Last Updated on September 3, 2024 by admin
कौंच क्या है ? kaunch in hindi
यह शिम्बी लता जाति की एक वनौषधि है जो किसी पेड़ के सहारे बढ़ती है। इसकी फलियों के ऊपर रोआं होता है जिसके स्पर्श से बहुत तेज़ खुजली चलती है और खुजाते खुजाते शोथ(सूजन) हो जाता है इसलिए इसे सद्य:शोथा’ भी कहते हैं। इसकी फली में 5-6 चमकीले, काले, अण्डाकार और चपटे बीज होते हैं जिनकी गिरी सफ़ेद रंग की होती है। आयुर्वेद ने वाजीकारक और वीर्यवर्धक जितनी औषधियों का वर्णन किया है, उनमें वनस्पति वर्ग में सबसे श्रेष्ठ और मुख्य औषधि यह काँच बीज ही है।
इसमें उत्तेजक, स्तम्भक और धातुवर्धक तीनों ही गुण मौजूद हैं इसीलिए लगभग सभी वाजीकारक और बलवीर्य-वर्द्धक नुस्खों में इसे भी शामिल किया जाता है। इसको प्रयोग बिना छिलके के, सिर्फ गिरी के रूप में ही किया जाता है। छिलका हटाने की एक विधि है जिसका वर्णन आगे किया जाएगा।
इसकी लता वर्षा ऋतु में उत्पन्न होती है, शरद ऋतु में फूल लगते हैं और शीतकाल में फल लगते हैं। रोएं हटा कर इसकी फलियों को शाक और अचार बनाया जाता है। कौंच की फली दो प्रकार की होती है। जंगल में पैदा होने वाली कौंच को जंगली कौंच और बाग बगीचों में पैदा होने वाली कौंच को बागी कौंच कहते हैं। बाज़ार में पंसारियों और देशी जड़ी बूटी बेचने वाली दूकानों पर इसके बीज आसानी से मिल जाते है। यह सारे भारत में उष्ण स्थानों पर पैदा होती है। इसके बीज वृष्य (टॉनिक) होते हैं और जड़ मूत्रल, आर्तवजनन तथा योनि संकोचक होती है। वानरीगुटिका नामक योग कौंच के बीज से बनने वाला प्रमुख बल वीर्य वर्धक योग है।
कौंच का विभिन्न भाषाओं में नाम :
- संस्कृत – पिकच्छू ।
- हिन्दी – कौंच, केवांच ।
- मराठी – खाजकुहिली, कुहिली।
- गुजराती – कौंचा, कवच ।
- बंगाली – अलकुशी ।
- तैलगु– पिलियाड्डगु ।
- तामिल – पुनाइक।
- कन्नड़ – नसुकुन्नी ।
- मलयालम – नईकोरना ।
- पंजाबी – कोवंच ।
- उर्दू – कौंच ।
- इंग्लिश – काउहेज (Cowhage)|
- लैटिन – मुकूना पुरिटा(MucunaPrurita)
कौंच के औषधीय गुण :
यह वीर्यवर्द्धक, मधुर, पुष्टिकारक, भारी, कड़वा, वातनाशक, स्निग्ध, उष्ण वीर्य, बलदायक और कफ, पित्त तथा रुधिर विकार नाशक है और इसके बीज अत्यन्त वाजीकारक है। आइये जाने कौंच के बीज का सेवन कैसे करें ?
मात्रा और अनुपान : dosage
कौंच के बीजों का चूर्ण 3 से 6 ग्राम और जड़ का काढ़ा 50-100 मिलीलीटर की मात्रा में प्रयोग किया जाता है।
कौंच की उचित खुराक उपयोगकर्ता की उम्र, स्वास्थ्य, और कई अन्य स्थितियों कारकों पर निर्भर करती है।
कौंच बीज का उपयोग : kaunch beej uses in hindi
कौंच के बीजों को प्रयोग करने से पहले इन्हें शुद्ध किया जाता है। जितनी मात्रा (वज़न) में बीज हों उनसे चौगुनी मात्रा में दूध लेकर, दूध में बीज डाल दें और उबलने के लिए आग पर चढ़ा दें। जब दूध खूब उबलने लगे तब 1-2 बीज निकाल कर देखें। यदि छिलका नरम और निकालने योग्य हो गया हो तो उतार कर ठण्डा कर लें और मसल-मसल कर छिलके हटा दें। एक एक बीज की जांच कर लें कि एक भी बीज में छिलका लगा न रह गया हो। सब छिलके इकट्ठे करके, दूध के साथ ऐसी जगह फेंकआएं जहां कोई पशु न खा सके या ज़मीन में गाड़ दें।
यही विधि है बीजों को शुद्ध करने की यानी छिलको अलग करने की। बीजों को छाया में सुखा कर कूट पीस कर महीन चूर्ण बना कर प्रयोग किया जाता है। इस चूर्ण को एक वर्ष के अन्दर प्रयोग कर लेना चाहिए। एक वर्ष बाद इसकी गुणवत्ता कम होने लगती है। यौन-दौर्बल्य और विकार दूर करने के लिए यह वाजीकारक जड़ी बूटियों में सर्वश्रेष्ठ है। क्योंकि यह यौनांग की शिथिलता व नपुंसकता दूर करती है, शरीर में शुक्रधातु की पुष्टि व वृद्धि करती है। और स्तम्भन शक्ति बढ़ा करशीघ्रपतन रोग को समाप्त करती है। यहां घरेलू इलाज में उपयोगी व लाभकारी कुछ प्रयोग प्रस्तुत किये जा रहे हैं।आइये जाने kaunch beej ke laabh ,kaunch beej benefits in hindi
कौंच बीज के फायदे और रोगों का उपचार : kaunch beej ke fayde hindi me
1. शरीर को शक्तिशाली बनानाने में कौंच बीज के फायदे :
- कौंच के बीज और गोखरू के चूर्ण को मिश्री के साथ मिलाकर दूध के साथ पीने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है।
- कौंच के बीज और जड़ को समान मात्रा में लेकर इनको पीसकर चूर्ण बना लें और इसमें बराबर मात्रा में चीनी मिलाकर एक शीशी में भरकर रख लें। यह चूर्ण 10 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन दूध के साथ लेने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है। ( और पढ़े –वीर्य वर्धक चमत्कारी 18 उपाय शरीर को बनाये तेजस्वी और बलवान )
2. मूत्र रोग में कौंच बीज के फायदे : कौंच के बीजों की गिरी का आधा चम्मच चूर्ण एक कप पानी के साथ दिन में 2 बार खाने से मूत्र रोग ठीक होता है।
3. बांझपन में कौंच बीज के फायदे : कौंच के बीजों की गिरी और जड़ का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर 1-1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार कुछ सप्ताह तक सेवन करने से बांझपन दूर होता है। ( और पढ़े –बाँझपन के 16 रामबाण घरेलू उपाय )
4. बेहोशी में कौंच के फायदे : कौंच की सूखी फली को बेहोश व्यक्ति के शरीर पर रगड़ने से बेहोशी दूर होती है। बेहोशी दूर होने पर गाय के घी से रोगी के शरीर की मालिश करें। इससे कौंच का जहर उतर जाता है।
5. उपदंश में कौंच बीज के फायदे : कौंच के बीजों को पानी में पीसकर दिन में 2 से 3 बार लेप करने से उपदंश रोग ठीक होता है। ( और पढ़े – उपदंश रोग के 23 घरेलू उपचार)
6. श्वास या दमा रोग में कौंच बीज के फायदे : शहद व अदरक का रस 1-1 चम्मच और कौंच के बीजों की गिरी आधी चम्मच। इन सभी को एक साथ पीसकर चूर्ण बना लें और इसका सेवन सुबह-शाम करें। इससे दमा रोग में आराम मिलता है।
7. बुखार में कौंच के फायदे : यदि कोई रोगी तेज बुखार से पीड़ित हो तो कौंच की जड़ का काढ़ा 1-1 कप की मात्रा में दिन में 2 से 3 बार पिलाएं। इससे बुखार में जल्दी आराम मिलता है।
8. नपुंसकता में कौंच बीज के फायदे :
- कौंच के बीजों का चूर्ण, तालमखाना व मिश्री बराबर मात्रा में लेकर 3 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन दूध के साथ खाने से नपुंसकता दूर होती है।
- कौंच के बीजों की गिरी और तालमखाने के बीज 25-25 ग्राम की मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में 50 ग्राम मिश्री मिलाकर प्रतिदिन 2 चम्मच की मात्रा में दूध के साथ खाने से नपुंसकता दूर होती है। ( और पढ़े –नपुंसकता से छुटकारा पाने के 32 घरेलू उपाय )
9. जलोदर (पेट में पानी भरना) में कौंच बीज के फायदे : कौंच की जड़ को पीसकर लेप बनाकर कलाई पर बांधने से जलोदर रोग ठीक होता है और पेट का दर्द भी शांत होता है।
10. गिल्टी (ट्यूमर) में कौंच बीज के फायदे : कौंच के बीजों को पानी में पीसकर दिन में 2 से 3 बार गिल्टी पर लेप करने से गिल्टी ठीक होती है।
11. वात रोग में कौंच बीज के फायदे : कौंच के बीजों का खीर बनाकर खाने से वात रोग दूर होता है।
12. योनि का फैल जाना में कौंच के फायदे : कौंच की जड़ का काढ़ा बनाकर कुछ दिनों तक योनि को धोने से योनि सिकुड़ जाती है।
13. बिच्छू का डंक में कौंच बीज के फायदे : मिट्टी के तेल या पानी में कौंच के बीज की गिरी को घिसकर डंक वाले स्थान पर लगाने से बिच्छू का जहर उतर जाता है।
14. घाव में कौंच के फायदे : कौंच के पत्तों को पीसकर घाव पर लेप करने से और पट्टी बांधने से घाव ठीक होता है।
15. लिंग का ढीलापन में कौंच के फायदे : कौंच की जड़ को अपने पेशाब में घिसकर लिंग पर लेप करने से लिंगा का ढीलापन दूर होता है।
16. श्वेत प्रदर में कौंच बीज के फायदे : कौंच के बीजों की गिरी का आधा चम्मच चूर्ण एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने लाभ श्वेत प्रदर रोग में लाभ मिलता है। आइये जाने kaunch beej ke nuksan in hindi
कौंच बीज के नुकसान : kaunch beej side effects in hindi
- इस दवा को डॉक्टर की देखभाल में लें।
- कौंच बीज सेवन से उल्टी, भूख की कमी, अनियमित दिल की धड़कन, और कम रक्तचाप हो सकता है।
- इसे बच्चों की पहुंच से दूर रखें।
- इसे ज्यादा न लें।
- गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान इसे न लें।
- गर्भवती महिला को कौंच के बीज से बन्ने वाली किसी भी आयुर्वेदिक दवा को नहीं लेनी चाहिए।
अस्वीकरण: इस लेख में उपलब्ध जानकारी का उद्देश्य केवल शैक्षिक है और इसे चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं ग्रहण किया जाना चाहिए। कृपया किसी भी जड़ी बूटी, हर्बल उत्पाद या उपचार को आजमाने से पहले एक विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें।
रोए वाली कौंच के फली मैं से बीज कैसे निकाला जाता है
Thanks for providing this in formation