Last Updated on September 3, 2022 by admin
कैथा क्या है ? : Kaitha in Hindi
यह समस्त भारतवर्ष में सर्वसुलभ है। इसको संस्कृत में कपित्थ, हिन्दी में कैथ तथा लेटिन में ‘फेरोनिया एलीफेंटिनम’ के नाम से जाना जाता है। इसको भारतीय परिवारों में चटनी के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। कैथ का वृक्ष ऊचां बड़ा तथा बहुत वर्ष जीवित रहने वाला होता है। इस पर जो फल लगते हैं, वह बेल की आकृति में पाया जाता है।
इसके फल दो प्रकार छोटी तथा बड़ी आकृति में पाया जाता है। छोटे की अपेक्षा बड़े आकार का फल मीठा होता है। जबकि छोटा खट्टा व कसैला होता है। रसोईघर में इसके गूदे की चटनी बनाने में प्रयोग किया जाता है। इसकी चटनी बड़ी जायकेदार व खट्टी-मीठी लगती है।
इसका मीठा शर्बत भी बनाया जाता है जो शीतलता प्रदान करने वाला होता है तथा तृषा का शमन होता है। इसका उपयोग हाथी बड़े अद्भुत ढंग से करता है। हाथी कैथा को समूचा ही निगल जाता है और कैथ को बिना फोड़े गूदे कों खाकर ही समस्त कैथ के फल के ऊपरी सख्त भाग को मल-द्वार से बाहर निकाल देता है। शायद इसलिए इसे लैटिन भाषा में ‘फेरोनिया ऐलीफैटिनम’ कहा जाता है।
इसका फल गोल, भूरा, सफेद बेल के फल की भांति होता है। फल का आवरण सफेद तथा सख्त होता है। इसके फल की गिरी अत्यधिक खट्टी होती है। उसमें जगह-जगह पर बीज जमें हुए रहते हैं। पत्ते छोटे और तनिक चौड़े तथा चिकने होते हैं। पतझड़ में इसके पत्ते झड़ जाते हैं किन्तु यह बिल्कुल पत्र रहित नहीं होता, कुछ पत्ते शेष रह जाते हैं। बसन्त-ऋतु में नये पत्ते आ जाते हैं। इसके पुष्प छोटे तथा श्वेत रंग के होते हैं। इसकी छाल सफेद तथा फटी हुई होती है।
कैथा के औषधीय गुण : Kaitha ke Gun in Hindi
- इसका कच्चा फल ग्राही, उष्ण, रुखा, हल्का, खट्टा, जायकेदार तथा विष एवं कफ का शामक होता है।
- कब्ज पैदा करने वाला, खुजली को शांत करने वाला, वात और खांसी को बढ़ाने वाला होता है।
- इसका पका फल स्वादिष्ट, खट्टा, कषैला, ग्राही, मधुर, शीतल, वीर्यवर्धक, दुष्पाच्य होता है।
- यह कण्ठ को साफ करता है किन्तु स्वर को नुकसान पहुंचता है।
- यह श्वास, क्षय, रक्तदोष, वमन, वायु, त्रिदोष, हिचकी, खांसी और विष का शमन करता है।
- दस्त बन्द हो जाते हैं, भूख बढ़ाता है।
- हाजमा ठीक हो जाता है।
- इसके बीज हृदय रोग, मस्तिष्क शूल और विष विसर्प को दूर करते हैं।
- इसके बीजों का तेल कषैला ग्राही, जायकेदार, पित्तशामक तथा कफ, वमन, हिक्का और चूहे के विष को दूर करने वाला होता है।
कैथा के अन्य फायदे और उपयोग : Kaitha ke Fayde in Hindi
इसके पत्ते व स्वरस का औषधीय प्रयोग इस प्रकार से है
1. पेट दर्द में – पेट दर्द में बेल गिरी तथा कैथा के गूदे का शर्बत बनाकर प्रयुक्त किया जाता है। इसके शर्बत की २० ग्राम की मात्रा में समभाग मात्रा में पानी में मिलाकर प्रयुक्त करना चाहिए। ( और पढ़े – पेट दर्द के 41 देसी घरेलु उपचार)
2. मरोड़ में – मरोड़ में भी बेलगिरी तथा कैथा के गूदे को निकालकर शर्बत बना लें। इस शर्बत की २०-२० ग्राम की मात्रा में समभाग पानी मिलाकर प्रयुक्त करने से मरोड़ दूर होती है।
3. खाज-खुजली में – खाज-खुजली के लिए कैथ के बीजों का तेल लगाने से यह दूर होती है। इसके साथ-साथ कैथ के गूदे को तेल में औटाकर उस गूदे को लगाने से खाज-खुजली दूर होती है। इसके अलावा यह दाद रोग में भी उपयोगी पाया गया है। खाज-खुजली तथा दाद के साथ-साथ यह सभी प्रकार के त्वचा-रोगों में भी प्रयोग में लाया जा सकता है। ( और पढ़े –दाद खाज खुजली का आयुर्वेदिक इलाज )
4. धातु-स्राव तथा स्वप्नदोष में – कैथ के पत्ते धातु सम्बन्धी रोगों में बहुत ही उपयोगी पाये गये हैं। धातु स्राव तथा स्वप्नदोष में इसके पत्तों को निम्नलिखित प्रकार से उपयोग में लाना चाहिए। कैथ के पत्तों का चूर्ण- 8 ग्राम (एक मात्रा) इसके 8 ग्राम के पत्तों को मिश्री युक्त दूध के साथ रात्रि को सोते समय उपयोग में लाने से सभी प्रकार के धातु सम्बन्धी रोग दूर होते हैं।
5. मंदाग्नि में – कैथ के कच्चे फलों को सेवन करने से मंदाग्नि, अरुचि दूर होती है तथा इससे भूख बढ़कर हाजमा दुरुस्त होता है। ( और पढ़े –मंदाग्नि दूर कर भूख बढ़ाने के 51 अचूक उपाय )
6. श्वसन – संस्थान के रोगों में इसका पका हुआ फल श्वसन-संस्थान के समस्त रोगों में उपयोगी पाया गया है। इसका फल खाने से खांसी, क्षय, श्वास आदि रोग दूर होते हैं।
7. हृदय रोग में – इसके बीजों के चूर्ण को हृदय रोगों की रोकथाम में प्रयुक्त किया जाता है।
8. हिचकी में – इसके पके हुए फल का गूदा निकालकर उसमें मिश्री मिलाकर देने से हिचकी में फायदा करता है।
कैथा के नुकसान :
कैथा के कच्चे फल के सेवन से गला बैठ जाता है तथा यह स्वर के लिए भी हानिकारक होता है।
(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)