मानी जाती है ।
- इसका दूध आमवात और कटिवात पर लगाने से काम में लिया जाता है।
सेवन की मात्रा :
छाल की आधे तोले से एक तोले तक, फल की 2 से 4 नग तक और दूध की 10 से 20 बूंद।
रोग उपचार में गूलर के फायदे : Benefits of Gular in Hindi
1. घाव : इसकी छाल के क्वाथ से साधारण और जहरीले घाव को धोने से वह जल्द भर जाता है ।
2. आमातिसार : इसकी जड़ के चूर्ण को फक्की देने से आमातिसार मिटता है ।
3. बल वृद्धि : इसकी जड़ में छेद करने से एक प्रकार का मद टपकता है। उस मद को लगातार कुछ समय तक लेने से बल बढ़ता है।
4. पित्त विकार : इसके पत्तों को पीस कर शहद के साथ चटाने से पित्त विकार शान्त होते हैं ।
5. खूनी बवासीर : इसके दूध को 10 बूंद से 20 बूंद तक जल में मिलाकर पिलाने से खुनी बवासीर और रक्त विकार मिटता है।
6. बहूमूत्र : इसकी जड़ से निकाले हए मद को पिलाने से बहुमूत्र रोग मिटता है।
7. कर्णमूल शोथ : इसके मद का लेप करने से कर्णमूल की सूजन और दूसरी पेशियों की पित्त की सूजन मिटती है।
8. मूत्र कृच्छ्र : इसका 7 तोला मद रोज पिलाने से मूत्रकृच्छ मिटता है ।
9. दन्त रोग : इसके काढ़े से कुल्ले करने से दांत और मसूड़ों के रोग मिट कर दांत मजबूत होते हैं ।
10. रक्त प्रदर : इसकी छाल का शीत निर्यास पिलाने से रक्त प्रदर मिटता है ।
11. रुधिर की वमन (gular ke fal khane ke fayde)
- कमल गट्टे और इसके फलों के चूर्ण को दूध के साथ देने से रुधिर की वमन बन्द होती हैं।
- इसके सूखे या हरे फलों को पानी में पीसकर मिश्री मिलाकर पीने से रुधिर की वमन, रक्तातिसार, रक्तार्श और मासिक धर्म में अधिक खून का जाना बन्द हो जाता है ।
12. नक्सीर : इसके पिण्ड की छाल को पानी में पीसकर तालु पर लगाने से नकसीर बन्द होती है ।
13. नासुर : इसके दूध में रूई का फाया भिगोकर नासूर और भगन्दर के अन्दर रखने से और उसको रोज बदलते रहने से नासूर और भगन्दर अच्छा हो जाता है।
14. मूत्ररोग : इसके दूध को दो बताशों में भर कर रोज खिलाने से मूत्र रोग मिटते है ।
15. भिलावे की सजन : इसकी छाल को पीस कर लेप करने से भिलावें के धुएं से पैदा हुई सूजन उतर जाती है।
16. पित्त ज्वर (gular ki chhal ke fayde) : इसकी जड़ की छाल के हिम में शक्कर मिलाकर पिलाने से तृष्णायुक्त पित्त ज्वर छूट जाता है ।
17. श्वेत प्रदर : गूलर का रस पिलाने से श्वेत प्रदर मिटता है ।
18. प्रमेह पीठिका (gular ke doodh ke fayde) : गूलर के दूध में बाबची के बीज भिगोकर और पीस कर लेप करने से सब प्रकार की पीठिका और व्रण मिट जाते हैं।
19. बच्चों का भस्मक रोग : इसकी अन्तर छाल को स्त्री के दूध में पीसकर पिलाने से बच्चों का भस्मक रोग मिटता है।
20. मधु प्रमेह (gular ke fal ka upyog) : गूलर के पके हुए फलों को सुखाकर उनका चूर्ण करके प्रतिदिन एक तोले की मात्रा में जल के साथ लेने से पेशाब के साथ शक्कर जाना बन्द हो जाती है ।
21. श्वेत कुष्ठ : इसकी छाल और लाला के बीजों को बराबर पीसकर 40 दिन दक फक्की लेने से श्वेत कुष्ठ में लाभ होता है।
22. रक्त पित्त : गूलर के रस में शहद मिलाकर पिलाने से रक्तपित्त मिटता है ।
23. गर्भस्राव : इसकी जड़ को कटकर उसका काढ़ा करके पिलाने से होता हुआ गर्भस्राव रुक जाता है ।
गूलर से निर्मित आयुर्वेदिक दवा (योग) :
बिहार के एक सुप्रसिद्ध वैद्य ने इसके रस से “औदुम्बर सार” नामक एक औषधि तैयार की थी यह औषधि हर तरह की सूजन, फोड़े, फुन्सी, कण्ठमाल और बदगांठ, घाव, शस्त्र के जख्म पर बहुत ही लाभप्रद साबित हुई थी।
गूलर के दुष्प्रभाव : Gular ke Nuksan in Hindi
यह अधिक मात्रा में खाने से मेदे को नुकसान पहुंचाता है और पेट में फुलाव पैदा करता है । इसके दर्प नाशक अनीसून और शिकंजबीन है।
(अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।)